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शार्ट पोजीशन

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ऐल्कोहॉल , फीनॉल तथा ईधर

निम्नलिखित ईथरों के नाम लिखिए .

Updated On: 27-06-2022

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Aap ko kya acha nahi laga

हेलो सुरेंद्र छापर में कृष्ण के देने निम्नलिखित स्थानों के नाम लिखिए ठीक है यहां पर एक प्रकार का इधर है और इसका नाम लिखना ही था यह क्यों है क्योंकि जो वह है इसे कैंसल कर छोड़ा है और एक है लेकिन इससे जुड़ा है और हमें पता है कि जो इधर होते हैं उनकी प्रॉपर्टी क्या होती है उनका स्ट्रक्चर कुछ इस टाइप का होता है और वहां टाइप का ठीक है यहां पर दोनों आरसीबी हो सकते या फिर दोनों आर डिफरेंट हो सकते हैं क्या आप यहां पर यह आर डिफरेंट है और ये आर्डर डिफरेंट है तो हमेशा बताना है स्ट्रक्चर कैसा होगा इसका स्ट्रक्चर्स दिया है उसका नाम बताना है तो हमें एक बार का सबसे खुशियां बना लेते हैं na2 ca3 ठीक है तो अगर हम ध्यान से देखें तो यह जो कुछ स्ट्रक्चर पूरा दिया है यह अनीस और टाइप का है ठीक है और एनी साल का फार्मूला क्या होता है इसी सिक्स h5 ch3 यह फार्मूला होता है यहां पर क्या किया कि कि 1h को रिप्लेस कर दिया

गया है no2 से तो यहां पर हम इसका नाम क्या लिखेंगे नाइट्रो ठीक है नाइट्रो करके लिखेंगे और क्योंकि यह जो है शार्ट पोजीशन पर जुड़ा हुआ है अगर इसका स्ट्रक्चर लिखे तो कुछ यहां पर एक बेंजीन दिन बनेगी इस टाइप की और यहां पर क्या आएगा c65 हमारा हो गया इसके साथ जुड़ा हुआ है no2 ठीक है और इसके साथ क्या जुड़ा हुआ है और तू भी जुड़ा हुआ है ठीक है अगर हम इसमें नंबरिंग करें तो यहां से होगी 1234 ठीक है 1:00 पर क्या है और cs3 क्या जाएगा वो क्या है ऑक्सी ग्रुप है और यह जो है मैथ मैथिली यहां पर क्या हो जाएगा मैं टॉक्सिन क्या बोलेंगे मैं चौक c-1 पर मेथाक्सी जुड़ा हुआ है और फोन नंबर वाले कार्बन पर क्या जुड़ा हुआ है no2 ठीक है और यह क्या है यह एक प्रकार की कैसी है बेंजीन रंगे है ना

तो इसका नाम लिखेंगे वन में थोक सी वन मेथाक्सी 424 नंबर पर नाइट्रो समूह जुड़ा हुआ है और नाइट्रो और इसमें लास्ट में सफिक्स में क्या आएगा बेंजीन क्योंकि यह एक बेंजीन में जुड़ा हुआ है ठीक है इसका i-pac नेम क्या हो गया 134 नाइट्रो बेंजीन ठीक है थैंक यू

शार्ट पोजीशन

4500 के कॉल ऑप्शंस में खरीदारों की मुनाफावसूली भी देखी गई है। निफ्टी का 4600 से ऊपर कारोबार करना निकट भविष्य में मुश्किल लग रहा है क्योंकि कॉल के खरीदार 4600 और 4700 के भाव पर मुनाफावसूली कर रहे हैं जबकि कुछ इन स्तरों पर शार्ट पोजीशन ले रहे हैं।

निफ्टी अगस्त वायदा का प्रीमियम भी 13.20 से घटकर 7.75 अंकों पर आ गया है जिससे साफ है कि शार्ट पोजीशन बन रही हैं। निफ्टी अगस्त वायदा में ओपन इंटरेस्ट इंट्राडे में 29.2 लाख शेयरों से बढ़ा है और कारोबार के अंत में यह 4.3 लाख शेयरों से घटा है। यह शार्ट पोजीशन बनने और लांग पोजीशन में मुनाफावसूली का संकेत है।

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संपत्ति के व्यापार में, निवेशक दो प्रकार की स्थिति ले सकता है: लंबी और छोटी स्थिति (Long and Short Position)। निवेशक या तो एक संपत्ति खरीद सकता है (जो लंबी जा रही है – Long Position ) या इसे बेच सकता है (जो शॉर्ट जा रहा है – Short Position)।

