अमेरिकन एक्सचेंज

' अमेरिका शेयर बाजार'
Sensex, Nifty today: बाजार बंद होने के पहले दोपहर तीन बजे के आसपास बेंचमार्क इंडेक्स अपने इंट्रा-डे लो यानी दिन के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे. दरअसल, अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक की पॉलिसी मीटिंग के फैसले के इंतजार के बीच बाजार में सुस्ती चल रही है.
अमेरिका में नयी सरकार से नये राहत उपायों की उम्मीद में वैश्विक बाजारों में तेजी रही. इसके बीच सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), ऊर्जा और वाहन कंपनियों के शेयरों में मजबूती आने से बुधवार को घरेलू शेयर बाजार (Share Market) नयी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गये. बीएसई (BSE) का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स (Sensex) 393.83 अंक यानी 0.80 प्रतिशत की बढ़त के साथ 49,792.12 अंक के नये रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने मंगलवार को एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अमेरिका रिकवरी की अमेरिकन एक्सचेंज राह पर है. उनके इस ट्वीट के पीछे शेयर मार्केट खुलने के बाद बाजार में दिखी तेजी है.
कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के संकट से पूरी दुनिया जूझ रही है. अमेरिका, इटली, फ्रांस और दुनिया के कई देशों में इस महामारी के कारण हजारों लोगों की जान जा चुकी है. वहीं, भारत में भी यह संक्रमण धीरे-धीरे फैल रहा है. जिसके चलते देश को 21 दिनों के लिए लॉकडाउन (Lockdown) कर दिया गया अमेरिकन एक्सचेंज है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पहला दो दिवसीय भारत दौरा सोमवार को शुरू हो रहा है. ट्रंप और उनकी पत्नी व अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप का भारत दौरा सोमवार को अहमदाबाद से शुरू होगा और वे आगरा में ताजमहल का दीदार करने के बाद दिल्ली अमेरिकन एक्सचेंज पहुंचेंगे. ट्रंप के इस दौरे के दौरान भारत और अमेरिका के बीच बड़े व्यापारिक सौदे की उम्मीद की जा रही है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि यह जरूरी नहीं है कि अमेरिका इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हुए ईरानी हमलों का जवाब दे.
अमेरिका और ईरान के बीच तनाव कम होने की उम्मीदों से शेयर बाजार में मंगलवार को जबरदस्त रिकवरी आई और सेंसेक्स में 192.84 अंकों की तेजी देखने को मिली सेंसेक्स 40869.47 अंकों पर बंद हुआ वहीं निफ्टी 12052.95 के आंकड़ों तक पहुंच गया. दिन के शुरुआत में सेंसेक्स में 500 अंक से ज्यादा की उछाल हुई थी.
सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को अमेरिका ईरान संकट का असर भारतीय शेयर बाजार में देखने को मिला. भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली. सेंसेक्स में 787 अंकों की गिरावट हुई और सेंसेक्स 40676.63 अंकोें पर बंद हुआ वहीं निफ्टी में 233.60 अंकों की गिरावट हुई और निफ्टी 11993.05 के आंकड़ों पर बंद हुआ.
अमेरिका के ईरानी कमांडर पर हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से रुपया शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले 24 पैसे गिरकर 71.62 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया.
अमेरिका - चीन व्यापार समझौते को लेकर सकारात्मक रुख से निवेशकों की धारणा मजबूत हुई. मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और घरेलू शेयर बाजार की अच्छी शुरुआत से भी रुपये को समर्थन मिला.
American Stock Exchange क्या है?
