प्रवृत्ति की रणनीति

एशियन नर कोयल (फोटो साभार - विकिपीडिया) मादा कोयल दिखने में थोड़ी कम आकर्षक व तीतर परिन्दों की भाँती धब्बेदार चितकबरी होती है तथा इसकी आवाज भी कर्कस होती है। ये अपने पूरे जीवन में कई नरों के साथ प्रणय सम्बन्ध बनाती और रखती है अर्थात ये बहुपतित्व (पोलिएंड्रस) होती है। मुख्य रूप से ये फलाहारी ही होते हैं लेकिन मौका मिलने पर ये कीटों व लटों को खाने में संकोच नहीं करते हैं। लेकिन इनके बच्चे सर्वहारी होते हैं। कोयल झारखण्ड प्रदेश का राजकीय पक्षी है।
प्रवृत्ति की रणनीति
एफएटीएफ अध्यक्ष से बोले अमित शाह, आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों पर लगातार निगरानी रखी जाए
नई दिल्ली, 18 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नो मनी फॉर टेरर सम्मेलन के अवसर पर एफएटीएफ के अध्यक्ष टी. राजा कुमार के साथ द्विपक्षीय बैठक की। शाह ने बैठक में इस बात पर जोर दिया कि एफएटीएफ को कुछ देशों की आतंकवाद को प्रायोजित करने की प्रवृत्ति पर लगातार निगरानी रखने की आवश्यकता है। बता दें कि पाकिस्तान हाल ही में एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर आया है।
पसमांदा मुसलमानों को लुभाने की BJP की कोशिश से उसके विरोधियों में मची खलबली
अजय झा | Edited By: लव रघुवंशी
Updated on: Nov 17, 2022 | 10:08 PM
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने आधार का विस्तार करने की कोशिश में अल्पसंख्यक समुदाय के बीच पसमांदाओं को लक्ष्य कर, उनका विश्वास जीतकर मुस्लिम समुदाय तक पैठ बनाने की एक नई रणनीति तैयार की है. सबसे पहले भाजपा ने दिल्ली में चार प्रवृत्ति की रणनीति दिसंबर को होने वाले नगरपालिका चुनाव में चार पसमांदा मुसलमानों को उम्मीदवार बनाया है ताकि वह यह जांच सके कि मुसलमानों में उसकी स्वीकार्यता कितनी है. पसमांदा एक फारसी शब्द है जिसका अर्थ होता है पिछड़े. चूंकि अधिकांश भारतीय मुसलमान धर्मांतरित हैं जिन्होंने लंबे समय तक इस्लाम को अपनाया हुआ है, वे एक समरूप समुदाय नहीं हैं और हिन्दूओं जैसी जाति व्यवस्था का कलंक उनमें भी है.
सब कुछ चुनावी फायदे के लिए
निहित स्वार्थों के कारण मुसलमानों को राष्ट्रीय राजनीतिक की मुख्यधारा में शामिल होने और दूसरे समुदायों के साथ जुड़ने से रोका गया. इसी मकसद से लोगों के बीच ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) लाया गया, बिहार और यूपी में एमवाय (मुस्लिम-यादव) गठजोड़ लाया गया. राजनीतिक लाभ के लिए दलितों में भी महादलितों की पहचान की गई और उन्हें भी विभाजित कर दिया गया. पसमांदाओं को रिझाकर मुस्लिमों के बीच विभाजन पैदा करने की बीजेपी की कोशिशों ने उन लोगों को सतर्क कर दिया है जिन्होंने इस समुदाय को राजनीतिक रूप से अलग-थलग करके इस्तेमाल किया और फले-फूले. उन्होंने इसे सोशल इंजीनियरिंग का नाम दिया और कलंक से बच गए.
यह भी सच है कि यदि भाजपा सफल हुई तो अशरफों (कुलीन मुसलमानों) और पसमांदाओं, वामपंथी मुसलमानों के बीच एक तरह की दरार पैदा कर देगी. लेकिन इस खतरनाक खेल को शुरू करने के लिए भाजपा को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि उसके विरोधी लंबे समय से ऐसे खेल खेलते रहे हैं.
