शुरुआती लोगों के लिए अवसर

एक दलाल का वेतन क्या है

एक दलाल का वेतन क्या है
एक वित्तीय सलाहकार को विशुद्ध रूप से निवेशकों के सर्वोत्तम हित में कार्य करना चाहिए। हालांकि, यह संभव है कि वित्तीय सलाहकार निवेश को उन फंडों की ओर निर्देशित कर सकता है जो टीसी के मामले में सबसे अधिक लाभदायक हैं। वित्तीय सलाहकार को लाभान्वित करने वाले फंडों में निवेश के निर्देशन के समर्थकों का दावा है कि यह सलाहकार को पोर्टफोलियो के मूल्य को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करता है, इस प्रकार उनके हितों को उनके ग्राहकों के साथ संरेखित करता है। विरोधियों का सुझाव है कि निवेशक आमतौर पर इस अभ्यास से अनजान होते हैं और यह प्रोत्साहन के रूप में अप्रभावी होता है ।

कमीशन (पारिश्रमिक)

कमीशन प्रदान की गई सेवाओं या बेचे गए उत्पादों के लिए परिवर्तनीय-वेतन पारिश्रमिक का एक रूप है । आयोगों प्रेरित और इनाम के लिए एक आम तरीका है विक्रेताओं । विशिष्ट बिक्री व्यवहारों को प्रोत्साहित करने के लिए आयोगों को भी डिज़ाइन किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, बड़ी छूट देते समय कमीशन कम किया जा सकता है। या कुछ उत्पादों को बेचते समय कमीशन बढ़ाया जा सकता है जिसे संगठन बढ़ावा देना चाहता है। कमीशन आमतौर पर बिक्री प्रोत्साहन कार्यक्रम के ढांचे के भीतर लागू होते हैं, जिसमें एक या कई कमीशन योजनाएं शामिल एक दलाल का वेतन क्या है हो सकती हैं (प्रत्येक आमतौर पर क्षेत्र, स्थिति या उत्पादों के संयोजन पर आधारित होती हैं) )

भुगतान की गणना अक्सर राजस्व के प्रतिशत का उपयोग करके की जाती है , फर्मों के साथ कर्मचारियों के हितों को फिर से संगठित करने का प्रयास करके प्रिंसिपल-एजेंट समस्या को हल करने का एक तरीका । [१] हालांकि, प्रतिशत के अलावा अन्य मॉडल संभव हैं, जैसे लाभ-आधारित दृष्टिकोण, या बोनस-आधारित दृष्टिकोण। कमीशन बिक्री कर्मियों को बेचे जाने वाले उत्पादों या सेवाओं के आधार पर (आंशिक रूप से या पूरी तरह से) भुगतान करने की अनुमति देता है, न कि केवल प्रति घंटा या बिक्री के प्रयास के आधार पर। हालांकि कई प्रकार की कमीशन प्रणालियां मौजूद हैं, कुल खर्च का प्रबंधन करने के लिए एक सामान्य पद्धति को लक्ष्य पर आय के रूप में जाना जाता है . ऑन-टारगेट कमाई एक विक्रेता के मूल वेतन, साथ ही अपेक्षित कमीशन का प्रतिनिधित्व करती है (यह मानते हुए कि विक्रेता एक कोटा पूरा करता है)। ऑन-टारगेट कमाई से सेल्सपर्सन को उनके अपेक्षित कुल मुआवजे का अनुमान लगाने में मदद मिलती है, क्या उन्हें कंपनी द्वारा निर्दिष्ट लक्ष्यों को पूरा करना चाहिए।

वेतन कटौती के खिलाफ़ पिछले एक सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी के सफाई कर्मचारी

sanitation workers protest

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पत्रकारों दलाली छोड़ो, दलालों पत्रकारिता छोड़ो*

