चलती औसत तुलना

Reliance Jio 4जी नेटवर्क में डाउनलोड, अपलोड स्पीड में टॉर पर: TRAI
नई दिल्ली. दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनी जियो 4जी नेटवर्क पर औसत डाउनलोड और अपलोड स्पीड के मामले में टॉप पर है. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) की ओर से जारी आंकड़ों से यह जानकारी दी है. ट्राई ने अक्टूबर में बीएसएनएल को 4जी की स्पीड की सूची से हटा दिया है, क्योंकि कंपनी ने अभी 4G की सेवाएं शुरू चलती औसत तुलना नहीं की हैं.
जियो ने पिछले महीने 20.3 मेगाबिट्स प्रति सेकंड (एमबीपीएस) की औसत स्पीड से डाउनलोड रफ्तार में टॉप पर रही.
लिस्ट में टॉप पर जियो
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण की लिस्ट में जियो के बाद एयरटेल का नंबर आता है. कंपनी ने अक्टूबर के दौरान 15 एमबीपीएस की डाउनलोड स्पीड दर्ज की है. इसके बाद वोडाफोन आइडिया (वीआई) 14.5 एमबीपीएस की स्पीड के साथ तीसरे स्थान पर आती है.
अक्टूबर में जियो की 4जी अपलोड स्पीड सितंबर के 6.4 एमबीपीएस से घटकर 6.2 एमबीपीएस रह गई. हालांकि, कंपनी ने श्रेणी में अपना शीर्ष स्थान बनाए रखा.
कार्बन एमिशन : इन देशों की अगर बड़ी भागीदारी, तो ये दिखा भी रहे उतनी ही जिम्मेदारी
इस बात में दो राय नहीं कि वैश्विक ग्रीनहाउस गैस एमिशन में वृद्धि हुई है, लेकिन पिछले दशक के औसत के मुक़ाबले यह बहुत कम मात्रा में हुआ है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का तो मानना है कि रिन्यूबल बिजली उत्पादन और इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से बढ़ते चलन ने एमिशन की इस वृद्धि के पैमाने को संभवत दो-तिहाई तक कम कर दिया है।
इतना ही नहीं, कई अन्य विश्लेषण बताते हैं कि :
• इस वर्ष की पहली छमाही में देखी गई बिजली की मांग में वृद्धि को अकेले रिन्यूबल एनर्जी की मदद से पूरा कर लिया गया
• विंड टर्बाइन और सौर पैनल अब दुनिया की बिजली का 10% उत्पन्न करते हैं, और वर्तमान विकास दर से 2030 तक यह आंकड़ा 40% तक पहुँच जाएगा।
• गाड़ियों के बाज़ार में इलेक्ट्रिक वाहन बड़ी पैठ बना चलती औसत तुलना रहे हैं। नई कारों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की 9% और बस और दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री में एलेक्ट्रिक की लगभग आधी हिस्सेदारी है।
• इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में यह अप्रत्याशित तीव्र वृद्धि प्रति दिन दस लाख बैरल से अधिक तेल बचा रही है।
• स्वच्छ ऊर्जा में वैश्विक निवेश में वृद्धि जारी है, और यह बिजली उत्पादन में लगभग सभी नए निवेश के लिए जिम्मेदार है।
इसी क्रम में, एक ताज़ा रिपोर्ट की मानें तो भारत समेत दुनिया के चारों बड़े उत्सर्जक ज़मीनी स्तर पर एमिशन्स को कम करने के लिए मज़बूती से प्रयासरत हैं।
इस रिपोर्ट का शीर्षक है ‘द बिग फोर : आर मेजर एमिटर्स डाउनप्लेईंग देयर क्लाइमेट एंड क्लीन एनेर्जी प्रोग्रेस’? (क्या प्रमुख उत्सर्जक अपनी जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा प्रगति को कम करके आंक रहे हैं?) और इसे तैयार किया है एनर्जी एंड क्लाइमेट इंटेलिजेंस यूनिट (ईसीआईयू) नाम की एक वैश्विक संस्था ने।