दो प्रकार के विकल्पों से लंबी और छोटी स्थिति (Long and Short Position) और अधिक जटिल हो जाती है जिसे कॉल और पुट (Call and Put) के नाम से जाना जाता है । निवेशक लॉन्ग पुट (Long Put)

, लॉन्ग कॉल (Long Call) , शॉर्ट पुट (Short Put) या शॉर्ट कॉल (Short Call) में प्रवेश कर सकता है। इसके अलावा, एक निवेशक लंबी और छोटी स्थिति (Long and Short Position) को जटिल व्यापार और हेजिंग रणनीतियों (hedging strategies) में भी जोड़ सकता है।

लंबी स्थिति (Long Position)

लंबी (खरीद) स्थिति (Long Position ) में, निवेशक कीमत बढ़ने की उम्मीद कर रहा है और उस कीमत की वृद्धि से निवेशक (Investor) को लाभ होगा। लॉन्ग कॉल पोजीशन (Long Call Position) वह होती है जहां कोई निवेशक कॉल ऑप्शन (Call Option) खरीदता है। इस प्रकार, अंतर्निहित परिसंपत्ति (underlying asset’s) की कीमत में वृद्धि से एक लंबी कॉल भी लाभान्वित होती है।

लॉन्ग पुट पोजीशन (Short Put Positi on) में पुट ऑप्शन (Put Option) की खरीद शामिल होती है। पुट के “लंबे” पहलू के पीछे का तर्क लंबी कॉल के समान तर्क का अनुसरण करता है। जब अंतर्निहित परिसंपत्ति मूल्य में गिरती है तो एक पुट विकल्प मूल्य में बढ़ जाता है। अंतर्निहित परिसंपत्ति (underlying asset’s) में गिरावट के साथ एक लंबा पुट (Long Put) मूल्य में बढ़ जाता है।

लॉन्ग कॉल ऑप्शन स्ट्रेटेजी के बारे में जानने के लिए नीचे दिया गया आर्टिकल पढ़े – What is Long Call Options Strategy & How it works?

लंबी स्थिति लाभ

एक लंबी परिसंपत्ति खरीद में, निवेशक सिर्फ अपना मूल्य ही खो सकता है इसके उल्टा मुनफा असीमित हो सकता है।

शॉर्ट पोजीशन (Short Position)

एक छोटी स्थिति ( Short Position) एक लंबी स्थिति (Long Position) के ठीक विपरीत है। निवेशक (Investor) सुरक्षा की कीमत में गिरावट की उम्मीद करता है, और उससे लाभ उठाता है। एसेट खरीदने की तुलना में शॉर्ट पोजीशन को निष्पादित करना या प्रवेश करना थोड़ा अधिक जटिल होता है।

स्टॉक की छोटी स्थिति के मामले में, निवेशक को स्टॉक की कीमत में गिरावट से लाभ की उम्मीद होती है। यह एक स्टॉक ब्रोकर (Stock Broker) से कंपनी के एक्स नंबर के शेयरों को उधार लेकर और फिर मौजूदा बाजार मूल्य पर स्टॉक को बेचकर किया जाता है।

निवेशक के पास ब्रोकर के पास एक्स नंबर के शेयरों के लिए एक खुली स्थिति होती है, जिसे भविष्य में बंद करना पड़ता है। यदि कीमत गिरती है, तो निवेशक कुल शेयरों की कुल कीमत से कम के लिए स्टॉक शेयरों की एक्स राशि खरीद सकता है, जो उन्होंने पहले के शेयरों की समान संख्या में बेची थी। अतिरिक्त नकदी उनका लाभ होता है।

कई निवेशकों के लिए शॉर्ट सेलिंग की अवधारणा को समझना अक्सर मुश्किल होता है, लेकिन यह वास्तव में एक अपेक्षाकृत सरल प्रक्रिया है। आइए एक उदाहरण देखें जो उम्मीद है कि आपके लिए चीजों को स्पष्ट करने में मदद करेगा। मान लें कि स्टॉक “ए” वर्तमान में ₹ ५० प्रति शेयर है। एक कारण या किसी अन्य के लिए, आप स्टॉक की कीमत में गिरावट की उम्मीद करते हैं, इसलिए आप कीमत में अनुमानित गिरावट से लाभ के लिए कम बेचने का फैसला करते हैं।

