IPO क्या होता है?

IPO क्या होता है?
IPO का पूरा नाम है इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग ( Initial Public Offering ) कहते हैं। इसका मतलब यह है की जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर पब्लिक को ऑफर करती है तो IPO क्या होता है? इसी को आईपीओ कहते हैं। इस प्रक्रिया में कंपनी आम व्यक्तिओं को ऑफर करती हैं और आईपीओ प्राइमरी मार्किट के अंतर्गत होती हैं।
आईपीओ के जरिये कंपनी पैसे (फंड) इकठा करती है और वह उस फंड को कंपनी के लिए खर्च करती हैं। पर आईपीओ खरीदने वाले व्यक्ति को उन पेसो के बदले उसको कंपनी की हिस्सेदारी मिल जाती हैं। जब आप किसी भी कंपनी के शेयर या आईपीओ खररदते हो तो आप उस हिस्से के मालिक हो जाते हो। कंपनी एक से ज्यादा बार आईपीओ जारी कर सकती हैं। आईपीओ ज्यादातर छोटी ,नै कंपनियों द्वारा किये जाते हैं जो अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए capital चाहती हैं। यह प्राइवेट कम्पनियो द्वारा भी जारी किये जा सकते है जो की पब्लिक्ली बिज़नेस करना चाहती हो।
वैसे तो बड़ी आईपीओ की हामीदारी निवेश बैंको के किसी संघठन द्वारा की आती हैं ,जिसकी जांच एक या अधिक निवेश बैंक कर रहे होते हैं। शेयर के बिकने पर हमीदारियों को कमीशन मिलता है जो बेचे गए शेयर के मूल्य पर आधारित होती है। प्रमुख हामीदार मतलब वह हामीदार जिन्होंने आईपीओ के सबसे बड़े हिस्से बेचे हो वो ही IPO क्या होता है? सबसे ज्यादा कमीशन पाते हैं।
IPO के कितने प्रकार होते हैं :-
आईपीओ दो प्रकार के होते हैं
- फिक्स्ड प्राइस आईपीओ ( Fixed Price IPO )
- बुक बिल्डिंग आईपीओ ( Book Building IPO )
- फिक्स्ड प्राइस आईपीओ ( Fixed Price IPO ) – फिक्स्ड प्राइस आईपीओ को इशू प्राइस के रूप में सन्दर्भित किया जा सकता है। जो कुछ कम्पनिया अपने शेयर की शुरूआती बिक्री के लिए निर्धारित करती है। खरीदारों को शेयर के प्राइस के बारे में पता चलता है। जिन्हे कंपनी सार्वजानिक करने का फैसला करती हैं। इशू बंद होने के बाद बाजार में शेयर की मांग का पता लगाया जा सकता हैं। यदि खरीदार इस आईपीओ में हिस्सा लेते है ,तो उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा की वे आवेदन करते समय शेयर की पूरी कीमत का भुगतान करें।
- बुक बिल्डिंग आईपीओ (Book Building IPO)– इसमें कंपनी इन्वेस्टमेंट बैंक के साथ मिलकर आईपीओ का एक प्राइस बैंड का निर्णय करती है जब आईपीओ की प्राइस बैंड डीडे हो जाता है उसके बाद उससे जारी कर दिया जाता है। इसके बाद डीडे किये गए प्राइस बैंड में से इन्वेस्टर अपनी बिड सब्सक्राइब करते हैं बुक बिल्डिंग आईपीओ के प्राइस में 2 तरह के होते हैं :-
- प्राइस बंद में अगर आईपीओ का प्राइस काम है तो उसे फ्लोर प्राइस (Floor Price) कहते हैं
- अगर आईपीओ का प्राइस ज्यादा हो तो उसे कैप प्राइस (Cap Price) कहते हैं
IPO कैसे काम करता हैं ?