अमेरिकन स्टॉक एक्सचेंज (AMEX) क्या है? [What is American stock exchange ?] [In Hindi]
अमेरिकन स्टॉक एक्सचेंज (AMEX) ने 1908 में न्यूयॉर्क कर्ब मार्केट एजेंसी के रूप में परिचालन शुरू किया। AMEX मूल रूप से व्यापारियों और दलालों से बना था जो न्यूयॉर्क शहर में एक खुले स्थान पर स्टॉक खरीदने और बेचने के लिए एक साथ मिलते थे। यह एक स्व-विनियमित और बहुत ही अल्पविकसित बाज़ार था, जहाँ अधिकांश लेन-देन चिल्ला-चिल्लाकर किया जाता था।
बाजार समय के साथ और अधिक संरचित हो गया और, 1921 में, न्यूयॉर्क कर्ब एक्सचेंज बन गया, जो इसके सदस्यों के स्वामित्व वाला सहकारी था। परिवर्तन ने एक्सचेंज में और नियम लाए, लेकिन यह अपेक्षाकृत असंगठित रहा। एक्सचेंज 1921 तक बाहर काम करना जारी रखा जब यह लोअर मैनहट्टन में एक इमारत में चला गया।
अमेरिकन स्टॉक एक्सचेंज की पृष्ठभूमि [Background of the American stock exchange in Hindi]
अमेरिकन स्टॉक एक्सचेंज का नवाचार का एक लंबा इतिहास है और यू.एस. प्रतिभूति बाजारों में अद्वितीय है क्योंकि हम एकमात्र ऐसे बाजार हैं जो सक्रिय रूप से तीन विविध व्यावसायिक लाइनों - इक्विटी, विकल्प और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध और ट्रेड करते हैं, जिन्हें आमतौर पर ईटीएफ कहा जाता है। . इक्विटी में, हम मुख्य रूप से छोटी और मिड-कैप कंपनियों के लिए एक अच्छी तरह से विनियमित नीलामी बाजार प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हमारा विकल्प बाजार संयुक्त राज्य अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा बाजार है।
NYSE के साथ विलय [Merger with the अमेरिकन एक्सचेंज NYSE]
अक्टूबर 2008 में, NYSE यूरोनेक्स्ट समूह ने $260 मिलियन में AMEX का अधिग्रहण किया। एनवाईएसई के तहत, यह कई रीब्रांडिंग अभ्यासों से गुजरा। अधिग्रहण पर इसे पहली बार NYSE अल्टरनेक्स्ट यू.एस. के रूप में पुनः ब्रांडेड किया गया था। टीएमएक्स समूह के साथ विलय के बाद, यह वैंकूवर स्टॉक एक्सचेंज (वीएसई) की तरह स्मॉल-कैप शेयरों का स्थान बन गया। Administrative expenses क्या हैं?
2009 में, इसे NYSE Amex इक्विटीज के रूप में पुनः ब्रांडेड किया गया था - संभवतः ब्रांड वैल्यू का उपयोग करने के एक तरीके के रूप में जिसे AMEX ने मूल रूप से 1960 के दशक की शुरुआत में अपने लिए बनाया था। फिर से, 2012 में, इसे NYSE मार्केट के रूप में पुनः ब्रांडेड किया गया।
आखिरी रीब्रांडिंग 2017 में हुई थी जब इसका नाम बदलकर NYSE अमेरिकन कर दिया गया था। NYSE ने AMEX या NYSE American को IEX नामक अमेरिकन एक्सचेंज एक नए एक्सचेंज के प्रतियोगी के रूप में इस्तेमाल किया। IEX की स्थापना हाई-फ़्रीक्वेंसी ट्रेडिंग में कुछ समस्याओं को दूर करने के लिए की गई थी, जैसे कि फ्रंट-रनिंग ऑर्डर और जटिल ऑर्डर प्रकारों का दुरुपयोग।
ऐसी प्रथाओं का मुकाबला करने के लिए, आईईएक्स ने सभी आदेशों के लिए 320 माइक्रोसेकंड की एक धर्मनिरपेक्ष देरी की शुरुआत की। एनवाईएसई अमेरिकन ने आईईएक्स के अनुरूप इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में 350-माइक्रोसेकंड स्पीड बंप की पेशकश की, जिसने तकनीक का बीड़ा उठाया।
US Stock Market: अमेरिकी शेयर बाजार में पूरे साल तेजी के आसार, S&P 500 ETF में निवेश दे सकता है बेहतर रिटर्न
अमेरिका के S&P 500 Index में पूरे साल तेजी बने रहने की संभावना पर फंड मैनेजर्स को काफी भरोसा है, उनका मानना है कि 2021 के अंत तक इस इंडेक्स में कम से कम 10% की तेजी देखने को मिल सकती है.
