प्रतिभूति और सामूहिक निवेश

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2021-22 में 176 मामलों में प्रवर्तन कार्रवाई शुरू हुई। 226 मामले निपटाए गए। मार्च, 2022 तक 426 मामले लंबित थे।
कम समय में ऊंचा रिटर्न मतलब बड़ी समस्या : SEBI
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) इसके लिए टीवी, रेडियो तथा प्रिंट मीडिया की मदद लेगा। इस मीडिया अभियान में वह विशेष रूप से सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) को निशाना बनाएगा जिसमें निवेशकों से कुछ ही महीने में निवेश दोगुना करने का वादा किया जाता है। इस तरह की योजनाओं में कुछ हजार या लाख रुपये के निवेश पर निवेशक को सारी उम्र स्थायी रिटर्न की गारंटी भी दी जाती है।
सेबी ने अपने इन अभियानों के लिए पेशेवर एजेंसियों की मदद ली है और वह यह अभियान 13 भाषाओं में चलाएगा जिनमें हिंदी व अंग्रेजी के अलावा बंगाली, असमी, ओड़िया, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, पंजाबी, तमिल, तेलुगु तथ उर्दू शामिल है। यह अभियान समूचे देश में चलेगा और इसमें विशेषकर पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओड़िशा प्रतिभूति और सामूहिक निवेश तथा महाराष्ट्र राज्य पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
सेबी ने इस तरह के एक अभियान में कहा है, ‘हजारों निवेश करें, तुंरत लाखों कमाएं। यह कैसे संभव है?’ नियामक ने कहा है, कम समय में उंची कमाई समझो गड़बड़ है, नियामक ने निवेशकों से कहा है कि ऐसी किसी भी योजना में निवेश से पहले योजना का पूरा ब्यौरा सावधानी से पढ़ें और देखें।
सेबी ने अपने इस अभियान में इस तरह की योजनाओं की बिक्री करने वालों द्वारा आमतौर पर उपयोग में लाये जाने वाले तरीके का भी भंडाफोड़ किया है। आमतौर पर ऐसी धोखाधड़ी की योजनायें चलाने वाले अपने किसी नजदीकी द्वारा थोड़े ही समय में धन दोगुना करने का उदहारण देते हैं। हर कोई ऐसा उदाहरण देता है, लेकिन वास्तव में ऐसा कोई होता नहीं है। सेबी ने अपने टेलीविजन अभियान में इसका बखूबी खुलासा किया है। सेबी देशभर में की जा रही निवेशक शिक्षा बैठकों के जरिये भी निवेशकों को सावधान कर रहा है।
हाल के दिनों में सामूहिक निवेश की कई योजनायें सामने आईं हैं जिनमें कई लोगों से धन एकत्रित किया जाता है और फिर नये निवेशकों से धन जुटाकर पुराने निवेशकों को दे दिया जाता है, जब तक इसके संचालक गायब नहीं हो जाते हैं तब तक यह चक्र चलता रहता है। इस तरह की कई पौंजी योजनायें हाल में सामने आईं हैं।
इस तरह की करीब 500 योजनाओं को सेबी की सख्ती का सामना करना पड़ा है। माना जा रहा है कि देश के विभिन्न कोनों में इस तरह की और भी कई योजनायें अभी भी चल रही है जो निवेशकों को चूना लगा रही हैं।
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SEBI : संस्थानों से 67228 करोड़ रुपये का बकाया नहीं वसूल सका सेबी, 70 फीसदी बकाया राशि फंसी
पूंजी बाजार नियामक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 2021-22 में जांच के लिए प्रतिभूति कानून के उल्लंघन से जुड़े नए मामलों प्रतिभूति और सामूहिक निवेश की संख्या 59 थी। यह आंकड़ा 2020-21 के 94 मामलों से काफी कम है।