इस रिपोर्ट में प्रस्तुत साक्ष्यों से यह संभावना बनती है कि इन बड़े चार उत्सर्जकों में से कम से कम तीन – चीन, यूरोपीय संघ और भारत – न सिर्फ एक स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था की दिशा में तेजी से प्रगति देखेंगे, बल्कि वे अपने राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों के सापेक्ष एमिशन में तेज़ी से गिरावट को भी देखेंगे। और उनके द्वारा की गई प्रगति का निश्चित रूप से वैश्विक प्रभाव पड़ेगा जिसके चलते न सिर्फ ग्रीनहाउस गैस एमिशन कम होंगे बल्कि उनकी तेज प्रगति से अन्य सभी देशों के लिए क्लीन एनर्जी की कीमतों में तेजी से गिरावट भी देखने को मिलेगी।
इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ईसीआईयू में इंटरनेशनल लीड, गैरेथ रेडमंड-किंग, ने कहा, “जिस गति से एनर्जी ट्रांज़िशन तेजी से हो रहा है, विशेष रूप से वैश्विक अर्थव्यवस्था के इन पावरहाउजेज़ में, उससे यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि कैसे सही नीति और बाजार के ढांचे उस गति से बदलाव ला रहे हैं जो कुछ साल पहले अकल्पनीय था। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और वैश्विक ऊर्जा संकट ने इस बदलाव को और तेज कर दिया है। फिलहाल जीवाश्म ईंधन के उपयोग में एक वृद्धि देखी जा सकती है मगर यह तय है कि ऐसा कुछ बस एक अल्पकालिक समाधान से अधिक कुछ नहीं हैं।”
एक नज़र इन तीन देशों की कार्यवाही पर –
चीन : इस वर्ष 165 GW नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित कर रहा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25% अधिक है; 2022 में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 6 मिलियन होने का अनुमान, जो कि 2021 का दोगुना होगा;
संयुक्त राज्य अमेरिका : सौर और पवन ऊर्जा की तैनाती में चीन के बाद दूसरे नंबर पर, पूर्वानुमान के अनुसार यहाँ 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से 85% बिजली उत्पन्न हो सकती है; बिक्री के कुछ पूर्वानुमान बताते हैं कि यहाँ 2030 में खरीदी गई सभी नई चलती औसत तुलना कारों में से आधी इलेक्ट्रिक हो सकती हैं;
भारत : इस दशक में अक्षय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर, का तेजी से रोलआउट भारत के बिजली क्षेत्र को बदल कर रख देगा, यहाँ कोयला उत्पादन तेजी से लाभहीन होता जा रहा है; सभी रुझान बता रहे हैं भारत अपने 2070 के नेट ज़ीरो एमिशन लक्ष्य की ओर जाते हुए दिख रहा है।
ऊर्जा और चक्र अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने वाले शंघाई स्थित अनुसंधान टैंक, इकोसायकल के कार्यक्रम निदेशक यिक्सिउ वू ने इस पर कहा, “नवीकरणीय ऊर्जा के लिए चीन का समर्थन सुसंगत रहा है और जमीन पर विकसित स्थिति के लिए भी अत्यधिक अनुकूल है। आरई स्थापना उच्च स्तर पर चलती रहती है। चीन और सरकार बिजली बाजार में सुधार को गहरा करने और बिजली व्यवस्था को बदलने के लिए स्मार्ट ग्रिड बनाने के लिए नीतियां पेश कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों के समर्थन के साथ COP27 जलवायु शिखर सम्मेलन का एक प्रमुख फोकस, विश्लेषण इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि हर जगह स्वच्छ ट्रांज़िशन को तेज करने से महंगे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो जाती है। यह बदले में लागत कम करता है, वैश्विक वित्तीय प्रवाह को बदलता है, और खाद्य आपूर्ति को खतरे में डालने वाले जलवायु प्रभावों को कम करता है। यह सुझाव देता है कि सभी देशों के पास खुद को बिजली देने के लिए पर्याप्त नवीकरणीय क्षमता है, यह ऊर्जा सुरक्षा का एक सार्वभौमिक मार्ग है।
नए अवतार में आ रही Maruti Swift, पेट्रोल पर भी देगी 40KM का माइलेज, कीमत होगी सिर्फ इतनी!