S&P 500 Index में इस साल यानी जनवरी 2021 से अब तक 19.22% का उछाल आ चुका है.
Investing in US Market, S&P 500 Index: भारतीय निवेशक अगर अमेरिकन एक्सचेंज अमेरिकी शेयर बाजार की तेजी का फायदा उठाना चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें क्या करना होगा? इस सवाल का सबसे सीधा जवाब है, S&P 500 ETF में निवेश करके वे अपने इस लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं. जैसा कि इसके नाम से भी पता चलता है, S&P 500 इंडेक्स में अमेरिका के न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड टॉप 500 कंपनियां शामिल हैं. जाहिर है, S&P 500 इंडेक्स को ट्रैक करने वाले अमेरिकन एक्सचेंज किसी ईटीएफ में निवेश का मतलब है, आपका निवेश इस इंडेक्स में आने वाली तेजी के साथ-साथ बढ़ने की पूरी संभावना रहेगी.
S&P 500 पर फंड मैनेजर्स को क्यों है इतना भरोसा?
अमेरिका की टॉप कंपनियों के शेयर्स की चाल को दर्शाने वाले S&P 500 इंडेक्स में जनवरी से अब तक 19.22 फीसदी की तेजी दर्ज की जा चुकी है. इसके मुकाबले भारत के Nifty 50 इंडेक्स में इसी दौरान 12.86 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. फंड मैनेजर्स का मानना है कि S&P 500 में 2021 के अंत तक अभी और 10 फीसदी की तेजी आ सकती है.
बैंक ऑफ अमेरिका के जुलाई महीने के फंड मैनेजर सर्वे के मुताबिक 82 फीसदी निवेशकों को उम्मीद है कि S&P 500 इंडेक्स इस साल के अंत तक कम से कम 10 फीसदी और बढ़ेगा. इतना ही नहीं, कई निवेशक तो यह उम्मीद भी कर रहे हैं कि अगरे छह महीने में अमेरिकी बाजार में बुल रन यानी शानदार तेजी का दौर भी देखने को मिल सकता है.
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ETF के जरिए आसान है S&P 500 इंडेक्स में निवेश
सवाल यह है कि अमेरिकी कंपनियों के S&P 500 इंडेक्स में शानदार तेजी की संभावना का फायदा भारतीय निवेशक कैसे उठा सकते हैं? इसका एक आसान रास्ता एक अच्छे S&P 500 ETF में निवेश करना हो सकता है. यानी एक ऐसा एक्सचेंज ट्रेडेड फंड अमेरिकन एक्सचेंज जो न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड टॉप 500 कंपनियों के S&P 500 इंडेक्स को ट्रैक करता हो. एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के रिटर्न आम तौर पर उस इंडेक्स की चाल के साथ ही चलते हैं, जिसे वे ट्रैक करते हैं. हालांकि इसमें कई बार थोड़ा-बहुत ट्रैकिंग एरर आ सकता है.
ये हैं S&P 500 में निवेश करने वाले टॉप ETF:
S&P 500 में शामिल कंपनियों में निवेश करने वाले तीन सबसे बड़े ETF हैं :
Vanguard S&P 500 ETF: 753 अरब अमेरिकी डॉलर के नेट एसेट्स वाला Vanguard सबसे बड़ा S&P 500 ETF है. इसका औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम 39.8 लाख है. जनवरी 2021 से अब तक इसमें 19.27 फीसदी का इजाफा हो चुका है.