बाजार नियामक सेबी संस्थानों से 67,228 करोड़ रुपये का बकाया नहीं वसूल सका। इसलिए, इस रकम को अब अलग कर दिया गया है। 2021-22 की सालाना रिपोर्ट में नियामक ने कहा, 96,609 करोड़ का बकाया उन संस्थाओं से वसूले जाने की जरूरत है, जिन्होंने जुर्माने का भुगतान नहीं किया है। बाजार निगरानी के कारण जुर्माने का भुगतान करने में ये संस्थान विफल रहे और निवेशकों के पैसे वापस करने के निर्देशों का पालन नहीं किया।
वसूली में आ रही मुश्किल पर भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड (सेबी) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा, सभी तरीके अपनाने के बावजूद बकाया वसूली नहीं की जा सकी। साथ ही, उसने स्पष्ट किया कि इस तरह के बकाये को अलग करना एक प्रशासनिक अधिनियम है। आगे अगर किसी पैमाने में कोई बदलाव किया जाता है तो वह अधिकारियों को इन संस्थानों से इस रकम की प्रतिभूति और सामूहिक निवेश वसूली से नहीं रोकेगा।
सहारा और पीएसीएल पर सर्वाधिक बकाया
96,609 करोड़ रुपये में 63,206 करोड़ यानी 65 फीसदी बकाया सामूहिक निवेश योजना (सीआईएस) से जुड़ा है। यह रकम पीएसीएल लि. व सहारा समूह की कंपनी सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड के सार्वजनिक निर्गमों से संबंधित है। साथ ही, कुल बकाये का 70% यानी 68,109 करोड़ विभिन्न अदालतों और नियुक्त समितियों के समक्ष समानांतर कार्यवाही के अधीन है।
उल्लंघन के मामले घटे
पूंजी बाजार नियामक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 2021-22 में जांच के लिए प्रतिभूति कानून के उल्लंघन से जुड़े नए मामलों की संख्या 59 थी। यह आंकड़ा 2020-21 के 94 मामलों से काफी कम है। कुल 59 में से 38 मामले बाजार और कीमतों में हेराफेरी से संबंधित थे। भेदिया कारोबार (इनसाइडर ट्रेडिंग) के 17 और बाकी चार मामले प्रतिभूति कानून के उल्लंघन से जुड़े थे। पिछले वित्त वर्ष के दौरान कुल 169 मामलों की जांच पूरी की गई। 2019-20 में 94 नए मामले मिले थे और कुल 140 मामलों की जांच पूरी की गई।
जांच का मकसद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना
जांच का उद्देश्य सबूत जुटाने के साथ अनियमितताओं और नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों व संस्थाओं की पहचान करना है ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। जांच के दौरान बैंक खाते एवं केवाईसी विवरण, संस्थान के बारे में प्रतिभूति और सामूहिक निवेश जानकारी, कॉल डाटा रिकॉर्ड व बाजार मध्यस्थों से प्राप्त जानकारी का भी विश्लेषण किया गया।
- 2021-22 में 176 मामलों में प्रवर्तन कार्रवाई शुरू हुई। 226 मामले निपटाए गए। मार्च, 2022 तक 426 मामले लंबित थे।
विस्तार
बाजार नियामक सेबी संस्थानों से 67,228 करोड़ रुपये का बकाया नहीं वसूल सका। इसलिए, इस रकम को अब अलग कर दिया गया है। 2021-22 की सालाना रिपोर्ट में नियामक ने कहा, 96,609 करोड़ का बकाया उन संस्थाओं से वसूले जाने की जरूरत है, जिन्होंने जुर्माने का भुगतान नहीं किया है। बाजार निगरानी के कारण जुर्माने का भुगतान करने में ये संस्थान विफल रहे और निवेशकों के पैसे वापस करने के निर्देशों का पालन नहीं किया।