प्रयागराज :रिपोर्ट रिवेन्दर सिंह :(शंकरगढ़) पेशेवर व धंधेबाज पत्रकार जब भी चाहे जिससे जहां से कुछ प्राप्ति संभव हो, सम्मान या पुरस्कार मिलना संभावित हो, उसी के चरण चुम्बन व चाटुकारिता व चापलूसी करने में सदा ही कर्तव्यरत रह नतमस्तक रहते हैं। इन्हें काफी कुछ मिलता है ऐसे दलाल पत्रकार विभिन्न सरकारी व् प्रशासनिक अधिकारियों के आफिसो में चटनी चाट चाटते और उनकी दलाली करते पुलिस स्टेशनों और दूसरे विभागों में देखे जा सकते हैं।ये दलाल दिन भर वहीं उनके दोने पत्तल और चाय की प्याली चाटते नजर आते हैं, और उनके इशारे पर खुद को असली बाकी अच्छे पत्रकारों को फर्जी तक का लेबल देंने में भी नहीं चूकते, जिसके विरूद्ध उनकी कलम चलेगी। उस पर व उसके परिवार पर जुल्म और अत्याचार का कहर न केवल उधर से टूटेगा। बल्कि, इस देश में जहां बेईमानी, झूठ, फर्जीवाड़े, भ्रष्टाचार, का साम्राज्य चहुंओर फैला हुआ है। वहां उन्हें सताया जाता है कि या तो वे खुद ही आत्महत्या कर लें या लिखना बंद कर दें।पत्रकारिता छोड़ दें। या उनकी सीधे हत्या ही करवा दी जाती है।उनकी कलम के चारों ओर खौफ, आतंक व दहशत का जाल पसरा रहता है। पल-पल मिलती धमकियां, कभी जान से मारने की धमकियां, और मजे की बात यह कि उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं, कोई कार्यवाही नहीं शायद आपको ऐसे पत्रकारों के लिये इनको सताने में, इनका गरीब होना, कमजोर होना, छोटा होना पत्रकारिता पेशा या व्यवसाय नहीं, एक मिशन है,इज्जत और कार्यवाही पत्रकार की बुलंद कलम कराती है। पत्रकारिता की चर्चा, पत्रकारों की चर्चा, विशेषकर आज कोई सम्मानित कर रहा है, तो कोई किसी को अपमानित कर रहा है। जैसे कि पत्रकार या तो पुण्य धर्म कर रहा है या घोर अपराध कर रहा है।आज के वक्त में किसी ईमानदार व सच्चे पत्रकार का कलम चलाना बेहद दूभर है। विशेषकर सोशल मीडिया के जमाने में तो यह तकरीबन नामुमकिन सा ही है। एक पत्रकार की परिभाषा बड़ी व्यापक होतीं है।जिसे व्यक्त करना या परिभाषा के दायरे में बांधना लगभग नामुकिन सा है।भारत के स्वतंत्रता संग्राम में पत्रकारिता की जो भूमिका रही। वह उन क्रातिकारियों के बलिदानों से कहीं ज्यादा ऊपर और अव्वल है। जो क्रांति करते थें, और पत्रकार अपना सब कुछ दांव पर लगा कर उनके समाचार व खबरें फैलाने का काम करके जनता में जागरूकता व उत्साह भरा करते थें।आज की पत्रकारिता कुछ अलग किस्म की हैं आज पत्रकारिता वर्गवार पत्रकारिता की जाने लगी है। पहले जहां गरीबी से जमीनी मिट्टी से कलम निकल कर चलती और सच को बयां करने में अंग्रेजी हुकूमत से सीधी टकराती कलम व जमीन देश, अपनी मिट्टी, मातृभूमि के लिये समर्पित कलम चलाने वाले वे पत्रकार जो कभी किसी सम्मान, पुरस्कार, वेतन, पारिश्रामिक या प्राप्ति की आकांक्षा व इच्छा न रख कर केवल अपना काम करते हैं, केवल सच बोलते हैं, सच लिखते हैं, उनके लेखन में ईमानदारी रहती है और वे सारे लोभ लालचों से दूर,अपना काम करते हैं। अब तो चुम्बन एक दलाल का वेतन क्या है व चाटुकारिता व चापलूसी करने में सदा ही कर्तव्यरत रह नतमस्तक रहते है। जिन्हें पैसे के लिये या केवल सम्मान व पुरूस्कार के लिये ही फिल्म लिखना आता है। चौथे किस्म की पत्रकारिता का वर्ग एक रैकेट व एक दलाल के रूप में काम करता है। इस वर्ग में हर उमर से लेकर, दौलत का अंबार परोस कर, कुछ लोग पत्रकारिता की आड़ में असल पत्रकारिता या असल पत्रकारों की मेहनत मिशन व मशक्कत के साथ उनकी इज्जत और उन्हे मिलने वाला धन या सहायता हड़प जाते हैं। मगर किसे अधिमान्यता दिलानी है कार्यालयों तक इनका माया जाल हर जगह फैला रहता है। भ्रष्टाचार ऐसा कौन-सा कार्यालय है, जहां नहीं चलता। इसलिये इनका धंधा और पेशा बदस्तूर खुल कर चलता है। जम कर चलता है। पत्रकारों का है, जो पहले वाले किस्म के वर्ग की पत्रकारिता करें तो, जिसके विरूद्ध उनकी कलम चलेगी। उस पर व उसके परिवार पर जुल्म और अत्याचार का कहर न केवल उधर से टूटेगा। बल्कि, इस देश में जहां बेईमानी, झूठ, फर्जीवाड़े, भ्रष्टाचार, का साम्राज्य चहुंओर फैला हुआ है। वहां उन्हें सताया जाता है कि या तो वे खुद ही आत्महत्या कर लें या लिखना एक दलाल का वेतन क्या है बंद कर दें। पत्रकारिता छोड़ दें। या उनकी सीधे हत्या ही करवा दी जाती है इनको अपना दुश्मन खुद ही मान लेना। ये कुछ आज 5 प्रकार के वर्ग के लोग पत्रकारिता कर रहे एक दलाल का वेतन क्या है हैं। पाठक या दर्शक बहुत आसानी से यह पहचान लेता है। कि कौन पत्रकार किस वर्ग का है। लुटिया डुबो दी बल्कि चुटिया भी उड़ा दी। और पत्रकारिता जो एक मिशन है। उसकी खाल उधेड़ कर उसमें भूसा भर कर उसे धंधा एवं पेशा बना दिया।भारत के स्वतंत्रता संग्राम के वक्त पत्रकारों की डिग्रीयां और व्यापम-फयापम नही होते थे। पर कलम थी। जिस पर कुछ लिखने की कला व महारत थी। वह जुगाड़ लगा कर पत्रकारिता करने लगता था। उसे किसी अधिमान्यता की जरूरत नहीं होती थी।उसे न अधिमान्यता मिलने का लालच लोभ उसकी कलम को कुंद व भोंथरा करता और

पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले का दलाल दिल्ली से गिरफ्तार, अब होंगे बड़े खुलासे

पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले का दलाल दिल्ली से गिरफ्तार, अब होंगे बड़े खुलासे

Update: Monday, May 9, 2022 @ 10:47 PM

शिमला। हिमाचल पुलिस भर्ती (Himachal Police recruitment ) में अब बड़े-बड़े खुलासे हो सकते है। हिमाचल पुलिस की एसआईटी टीम (SIT Team) ने दिल्ली में एक दलाल को गिरफ्तार (Arrest) करने में सफलता पाई है। यह दलाल गगरेट (Gagret) के नकडोह का रहने वाला है। पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में इसकी पूरी संलिप्त होने की आशंका जताई जा रही है। पुलिस (Police) को अंदेशा है कि इस मामले के तार उपमंडल गगरेट से जुटे हो सकते हैं। दलाल के इस क्षेत्र का निवासी होने पर यहां भी अभ्यर्थियों से संपर्क होने की आशंका बढ़ गई है। फिलहाल इस पूरे मामले में एसआईटी व पुलिस मीडिया (Media) से दूरी बनाए हुए है, कोई भी आधिकारिक तौर पर जानकारी देने से बच रहे हैं।

हिमाचल पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में 7 और लोग गिरफ्तार, अब तक 13 अरेस्ट

हिमाचल पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले (Himachal Police Recruitment Paper Leak Case) में रविवार को 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में अब तक 13 लोगों की गिरफ्तार (Arrest) हो चुकी है। इसके अलावा पुलिस ने हमीरपुर जिला से भी तीन लोगों जिसमें एक बाप और बेटा और एक अन्य को शामिल है को हिरासत में लिया है। वहीं मंडी में पुलिस ने 50 के करीब अभ्यर्थियों से पूछताछ की है, जबकि ऊना में छह अभ्यर्थियों व उनके अभिभावकों के अलावा चंबा के भी एक अभ्यर्थी से पुलिस ने रविवार को पूछताछ की है। इससे पहले जिला ऊना (Una) में शनिवार को भी पुलिस ने करीब एक दर्जन अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों से पूछताछ की थी।

पुलिस द्वारा गठित टीम अब तक 13 लोगों को इस मामले में पकड़ चुकी है। इसके अलावा प्रदेश भर में दर्जनों लोगों से पूछताछ की जा रही है। इस मामले में अब तक गिरफ्तार लोगों में मनी चौधरी पुत्र बीरवल सिंह निवासी खटियाड़ तहसील फतेहपुर जिला कांगड़ा, गौरव पुत्र विजय कुमार गांव व डाकघर भडियाड़ा, मुनीष कुमार पुत्र एक दलाल का वेतन क्या है अशोक कुमार निवासी देवभराड़ी सुल्याली, नूरपुर जिला कांगड़ा, कांगड़ा, अशोक कुमार पुत्र हरि सिंह निवासी पास्सू, कांगड़ा, विशाल पुत्र पवन कुमार निवासी गांव देवभराड़ी सुल्याली, नूरपुर जिला कांगड़ा, पवन कुमार पुत्र लाल चंद निवासी देवभराड़ी सुल्याली तहसील नूरपुर जिला कांगड़ा और नितेश कुमार पुत्र राम सिंह निवासी स्थाना, फतेहपुर जिला कांगड़ा को गिरफ्तार किया जा चुका है।

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