आईपीओ से पहले, एक कंपनी को निजी माना जाता हैं। एक निजी कंपनी के रूप में व्यवसाय किसी की तुलना में काम संख्या में शेयर धारक के साथ विकसित हुआ है जिनमे शुरूआती निवेशक जैसे संस्थापक परिवार और दोस्तों के साथ साथ पेशेवर निवेशक जैसे की उद्यम पूंजीपति या पारी निवेशक शामिल है। जब कोई कंपनी अपनी विकास प्रक्रिया में एक चरण IPO क्या होता है? में पहुँचती है है ,जहा यह विश्वास करती है की यह एसईसी नियमों की कठोरता के साथ-साथ सार्वजानिक शेयरहोल्डर को लाभ और जिम्मेदारियों के लिए पर्याप्त परिपक्व है तो यह सार्वजानिक होने में अपनी रूचि का विज्ञापन करना शुरू कर देगा।
वैसे तो विकास का यह चरण तब होगा जब एक कंपनी लगभग 1 बिलियन डॉलर के निजी मूल्याङ्कन तक पहुँच गयी है जिसे यूनिकॉर्न का दर्जा भी कहा जाता है। हालाँकि, मजबूत मूल IPO क्या होता है? सिद्धांतो और लाभप्रदता क्षमता के साथ विभिन्न मूल्यांकन वाली निजी कम्पनिया भी बाजार की प्रतिस्पर्धा आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता के आधार पर आईपीओ के लिए अर्हता प्राप्त कर सकती हैं।
आईपीओ एक कंपनी के लिए बड़ा IPO क्या होता है? कदम हैं। यह कंपनी को बहुत सारा पैसा इकट्ठा करने की सुविधा प्रदशान करती हैं। इससे कंपनी का विकास भी होता हैं। बढ़ी हुई पारदर्शिता लिस्टिंग की विश्वसनीयता उधार लेने वाले फंडो के साथ-साथ बेहतर शर्तों को प्राप्त करने भी मदद करती हैं।
आईपीओ में इन्वेस्ट कैसे करें :-
अगर आप आईपीओ में इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको एक डीमैट अकाउंट खोलना होगा, ये एक्सेंट आप एचडीएफसी सिक्योरिटीज आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोला जा सकता है। इसके बाद आपको जिस कंपनी में इन्वेस्ट करना चाहते है उसमे आवेदन करें। इन्वेस्ट करने के लिए आपके डीमैट अकाउंट में पैसे होने चाहिए। निवेश की रकम तब तक आपके अकाउंट से नहीं कटती जब तक आपके शेयर आल्लोट नहीं हो जाते।
जब कोई कंपनी आईपीओ निकालती है उससे पहले इसका एक समय किया जाता हैं जो 3-5 दिन का होता है। उसी समय में उस कंपनी का आईपीओ खुला रहता हैं। जैसे शेयर मार्किट से हम एक ,दो या अपने मन से शेयर खरीदते है है यहाँ ऐसा नहीं होता यहाँ पर आपको कंपनी द्वारा अलॉट किये गए शेयर खरीदने होते हैं। ये शेयर की कीमत के हिसाब से 10 ,20,50,100 ,150,200 या ज्यादा भी हो सकती हैं वह पर आपको 1 शेयर की कीमत भी बताई जायेगी।
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IPO Full Form FAQ’s
IPO की फुल फॉर्म इनिशियल पब्लिक ऑफर है
केंद्र सर्कार ने डिसइनवेस्टमेंट के बड़े टार्गेट्स रखे हैं। एलआईसी का आईपीओ लॉन्च करना इसी का एक हिस्सा है इसके जरिये सर्कार एलआईसी की 3.5%हिस्सेदारी बेच रही है। इससे 21000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है।
इसके लिए आपके पास डीमैट एक्सेंट होना आवश्यक है। सेबी के नियमो के मुताबिक़ किसी भी कंपनी के इक्विटी शेयर केवल डीमैट रूप में जारी होते है। इसलिए कोई भी चाहे या पालिसी होल्डर हो या रिटेल निवेशक उसके पास डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है।
आईपीओ के दो प्रकार होते हैं
1.फिक्स्ड प्राइस आईपीओ
2.बुक बिल्डिंग आईपीओ
आईपीओ क्या है और कैसे ख़रीदे | IPO Full Form In Hindi
IPO Full Form In Hindi: शेयर बाजार से जुडी बहुत सारी चीजों के बारे में लोगों को जानकारी नहीं होती है, उन्हीं में से एक टर्म है IPO. शेयर बाजार में सफलता पाने के लिए IPO के बारे में जानकारी होनी आवश्यक है. इसलिए हमने IPO क्या होता है हिंदी में के बारे में आपको इस लेख में बताया है.