तो आपकी छोटी बिक्री इस प्रकार काम करेगी:

लॉन्ग और शार्ट पोसिशन्स का उदाहरण (Example of Long and Short Position)

आपने स्टॉक के १०० शेयरों को ऋण देने के लिए अपनी ब्रोकरेज फर्म के लिए संपार्श्विक के रूप में मार्जिन जमा किया है, जो पहले से ही उनके पास है।

जब आप अपने ब्रोकर द्वारा आपको दिए गए १०० शेयर प्राप्त करते हैं, तो आप उन्हें ₹ ५० प्रति शेयर के मौजूदा बाजार मूल्य पर बेचते हैं। अब आपके पास स्टॉक का कोई शेयर नहीं है, लेकिन आपके पास अपने खाते में ₹ ५,००० हैं जो आपको अपने १०० शेयरों ( ₹ ५० x १०० = ₹ ५,०००) के खरीदार से प्राप्त हुए हैं।

आपको स्टॉक “शॉर्ट” कहा जाता है क्योंकि आप पर अपने ब्रोकर के १०० शेयर बेचे हैं। (इसे ऐसे समझें जैसे आपने किसी से कहा, “मेरे ब्रोकर को वापस भुगतान करने के लिए मुझे १०० शेयर कम हैं।”)

अब मान लें कि, जैसा आपने अनुमान लगाया था, स्टॉक की कीमत गिरने लगती है। कुछ हफ़्ते बाद, स्टॉक की कीमत पूरी तरह से गिरकर ₹ ३० प्रति शेयर हो गई है। आप इससे बहुत कम होने की उम्मीद नहीं करते हैं, इसलिए आप अपनी छोटी बिक्री को बंद करने का निर्णय लेते हैं।

अब आप स्टॉक के १०० शेयर ₹ ३,००० ( ₹ ३० x १०० = ₹ ३,०००) में खरीदते हैं। आप अपने ब्रोकर को स्टॉक के उन १०० शेयरों को वापस भुगतान करने के लिए देते हैं (बदलें) जो १०० शेयर उसने आपको उधार दिए थे। १०० शेयर शार्ट पोजीशन ऋण का भुगतान करने के बाद, अब आप स्टॉक को “शॉर्ट” नहीं कर रहे हैं।

आपने अपने लघु बिक्री व्यापार पर ₹ २,००० का लाभ कमाया है। आपके ब्रोकर द्वारा आपको उधार दिए गए १०० शेयरों को बेचने पर आपको ₹ ५,००० प्राप्त हुए, लेकिन बाद में आप उसे केवल ₹ ३,००० में वापस भुगतान करने के लिए १०० शेयर खरीदने में सक्षम थे। इस प्रकार, आपके लाभ का अनुमान इस प्रकार लगाया जाता है: ₹ ५,००० (प्राप्त) – ₹ ३,००० (भुगतान किया गया) = ₹ २,००० (लाभ)।

शॉर्ट स्टॉक पोजीशन आमतौर पर केवल मान्यता प्राप्त निवेशकों को दी जाती है, क्योंकि शॉर्ट सेल को अंजाम देने के लिए शेयरों को उधार देने के लिए निवेशक और ब्रोकर के बीच बहुत अधिक विश्वास की आवश्यकता होती है। वास्तव में, भले ही शॉर्ट को निष्पादित किया गया हो, निवेशक को आमतौर पर उधार दिए गए शेयरों के बदले ब्रोकर के साथ मार्जिन जमा या संपार्श्विक रखने की आवश्यकता होती है।

अन्य शॉर्ट पोजीशन (Other Short Position)

जब निवेशक एक शार्ट पोजीशन कॉल विकल्प (Call Option) बेचता है, या “राइट” करता है”, तो शॉर्ट कॉल पोजीशन (Short Call Position) दर्ज की जाती है। शॉर्ट कॉल पोजीशन (Short Call Position) लॉन्ग कॉल का काउंटर-पार्टी है। यदि कॉल का मूल्य या अंतर्निहित ड्रॉप का मूल्य गिरता है तो राइटर को शॉर्ट कॉल पोजीशन (Short Call Position) से लाभ होगा।

जब निवेशक पुट ऑप्शन “राइट” करता है तो शॉर्ट पुट पोजीशन (Short Put Position) दर्ज की जाती है। राइटर को उस स्थिति से लाभ होगा यदि पुट का मूल्य गिरता है या जब अंतर्निहित का मूल्य विकल्प के स्ट्राइक मूल्य से अधिक हो जाता है।

