विश्व बाजार शुल्क और सीमा

शहरी क्षेत्रों में आगामी ब्याह-शादियों के लिए आभूषणों की खरीदी अच्छी मात्रा में चल रही है। ग्रामीण इलाकों में पिछले दिनों अच्छी मात्रा में ग्राहकी निकली थी। अब कुछ कमजोर पड़ गई है। गेहूं-चने की फसल अगले 20-25 दिन बाद अच्छी मात्रा में आना शुरू होगी। अभी तक फसलों की स्थिति काफी अधिक संतोषजनक है। संभव है उत्पादकता भी अधिक बैठ सकती है। रबी की फसल खलिहानों में आने में दो माह का समय है। इसमें कुछ अनहोनी नहीं होना चाहिए थी। बाजार धन की तंगी से ग्रस्त है। विदेशों में सोने की तेजी को ब्रेक लगा है। 25 से 30 डॉलर की गिरावट भी आई है। कुछ विशेषज्ञों का मत है कि सोने से निवेशों ने दूरी बनाए रखी है। शेयर बाजार भी झटके खा रहा है। भारतीय शेयर बाजार भी फिलहाल तो जोखिम भरा हो गया है। किसानों की फसलों का रुपया बैंकों में जमा होने से बाहर नहीं आ रहा है। पिछले वर्षों में मंडियों में नकद रुपया मिलता था, हाथ खोलकर खर्च किया जाता था।
अब नकली आभूषण भी सीमा शुल्क एवं सामाजिक कल्याण अधिभार के दायरे में
आम बजट में सोने के आयात पर 3 प्रतिशत सरचार्ज लगा दिया गया है जबकि 10 प्रतिशत आयात शुल्क पहले से लागू है। हीरो पर सीमा शुल्क 2.5 से बढ़ाकर 5 प्रतिशत नकली आभूषणों पर आयात शुल्क 10 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है।
सामाजिक कल्याण अधिभार भी लगा दिया गया है। बजट में कर लागू करने से हीरा-आभूषण निर्यातकों की उत्पादन लागत बढ़ेगी और प्रतिस्पर्धी क्षमता घटेगी। वर्तमान वित्त मंत्री का मानना है कि सोना-चांदी, र| आभूषणों की खरीदी अमीर वर्ग कते हैं उन्हें कर देना चाहिए। सोना जमा करने की नई योजना भी लाई जा रही है। सरकार का प्रयास है कि सोने का आयात कम से कम हो। केंद्र द्वारा घोषित पिछली एक योजना में सिर्फ 3 टन सोना जमा हुआ है, जबकि प्रति वर्ष 800 टन सोने का आयात होता है।
बजट में अमीरों को झटका
बजट में कटे और तराशे हीरो, रंगीन र|ों और प्रयोगशाला में बनाए गए हीरो पर आयात शुल्क दोगुना कर दिया गया है। इससे विश्व का सबसे बड़ा हीरा कारोबार केंद्र बनने की भारत की उम्मीदों को झटका लगता नजर आ रहा है। केंद्रीय बजट में सभी प्रकार के हीरो पर सीमा शुल्क 2.5 से बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह नकली आभूषणों पर सीमा शुल्क 15 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अलावा 10 प्रतिशत सामाजिक कल्याण अधिभार लगाया गया है। अभी तक शिक्षा उपकर लगा हुआ विश्व बाजार शुल्क और सीमा था, उसे वापस ले लिया गया है। इस तरह से आयात शुल्क पर शुद्ध अधिकार सीमा शुल्क का 7 प्रतिशत होगा। सरकार के इस कदम से हीरा आभूषण निर्यातकों को उत्पादन लागत और वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता के लिहाज से झटका लगेगा। विश्व के देशों से प्रतिस्पर्धा करना कठिन होगा। उल्लेखनीय है कि भारत एक मात्र ऐसा देश है, जहां कटे और तराशे हीरो पर आयात शुल्क लगाया गया है। बेल्जियम, हांगकांग जैसे हीरा कारोबार के प्रमुख केंद्रों ने कीमती र|ों पर आयात शुल्क समाप्त किया है। सरकार का तर्क है कि मुंबई में भारत डायमंड बोर्स (बीडीबी) में विश्व स्तरीय कारोबारी सुविधाएं होने से लघु और मझौले हीरा तराशकारों को बिना विदेश गए अच्छी गुणवत्ता के हीरे खरीदने में मदद मिलेगी। भारत में इस समय विश्व में उत्खनन होने वाले करीब 90 प्रतिशत हीरो को तराशा जाता है।
