खरीदें और पकड़ रणनीति

Telangana: केसीआर के 4 विधायकों को खरीदने की कोशिश, करोड़ो का ऑफर, पुलिस की छापेमारी में तीन हिरासत में
Telangana: तेलंगाना में केसीआर की पार्टी टीआरएस के विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। बता दें कि तेलंगाना पुलिस ने दावा किया है कि तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी के चार विधायकों को भारी रकम के साथ खरीदने की कोशिश हुई है। इस मामले में तीन लोगों को एक फार्महाउस से हिरासत में लिया गया है।
एडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि विधायकों को खरीदने का सौदा 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक का हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में मुख्य व्यक्ति को 100 करोड़ खरीदें और पकड़ रणनीति और अन्य विधायकों को 50 करोड़ रुपये की पेशकश हुई थी। बता दें कि विधायकों ने पुलिस को जानकारी दी थी कि उन्हें खरीदें और पकड़ रणनीति पार्टी बदलने के लिए फुसलाया जा रहा है। इसके बदले उन्हें रिश्वत दी जा रही है। उन्होंने कहा कि पुलिस को अब तक पता चला है कि हिरासत में लिए गए लोग फर्जी पहचान के आधार पर हैदराबाद आए थे।
वहीं पुलिस ने कहा कि जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है, उन्होंने अपनी पहचान हरियाणा के फरीदाबाद के पुजारी सतीश शर्मा उर्फ राम चंद्र भारती, तिरुपति के एक साधु डी सिम्हायाजी और एक व्यापारी नंदकुमार के रूप में बताई है।
दावा है कि तंदूर विधायक पायलट रोहित रेड्डी के ही फार्महाउस पर विधायकों की खरीद फरोख्त का सौदा हुआ था। वहीं इस मामले में उन्हें शिकायतकर्ता बताया गया है। वहीं इस खुलासे के बाद चार विधायकों को मुख्यमंत्री के सरकारी आवास प्रगति भवन ले जाया गया।
दरअसल विधायकों के खरीदने का मामला इसलिए भी तूल पकड़ रहा है, क्योंकि 2019 के बाद से ही ऐसे दावे किए जा रहे हैं कि तेलंगाना में भाजपा “ऑपरेशन लोटस” को अंजाम देने की जुगत में हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि भाजपा दक्षिणी राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति में लगी है।
विधायकों को खरीदने की पेशकश का दावा आम आदमी पार्टी की तरफ से भी हो चुका है। बता दें कि हाल ही में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप ने दावा किया था कि भारतीय जनता पार्टी दिल्ली और पंजाब में आप विधायकों को अपने पाले में करने कोशिशों में लगी थी।
खरीदें और पकड़ रणनीति
किसान आंदोलन को लंबा चलाने की रणनीति पर विचार, हरियाणा संभालेगा मोर्चा
जो किसान और आम लोग आंदोलन से दूर हैं, उन्हें जोड़ने की कोशिशें तेज हो गई हैं
By Shahnawaz Alam
On: Wednesday 17 February 2021
खरीदें और पकड़ रणनीति
हरियाणा के रोहतक जिले में गढ़ी सांपला में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। फोटो: शाहनवाज आलम
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन का कोई हल नहीं निकलने और भारत सरकार से बातचीत बंद करने के बाद से किसान बेचैन है, लेकिन आंदोलन से पीछे हटने को न तो किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा तैयार है और न ही आम किसान।
खासकर हरियाणा के खरीदें और पकड़ रणनीति किसान अब नए सिरे से रणनीति बनाने पर विचार कर रहे हैं। किसान मान कर चल रहे हैं कि सरकार के साफ रवैये के बाद अब आंदोलन को लंबे समय तक चलाना होगा, इसलिए उन लोगों को जोड़ा जाए, जो अब तक आंदोलन से दूर खरीदें और पकड़ रणनीति हैं। यही वजह है कि अब हरियाणा में झज्जर, पानीपत, चरखी-दादरी, भिवानी और करनाल में 16 जगहों पर आंदोलन की शुरुआत होने जा रही है। जिसमें स्थानीय लोग विरोध प्रदर्शन करेंगे।
किसानों के अलावा आम लोगों तक भी अपनी बात पहुंचाने के लिए किसान नेताओं ने 16 फरवरी को रोहतक के गढ़ी-सांपला में आयोजित सर्व खाप पंचायत में किसान नेताओं ने फसलों की एमएसपी के मांग के साथ पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम और महंगाई का जिक्र किया।