इस लेख के माध्यम से हमने आपको आईपीओ क्या होता है, आईपीओ कितने प्रकार का होता है, आईपीओ कैसे ख़रीदा जाता है, आईपीओ में निवेश कैसे करें, आईपीओ के लाभ और आईपीओ के नुकसान के बारे में जानकारी दी है.
अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हो तो यह लेख आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए इस लेख को पूरा अंत तक IPO क्या होता है? जरुर पढ़ें. तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को बिना किसी देरी के – IPO Investment In Hindi.
.आईपीओ क्या है (What is IPO in Hindi)
IPO का फुल फॉर्म INITIAL PUBLIC OFFERING होता है. जब IPO क्या होता है? भी कोई कंपनी शेयर मार्किट में लिस्ट होकर अपने General Share को पहली बार जनता के लिए सार्वजनिक करती है तो उसे IPO कहते हैं. जब कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट हो जाती हैं तो कोई भी निवेशक उनके शेयर को खरीद और बेच सकता है.
दरसल कंपनियां को अपनी Growth को बढाने के लिए Fund की जरुरत होती है तो वे अपने कुछ प्रतिशत शेयर को आम जनता के लिए Offer करती है. कंपनी शेयर से जो Fund जुटाती है उसे कंपनी की तरक्की में खर्च करती है और निवेशक को कंपनी में कुछ प्रतिशत हिस्सेदारी मिल जाती है.
सीधे शब्दों में कहें तो जब कोई कंपनी अपने सामान्य शेयर को पहली बार आम जनता के लिए जारी करती है तो उसे ही IPO कहते हैं. IPO के जरिये कोई भी कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है.
IPO का पूरा नाम (IPO Full form in Hindi)
IPO का फुल फॉर्म INITIAL PUBLIC OFFERING होता है जिसे कि हिंदी में ‘प्रथम जन प्रस्ताव’ कहते हैं.
अभी तक आपको थोडा बहुत अंदाजा हो गया होगा कि IPO क्या है, अब यह जानना भी जरुरी है कि कोई कंपनी IPO क्यों लाती है.
IPO को लाने के कारण
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि कंपनियां fund जुटाने के लिए IPO जारी करती है. IPO को छोटी और बड़ी कंपनी दोनों जारी करती हैं.
IPO का मुख्य उद्देश्य होता है कि कंपनी के आवश्यक कामों और तरक्की के लिए फण्ड जुटा सके. वैसे तो कंपनियां फण्ड जुटाने के लिए बैंकों से भी लोन ले सकती हैं पर लोन लेने में कंपनी को ब्याज के साथ लोन की राशि एक निश्चित समय अंतराल के भीतर बैंक को वापस करनी होती है.
लेकिन शेयर जारी करने से कंपनियों को किसी को भी पैसा लौटाना नहीं होता है. कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होकर अपने कुछ प्रतिशत शेयर आम जनता के लिए जारी करती है, और निवेशक कम्पनी के शेयर को खरीदते हैं जिससे निवेशक को कंपनी में कुछ प्रतिशत की हिस्सेदारी मिल जाती है और कम्पनी को फण्ड प्राप्त हो जाता है.
IPO में कंपनी और निवेशक दोनों को ही फायदा मिलता है. एक ओर जहाँ कम्पनी अपने लिए फण्ड इकठ्ठा कर लेती है वहीँ दूसरी ओर निवेशक कम्पनी के कुछ प्रतिशत का मालिक बन जाता है. कोई कंपनी एक से भी बार भी IPO निकाल सकती है.