नफा से ज्यादा नुक्सान
- नई दिल्ली,
- 16 जुलाई 2019,
- (अपडेटेड 16 जुलाई 2019, 9:45 PM IST)
नोटबंदी, जीएसटी और सुस्त मांग से जूझ रहा रत्न और आभूषण क्षेत्र केंद्रीय बजट 2019-20 में सोने पर सीमा शुल्क घटाए जाने की उम्मीद लगाए बैठा था. लेकिन केंद्रीय बजट में सोना और अन्य बेशकीमती धातुओं पर सीमा शुल्क 10 फीसद से बढ़ाकर 12.5 फीसद कर दिया गया. इससे देश में सोने का आयात महंगा हो जाएगा. गैर जरूरी चीजों के आयात पर अंकुश लगने, चालू खाता घाटे में सुधार और राजस्व बढऩे केनजरिए से अर्थशास्त्री भले इस कदम को तर्कसंगत मान रहे हों लेकिन उद्योग जगत इसे ईमानदार व्यापारियों को हतोत्साहित करने वाला बता रहा है.
Generate Job In Textile Industry: भविष्य में टैक्सटाइल इंडस्ट्री में युवाओं के लिए रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए तैयार
Generate Job In Textile Industry : भारत अब व्यापार और व्यवसाय के क्षेत्र में वैश्विक हब बनने जा रहा है भारत 3 ट्रिलियन इकोनॉमिक्स के लेवल से 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमिक के लक्ष्य तक पहुंच जाएगा। इसके साथ-साथ उन्होंने बताया कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री में एंप्लॉयमेंट की बहुत अधिक संभावनाएं हैं। 25 जून को कोयंबटूर में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने लोगों को संबोधित विश्व बाजार शुल्क और सीमा करते हुए कहा कि व्यवसाय और व्यापार के सभी क्षेत्रों में भारत वैश्विक उद्योग बनना चाहता है और विश्व बाजार पर भारत की पकड़ मजबूत करने के लिए तैयार है। इसके साथ पीएम के मार्गदर्शन में सेंट्रल बिजनेस मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए काम कर रहा है। जिससे ग्लोबल मार्केट में टेक्सटाइल एरिया में देश विश्व बाजार में शून्य शुल्क की सुविधा का लाभ उठा सकेगा। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now.
मार्च में 7.39 फीसदी बढ़ी थोक महंगाई
कच्चे तेल, पेट्रोलियम उत्पाद और धातुओं के दाम में भारी इजाफा होने से बीते महीने मार्च में सालाना थोक महंगाई दर बढ़कर 7.39 फीसदी हो गई। इससे पहले फरवरी में थोक महंगाई दर 4.17 फीसदी दर्ज की गई थी। थोक महंगाई दर के ये आधिकारिक विश्व बाजार शुल्क और सीमा आंकड़े गुरुवार को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी किए गए। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर बीते महीने 7.39 फीसदी रही। थोक मूल्य सूचकांक में सबसे ज्याद भारांक (64.विश्व बाजार शुल्क और सीमा 2 फीसदी) वाले विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादों की कीमतों में 7.34 फीसदी का इजाफा हुआ जबकि फ्यूल और पावर (13.2 फीसदी भारांक) की कीमतों में 10.25 फीसदी की वृद्धि हुई। वहीं, प्राइमरी आर्टिकल्स (22.6 फीसदी भारांक) की महंगाई 6.40 फीसदी बढ़ी।
गूगल असिस्टेंट की मदद से अब खोए हुए आईफोन को ढूंढ़ने में मिलेगी मदद