किसान आंदोलन में अब असहयोग आंदोलन और कॉरपोरेट कंपनियों के बहिष्कार की रणनीति अपनाकर काम करने पर जोर दिया जा रहा है। रोहतक की पंचायत में शामिल होने आए बलराज कुंडू कहते हैं कि आंदोलन को तेज करने के लिए हरियाणा से फल, सब्जी और दूध की सप्लाई दिल्ली के लिए बंद करने पर विचार किया जाना चाहिए। दिल्ली के तीन तरफ हरियाणा है और सभी खाद्य पदार्थों की सप्लाई यहां से होती है। दिल्ली के खास लोगों को जब परेशानी होगी तो किसानों का महत्व समझ में आएगा।
झज्जर के गांव ढाकला के ओम प्रकाश धनखड़ कहते हैं कि बसंत पंचमी के बाद फसल की कटाई और खरीदें और पकड़ रणनीति आंदोलन दोनों को साथ लेकर चलने के लिए गांवों तक की रणनीति तैयार की जा रही है। इसमें हर गांव से एक के खरीदें और पकड़ रणनीति साथ दस अलग-अलग परिवार के लोगों को जोड़कर किसान आंदोलन में लाने की तैयारी की गई है। इससे किसानों का आंदोलन भी चलेगा और खेती-किसानी का काम भी प्रभावित नहीं होगा। इस बार परीक्षा की देरी के कारण युवाओं को खेती के कामों में जोड़ा जा रहा है। जिससे किसान आंदोलन मजबूत होगा।
पंचायत में शामिल हुई पंजाबी सिंगर सोनिया मान कहती हैं कि हरियाणवीं और पंजाबी सिंगर दोनों किसान आंदोलन को उठा रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक युवा किसानों के मुद्दों को समझ सकें। किसानों की दर्द-तकलीफ और मांग को हर म्यूजिकल और वीडियो प्रारूप में प्रस्तुत करने की कोशिश हो रही है। पंजाब, हरियाणा के एक्टर, सिंगर सभी किसान परिवार से है, जब बुनियाद ही नहीं रहेगी तो हम कैसे बचेंगे। किसान आंदोलन को युवाओं से जोड़ने के लिए लगातार वीडियो एलबम बन रहे है।
हरियाणा में पहली बार अनुसूचित और पिछड़े वर्ग को आंदोलन से जोड़ने के लिए 19 फरवरी को हिसार के बरवाला में 36 बिरादरी की किसान पंचायत करने का निर्णय लिया है। भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी कहते हैं कि सरकार पर लगातार दबाव बनाने के लिए सभी जगहों पर महापंचायत की जा रही है। लोगों से सत्ताधारी नेताओं का बहिष्कार करने की अपील की गई है और इसका असर हो रहा है।
सांपला के किसान धर्मेंद्र मलिक का कहते हैं कि उनके गांव के 400 किसान परिवार सरसो की खेती करते हैं, लेकिन सरकार की उदासीनता की वजह से खेती-किसानी सभी के लिए घाटे का सौदा साबित होता है। इस वजह से अब सभी गांव के लोग किसान आंदोलन से जुड़ रहे है।
मांगे राम ने कहा, हरियाणा में आंदोलन जोर पकड़ चुका है। इसके बाद प्रदेश में पंचायत चुनाव है। सरकार किसानों को नाराज नहीं करना चाहती है, इसलिए किसानों की फसल एमएसपी पर खरीदी जाएगी, लेकिन किसान भी यह बात जानता है, इसलिए अब गांव-गांव में आंदोलन खड़ा हो रहा है।
किसान आंदोलन से जुड़ने के लिए गांव में चौपाल सज रही है। खेती-किसानी की बातें हो रही है। युवाओं को खेत से जोड़ने की पहल की जा रही है। किसान चाहते हैं कि एमएसपी पर कानून अमल में लाया जाए और अगली फसल खरीदने तक आंदोलन जरूर चले।
क्या पीएम नरेंद्र मोदी इस रणनीति से लुभा पाएंगे यूपी की जनता को?
उत्तर प्रदेश भाजपा (BJP) के लिए खास है, क्योंकि पिछले आम चुनाव में पार्टी ने यहां से 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी और केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फाइल तस्वीर)
आम चुनाव (Lok Sabha Election) की घोषणा किसी भी वक्त हो सकती है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ताबड़तोड़ उद्घाटन और शिलान्यास में जुटे हुए हैं, ताकि मतदाताओं को अपने पक्ष में किया जा सके. उत्तर प्रदेश भाजपा (BJP) के लिए खास है, क्योंकि पिछले आम चुनाव में पार्टी ने यहां से 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी और केंद्र की सत्ता पर काबिज खरीदें और पकड़ रणनीति हुई थी. यही कारण है कि मोदी फरवरी और मार्च में अबतक राज्य में 102,708 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास या लोकार्पण कर चुके हैं.