तल – रेखा (Bottom Line)

लंबी और छोटी पोजीशन (Long and Short Position) की एक विस्तृत विविधता है जिसे व्यापारी अपना सकते हैं। एक जानकार निवेशक ने अपनी ट्रेडिंग रणनीति में उनका उपयोग करने का प्रयास करने से पहले प्रत्येक व्यक्तिगत प्रकार की लंबी और छोटी स्थिति के कई फायदे और नुकसान को समझ लेना चाहिए ।

जरुरी संपर्क (LINKS) इन शेयर मार्किट – NSE & BSE INDIA : IMPORTANT LINKS

स्टॉक मार्केट में हेजिंग क्या है। Hedging in Stock Market in Hindi

नमस्कार डियर पाठक, आज के इस लेख में हम जानेंगे कि स्टॉक मार्केट में हेजिंग क्या है? और स्टॉक मार्केट में इसका प्रयोग क्यों किया जाता है, साथ ही यह भी जानेंगे कि हेजिंग कब की जाती है, और किस स्थिति में की जाती है क्या नए लोगों को हेजिंग करनी चाहिए, क्या हेजिंग वजह से रिस्क मैनेज होके चलता है?

और कई सारे डाउट्स को हम इस आर्टिकल के माध्यम से किलियर करेंगे तो आप अंत तक इस आर्टिकल को अवश्य पढ़ें, क्योंकि हर निवेशक को यह जानकारी होना आवश्यक है।

हेजिंग क्या है? Hedging Meaning in Stock Market in Hindi

हेजिंग क्या है? :- हेजिंग स्टॉक मार्केट में कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव के रिस्क को कम करने का एक तरीका है, और हेजिंग को स्टॉक मार्केट में स्वयं द्वारा किए गए एक बीमा के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसे आप यूं समझिए जिस तरह आप अपने घर, गाड़ी, स्वास्थ्य आदि का बीमा करवाते हैं। ठीक उसी प्रकार स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग कर रहे हैं, तो यहां पर आप स्वयं ट्रेडिंग का बीमा कर रहे हैं, और यह आपको स्टॉक मार्केट में होने वाले नुकसान से बचने का एक विकल्प दिया गया है।

चलिए हेजिंग को उदाहरण के माध्यम से समझते हैं। डियर पाठक जब कोई व्यक्ति नई कार खरीदता है तो उसके साथ में वह बीमा भी करवाता है, जिसकी एक निश्चित अवधि होती है अगर उस अवधि के अंदर कार को कुछ भी नुकसान होगा कहने का मतलब कार के एक्सीडेंट में बिगड़ गई तो उसके होने वाले नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी करेगी। लेकिन स्टॉक मार्केट में आप स्वयं बीमा कंपनी बनते हैं यानी कि आप हेजिंग इस्तेमाल करते हैं, जो निवेशकों के लिए बीमा का कार्य करती हैं। अब आप देखिए वह कैसे –

जैसे कि किसी निवेशक ने अच्छे से रिचार्ज करने के बाद किसी XYZ कंपनी के ₹200 प्रति शेयर के हिसाब से खरीदा और निवेशक का एनालिसिस कहता है कि या अन्य वाले टाइम में ₹300 का आंकड़ा छू लेगा। लेकिन कुछ समय बाद उस कंपनी के शेयर बढ़ने की बजाय घटने लगते यानी नीचे की ओर जाने लगते हैं, तो अब इस स्थिति में निवेशक के पास तीन ऑप्शन है।

  1. मौजूदा कीमत पर शेयर को बेच दे
  2. कीमतों को गिरने दे और देखें कि शेयर उसी कीमत पर पहुंच जाएं जिस पर खरीदा गया है।
  3. या फिर यहां पर अपनी पोजीशन को हेज कर सकते हैं।

मौजूदा कीमत पर शेयर बेच दे

अब ट्रेडर के पास यह ऑप्शन है कि वह अपने शेयर को मौजूदा कीमत पर बेच दे, और उसके बाद उसी शहर को कम कीमत शार्ट पोजीशन में खरीदने का इंतजार करें, लेकिन अब कम कीमत पर खरीदने के लिए निवेशक को बाजार पर लगातार निगरानी रखनी होगी। और सही समय पर उस स्टॉक में एंट्री लेनी होगी, जोकि बिल्कुल सामान्य स्थिति नहीं है और नहीं आसान है।

