वर्तमान सोना वायदा अनुबंध क्या है?

हां, अचानक और चरम मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए सर्किट सीमाएं (ऊपरी और निचले) या दैनिक मूल्य सीमाएं (डीपीआर) हैं। जब एक सर्किट सीमा हिट होती है, तो व्यापार को पंद्रह मिनट के लिए रोक दिया जाता है।
सस्ता हुआ सोना, चांदी के रेट में जबरदस्त गिरावट, यहां है सबसे कम दाम
नई दिल्ली : गुरुवार को सोने और चांदी दोनों के दाम में तेज गिरावट दर्ज की गई। कमजोर मांग के चलते सटोरियों ने अपने सौदों की संख्या कम कर दी, जिससे वायदा कारोबार में गुरुवार को सोना 102 रुपये की गिरावट के साथ वर्तमान सोना वायदा अनुबंध क्या है? 52,960 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में दिसंबर डिलीवरी के लिए सोने का अनुबंध 102 रुपये या 0.19 प्रतिशत की गिरावट के साथ 52,960 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था, जिसमें 6,290 लॉट के लिए कारोबार हुआ। विश्लेषकों ने सोने की कीमतों में गिरावट का कारण प्रतिभागियों द्वारा सौदों में कमी करना बताया। वैश्विक स्तर पर न्यूयॉर्क में सोना 0.19 फीसदी की गिरावट के साथ 1,772.40 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था।
चांदी वायदा भी कमजोर
चांदी वायदा 283 रुपये की गिरावट के साथ 61,714 रुपये प्रति किग्रा रह गई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में चांदी का दिसंबर डिलीवरी वर्तमान सोना वायदा अनुबंध क्या है? का अनुबंध 283 रुपये या 0.46 प्रतिशत की गिरावट के साथ 61,714 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया, जिसमें 13,390 लॉट के लिए कारोबार हुआ। वैश्विक स्तर पर न्यूयॉर्क में चांदी 1.13 फीसदी की गिरावट के साथ 21.28 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी।
कमजोर वैश्विक रुख के बीच राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को सोना 161 रुपये की गिरावट के साथ 53,235 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया। पिछले कारोबार में सोना 53,396 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। उधर चांदी भी 1,111 रुपये की गिरावट के साथ 61,958 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई।
मोतीलाल ओसवाल में कमोडिटी रिसर्च के सीनियर वीपी नवनीत दमानी ने कहा कि नवीनतम भू-राजनीतिक चिंताओं से सुरक्षित-हेवन समझे जाने सोने की मांग में कमी आई। उम्मीद है कि आने वाले महीनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व दरों में बढ़ोतरी पर कम आक्रामक होगा।
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क्या किसी भी समय किसी भी कमोडिटी पर व्यापार / धारण की मात्रा की कोई सीमा है?
हाँ, उस मात्रा की अधिकतम अनुमेय सीमा है जिसे किसी विशेष कमोडिटी में कारोबार या आयोजित किया जा सकता है। यह सीमा संबंधित एक्सचेंजों और रेगुलेटर द्वारा निर्धारित की जाती है और कमोडिटी के अनुसार भिन्न होती है।
व्युत्पन्न संविदा के वितरण का क्या मतलब है? | निवेशोपैडिया
जब विकल्प के लिए व्युत्पन्न अनुबंधों का व्यापार होता है, तो खरीदार द्वारा व्युत्पन्नता का उपयोग करने पर खरीदार या धारक को अंतर्निहित परिसंपत्तियों का वितरण करना पड़ सकता है यदि डेरिवेटिव वायदा या फॉरवर्ड अनुबंध है, तो पार्टियों में से एक ने निपटारा तिथि पर अंतर्निहित परिसंपत्ति का वितरण किया है। व्युत्पन्न प्रतिभूतियों वित्तीय साधन हैं जिनमें मूल्य अंतर्निहित परिसंपत्ति पर निर्भर हैं। डेरिवेटिव मार्केट में, खरीदार और विक्रेता हैं खरीदार लंबे व्युत्पन्न अनुबंध है और संपत्ति का वितरण करता है और विक्रेता को भुगतान करता है। विक्रेता व्युत्पन्न अनुबंध संक्षिप्त है और अंतर्निहित परिसंपत्ति को वितरित करने के लिए बाध्य है।
मुझे अपने पूर्व नियोक्ता को अपने 401 (के) योजना संतुलन को एक रोलओवर में वितरित करने में परेशानी हो रही है क्या आप मुझे बता सकते हैं कि एक नियोक्ता के कारण वितरण में देरी हो सकती है और अगर वहां कोई सरकारी एजेंसी है जो मैं वितरण को बढ़ावा देने के लिए संपर्क कर सकता हूं?