कार न्यूज डेस्क - नई पीढ़ी की सुजुकी स्विफ्ट परीक्षण के चरण में है। इसे कई बार टेस्टिंग के दौरान भी चलती औसत तुलना देखा गया है, जिससे पता चलता है कि हैचबैक को स्टाइलिंग, फीचर्स और पावरट्रेन के मामले में अपग्रेड किया गया है। अब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि नई स्विफ्ट को स्ट्रांग हाइब्रिड तकनीक के साथ पेश किया जा सकता है, जैसा कि हाल ही में लॉन्च हुई मारुति सुजुकी ग्रैंड विटारा में देखा गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई 2024 मारुति सुजुकी स्विफ्ट में टोयोटा की स्ट्रांग हाइब्रिड तकनीक वाला नया 1.2-लीटर, 3-सिलेंडर पेट्रोल इंजन मिल सकता है। इस अपडेट के साथ, स्विफ्ट देश में सबसे अधिक ईंधन कुशल कार बन जाएगी।
रिपोर्ट्स में आगे कहा गया है कि मजबूत हाइब्रिड पावरट्रेन वाली स्विफ्ट हैचबैक लगभग 35-40kmpl (ARAI प्रमाणित) का माइलेज दे सकती है। इसका कोडनेम YED बताया जा रहा है। मौजूदा मारुति स्विफ्ट में 1.2 लीटर डुअलजेट पेट्रोल इंजन मिलता है। यह इंजन मैनुअल और एएमटी दोनों गियरबॉक्स के साथ आता है। यह इंजन 23.76 kmpl की फ्यूल एफिशिएंसी देता है। स्विफ्ट का नया मजबूत हाइब्रिड संस्करण आगामी CAFÉ चलती औसत तुलना II (कॉर्पोरेट औसत ईंधन अर्थव्यवस्था) मानकों के अनुरूप होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2024 मारुति स्विफ्ट के टॉप वेरिएंट में टोयोटा की स्ट्रांग हाइब्रिड तकनीक दी जा सकती है। रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि हैचबैक का निचला वेरिएंट पुराने 1.2-लीटर डुअलजेट पेट्रोल इंजन के साथ आता रहेगा, जो 90bhp की पावर जेनरेट करता है।
यह सीएनजी फ्यूल ऑप्शन के साथ भी उपलब्ध होगा। कहा जा रहा है कि नई मारुति स्विफ्ट 2024 ज्यादा एंगुलर स्टांस के साथ आएगी, जो रिवाइज्ड हार्टेक्ट प्लेटफॉर्म पर आधारित होगी। महत्वपूर्ण कॉस्मेटिक और फीचर अपग्रेड और एक नए मजबूत हाइब्रिड सिस्टम के साथ, 2024 मारुति सुजुकी स्विफ्ट निश्चित रूप से कीमतों में बढ़ोतरी देखेगी। हैचबैक के हाइब्रिड संस्करण की कीमत इसके गैर-हाइब्रिड संस्करण की तुलना में लगभग 1.50 लाख रुपये से 2 लाख रुपये अधिक हो सकती है। दमदार हाइब्रिड तकनीक वाली बिल्कुल नई स्विफ्ट को 2024 की शुरुआत (यानी जनवरी-मार्च) में लॉन्च किया जा सकता है।
Carbon Emission: इन देशों की अगर बड़ी भागीदारी, तो ये दिखा भी रहे उतनी ही ज़िम्मेदारी
Carbon Emission: भारत समेत दुनिया के चारों बड़े उत्सर्जक ज़मीनी स्तर पर एमिशन्स को कम करने के लिए मज़बूती से प्रयासरत हैं।
Carbon Emission (फोटो: सोशल मीडिया )
Carbon Emission: इस बात में दो राय नहीं कि वैश्विक ग्रीनहाउस गैस एमिशन में वृद्धि हुई है, लेकिन पिछले दशक के औसत के मुक़ाबले चलती औसत तुलना यह बहुत कम मात्रा में हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का तो मानना है कि रिन्यूबल बिजली उत्पादन और इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से बढ़ते चलन ने एमिशन की इस वृद्धि के पैमाने को संभवत दो-तिहाई तक कम कर दिया है।
इतना ही नहीं, कई अन्य विश्लेषण बताते हैं कि:
• इस वर्ष की पहली छमाही में देखी गई बिजली की मांग में वृद्धि को अकेले रिन्यूबल एनेर्जी की मदद से पूरा कर लिया गया
• विंड टर्बाइन और सौर पैनल अब दुनिया की बिजली का 10% उत्पन्न करते हैं, और वर्तमान विकास दर से 2030 तक यह आंकड़ा 40% तक पहुँच जाएगा
• गाड़ियों के बाज़ार में इलेक्ट्रिक वाहन बड़ी पैठ बना रहे हैं। नई कारों की बिक्री में एलेक्ट्रिक वाहनों की 9% और बस और दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री में एलेक्ट्रिक की लगभग आधी हिस्सेदारी है
• इलैक्ट्रिक मोबिलिटी में यह अप्रत्याशित तीव्र वृद्धि प्रति दिन दस लाख बैरल से अधिक तेल बचा रही है