अब इसके साथ अगर ट्रेडर बार-बार खरीदता और बेचता है तो उसे हर ट्रांजैक्शन के लिए शुल्क चुकाना पड़ेगा

कीमतों को गिरने दे और देखें कि शेयर उसी कीमत पर पहुंच जाएं जिस पर खरीदा गया है।

हम इस स्थिति में निवेशक कुछ भी चेंज करने का फैसला नहीं लेता है, क्योंकि अगर स्टॉक की कीमत ₹200 से ₹150 पहुंच गई लेकिन ट्रेडर का एनालिसिस कहता है कि भविष्य में यह कीमत वापस 200 हो जाएगी, इसलिए वह कुछ भी नहीं करने का फैसला लेता है।

लेकिन यहां पर ध्यान रखने वाली बात यह है कि किसी स्टॉक की कीमत अगर 25% तक गिर गई हैं तो यह हमें भी मालूम है कि वापस 25 परसेंट बढ़ने में काफी लंबा समय लेगी। क्योंकि गिरावट बड़ी तेजी से आती है लेकिन बढ़ने में टाइम लगता है।

इसलिए एक्सपर्ट्स का कहना है अगर बाजार की स्थिति कुछ समझने लायक नहीं है तो यहां पर हेजिंग करना सबसे उचित विकल्प रहता है

अपनी पोजीशन को हेज कर सकते हैं।

डियर पाठक आपको बता दें कि शेयर मार्केट क्या आप किसी भी सेक्टर में इन्वेस्ट करते हैं तो रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है लेकिन आप रिसर्च करके एनालिसिस करके इन्वेस्ट करते हैं तो यह हम 99 प्रतिशत दावे के साथ कह सकते हैं कि आप प्रॉफिट अवश्य कमाएंगे, लेकिन यह जो एक परसेंट रिस्क बचता है इसको भी अगर कोई कारोबारी कम करना चाहते हैं तो वह हेजिंग का सहारा लेता है, क्योंकि इसमें चिट भी आपका और पट भी आपका इसलिए रिस्क की पोजीशन कम हो जाती है।

हेजिंग कैसे करते हैं?

डियर पाठक शेयर मार्केट में अपनी पोजीशन को हेज करना आसान है, चलिए इस को आसान करने के लिए एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए आपने लॉन्ग टर्म के लिए किसी XYZ कंपनी के 100 शेयरों ₹500 प्रति शेयर के हिसाब से खरीदा है। जिसका मतलब की आपने स्टॉक मार्केट में ₹50000 इन्वेस्ट किए हैं। लेकिन अब आपको पता चलता है कि XYZ कंपनी का तिमाही रिजल्ट बहुत जल्दी आने वाला है,

और इस रिजल्ट को लेकर आपके मन में शंका है कि अगर रिजल्ट खराब आया तो या फिर रिजल्ट कंपनी के फेवर में नहीं आया तो क्या होगा, अब शेयर मार्केट में होने वाले नुकसान को बचाने के लिए आप अपनी पोजीशन को हेज करने का फैसला लेते हैं। और शेयर मार्केट में आप अपनी पोजीशन को हेज करने के लिए आप फ्यूचर्स मार्केट में एक शार्ट पोजीशन ले लेते हैं।

अब देखते हैं कि शार्ट पोजीशन कैसे बनाते हैं।

  1. शॉर्ट पोजिशन- 505
  2. लोट साइज-100
  3. कुल कीमत- 50500

अब जैसे कि आपके पास XYZ कंपनी के स्पॉट मार्केट और फ्यूचर मार्केट में अलग-अलग पोजीशन आपके पास होल्ड है जो कि अलग-अलग कीमत के ऊपर बनाई गई है, यहां पर महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों ही पोजीशन एक दूसरे के विपरीत बनाई गई है। कहने का मतलब आप बाप ने स्वयं का ट्रेडिंग बीमा कर लिया है। अब यहां पर न तो आपको लाभ होगा और ना ही नुकसान। और अगर एक विपरित दिशा में बढ़ गया तो कुछ हद तक लाभ भी हो सकता है।

लेकिन हमारी सलाह यही रहेगी कि आप जो भी करें पहले उसके बारे में रिसर्च एनालिसिस इन सब कंडीशन को देखने के बाद ही किसी कंपनी में इन्वेस्ट करें नहीं तो आप ने घर के रहेंगे ना घाट के।

हेजिंग हमेशा अलग अलग विकल्प में की जाती है

  1. कैस – आप्शन
  2. कैस – फ्यूचर
  3. फ्यूचर – आप्शन
  4. आप्शन – फ्यूचर
  5. आप्शन – कैस
  6. फ्यूचर – कैस

ऑप्शन ट्रेडिंग में हेजिंग कैसे करें?

