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शेयर बाजार के नियम

शेयर बाजार के नियम
ऐसी जानकारी मिलने पर करदाता को फीडबैक देना चाहिए, भले ही उसने अपना रिटर्न सही तरीके से दाखिल किया हो. इससे करदाता भविष्य में नोटिस से बच सकते हैं. अगर विभाग ई-अभियान संचार पर करदाता के जवाब से संतुष्ट नहीं है तो वह टैक्स रिटर्न की प्रक्रिया करेगा और धारा 143(1) के तहत उसे नोटिस जारी करेगा. इस तरह का शेयर बाजार के नियम नोटिस मिलने पर उसे उच्च मूल्य के लेनदेन पर अतिरिक्त कर देयता का भुगतान करना पड़ता है.

ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है

शेयर बाजार: ऑर्डर रद्द करने की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए सेबी ने लागू किए नए नियम

सेबी

शेयर बाजार में धोखाधड़ी या मजाक (स्पूफिंग) में खरीद या बिक्री ऑर्डरों पर अंकुश के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) के नए नियम सोमवार से लागू हो गए हैं। नए नियमों के तहत यदि कोई व्यक्ति बार-बार इस तरह की हरकतों को दोहराता है, तो उसके कारोबार को 15 मिनट से दो घंटे तक रोका जा सकता है।

क्या है स्पूफिंग ?
'स्पूफिंग' में शेयर कारोबारी बड़ी संख्या में खरीद या बिक्री ऑर्डर करते हैं। लेकिन इन ऑर्डरों के क्रियान्वयन से पहले ही वे इसे रद्द शेयर बाजार के नियम कर देते हैं। इस संदर्भ में बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार बड़े ऑर्डर रद्द होने से शेयर कीमतों में बढ़ोतरी या कमी आती है, जिससे खुदरा निवेशक प्रभावित होते हैं।

Share Market: एशिया के दूसरे स्टॉक इंडेक्स में नुकसान, कैसा रहेगा भारतीय बाजार?

Share Market: एशिया के दूसरे स्टॉक इंडेक्स में नुकसान, कैसा रहेगा भारतीय बाजार?

Stock Market News Update Today: शुक्रवार, 21 अक्टूबर को कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच भारतीय बेंचमार्क इंडेक्स BSE सेंसेक्स (Sensex) और NSE निफ्टी (Nifty) के मामूली गिरावट के साथ खुलने शेयर बाजार के नियम की उम्मीद है. SGX निफ्टी ने भारतीय इक्विटी के लिए एक फ्लैट से नेगेटिव शुरुआत का संकेत दिया है क्योंकि निफ्टी फ्यूचर्स आज का कारोबार शुरू होने से पहले सिंगापुर एक्सचेंज में 17509 पर 11 अंक या 0.06% नीचे कारोबार कर रहे थे.

रिलायंस इंडस्ट्रीज के रिजल्ट पर रहेगी नजर

रिलायंस इंडस्ट्रीज आज तिमाही नतीजे घोषित करने वाली है. मुकेश अंबानी के ऑयल-टू-टेलिकॉम समूह को जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए एक मजबूत आय वृद्धि करने की उम्मीद है. इसे रिलायंस जियो टेलीकॉम के परिचालन लाभ (operating profit), ARPU (प्रति उपयोगकर्ता औसत रेवेन्यू) में वृद्धि, और मजबूत खुदरा बिक्री/ रिटेल सेल से मदद मिली है.

फाइनेंसियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार विश्लेषकों का अनुमान है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज का शुद्ध लाभ वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 10-40% से बढ़कर 21,500 करोड़ रुपये हो जाएगा.

शेयर मार्केट की चाल 20 अक्टूबर को सुस्त रही थी

बता दें कि भारतीय में गुरुवार, 20 अक्टूबर को सुस्त चाल देखने को मिली, सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही हरे निशान में बंद हुए थे. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स (Sensex) 95.71 अंक मजबूत होकर 59,202.90 पर बंद हुआ था जबकि वहीं, NSE निफ्टी (Nifty) 51.70 अंक बढ़कर 17,563.95 पर बंद हुआ. भारतीय रुपया 25 पैसे की मजबूती के साथ अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82.75 पर बंद हुआ.

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ITR Filing New Rule: अब शेयर बाजार में 10 लाख से ज्यादा निवेश पर रिटर्न दाखिल करना जरूरी, यहां जानिए नियम

ITR Filing New Rule: अब शेयर बाजार में 10 लाख से ज्यादा निवेश पर रिटर्न दाखिल करना जरूरी, यहां जानिए नियम

डीएनए हिंदी: क्या आप वित्त वर्ष 2022 के लिए रिटर्न (ITR) दाखिल करने से चूक गए हैं? घबराएं नहीं आपके पास 31 दिसंबर 2022 तक पेनल्टी के साथ आईटीआर (Income Tax Return) दाखिल करने का मौका है. अगर आप निवेशक हैं और शेयर बाजार में शेयरों और प्रतिभूतियों का सौदा करते हैं तो आपके लिए रिटर्न दाखिल करना जरूरी है. इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक अगर म्यूचुअल फंड (Mutual Fund), स्टॉक (Stock), बॉन्ड (Bond) या डिबेंचर (Debenture) में आपका निवेश एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा हो जाता है तो आपको अपने इनकम टैक्स रिटर्न में टैक्स डिपार्टमेंट को इसकी जानकारी देनी होगी. जानकारों का कहना है कि आपकी ओर से दर्ज किए गए इन उच्च-मूल्य वाले लेनदेन के बारे में आयकर विभाग को सब कुछ पता है चाहे आप खुद विभाग को सूचित करें या नहीं. एक वर्ष के दौरान किसी व्यक्ति द्वारा किए गए स्पेसिफिक वित्तीय लेनदेन पर नज़र रखने के लिए आयकर विभाग विभिन्न डेटा विश्लेषण तकनीकों (Data Analysis Techniques) का उपयोग करता है.