• स्वच्छ ऊर्जा में वैश्विक निवेश में वृद्धि जारी है, और यह बिजली उत्पादन में लगभग सभी नए निवेश के लिए जिम्मेदार है।
इसी क्रम में, एक ताज़ा रिपोर्ट की मानें तो भारत समेत दुनिया के चारों बड़े उत्सर्जक ज़मीनी स्तर पर एमिशन्स को कम करने के लिए मज़बूती से प्रयासरत हैं।
इस रिपोर्ट का शीर्षक है 'द बिग फोर: आर मेजर एमिटर्स डाउनप्लेईंग देयर क्लाइमेट एंड क्लीन एनेर्जी प्रोग्रेस'? (क्या प्रमुख उत्सर्जक अपनी जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा प्रगति को कम करके आंक रहे हैं?) और इसे तैयार किया है एनर्जी एंड क्लाइमेट इंटेलिजेंस यूनिट (ईसीआईयू) नाम की एक वैश्विक संस्था ने।
इस रिपोर्ट में प्रस्तुत साक्ष्यों से यह संभावना बनती है कि इन बड़े चार उत्सर्जकों में से कम से कम तीन - चीन, यूरोपीय संघ और भारत – न सिर्फ एक स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था की दिशा में तेजी से प्रगति देखेंगे, बल्कि वे अपने राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों के सापेक्ष एमिशन में तेज़ी से गिरावट को भी देखेंगे। और उनके द्वारा की गई प्रगति का निश्चित रूप से वैश्विक प्रभाव पड़ेगा जिसके चलते न सिर्फ ग्रीनहाउस गैस एमिशन कम होंगे बल्कि उनकी तेज प्रगति से अन्य सभी देशों के लिए क्लीन एनेर्जी की कीमतों में तेजी से गिरावट भी देखने को मिलेगी।
इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए चलती औसत तुलना ईसीआईयू में इंटरनेशनल लीड, गैरेथ रेडमंड-किंग, ने कहा, "जिस गति से एनेर्जी ट्रांज़िशन तेजी से हो रहा है, विशेष रूप से वैश्विक अर्थव्यवस्था के इन पावरहाउजेज़ में, उससे चलती औसत तुलना यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि कैसे सही नीति और बाजार के ढांचे उस गति से बदलाव ला रहे हैं जो कुछ साल पहले अकल्पनीय था। यूक्रेन चलती औसत तुलना पर रूस के आक्रमण और वैश्विक ऊर्जा संकट ने इस बदलाव को और तेज कर दिया है। फिलहाल जीवाश्म ईंधन के उपयोग में एक वृद्धि देखी जा चलती औसत तुलना सकती है मगर यह तय है कि ऐसा कुछ बस एक अल्पकालिक समाधान से अधिक कुछ नहीं हैं।"
एक नज़र इन तीन देशों की कार्यवाई पर
चीन: इस वर्ष 165 GW नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित कर रहा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25% अधिक है; 2022 में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 6 मिलियन होने का अनुमान, जो कि 2021 का दोगुना होगा;
संयुक्त राज्य अमेरिका: सौर और पवन ऊर्जा की तैनाती में चीन के बाद दूसरे नंबर पर, पूर्वानुमान के अनुसार यहाँ 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से 85% बिजली उत्पन्न हो सकती है; बिक्री के कुछ पूर्वानुमान बताते हैं कि यहाँ 2030 में खरीदी गई सभी नई कारों में से आधी इलेक्ट्रिक हो सकती हैं;
भारत: इस दशक में अक्षय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर, का तेजी से रोलआउट भारत के बिजली क्षेत्र को बदल कर रख देगा, यहाँ कोयला उत्पादन तेजी से लाभहीन होता जा रहा है; सभी रुझान बता रहे हैं भारत अपने 2070 के नेट ज़ीरो एमिशन लक्ष्य की ओर जाते हुए दिख रहा है।
ऊर्जा और चक्र अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने वाले शंघाई स्थित अनुसंधान टैंक, इकोसायकल के कार्यक्रम निदेशक यिक्सिउ वू ने इस पर कहा, "नवीकरणीय ऊर्जा के लिए चीन का समर्थन सुसंगत रहा है और जमीन पर विकसित स्थिति के लिए भी अत्यधिक अनुकूल है। आरई स्थापना उच्च स्तर पर चलती रहती है। चीन और सरकार बिजली बाजार में सुधार को गहरा करने और बिजली व्यवस्था को बदलने के लिए स्मार्ट ग्रिड बनाने के लिए नीतियां पेश कर रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों के समर्थन के साथ COP27 जलवायु शिखर सम्मेलन का एक प्रमुख फोकस, विश्लेषण इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि हर जगह स्वच्छ ट्रांज़िशन को तेज करने से महंगे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो जाती है। यह बदले में लागत कम करता है, वैश्विक वित्तीय प्रवाह को बदलता है, और खाद्य आपूर्ति को खतरे में डालने वाले जलवायु प्रभावों को कम करता है। यह सुझाव देता है कि सभी देशों के पास खुद को बिजली देने के लिए पर्याप्त नवीकरणीय क्षमता है, यह ऊर्जा सुरक्षा का एक सार्वभौमिक मार्ग है।