SPDR S&P 500 ETF Trust: 374.03 अरब अमेरिकी डॉलर के नेट एसेट वाला SPDR S&P 500 ETF Trust दूसरा सबसे बड़ा S&P 500 ETF है. इस साल में यह अब तक 19.29 फीसदी बढ़ चुका है. जनवरी 1993 में लॉन्च किया गया SPDR S&P 500 ETF अमेरिकी शेयर बाजार में लिस्ट हुआ पहला एक्सचेंज ट्रेडेड फंड है.
iShares Core S&P 500 ETF: 286.99 अरब डॉलर के नेट एसेट वाला iShares Core S&P 500 ETF अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा S&P 500 ETF है. इस फंड में इस साल अब तक 19.32 फीसदी का इजाफा हो चुका है. इसका औसत वॉल्यूम 45.3 लाख का है.
इन तीनों टॉप ईटीएफ के अलावा कई और एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) के लीवरेज्ड (leveraged) और इक्वल-वेटेड (equal-weighted) जैसे अलग-अलग वैरिएंट भी बाजार में मौजूद हैं.
ETF के जरिए निवेश का फायदा
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड या ETF को ईटीएफ ब्रोकर्स की मदद से शेयर बाजार के कारोबारी समय के दौरान कभी भी खरीदा या बेचा जा सकता है. शेयर्स की तरह ही इनका भी अपना खास टिकर सिंबल होता है. इसका एक बड़ा फायदा यह है कि निवेशक शेयर बाजार के कारोबारी घंटों के दौरान इनके भाव पर लगातार नज़र रख सकते हैं. साथ ही ETF में निवेश करने की लागत भी काफी कम होती है. S&P 500 ETF जिस S&P 500 इंडेक्स को ट्रैक करते हैं, उसमें माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), ऐपल (Apple), अमेजन (Amazon), फेसबुक (Facebook), गूगल (Google) और बर्कशायर हैथवे (Berkshire Hathaway) जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं.
एक्सचेंजेज, अलुम्नी, शिक्षा
प्रतिवर्ष भारत में अमेरिकी दूतावास लगभग 300 लोगों को विभिन्न अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रोफेसनल, अकादमिक, और सांस्कृतिक एक्सचेंज कार्यक्रमों के अंतर्गत हाईस्कूल के छात्रों से लेकर मध्य करियर प्रोफेसनल्स को एक सप्ताह से लेकर दो साल की अवधि के लिए भेजता है। इनमें से कुछ विश्वव्यापी कार्यक्रम हैं जिन्हें अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के एजूकेशनल एंड कल्चरल अफेयर्स (ईसीए) ब्यूरो द्वारा प्रायोजित होते हैं, और अन्य क्षेत्रीय कार्यक्रम हैं जो साउथ और सेंट्रल अफेयर्स ब्यूरो द्वारा वित्त पोषित होते हैं, और अन्य मिशन इंडिया के लिए विशेष होते हैं। इन एक्सचेंजेज कार्यक्रमों की और जानकारी यहां प्राप्त करें। मिशन की एक्सचेंजेज टीम भूटानी एक्सचेंज भागीदारों तथा कांग्रेस द्वारा अनुमति प्राप्त तिब्बती स्कॉलरशिप कार्यक्रम का भी समन्वय करती है। (2017 तिब्बती स्कॉलरशिप प्रोग्राम (टीएसपी) अनाउंसमेंट के लिए यहां क्लिक करें)। अमेरिका-भारत एजूकेशनल फाउंडेशन (यूएसआईईएफ) हमारे द्विराष्ट्रीय अमेरिका-और भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित फुलब्राइट-नेहरू अकादमिक फैलोशिप का अलग कार्यान्वयन करता है। एक्सचेंज कार्यक्रमों के बारे में अधिक जानकारी के लिए तथा उनकी पात्रता की कसौटी तथा नामांकन प्रक्रिया, या नए कार्यक्रम का सुझाव देने के लिए कृपया हमें [email protected]. पर ईमेल करें।
अलुम्नी कार्यक्रम