आईपीओ (IPO) क्या है
शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहते है परन्तु नॉलेज के आभाव के कारण इन्वेस्ट (Invest) नहीं कर पाते है | यदि पता भी होता है तो फिर भी पूरे नियम नहीं पता होते है | जिस कारण उन्हें कभी नुकसान का भी सामना करना पड़ता है | बहुत सी बड़ी कंपनियां अपनी कम्पनी में इन्वेस्टर्स को बढ़ाने के लिए आईपीओ (IPO) का इस्तेमाल करके मदद लेती रही है
| प्रसिद्द एवं लाभ कमाने वाली कंपनियों के आईपीओ (IPO), शेयर बाजार में बिजनेस करने वालों के लिए बड़ा आकर्षण केंद्र होता हैं। अगर शेयर बाजार की बात की जाये तो बाजार की चाल कुछ ही समय में कुछ और होती है तो दूसरे ही समय बाद स्टॉक मार्केट को समझना थोड़ा कठिन हो जाता है | यदि आप भी आईपीओ (IPO) क्या है, IPO का फुल फॉर्म, IPO में ऑनलाइन निवेश कैसे करे, इसके विषय में जानना चाहते है तो यहाँ पर पूरी जानकारी दी जा रही है |
हमे आशा है कि इस लेख को पढने के बाद आपको आईपीओ से सम्बंधित सारी जानकारी आसान शब्दों में प्राप्त हो जायेगी व आप इसका लाभ उठाकर शेयर मार्किट से लाभ प्राप्त कर सकेगे |
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Table of Contents
आईपीओ (IPO) का फुल फॉर्म
आईपीओ (IPO) का फुल फॉर्म “Initial Public Offering” होता है, इसका हिंदी में उच्चारण “इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग्स” होता है | इसका हिंदी में अर्थ “प्रारंभिक IPO क्या होता है? सार्वजनिक प्रस्ताव” होता है | जिसका प्रयोग शेयर बाजार में प्रमुख भूमिका होती है |
आईपीओ का क्या मतलब है
आईपीओ (IPO), वह प्रक्रिया है, जब कोई कंपनी, फर्स्ट टाइम अपने शेयरों को पब्लिक या सामान्य जनता के समक्ष खरीदने की पेशकश रखता है। इसी वजह से इसे प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (Initial Public Offering) कहते है। यही प्रक्रिया IPO होती हैं।
साधारणत: प्राइवेट कंपनियां या कॉर्पोरेशन कंपनियां, कम्पनी के लिए बडी मात्रा में पूंजी एकत्र करने के लिए आईपीओ की सुविधा पेश की जाती हैं। कई क्षेत्रों में सरकारी कंपनियां भी विनिवेश (disinvestment) के द्वारा पूंजी एकत्रित करने के लिए आईपीओ (IPO) लाती हैं। विनिवेश के प्रोसेस में, शेयर मार्केट के द्वारा, कोई – कोई सरकारी कम्पनिया अपनी कुछ हिस्सेदारी, लोगों को भी बेचती है | कंपनी बाज़ार से पूँजी इक्कठा कर अपने बिज़नेस में एक्सपेंशन करती है और ज्यादा मुनाफा कमाकर अपने शेयर धारको के बीच बाटती है | इससे कंपनी और कंपनी में निवेश करने वाले निवेशक को भी लाभ मिलता है |
जब भी कोई कंपनी आईपीओ (IPO) की सुविधा का प्रयोग करती है तो इस प्रक्रिया को पूरी करने के लिए दो चीजें तय करनी होती हैं-
- Underwriter or underwriters: इसके द्वारा कंपनी के शेयरों को बेचने की रूपरेखा तैयार की जाती है |
- Stock exchange: स्टॉक एक्सचेंज द्वारा शेयर बेचे जाते हैं, जहाँ पर खुद को सूचीबद्ध (listed) कराना होता है |
आईपीओ (IPO) की कीमत तय की प्रक्रिया
- प्राइस बैंड (Price Band) |
- दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू (Fixed price Issue)।
प्राइस बैंड (Price Band)
जिन कंपनियों को आईपीओ (IPO) लाने की अनुमति प्राप्त हो जाती है तो उसे अपने सभी शेयरों की कीमत तय करने का अधिकार होता हैं | इसके अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर और कुछ अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी (SEBI) और बैंकों को रिजर्व बैंक (RBI) से IPO क्या होता है? अनुमति IPO क्या होता है? लेना जरूरी होता है | भारत में 20 फीसदी प्राइस बैंड की ही अनुमति प्रदान की गई है |
फिक्स्ड प्राइस इश्यू (Fixed price Issue) यानि की अंतिम मूल्य
बैंड प्राइस तय होने के बाद किसी भी कीमत के लिए बोली लगाईं जा सकती है | इसमें व्यक्ति कटऑफ बोली भी लगा सकता है | कंपनी इसमें एक ऐसा मूल्य तय करती है, जहां पर उसे अंदाजा होता है कि उसके पुरे शेयर बिक जाएंगे |
क्या होता है IPO. क्या है इससे चुनने का सटीक तरीक, जानिए इससे जुड़े हर सवाल का जवाब
लंबे इंतजार के बाद देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC अब IPO के जरिए स्टॉक मार्केट में एंट्री कर रही है. सरकार ने इस बीमा कंपनी में अपनी साढ़े तीन 3.5 फीसदी की हिस्सेदारी बेचकर 21 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है.