लंबे या लघु व्युत्पन्न होने का क्या मतलब है? | निवेशोपैडिया
व्युत्पन्न प्रतिभूतियों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें और यह दर्शाता है कि जब व्यापारी या निवेशक एक व्युत्पन्न सुरक्षा में एक लंबी या छोटी स्थिति स्थापित करते हैं
जीरा निर्यात ठप, एक माह में 30 रुपए किलो की गिरावट
जयपुर. चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते इन दिनों चीन को जीरे का निर्यात ठप पड़ गया है। एक माह के दौरान जयपुर मंडी में जीरे की कीमतें 25 से 30 रुपए प्रति किलो वर्तमान सोना वायदा अनुबंध क्या है? तक टूट गई हैं। यही कारण है कि वर्तमान में मशीनक्लीन मीडियम जीरा 150 रुपए तथा बेस्ट मशीनक्लीन जीरा 165 रुपए प्रति किलो रह गया है। गौरतलब है कि गुजरात देश में जीरे का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। गुजरात की ऊंझा मंडी में जीरे का सबसे ज्यादा कारोबार होता है। भारत सालाना करीब डेढ़ लाख टन जीरा निर्यात करता है। इसमें करीब 50 हजार टन जीरा सिर्फ चीन को एक्सपोर्ट होता है। कोरोना वायरस की वजह से बीते एक माह से चीन को जीरे का निर्यात नहीं हो पा रहा है।
विदेशी बाजारों में गिरावट
इस कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में जीरे की कीमतें करीब 200 डालर प्रति टन टूट गई हैं। एनसीडैक्स पर भी जीरा मार्च डिलीवरी वायदा अनुबंध नीचे आकर 13545 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया है। जबकि एक माह पूर्व 13 जनवरी को एनसीडैक्स पर इसके भाव 15680 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे थे।
नई फसल होली के बाद
वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में अप्रेल से दिसंबर तक भारत से कुल 1 वर्तमान सोना वायदा अनुबंध क्या है? लाख 62 हजार 94 टन जीरे का निर्यात किया गया। इसमें से चीन को जीरे का कुल निर्यात 43 हजार 196 टन हुआ। इस प्रकार भारत ने जीरे के अपने कुल निर्यात में चालू वित्तीय वर्ष के शुरुआती नौ माह में 26 फीसदी से अधिक जीरा चीन को भेजा है। इन आंकड़ों से अनुमान लगाया जा सकता है कि चीन की खरीदारी नहीं होने से भारत में जीरे के निर्यात पर कितना असर पड़ सकता है। जानकारों का कहना है कि जीरे की नई फसल होली बाद आ जाएगी। इस साल जीरे की पैदावार पिछले साल के मुकाबले वर्तमान सोना वायदा अनुबंध क्या है? डेढ़ गुना बताई जा रही है।
जीरा निर्यात ठप, एक माह में 30 रुपए किलो की गिरावट
जयपुर. चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते इन दिनों चीन को जीरे का निर्यात ठप पड़ गया है। एक माह के दौरान जयपुर मंडी में जीरे की कीमतें 25 से 30 रुपए प्रति किलो तक टूट गई हैं। यही कारण है कि वर्तमान में मशीनक्लीन मीडियम जीरा 150 रुपए तथा बेस्ट मशीनक्लीन जीरा 165 रुपए प्रति किलो रह गया है। गौरतलब है कि गुजरात देश में जीरे का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। गुजरात की ऊंझा मंडी में जीरे का सबसे ज्यादा कारोबार होता है। भारत सालाना करीब डेढ़ लाख टन जीरा निर्यात करता है। इसमें करीब 50 हजार टन जीरा सिर्फ चीन को एक्सपोर्ट होता है। कोरोना वायरस की वजह से बीते एक माह से चीन को जीरे का निर्यात नहीं हो पा रहा है।
विदेशी बाजारों में गिरावट
इस कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में जीरे की कीमतें करीब 200 डालर प्रति टन टूट गई हैं। एनसीडैक्स पर भी जीरा मार्च डिलीवरी वायदा अनुबंध नीचे आकर 13545 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया है। जबकि एक माह पूर्व 13 जनवरी को एनसीडैक्स पर इसके भाव 15680 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे थे।
नई फसल होली के बाद
वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में अप्रेल से दिसंबर तक भारत से कुल 1 लाख 62 हजार 94 टन जीरे का निर्यात किया गया। इसमें से चीन को जीरे का कुल निर्यात 43 हजार 196 टन हुआ। इस प्रकार भारत ने जीरे के अपने कुल निर्यात में चालू वित्तीय वर्ष के शुरुआती नौ माह में 26 फीसदी से अधिक जीरा चीन को भेजा है। इन आंकड़ों से अनुमान लगाया जा सकता है कि चीन की खरीदारी नहीं होने से भारत में जीरे के निर्यात पर कितना असर पड़ सकता है। जानकारों का कहना है कि जीरे की नई फसल होली बाद आ जाएगी। इस साल जीरे की पैदावार पिछले साल के मुकाबले डेढ़ गुना बताई जा रही है।