गूगल की तरफ से गूगल असिस्टेंट को एक ऐसे फीचर के साथ पेश किए जाने की बात कही गई है, जिसकी मदद से आईफोन यूजर्स अपने खोए हुए आईफोन का पता लगा पाने में सक्षम हो सकेंगे। एंड्रॉयड यूजर्स काफी लंबे समय से इस फीचर का इस्तेमाल कर रहे हैं।
मैकरूमर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें एप्पल के ओन फाइंड माय सिस्टम के जैसे ही विशेषताएं होंगी, जिसे आईफोन के लिए पेश किया जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया, इस फीचर का लाभ केवल वे ही यूजर्स उठा पाएंगे, जिनके पास आईओएस के लिए गूगल असिस्टेंट समर्थित स्मार्ट स्पीकर और गूगल होम ऐप होगा। तभी ये अपने खोए हुए डिवाइसों का पता लगा पाएंगे।
शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव, सेंसेक्स 260 अंक की तेजी के साथ बंद
कोरोना के बढ़ते मामले और अंतरराष्ट्रीय बाजार से मिले-जुले संकेतों के बीच गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव रहा। सुबह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 32 अंक टूटकर 48,512.77 पर खुला। लेकिन सुबह 9.30 बजे तक सेंसेक्स 142 अंकों की उछाल के साथ 48,686.17 पर पहुंच गया। इसके बाद सुबह 9.35 के बाद सेंसेक्स फिर से लाल निशान में पहुंच गया। सुबह 10.33 के आसपास सेंसेक्स 427 अंक टूटकर 48,117.68 तक पहुंच गया।
दोपहर 2.50 बजे के आसपास सेंसेक्स फिर हरे निशान में पहुंच गया। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 259.62 अंकों की तेजी के साथ 48,803.68 पर बंद हुआ।
खाद्य तेल परिदृश्य
तिलहन और खाद्य तेल दो अत्यधिक संवेदनशील आवश्यक वस्तुओं में से है। भारत विश्व में तिलहनों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है और यह क्षेत्र कृषि अर्थव्वस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, 17.08.2015 को कृषि मंत्रालय द्वारा जारी चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2014-15 (नवम्बर-अक्तूबर) के दौरान नौ तिलहनों की खेती से 26.68 मिलियन टन विश्व बाजार शुल्क और सीमा का अनुमानित उत्पादन हुआ। विश्व तिलहन उत्पादन में भारत का लगभग 6-7% अंश है। वित्तीय वर्ष 2014-15 में लगभग 5.45 मिलियन टन तेल युक्त भोजन तिलहन और लघु तेल का निर्यात हुआ जिसकी कीमत 19280.21 करोड़ रूपए आंकी गई है।
भारत में सामान्यतया प्रयुक्त होने वाले तेलों की किस्में
भारत अपनी विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में उगाई जाने वाली तिलहन फसलों की व्यापक सीमाओं के लिए भाग्यशाली है। मूंगफली, सरसों/सफेद सरसों, तिल, कुसुम, अलसी, काले तिल का तेल/एरण्डी का तेल प्रमुख परंपरागत रूप से उगाए जाने वाले तिलहन हैं। हाल ही के वर्षों में सोयाबीन और सूरजमुखी ने भी महत्वपूर्ण स्थान ले लिया है। नारियल सभी पौधरोपित फसलों में सबसे महत्वपूर्ण है। केरल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों विश्व बाजार शुल्क और सीमा सहित आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु देश के उत्तर-पूर्वी भाग में आयल पाम उगाने के प्रयास किए जा रहे हें। गैर-परंपरागत तेलों में राइसब्रान तेल और बिनौला तेल अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। इसके अतिरिक्त पेड़ों और वन मूल के तिलहनों जो ज्यादातर आदिवासी वसागत क्षेत्रों में उगाए जाते हैं, तिलहनों के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। पिछले 10 वर्षों के दौरान प्रमुख तिलहनों की खेती के अनुमानित उत्पादन, सभी घरेल स्रोतों से खाद्य तेलों की उपलब्धता (घरेलू और आयात स्रोतों से) से संबंधित आंकड़े नीचे दिए गए हैं:-