IPO
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 04 मई 2022,
- (Updated 04 मई 2022, 1:13 PM IST)
संस्थागत निवेशकों से मिल चुके हैं 5620 करोड़ रुपए
जनवरी से मार्च में खुले 90 लाख डीमैट अकाउंट
बहुत सारे लोगों के लिए बाजार में निवेश का गणित समझ से परे होता है. एक तरफ निवेश के फायदे हैं तो दूसरी ओर उसके तमाम जोखिम भी हैं. लेकिन पहली बार बाजार में ऐसी हचलल हुई है. जिसकी वजह से आम से लेकर खास सबकी नजरें बाजार पर हैं. LIC के IPO का इंतजार खत्म हो गया है. जिस LIC से लोगों का रिश्ता जिंदगी के साथ और जिंदगी के बाद भी जुड़ा है. उस LIC में निवेश को लेकर हर कोई उत्सुक है. लेकिन बाजार और खासकर निवेश का गणित आसान नहीं होता. उसे समझना होता है. तो आज हम आपको समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर LIC के IPO को लेकर इतनी हचलल क्यों है. क्या LIC के IPO में निवेश करना बेहद आसान है. साथ ही आपको ये भी बताते हैं कि आईपीओ क्या है?
LIC IPO को लेकर क्यों है इतनी हलचल?
LIC पॉलिसीधारक इस IPO को लेकर इतने उत्साह में है. सबसे बड़ी बात ये है कि इंश्योरेंस सेक्टर में LIC बहुत बड़ा नाम है. देश में LIC के 1 लाख कर्मचारी हैं और करीब 30 करोड़ पॉलिसी होल्डर हैं.12 लाख एजेंट LIC के लिए काम करते हैं. जाहिर है LIC के इस IPO में पॉलिसी धारक और कर्मचारियो के लिए काफी कुछ है. लिहाजा इस पॉलिसी की वजह से बाजार में उत्साह देखते ही बन रहा है. लंबे इंतजार के बाद देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC अब IPO के जरिए स्टॉक मार्केट में एंट्री कर रही है. सरकार ने इस बीमा कंपनी में अपनी साढ़े तीन (3.5) फीसदी की हिस्सेदारी बेचकर 21 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है. IPO के जरिए LIC के शेयर खऱीदने के लिए लोगों को 6 दिन मौका मिलेगा.
संस्थागत निवेशकों से मिल चुके हैं 5620 करोड़ रुपए
एलआईसी के आईपीओ के लिए 9 मई तक अप्लाई किया जा सकता है. प्राइस बैंड 902-949 रू प्रति शेयर तय की गई है. पॉलिसीधारकों और रिटेल निवेशकों को छूट भी दी गई है. पॉलिसीधारकों को 60 रू प्रति शेयर की छूट दी गई है. वहीं रिटेल निवेशकों को 45 रू की छूट दी गई है. रिटेल निवेशक 2 लाख रुपए तक निवेश कर सकते हैं. बड़ी संस्थाओं के लिए 2 मई से ही IPO खरीदने का मौका दिया गया था. इनके हिस्से के सारे शेयर 2 मई को ही बुक हो गए. यानि अबतक संस्थागत निवेशकों से LIC को 5620 करोड़ रुपए मिल चुके हैं.