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प्रधानमंत्री मोदी ने उप्र की धरती के सियासी महत्व को देखते हुए फरवरी, मार्च में राज्य का तूफानी दौरा किया है. इस दौरान उन्होंने 102,708 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास या लोकार्पण किया है. वह इसके जरिए 2019 के आम चुनाव में 2014 का प्रदर्शन दोहरा कर एक बार फिर केंद्र की सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में जुटे हुए हैं.
मोदी ने 11 फरवरी को वृन्दावन, मथुरा का दौरा किया था, जहां उन्होंने अक्षय पात्र फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अक्षय पात्र मिड डे मील का 300 करोड़वां भोजन परोसा और इससे सम्बन्धित पट्टिका का अनावरण किया. उसके बाद 15 फरवरी को उन्होंने झांसी में 20,506 करोड़ रुपये की आठ परियोजनाओं -बुन्देलखंड के लिए पाइप्ड पेयजल योजना, डिफेंस कॉरिडोर, बुन्देलखंड एक्सप्रेस-वे एवं रेल से जुड़ी लाभकारी व जनकल्याणकारी योजना- का शिलान्यास व लोकार्पण किया था.
प्रधानमंत्री ने 19 फरवरी को वाराणसी में 3,382 करोड़ रुपये से अधिक की 47 परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया. इसके अलावा 24 फरवरी को उन्होंने गोरखपुर में 75,000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की शुरुआत की. हालांकि यह योजना पूरे देश के लिए है. लेकिन गोरखपुर के लिए लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी उन्होंने किया.
मोदी तीन मार्च को अमेठी पहुंचे, जहां उन्होंने 538 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया.
इसके बाद प्रधानमंत्री आठ मार्च को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे, जहां उन्होंने 380 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाली काशी विश्वनाथ धाम परियोजना का शिलान्यास किया.
इसी दिन कानपुर में उन्होंने 1602,0.1989 करोड़ रुपये लागत की 11 विकास परियोजनाओं का शिलान्यास तथा 703,0.056 करोड़ रुपये लागत की छह विकास परियोजनाओं का लोकार्पण किया. वही प्रधानमंत्री ने जनपद गाजियाबाद में 32,513 करोड़ रुपये की 14 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया.
मोदी ने शनिवार को भी शिलान्यास और लोकार्पण की मुहिम जारी रखी. उन्होंने नोएडा सेक्टर 62 मेट्रो सहित 11 परियोजनाओं की शुरुआत की.
प्रधानमंत्री ने खरीदें और पकड़ रणनीति 12,000 करोड़ रुपये लागत वाली खुर्जा पॉवर प्लांट की आधारशिला रखी, जहां से 1320 मेगावाट बिजली पैदा होगी. इसके अलावा उन्होंने 289 करोड़ रुपये लागत से निर्मित पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरातत्व संस्थान का उद्घाटन किया.
दरअसल, प्रधानमंत्री उप्र की 80 सीटों को ध्यान में रखकर यहां अपने चुनावी चौसर की बिसात बिछाने में लगे हुए हैं, और पूर्वाचल इस लिहाज से उनके लिए महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि बड़ी योजनाओं की शुरुआत उन्होंने यहीं से की है.
सपा-बसपा गठजोड़ का असर सबसे ज्यादा पूर्वांचल में है. जातियों की गोलबंदी बहुत बड़ा फैक्टर है. ऐसे में मोदी ने उज्जवला योजना और किसान निधि सम्मान योजना दोंनों की शुरुआत यहीं से की, क्योंकि सबसे ज्यादा लभार्थी भी यहीं से आते हैं. इससे उन्हें फायदा मिलेगा.
वरिष्ठ राजनीतिक समीक्षक प्रेमशंकर मिश्रा के अनुसार, "2019 में मोदी पुन: प्रधानमंत्री बनने के लिए प्रयासरत हैं. उप्र में 2014 में उनका प्रदर्शन ऐतिहासिक रहा था और उन्होंने 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी. पांच सालों में समीकरण बदले हैं. मोदी को काम-काज का हिसाब भी देना है."
उन्होंने कहा, "इस बार उप्र में सपा-बसपा का गठबंधन है. इसलिए मोदी और शाह दोनों उप्र पर खास ध्यान दे रहे हैं. मोदी ने इसके लिए दो फार्मूले अख्तियार किए हैं. एक विकास और दूसरा राष्ट्रवाद. राष्ट्रवाद का मुद्दा पुलवामा हमले के बाद से जोर पकड़ रहा है. योजनाओं के लोर्कापण और शिलान्यास के जरिए वह अपनी विकास वाली तस्वीर मजबूत कर रहे हैं. मोदी को पता है कि केंद्र का रास्ता उप्र से खुलता है."
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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