भारत में खाद्य तेलों की खपत का ढांचा
भारत एक विशाल देश है और इसके अनेकों क्षेत्रों के निवासियों ने ऐसे कुछ तेलों के लिए खास पसंद विकसित की है जो अधिकतर उस क्षेत्र में उपलब्ध तेलों पर निर्भर करता है। उदाहरणत: दक्षिण और पश्चिम के लोग मूंगफली का तेल पसंद करते हैं, जबकि पूर्व और उत्तर वाले सरसों/सफेद सरसों का प्रयोग करते हैं। इसी तरह दक्षिण के कई क्षेत्रों में नारियल और तिल के तेल को पसंद करते हैं। उत्तरी मैदानों में बसे लोग मूलत: वसा के उपभोक्ता है और इसलिए वनस्पति को वरीयता देते है जिसमें सोयाबीन, सूरजमुखी, राइसब्रान तेल और बिनौला तेल जैसे तेलों के आंशिक रूप से हाइड्रोजेनेटेड खाद्य तेल मिश्रण को प्रयोग में लाया जाता है। पेड़ और वन मूल के तिलहनों में से कई नए तेलों ने वनस्पति माध्यम से खाद्य पूल में काफी हद तक अपना रास्ता बना लिया है। इसके बाद स्थितियां काफी बदल गई है। आधुनिक तकनीकी साधनों के माध्यम से जैसे कि वास्तविक परिष्करण, ब्लीचिंग और डी-ओडराइजेशन सभी तेल व्यवहारिक रूप से रंगहीन, सुगंधरहित और स्वादरहित होते है और इसलिए रसोईघर में आसानी से आपस में बदल जाते हैं। तेल जैसे-सोयाबीन, बिनौला, सूरजमुखी, राइसब्रान, पाम तेल और उसके तरलांश पामोलीन जिसको पहले जाना भी नहीं जाता था वह अब रसोईघर में प्रवेश कर गए है। खाद्य तेल बाजार में कच्चे तेल, परिष्कृत तेल और वनस्पति का कुल अंश मोटे तौर पर क्रमश: 35%, 55% और 10% अनुमानित है। खाद्य तेलों की घरेलू मांग का लगभग 50% आयात से पूरा किया जाता है जिसमें से पाम तेल/पामोलीन का लगभग 80% हिस्सा है। पिछले कुछ वर्षों में परिष्कृत पामोलीन की खपत के साथ-साथ अन्य तेलों के साथ उसका मिश्रण काफी हद तक बढ़ गया है और होटल, रेस्टोरेन्ट और विभिन्न प्रकार के खाद्य उत्पादों को बनाने में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।
खाद्य तेलों पर निर्यात आयात नीति
किसानों, संसाधनों और उपभोक्ताओं के हितों को संगत बनाने के क्रम में और ठीक उसी समय यथा संभावित खाद्य तेलों के विशाल आयात का विनियमन करने हेतु खाद्य तेलों को आयात शुल्क संरचना की समय-समय पर समीक्षा की जाती है। कच्चे और परिष्कृत खाद्य तेलों पर वर्तमान में आयात शुल्क क्रमश: 12.5% और 20% है।
खाद्य तेलों के निर्यात पर 17.03.2008 से प्रतिबंध लगा दिया गया था। तथापि 5.2.2013 से इलेक्ट्रानिक डाटा इंटरचेंज (ईडीआई) बंदरगाहों से एरंडी तेल, नारियल तेल तथा अधिसूचित भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों और उपवन उत्पादों से उत्पादित कुछ खाद्य तेलों और जैविक खाद्य तेलों पर खाद्य तेलों के विश्व बाजार शुल्क और सीमा निर्यात पर लगे प्रतिबंध पर छूट दी गई है। 06.02.2015 से 5 किलो तक ब्रांडेड उपभोक्ता पैकों में खाद्य तेलों के निर्यात की अनुमति दी गई है बशर्तें कि न्यूनतम निर्यात मूल्य 900 प्रति मी.टन अमेरिकी डालर हो। थोक में राइस ब्रान तेल के निर्यात पर लगी रोक में दिनांक 06.08.2015 से छूट दी गई है।