कोयल कमाल के शातिर चालाक व बर्बर परिंदे
एशियन मादा कोयल (फोटो साभार - विकिपीडिया) महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य के कथनानुसार जो ज्यादा ही अधिक मीठा बोलता है वो अक्सर भरोसेमन्द नहीं होता। ऐसे लोग प्राय: आलसी, कामचोर, चालाक व धूर्त प्रवृत्ति के होते हैं। वहीं इनकी शारीरिक भाषा एवं आँखों की पुतलियों की हरकत भी अलग सी होती है।
बिना किसी लिंग भेदभाव की ये प्रवृत्तियाँ सिर्फ मनुष्यों में ही हों ये जरूरी नहीं क्योंकि यह हमारे आस-पास के परिवेश में रह रहे कई प्रवृत्ति की रणनीति प्रजाति के परिन्दों में भी मौजूद है। ऐसे ही कोयल प्रजाति के परिन्दे जो दिखने में भले ही शर्मीले व सीधे-सादे स्वभाव के लगते हों लेकिन असल जिन्दगी में ये शातिर, चालाक, धूर्त व बर्बर प्रवृत्ति के होते हैं।
टीडीआरए ने 'एपीआई फर्स्ट' दिशानिर्देश जारी किया
अबू धाबी, 4 मई, 2021 (डब्ल्यूएएम) -- दूरसंचार और डिजिटल गवर्नमेंट रेगुलेटरी अथॉरिटी (टीडीआरए) ने अबू धाबी डिजिटल अथॉरिटी (एडीडीए) और स्मार्ट दुबई के साथ मिलकर "एपीआई फर्स्ट" गाइडलाइंस जारी किया है और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के अगले चरण के दौरान इसे व्यापक रूप से लागू करने के लिए संबंधित संस्थाओं को परिचालित किया है। एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस (एपीआई) सरकारी और निजी चैनलों के माध्यम से हर समय हर जगह से ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करने के लिए विभिन्न संस्थाओं को जोड़ने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। उदाहरण के लिए जब कोई कंपनी किसी सरकारी सेवा के लिए एप्लिकेशन इंटरफ़ेस का उपयोग करती है, तो वह अपने ग्राहकों को बिना सरकारी परामर्श के सीधे सरकारी प्रवृत्ति की रणनीति सेवा प्रदान कर सकेगी। एपीआई स्मार्ट सिटी की विशेषताओं के अनुसार व्यापक डिजिटल समाज को सक्रिय करने में योगदान देता है। एपीआई पहले दिशानिर्देश विभिन्न दलों को प्रोग्रामिंग इंटरफेस के लिए रणनीति और योजना विकसित करने में सक्षम बनाएगा, जो सभी ग्राहकों को चौबीस घंटे और कहीं से भी स्मार्ट सेवाएं प्राप्त करने की अनुमति देगा, चूंकि यह सरकारी और निजी संस्थाओं को अपनी सेवाओं और स्मार्ट अनुप्रयोगों को अपडेट करने और उन्हें एक साथ जोड़ने में सक्षम करेगा, जिससे एक उत्कृष्ट उपयोगकर्ता अनुभव प्राप्त होगा। ये दिशानिर्देश एक विस्तृत दस्तावेज़ में शामिल हैं, जिसमें डिजाइनिंग और विकासशील एपीआई शामिल हैं, चाहे वह सरकारी या निजी संस्थाओं जैसे बैंकों और कंपनियों में हों जो सरकारी सेवाओं जैसे बिलों का भुगतान, लाइसेंस जारी करना और अन्य प्रदान करना चाहते हैं। टीडीआरए ने पुष्टि किया कि दस्तावेज़ सरकारी संस्थाओं और निजी क्षेत्र के लिए उपलब्ध होगा। टीडीआरए के महानिदेशक हमद ओबैद अल मंसूरी ने कहा, "प्रज्ञ नेतृत्व द्वारा घोषित 'द ईयर 50' में डिजिटल परिवर्तन विभिन्न क्षेत्रों के बीच गहन एकीकरण और साझेदारी की ओर बढ़ रहा है। यह दस्तावेज़ इस प्रवृत्ति की एक व्यावहारिक व्याख्या है क्योंकि यह भविष्य की रणनीति बनाने के लिए एपीआई को अपनाने से संबंधित सर्वोत्तम दिशानिर्देशों और सिफारिशों पर प्रकाश डालता है।"