वसूली में आ रही मुश्किल पर भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड (सेबी) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा, सभी तरीके अपनाने के बावजूद बकाया वसूली नहीं की प्रतिभूति और सामूहिक निवेश जा सकी। साथ ही, उसने स्पष्ट किया कि इस तरह के बकाये को अलग करना एक प्रशासनिक अधिनियम है। आगे अगर किसी पैमाने में कोई बदलाव किया जाता है तो वह अधिकारियों को इन संस्थानों से इस रकम की वसूली से नहीं रोकेगा।
सहारा और पीएसीएल पर सर्वाधिक बकाया
96,609 करोड़ रुपये में 63,206 करोड़ यानी 65 फीसदी बकाया सामूहिक निवेश योजना (सीआईएस) से जुड़ा है। यह रकम पीएसीएल लि. व सहारा समूह की कंपनी सहारा इंडिया प्रतिभूति और सामूहिक निवेश कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड के सार्वजनिक निर्गमों से संबंधित है। साथ ही, कुल बकाये का 70% यानी 68,109 करोड़ विभिन्न अदालतों और नियुक्त समितियों के समक्ष समानांतर कार्यवाही के अधीन है।
उल्लंघन के मामले घटे
पूंजी बाजार नियामक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 2021-22 में जांच के लिए प्रतिभूति कानून के उल्लंघन से जुड़े नए मामलों की संख्या 59 थी। यह आंकड़ा 2020-21 के 94 मामलों से काफी कम है। कुल 59 में से 38 मामले बाजार और कीमतों में हेराफेरी से संबंधित थे। भेदिया कारोबार (इनसाइडर ट्रेडिंग) के 17 और बाकी चार मामले प्रतिभूति कानून के उल्लंघन से जुड़े थे। पिछले वित्त वर्ष के दौरान कुल 169 मामलों की जांच पूरी की गई। 2019-20 में 94 नए प्रतिभूति और सामूहिक निवेश मामले मिले थे और कुल 140 मामलों की जांच पूरी की गई।
जांच का मकसद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना
जांच का उद्देश्य सबूत जुटाने के साथ अनियमितताओं और नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों व संस्थाओं की पहचान प्रतिभूति और सामूहिक निवेश करना है ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। जांच के दौरान बैंक खाते एवं केवाईसी विवरण, संस्थान के बारे में जानकारी, कॉल डाटा रिकॉर्ड व बाजार मध्यस्थों से प्राप्त जानकारी का भी विश्लेषण किया गया।
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2021-22 में 176 प्रतिभूति और सामूहिक निवेश मामलों में प्रवर्तन कार्रवाई शुरू हुई। 226 मामले निपटाए गए। मार्च, 2022 तक 426 मामले लंबित थे।
कम समय में ऊंचा रिटर्न मतलब बड़ी समस्या : SEBI
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) इसके लिए टीवी, रेडियो तथा प्रिंट मीडिया की मदद लेगा। इस मीडिया अभियान में वह विशेष रूप से सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) को निशाना बनाएगा जिसमें निवेशकों प्रतिभूति और सामूहिक निवेश से कुछ ही महीने में निवेश दोगुना करने का वादा किया जाता है। इस तरह की योजनाओं में कुछ हजार या लाख रुपये के निवेश पर निवेशक को सारी उम्र स्थायी रिटर्न की गारंटी भी दी जाती है।
सेबी ने अपने इन अभियानों के लिए पेशेवर एजेंसियों की मदद ली है और वह यह अभियान 13 भाषाओं में चलाएगा जिनमें हिंदी व अंग्रेजी के अलावा बंगाली, असमी, ओड़िया, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, पंजाबी, तमिल, तेलुगु तथ उर्दू शामिल है। प्रतिभूति और सामूहिक निवेश यह अभियान समूचे देश में चलेगा और इसमें विशेषकर पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओड़िशा तथा महाराष्ट्र राज्य पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