डियर पाठक ऑप्शन ट्रेडिंग में आप थोड़े से पैसे में मार्जिन ट्रेडिंग के साथ बड़ा लॉट बुक कर सकते हैं और फिर इसके लिए आपको एक्सपायरी डेट मिलती है यह आप ऑप्शन ट्रेडिंग के आर्टिकल में जान सकते हैं। अब जैसा कि अब आपको लगता है, कि यह कुछ स्टॉक जो आपने खरीदे या आने वाले दिनों में अच्छे मूवमेंट करेंगे लेकिन आपको यह नहीं पता कि यह किस डायरेक्शन में अपना रूप दिखाएंगे इसलिए आप ऐसी स्थिति में उस स्टॉक की वर्तमान कीमत पर हेजिंग कर सकते हैं। क्योंकि इससे अच्छा कोई विकल्प हो नहीं सकता स्टॉक मार्केट में नुकसान बचाने के लिए।

इसके लिए आपको कुछ नहीं करना बस विपरीत दिशा में दो लॉट खरीदने हैं। यानी कि एक कॉल ऑप्शन का लॉट और दूसरा पुट ऑप्शन का लोट अब जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि है हेजिंग में चिट भी आपका होता है और पट भी आपका होता है, मतलब अगर मार्केट जसबीर डायरेक्शन में मूवमेंट करेगा उसमें आपको नुकसान होने का तो लगभग चांस ना के बराबर होता है।

निष्कर्ष: स्टॉक मार्केट में हेजिंग क्या

डियर पाठक हेजिंग ट्रेडिंग में स्वयं के द्वारा किया गया बीमा है इसके द्वारा आप ट्रेडिंग में होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कभी भी केवल है जिनके भरोसे कहीं भी इन्वेस्ट नहीं करना चाहिए। आज के इस आर्टिकल स्टॉक मार्केट में हेजिंग क्या में आपने हेजिंग ट्रेडिंग के बारे में जाना अगर आपका फिर भी कुछ डाउट है, तो हम आपको नीचे एक वीडियो प्रोवाइड करवा रहे हैं आप अपने सारे डाउट्स उससे क्लियर कर सकते हैं लेकिन फिर भी अगर कोई डाउट है तो आप बेझिझक हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

स्टॉक मार्केट में हेजिंग क्या है। Hedging in Stock Market in Hindi

नमस्कार डियर पाठक, आज के इस लेख में हम जानेंगे कि स्टॉक मार्केट में हेजिंग क्या है? और स्टॉक मार्केट में इसका प्रयोग क्यों किया जाता है, साथ ही यह भी जानेंगे कि हेजिंग कब की जाती है, और किस स्थिति में की जाती है क्या नए लोगों को हेजिंग करनी चाहिए, क्या हेजिंग वजह से रिस्क मैनेज होके चलता है?

और कई सारे डाउट्स को हम इस आर्टिकल के माध्यम से किलियर करेंगे तो आप अंत तक इस आर्टिकल को अवश्य पढ़ें, क्योंकि हर निवेशक को यह जानकारी होना आवश्यक है।

हेजिंग क्या है? Hedging Meaning in Stock Market in Hindi

हेजिंग क्या है? :- हेजिंग स्टॉक मार्केट में कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव के रिस्क को कम करने का एक तरीका है, और हेजिंग को स्टॉक मार्केट में स्वयं द्वारा किए गए एक बीमा के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसे आप यूं समझिए जिस तरह आप अपने घर, गाड़ी, स्वास्थ्य आदि का बीमा करवाते हैं। ठीक उसी प्रकार स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग कर रहे हैं, तो यहां पर आप स्वयं ट्रेडिंग का बीमा कर रहे हैं, और यह आपको स्टॉक मार्केट में होने वाले नुकसान से बचने का एक विकल्प दिया गया है।