जनवरी से मार्च में खुले 90 लाख डीमैट अकाउंट
LIC के IPO का कितनी बेसब्री से इंतजार हो रहा था, ये बात इसी से साबित होती है कि इस साल जनवरी से मार्च के दौरान 90 लाख से ज्यादा डीमैट अकाउंट खोले गये. ये आंकड़े एनएसडीएल और सीडीएसएल के हैं. इसके साथ ही इस साल 31 मार्च तक कुल डीमैट अकाउंट की संख्या बढ़कर 8.97 करोड़ पहुंच गई है. मतलब ये है कि LIC के IPO के साथ ही स्टॉक मार्केट में कारोबार में नई हरियाली देखी जा सकती है. और निवेशकों को भी काफी फायदा होने की उम्मीद है.
क्या है IPO? (What is IPO)
जब कोई कंपनी अपने सामान्य स्टॉक या शेयर को पहली बार जनता के लिए जारी करती है तो उसे IPO कहते हैं. IPO दो तरह के होते हैं पहला फिक्स्ड प्राइस IPO और दूसरा बुक बिल्डिंग IPO. कंपनी जब IPO लाती है तो उसे मार्केट रेग्युलेटर यानी सेबी के नियमों का पालन करना होता है. नियमों पर खरा उतरने के बाद ही कंपनी IPO लाती है. एलआईसी पॉलिसी धारकों के लिए IPO में प्रति शेयर 60 रुपए की छूट दे रहा है. यही नहीं एलआईसी कर्मचारियों को भी IPO में अप्लाई करने पर 45 रुपए शेयर डिस्काउंट मिल रहा है.
कैसे खरीदें IPO? (How to Buy IPO)
आइए आपको LIC आईपीओ में निवेश का आसान तरीका बताते हैं,.
1- पहली बात तो ये है कि किसी भी आईपीओ में अप्लाई के लिए आपके पास Demat Account होना जरूरी है.
2- अगर आपका ज्वाइंट डिमैट एकाउंट है तो आपको पहला या प्राइमरी एकाउंट होल्डर होना चाहिए.
3- जब आप डिमैट अकाउंट से LIC के IPO में अप्लाई करेंगे, तो आपको Investor कैटेगरी चुनने के दौरान तीन विकल्प मिलेंगे.
4- ऑप्शन मे आपको 'New, Policyholder और Employee' तीन कैटेगरी नजर आएगी.
5- अगर आप एलआईसी पॉलिसी होल्डर नहीं हैं, और न ही LIC के कर्मचारी हैं तो फिर आपको सामान्य कैटेगरी यानी New का चयन करना होगा.
6- सामान्य कैटेगरी में अप्लाई करने पर एक लॉट आईपीओ के लिए आपको अपर प्राइस बैंड के हिसाब से कुल 14,235 रुपये देने होंगे.
7- अगर आपने LIC की पॉलिसी ले रखी है, तो आपको Policyholder कैटेगरी चुनना होगा. इस कैटगरी को चुनने पर आपको LIC IPO में 10 फीसदी रिजर्वेशन मिलेगा और प्रति शेयर 60 रुपये की छूट मिलेगी.
8 - वहीं अगर आप LIC के कर्मचारी हैं तो फिर आपको Employee कैटेगरी पर क्लिक करना होगा
9 - LIC कर्मचारियों को इस IPO में अप्लाई करने पर 45 रुपये प्रति शेयर का डिस्काउंट मिलेगा. तो IPO क्या होता है? इस कैटेगरी में एक लॉट के अप्लीकेशन पर 13,560 रुपये देने होंगे.
10 - एक बात अच्छे से समझ लीजिए कि IPO के एक लॉट में 15 शेयर मिलेंगे
11. हालांकि अगर आप पॉलिसी होल्डर के साथ-साथ LIC के कर्मचारी भी हैं तो तीनों कैटेगरी में आवेदन कर सकते हैं
12. तीनों कोटे में अलग-अलग निवेश की सीमा 2-2 लाख रुपये ही है यानी ऐसे निवेशक 6 लाख तक निवेश कर सकते हैं.
क्या होता है IPO, कैसे कर सकते हैं अप्लाई? IPO से जुड़े आपके सभी सवालों का यहां है जवाब
सभी निवेशक कंपनी के शेयरधारक कहलाते हैं. उनके शेयर के अनुपात में उन्हें लाभांश दिया जाता है. एक रिटेल निवेशक एक बार में 2 लाख रुपये तक का ही इंवेस्टमेंट IPO में कर सकता है.