सेबी ने इस तरह के एक अभियान में कहा है, ‘हजारों निवेश करें, तुंरत लाखों कमाएं। यह कैसे संभव है?’ नियामक ने कहा है, कम समय में उंची कमाई समझो गड़बड़ है, नियामक ने निवेशकों से कहा है कि ऐसी किसी भी योजना में निवेश से पहले योजना का पूरा ब्यौरा सावधानी से पढ़ें और देखें।
सेबी ने अपने इस अभियान में इस तरह की योजनाओं की बिक्री करने वालों द्वारा आमतौर पर उपयोग में लाये जाने वाले तरीके का भी भंडाफोड़ किया है। आमतौर पर ऐसी धोखाधड़ी की योजनायें चलाने वाले अपने किसी नजदीकी द्वारा थोड़े ही समय में धन दोगुना करने का उदहारण देते हैं। हर कोई ऐसा उदाहरण देता है, लेकिन वास्तव में ऐसा कोई होता नहीं है। सेबी ने अपने टेलीविजन अभियान में इसका बखूबी खुलासा किया है। सेबी देशभर में की जा रही निवेशक शिक्षा बैठकों के जरिये भी निवेशकों को सावधान कर रहा है।
हाल के दिनों में सामूहिक निवेश की कई योजनायें सामने आईं हैं जिनमें कई लोगों से धन एकत्रित किया जाता है और फिर नये निवेशकों से धन जुटाकर पुराने निवेशकों को दे दिया जाता है, जब तक इसके संचालक गायब नहीं हो जाते हैं तब तक यह चक्र चलता रहता है। इस तरह की कई पौंजी योजनायें हाल में सामने आईं हैं।
इस तरह की करीब 500 योजनाओं को सेबी की सख्ती का सामना करना पड़ा है। माना जा रहा है कि देश के विभिन्न कोनों में इस तरह की और भी कई योजनायें अभी भी चल रही है जो निवेशकों को चूना लगा रही हैं।
Zee News App: पाएँ हिंदी में ताज़ा समाचार, देश-दुनिया की खबरें, फिल्म, बिज़नेस अपडेट्स, खेल की दुनिया की हलचल, देखें लाइव न्यूज़ और धर्म-कर्म से जुड़ी खबरें, आदि.अभी डाउनलोड करें ज़ी न्यूज़ ऐप.
जमीन से फ्लैट तक की SEBI कर रहा नीलामी, निवेशकों को मिलेगा बड़ा फायदा
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि इन कंपनियों की कुल आठ संपत्तियों की 9.8 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य पर नीलामी की जाएगी। नीलामी 25 अगस्त को ऑनलाइन माध्यम से होगी।
अगर आप सस्ती कीमत पर मकान, भूमि आदि खरीदने की सोच रहे हैं तो बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) एक मौका दे रहा है। असल में सेबी, दो कंपनियां- सुमंगल इंडस्ट्रीज और जीएसएचपी रियल्टेक लिमिटेड की संपत्तियों की 25 अगस्त को नीलामी करेगा। इन कंपनियों द्वारा निवेशकों से गैरकानूनी तरीके से जुटाए गए धन की वसूली को नियामक इनकी संपत्तियों की नीलामी करने जा रहा है।
इन आठ संपत्तियों में से छह सुमंगल इंडस्ट्रीज की और दो जीएसएचपी रियल्टेक लिमिटेड की हैं। इनमें भूमि, कई मंजिला इमारतें और पश्चिम बंगाल में स्थित एक फ्लैट शामिल हैं। सेबी ने सार्वजनिक नोटिस में कहा है कि इन कंपनियों की प्रतिभूति और सामूहिक निवेश कुल आठ संपत्तियों की 9.8 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य पर नीलामी की जाएगी। नीलामी 25 अगस्त को ऑनलाइन माध्यम से होगी।
क्या है आरोप: सेबी ने कहा कि उसकी जांच में ऐसा पता चला है कि जीएसएचपी रियल्टेक ने 2012-13 में गैर-परिवर्तनीय विमोच्य डिबेंचर जारी कर 535 लोगों से धन जुटाया था। इस दौरान उसने नियामकीय नियमों का पालन नहीं किया। वहीं सुमंगल ने गैरकानूनी सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) के जरिये निवेशकों से 85 करोड़ रुपये जुटाए थे।