स्विंग ट्रेडिंग के फायदे

अगर आप नये हो तो सुरुवात मे आपको यही ट्रेडिंग करनी चाहिए तभी आप अच्छा स्टॉक select कर पाओगे और शेअर मार्केट के उतार और चढाव के बारे मे शेयर बाजार के नियम आसानी से और बारीकीसे जान पाओगे

स्विंग ट्रेडिंग मे अगर आप अच्छे स्टॉक को नही चुन, पाओगे तो आपको लॉस ही होगा क्यूकी इस ट्रेडिंग मे अच्छे स्टॉक को चूनना बेहद जरूरी है ताकी आप ज्यादा दिन तक अच्छे से स्टॉक मे invest कर सके

Short term trading शॉर्ट ट्रम ट्रेडिंग

जब कोई ट्रेडिंग कुछ हप्तो से लेकर कूछ महिनो मे complete होता है.उसे शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग कहा जाता है शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग मे एक active trade investment हे आपको इसमे अपने स्टॉक पर नजर रखनी पडती है तभी आप अपने स्टॉक को minimise कर सकते है

वैसे तो इस ट्रेडिंग मे आप अगर पुरी research के साथ stock स्सिलेक्ट करोगे तो आप अपने लॉस ओर प्रॉफिट को मिनिमाईज कर पावोगे

शॉर्ट ट्रेडिंग के नुकसान

अगर आप किसीके कहने पर या YouTube पर video देखकर किसी स्टॉक को खरीद लेते हो तो आपको पक्का लॉस ही होगा क्युकी आप जिस किसी भी स्टॉक को सिलेक्ट करते हो ऊस कंपनी के fundamentals के बारे मे शेयर बाजार के नियम हि आपको पता नही होता तभी आप लॉस मे जाते हो

अब आप इसके नाम से ही जान गये होंग आखिर लॉंग टर्म ट्रेडिंग क्या है. इस ट्रेडिंग में आप जो कोई स्टॉक एक साल या उससे ज्यादा के लिये खरीद लेते हो उसे लॉंग टर्म ट्रेडिंग कहा जाता है

लॉंग टर्म ट्रेडिंग के नुकसान और फायदे

इसमे अगर आप कोई अच्छा स्टॉक सिलेक्ट नही कर पाओगे तो आपको नुकसान होगा .और रिसर्च करके अगर सिलेक्ट करोगे तो आपको बहुत ज्यादा प्रॉफिट भी हो सकता है

दोस्तो आशा करता हु आपको यह आर्टिकल देहत पसंद आया होगा अगर आपका कोई सवाल है तो आप हमे नीचे comment मे जरूर बताये और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे

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शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोग इन जरूरी नियमों का रखें ध्यान

सेबी की ओर से सर्कुलर जारी की गई, जिसके अनुसार रेगुलेटर ने शेयर खरीद बिक्री प्रक्रिया को पूरा करने के लिए निपटान में लगने वाला समय को T+1 या T+2 का विकल्प देकर शेयर बाजारों को लचीलापन उपलब्ध करवाया है. बता दें कि यह सेटलमेंट प्लान शेयरों के लिए है और यह ऑप्शनल है. यदि ट्रेडर्स चाहे तो इसे चुन सकते हैं. नया नियम एक जनवरी 2022 से लागू होगा. मार्केट रेगुलेटर सेबी के पास तमाम ऐसे निवेदन आ रहे है जिसमें सेटेलमेंट साइकिल को घटाने की मांग की जा रही है. सेबी ने इन्हीं निवेदनो को ध्यान में रखते हुए नए नियमों को तैयार किया है.

इसी दिशा में सेबी ने एक सर्कुलर जारी करके बताया कि मार्केट इनफॉरस्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशनल मसलन स्टॉक एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन ऑफ डिपॉजिटर्स के साथ बातचीत करके यह फैसला लिया गया है. बता दें कि स्टॉक एक्सचेंज के पास यह सुविधा होगी कि वह T+1 या T+2 सेटलमेंट साइकिल में से कोई भी ऑफर करें. सेटलमेंट साइकिल बदलने के लिए कम से कम 1 महीना पहले नोटिस देना होगा. स्टॉक एक्सचेंज किसी भी शेयर के लिए शेयर बाजार के नियम अगर एक बार T+1 सेटलमेंट साइकिल सुन लेगा, तो उसे कम से कम 6 महीने तक जारी रखना होगा. अगर स्टॉक एक्सचेंज बीच में T+2 सेटलमेंट साइकिल चुनना चाहता है तो उसे एक महीना पहले नोटिस देना होगा. शेयर बाजार को अपनी वेबसाइट पर इसका प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है.

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