एक रिटेल निवेशक एक बार में 2 लाख रुपये तक का ही इंवेस्टमेंट IPO में कर सकता है.
आज कल हर ओर LIC के आईपीओ की चर्चा है. एलआईसी आईपीओ का इंतजार खत्म होने को है. निवेशकों के लिए एलआईसी का IPO 4 मई को खुल रहा है, जबकि एंकर निवेशकों के लिए इसे सोमवार, 2 मई को खोल दिया गया, जिसे निवेशकों ने हाथों-हाथ लिया है. आईपीओ की चर्चा बार-बार सुनकर आपके दिमाग में भी ये बात घूम रही होगी कि आखिर ये आईपीओ होता क्या है और इसके लिए अप्लाई कैसे करते हैं? आइए आपको इस बारे में विस्तार से समझाते हैं.
क्या होता है IPO?
देश में ढेरों कंपनियां काम कर रही हैं. इनमें कई कंपनियां फैमिली के लोग या फिर कुछ शेयर होल्डर आपस में मिलकर चलाते हैं. हर कंपनी के पास पूंजी निवेश के शेयर होते हैं.ऐसी कंपनियों को जब पूंजी की जरूरत होती है तो ये अपने आप को सबसे पहले Securities and Exchange Board of India (SEBI) में लिस्ट कराती हैं और और उसके बाद बाजार से पूंजी जुटाने के लिए Initial Public Offer यानी IPO जारी करते हैं.
शेयर मार्केट में खुद को लिस्ट करने के लिए प्राइवेट कंपनी जो IPO लाती है, इसके जरिए कंपनी बड़ी संख्या में पब्लिक, इंवेस्टर्स और अन्य को कंपनी के शेयर अलॉट करती है. इस स्थिति में कंपनी सिर्फ उसे चलाने वाले लोगों की नहीं बल्कि उन सभी की होती है जिन्हें आईपीओ अलॉट होता है. IPO में जो शेयर अलॉट होते हैं, वो NSE या BSE जैसे स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं. जहां इंवेस्टर्स इन शेयरों की आराम से खरीद बिक्री कर सकते हैं. सभी निवेशक कंपनी के शेयरधारक कहलाते हैं. उनके शेयर के अनुपात में उन्हें लाभांश दिया जाता है.
कैसे कर सकते हैं अप्लाई?
किसी निवेशक को अगर IPO में निवेश करना है तो सबसे जरूरी है उसके पास एक डिमैट अकाउंट होना चाहिए. इन्वेस्ट करने के लिए एक निवेशक को ब्रोकर के ट्रेडिंग ऐप या मोबाइल एप्लिकेशन में लॉग इन करके शुरुआत करनी चाहिए और चल रहे आईपीओ सेक्शन में जाना चाहिए. आवेदन करने के लिए इन्वेस्टर टाइप और आईपीओ का चयन करें. शेयरों की संख्या और बोली मूल्य दर्ज करें. UPI आईडी भी दर्ज करनी होगी.
क्या है जरूरी
- डीमैट अकाउंट
- ट्रेडिंग अकाउंट
- बैंक खाते से जुड़ा मोबाइल नंबर
- यूपीआई आईडी
ये भी जानें
एक रिटेल निवेशक एक बार में 2 लाख रुपये तक का ही इंवेस्टमेंट IPO में कर सकता है. IPO में निवेश करने के बाद शेयर का अलॉटमेंट IPO बंद होने के बाद होता है. IPO बंद होने के बाद सभी बिड्स का आकलन होता है और अगर कोई बिड अवैध साबित होती है तो इस सूरत में आईपीओ अलॉट नहीं होता. यदि किसी आईपीओ को कुल जारी शेयर के मुकाबले कम शेयरों या उतने ही शेयरों की बोली प्राप्त हो रही हो तो सभी निवेशकों को उनकी बोली के अनुसार शेयर अलॉट हो जाते हैं.
वीडियो: LIC IPO: देश का सबसे बड़ा आईपीओ 4 मई को खुलेगा, 17 मई को होगी लिस्टिंग