चलिए हेजिंग को उदाहरण के माध्यम से समझते हैं। डियर पाठक जब कोई व्यक्ति नई कार खरीदता है तो उसके साथ में वह बीमा भी करवाता है, जिसकी एक निश्चित अवधि होती है अगर उस अवधि के अंदर कार को कुछ भी नुकसान होगा कहने का मतलब कार के एक्सीडेंट में बिगड़ गई तो उसके होने वाले नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी करेगी। लेकिन स्टॉक मार्केट में आप स्वयं बीमा कंपनी बनते हैं यानी कि आप हेजिंग इस्तेमाल करते हैं, जो निवेशकों के लिए बीमा का कार्य करती हैं। अब आप देखिए वह कैसे –

जैसे कि किसी निवेशक ने अच्छे से रिचार्ज करने के बाद किसी XYZ कंपनी के ₹200 प्रति शेयर के हिसाब से खरीदा और निवेशक का एनालिसिस कहता है कि या अन्य वाले टाइम में ₹300 का आंकड़ा छू लेगा। लेकिन कुछ समय बाद उस कंपनी के शेयर बढ़ने की बजाय घटने लगते यानी नीचे की ओर जाने लगते हैं, तो अब इस स्थिति में निवेशक के पास तीन ऑप्शन है।

  1. मौजूदा कीमत पर शेयर को बेच दे
  2. कीमतों को गिरने दे और देखें कि शेयर उसी कीमत पर पहुंच जाएं जिस पर खरीदा गया है।
  3. या फिर यहां पर अपनी पोजीशन को हेज कर सकते हैं।

मौजूदा कीमत पर शेयर बेच दे

अब ट्रेडर के पास यह ऑप्शन है कि वह अपने शेयर को मौजूदा कीमत पर बेच दे, और उसके बाद उसी शहर को कम कीमत में खरीदने का इंतजार करें, लेकिन अब कम कीमत पर खरीदने के लिए निवेशक को बाजार पर लगातार निगरानी रखनी होगी। और सही समय पर उस स्टॉक में एंट्री लेनी होगी, जोकि बिल्कुल सामान्य स्थिति नहीं है और नहीं आसान है।

अब इसके साथ अगर ट्रेडर बार-बार खरीदता और बेचता है तो उसे हर ट्रांजैक्शन के लिए शुल्क चुकाना पड़ेगा

कीमतों को गिरने दे और देखें कि शेयर उसी कीमत पर पहुंच जाएं जिस पर खरीदा गया है।

हम इस स्थिति में निवेशक कुछ भी चेंज करने का फैसला नहीं लेता है, क्योंकि अगर स्टॉक की कीमत ₹200 से ₹150 पहुंच गई लेकिन ट्रेडर का एनालिसिस कहता है कि भविष्य में यह कीमत वापस 200 हो जाएगी, इसलिए वह कुछ भी नहीं करने का फैसला लेता है।

लेकिन यहां पर ध्यान रखने वाली बात यह है कि किसी स्टॉक की कीमत अगर 25% तक गिर गई हैं तो यह हमें भी मालूम है कि वापस 25 परसेंट बढ़ने में काफी लंबा समय लेगी। क्योंकि गिरावट बड़ी तेजी से आती है लेकिन बढ़ने में टाइम लगता है।

इसलिए एक्सपर्ट्स का कहना है अगर बाजार की स्थिति कुछ समझने लायक नहीं है तो यहां पर हेजिंग करना सबसे उचित विकल्प रहता है

अपनी पोजीशन को हेज कर सकते हैं।

डियर पाठक आपको बता दें कि शेयर मार्केट क्या आप किसी भी सेक्टर में इन्वेस्ट करते हैं तो रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है लेकिन आप रिसर्च करके एनालिसिस करके इन्वेस्ट करते हैं तो यह हम 99 प्रतिशत दावे के साथ कह सकते हैं कि आप प्रॉफिट अवश्य कमाएंगे, लेकिन यह जो एक परसेंट रिस्क बचता है इसको भी अगर कोई कारोबारी कम करना चाहते हैं तो वह हेजिंग का सहारा लेता है, क्योंकि इसमें चिट भी आपका और पट भी आपका इसलिए रिस्क की पोजीशन कम हो जाती है।

हेजिंग कैसे करते हैं?