एक्सचेंज कार्यक्रम में भाग लेना एक बार का कार्य नहीं है, बल्कि विचारों का आदान-प्रदान भागीदार के जीवनभर जारी रहता है। अमेरिकी सरकार द्वारा प्रायोजित एक्सचेंज कार्यक्रमों में लगभग 16,000 अलुम्नी वाला, भारत दुनिया में सबसे अधिक विविधतापूर्ण अमेरिकी सरकार के एक्सचेंज अलुम्नी समुदाय वाले देशों में एक है। (किसे अलुम्नी (पूर्व छात्र) माना जाए यह जानने के लिए यहां क्लिक करें।) वर्षों से सैकड़ों पूर्व एक्सचेंज कार्यक्रम के भागीदार भारत में महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचते रहे हैं, इनमें चार प्रधान मंत्री, दो राष्ट्रपति, कई मंत्री और विधायकों के साथ-साथ मीडिया, नागरिक समाज, और बिजनेस क्षेत्रों के लोग सम्मिलित हैं।
यदि आप हमारे एक्सचेंज कार्यक्रमों के पूर्व अमेरिकन एक्सचेंज छात्र है, यह देखने के लिए आप किस प्रकार इस समुदाय में शामिल हो सकते हैं हमें [email protected] पर ईमेल लिखें।
जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं और लड़कियों के सशक्तीकरण पर केंद्रित परियोजनाओं को लेकर 2016 में भारत के पूर्व छात्रों के दो समूह वार्षिक अलुम्नी इंगेजमेंट इनोवेशन फंड में भाग लेने के लिए चुने गए थे।
फोटो परिचयः कम्युनिकेशंस वर्कशॉप के लिए तिब्बती स्कॉलरशिप प्रोग्राम के पूर्व छात्रों के साथ एक्सचेंजेज टीम (मई 2016)
उच्च शिक्षा प्रोत्साहन, संस्थानिक संपर्क, और नीति समर्थन
मिशन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में आर्थिक, वैज्ञानिक, और शैक्षिक रिश्तों पर बल देते हुए द्विपक्षीय संबंधों में सुधार करना है। भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी उच्च शिक्षा प्रणाली है तथा छात्रों को अमेरिका भेजने वाला चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है। मिशन ने बहुत से एक्सचेंज छात्रों, संस्थानिक भागीदारियों, और अमेरिकी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए अवसरों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है।
उच्च शिक्षा विभाग, भारतीय भागीदार संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाने हेतु अवसरों पर विचार-विमर्श करने के लिए विश्वविद्यालय अधिकारियों, प्रशासन, और फैकल्टी से नियमित भेंट करता है। नई नेशनल एजूकेशन पाॅलिसी के मसौदे सहित यह भारतीय उच्च शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तनों का भी अनुपालन करता है।
मिशन का पब्लिक अफेयर्स, कांसुलर, और विदेश वाणिज्यिक सेवा विभाग अमेरिकी उच्च शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए साल भर निकटता से कार्य करते हैं, विशेष रूप से स्टूडेंट वीज़ा डे और इंटरनेशनल एजूकेशन वीक के दौरान, जो अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा पर ओपन डोर्स रिपोर्ट के प्रकाशन के अनुरूप अमेरिकन एक्सचेंज है।
डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट की पासपोर्ट टू इंडिया योजना का उद्देश्य भारत में पढने वाले और इंटरर्नशिप कर रहे छात्रों की संख्या बढ़ाना है। फरवरी 2016 में पासपोर्ट टू इंडिया ने रूज़वेल्ट हाउस में स्वागत समारोह के बाद 150 शैक्षिक साझेदारों के लिए अमेरिकन सेंटर में एक कार्यशाला का आयोजन किया था। हजारों नामांकनों के साथ कोर्सेरा के बारे में जून 2016 में योजना का ‘‘द इंपोर्टेंस ऑफ इंडिया’’ एमओओसी शुरू किया गया।
अमेरिका-भारत 21वीं सेंचुरी नॉलेज इनीशिएटिव के पांचवें और अंतिम दौर के पुरस्कारों के लिए जून 2016 में दूतावास और यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ने आठ शैक्षिक संस्थानिक भागीदारी परियोजनाओं की घोषणा की। योजना का उद्देश्य सहयोग को मजबूत बनाना और अमेरिका और भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच भागीदारी का निर्माण करना है।