हेडफोन यूज करते हैं तो आज ही छोड़ें यह आदत, हो सकते हैं बहरे
शोध में आया सामने विश्व में एक अरब युवाओं पर मंडराया खतरा
Update: Thursday, November 17, 2022 @ 4:58 PM
आजकल हर कोई हेडफोन (headphones) का यूज कर रहा है। या तो फोन सुनने के लिए या फिर फोन पर बजने वाले गानों को सुनने के लिए। मगर क्या आपको पता है कि यह हेडफोन आपके लिए एक बहुत खतरा है। रिसर्च में सामने आया है कि हेडफोन जब यूज करते हैं कि तो आदमी म्यूजिक की धुन में ही रम जाता है। बाहरी दुनिया से वह कट जाता है। यही कारण है कि कई हादसे भी हो जाते हैं। बहरहाल आज आपको हेडफोन के नुकसान बताने जा रहे हैं। यह हेडफोन युवाओं के लिए कितने खतरनाक हैं यह हालिया रिसर्च (Research) में सामने आया है। बताया जा रहा है कि विश्व के एक अरब युवाओं पर बहरे होने का खतरा मंडराने लगा है। इस संबंध में बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में इस संबंध में एक रिसर्च को प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया है कि हेडफोन और ईयरबड्स कितने खतरनाक हैं। इसमें बताया गया है कि इससे सुनने की क्षमता कम होने का खतरा है। वहीं इस संबंध में अमेरिका के साउथ कैरोलिना की मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं सहित अंतरराष्ट्रीय टीम ने कहा है कि इसके लिए विश्व भर की सरकारों को नियम निर्धारित करने की जरूरत है।
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टीम ने कहा है कि यदि सरकारें ऐसा करती हैं तो दुनिया को बहरेपन से बचाया जा सकता है। वहीं एक शोध के अनुसार इस वक्त दुनिया में 430 मिलियन लोग बहरेपन का शिकार हैं। यह अनुमान विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी लगाया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इससे सुनने की शक्ति प्रभावित हो रही है। शोध से पता चलता है कि पीएलडी इस्तेमाल करने से अकसर 105 डेसिबल के रूप में वॉल्यूम का प्रयोग होता है। इसी के साथ मनोरंजन स्थलों पर यह औसत साउंड लेवल 104 से 112 डीबी तक होता है। जबकि युवाओं को 80 कठ और बच्चों के लिए 75 डीबी (75 dB) में साउंड लेबल तय किया गया है।
शोधकर्ताओं ने टीनेजर और एडल्ट (teen and adult) के मध्य असुरक्षित सुनने के चलन का पता लगाया। उन्होंने अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनिश और रूसी में प्रकाशित रिसर्च डेटाबेस का पता लगया, जिसमें 12.34 साल के लोग शामिल थे। इस शोध ने पिछले दो दशकों में अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच और रूसी में प्रकाशित 33 अध्ययनों के आंकड़ों को देखाए अपने शोध में 12.34 आयु वर्ग के 19,000 से अधिक प्रतिभागियों को शामिल किया। इसमें पाया गया कि स्मार्टफोन जैसे उपकरणों के साथ हेडफोन का उपयोग करते समय 24 प्रतिशत युवाओं में कम सुनने की दिक्कत थी। जबकि चलती औसत तुलना 48 प्रतिशत मनोरंजन स्थलों जैसे संगीत कार्यक्रम या नाइट क्लबों में तेज शोर का वजह से भी लोगों में सुनने की शक्ति की हानी थी। स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि 670,000 से 1.35 अरब युवाओं के बीच बहरेपन का जोखिम हो सकता है। बहरेपन का शिकार होने से बचने के लिए चलती औसत तुलना जरूरी है कि वॉल्यूम कम करके और लिमिट में चीजों को सुनना सही होगा। हेडफोन यूजर्स को सेटिंग्स का इस्तेमाल करना चाहिए फिर साउंड लेवल पर नजर रखना चाहिए।