डियर पाठक शेयर मार्केट में अपनी पोजीशन को हेज करना आसान है, चलिए इस को आसान करने के लिए एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए आपने लॉन्ग टर्म के लिए किसी XYZ कंपनी के 100 शेयरों ₹500 प्रति शेयर के हिसाब से खरीदा है। जिसका मतलब की आपने स्टॉक मार्केट में ₹50000 इन्वेस्ट किए हैं। लेकिन अब आपको पता चलता है कि XYZ कंपनी का तिमाही रिजल्ट बहुत जल्दी आने वाला है,

और इस रिजल्ट को लेकर आपके मन में शंका है कि अगर रिजल्ट खराब आया तो या फिर रिजल्ट कंपनी के फेवर में नहीं आया तो क्या होगा, अब शेयर मार्केट में होने वाले नुकसान को बचाने के लिए आप अपनी पोजीशन को हेज करने का फैसला लेते हैं। और शेयर मार्केट में आप अपनी पोजीशन को हेज करने के लिए आप फ्यूचर्स मार्केट में एक शार्ट पोजीशन ले लेते हैं।

अब देखते हैं कि शार्ट पोजीशन कैसे बनाते हैं।

  1. शॉर्ट पोजिशन- 505
  2. लोट साइज-100
  3. कुल कीमत- 50500

अब जैसे कि आपके पास XYZ कंपनी के स्पॉट मार्केट और फ्यूचर मार्केट में अलग-अलग पोजीशन आपके पास होल्ड है जो कि अलग-अलग कीमत के ऊपर बनाई गई है, यहां पर महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों ही पोजीशन एक दूसरे के विपरीत बनाई गई है। कहने का मतलब आप बाप ने स्वयं का ट्रेडिंग बीमा कर लिया है। अब यहां पर न तो आपको लाभ होगा और ना ही नुकसान। और अगर एक विपरित दिशा में बढ़ गया तो कुछ हद तक लाभ भी हो सकता है।

लेकिन हमारी सलाह यही रहेगी कि आप जो भी करें पहले उसके बारे में रिसर्च एनालिसिस इन सब कंडीशन को देखने के बाद ही किसी कंपनी में इन्वेस्ट करें नहीं तो आप ने घर के रहेंगे ना घाट के।

हेजिंग हमेशा अलग अलग विकल्प में की जाती है

  1. कैस – आप्शन
  2. कैस – फ्यूचर
  3. फ्यूचर – आप्शन
  4. आप्शन – फ्यूचर
  5. आप्शन – कैस
  6. फ्यूचर – कैस

ऑप्शन ट्रेडिंग में हेजिंग कैसे करें?

डियर पाठक ऑप्शन ट्रेडिंग में आप थोड़े से पैसे में मार्जिन ट्रेडिंग के साथ बड़ा लॉट बुक कर सकते हैं और फिर इसके लिए आपको एक्सपायरी डेट मिलती है यह आप ऑप्शन ट्रेडिंग के आर्टिकल में जान सकते हैं। अब जैसा कि अब आपको लगता है, कि यह कुछ स्टॉक जो आपने खरीदे या आने वाले दिनों में अच्छे मूवमेंट करेंगे लेकिन आपको यह नहीं पता कि यह किस डायरेक्शन में अपना रूप दिखाएंगे इसलिए आप ऐसी स्थिति में उस स्टॉक की वर्तमान कीमत पर हेजिंग कर सकते हैं। क्योंकि इससे अच्छा कोई विकल्प हो नहीं सकता स्टॉक मार्केट में नुकसान बचाने के लिए।

इसके लिए आपको कुछ नहीं करना बस विपरीत दिशा में दो लॉट खरीदने हैं। यानी कि एक कॉल ऑप्शन का लॉट और दूसरा पुट ऑप्शन का लोट अब जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि है हेजिंग में चिट भी आपका होता है और पट भी आपका होता है, मतलब अगर मार्केट जसबीर डायरेक्शन में मूवमेंट करेगा उसमें आपको नुकसान होने का तो लगभग चांस ना के बराबर होता है।

निष्कर्ष: स्टॉक मार्केट में हेजिंग क्या

डियर पाठक हेजिंग ट्रेडिंग में स्वयं के द्वारा किया गया बीमा है इसके द्वारा आप ट्रेडिंग में होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कभी भी केवल है जिनके भरोसे कहीं भी इन्वेस्ट नहीं करना चाहिए। आज के इस आर्टिकल स्टॉक मार्केट में हेजिंग क्या में आपने हेजिंग ट्रेडिंग के बारे में जाना अगर आपका फिर भी कुछ डाउट है, तो हम आपको नीचे एक वीडियो प्रोवाइड करवा रहे हैं आप अपने सारे डाउट्स उससे क्लियर कर सकते हैं लेकिन फिर भी अगर कोई डाउट है तो आप बेझिझक हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

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