क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास

बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार बनाए नए नियम: एडवोकेट पीएम मिश्रा
क्रिप्टोकरेंसी हाल के वर्षों में एक वैश्विक घटना बन गई है, हालांकि इस विकसित तकनीक के बारे में अभी भी बहुत कुछ सीखा जाना बाकी है।
क्रिप्टोकरेंसी हाल के वर्षों में एक वैश्विक घटना बन गई है, हालांकि इस विकसित तकनीक के बारे में अभी भी बहुत कुछ सीखा जाना बाकी है। प्रौद्योगिकी और पारंपरिक वित्तीय प्रणालियों को बाधित करने की क्षमता को लेकर चिंताए हैं।
हमसे अकसर क्रिप्टोकरेंसी के बारे में पूछा जाता है, क्या वो सोने के लिए संभावित प्रतिस्थापन का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसकी क्या भूमका है। यदि कोई हो, तो बिटकॉइन को एक पोर्टफोलियो में खेलना चाहिए और बिटकॉइन को विनियमित करना कितना आसान है, क्रिप्टो गोल्ड और कैश लेनदेन की तुलना करें।
डेक्कन क्रॉनिकल में 12 जून,2018 को प्रकाशित समाचार रिपोर्ट के अनुसार भारत में मांग के एक तिहाई से अधिक सोने की तस्करी, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोना आयात करने वाला देश है। यह संभावित रूप से केंद्र सरकार को $ 1.3 बिलियन का राजस्व नुकसान का कारण बनता है। आधिकारिक आयात में लगभग 50 प्रतिशत की कमी हुई है, जबकि सोने की तस्करी 2018 से बढ़ रही है 2021 के बारे में सोचिएं। कुछ टैक्स से बचने के लिए। कल्पना कीजिए कि सरकार द्वारा इतनी सावधानी बरतने के बाद भी हमारे देश में सोने की तस्करी जारी है।
भारत में मनी लॉन्ड्रिंग को हवाला लेनदेन के नाम से जाना जाता है। 1990 के दशक की शुरुआत में इसे लोकप्रियता मिली जब कई राजनेता इसके जाल में फंस गए। हवाला एक वैकल्पिक या समानांतर प्रेषण प्रणाली है। "हवाला" एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है किसी तीसरे व्यक्ति का उपयोग करके दो व्यक्तियों के बीच धन या जानकारी का हस्तांतरण। यह प्रणाली अरबी व्यापारियों को लूट से बचने के साधन के रूप में बताती है। यह कई शताब्दियों तक पश्चिमी बैंकिंग की भविष्यवाणी करता है।
हवाला तंत्र ने काले से सफेद में धन के रूपांतरण की सुविधा प्रदान की। काले धन से तात्पर्य अर्जित धन से है, जिस पर आय और अन्य करों का भुगतान नहीं किया गया है। अवैध रूप से व्यापार किए गए सामान या सेवाओं के माध्यम से काला धन अर्जित किया जाता है। मनी लॉन्ड्रिंग के बारे में कल्पना से परे है।
पूरी दुनिया और भारत सरकार इन लेनदेन को विनियमित करने के लिए इतना खर्च करती है, मुझे लगता है कि भारत में हाल ही में नोटबंदी को कोई नहीं भूल पाया है।
एडवोकेट मिश्रा बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टो मुद्रा के अनुसार गोल्ड और कैश की तुलना को विनियमित करना बिल्कुल आसान है। उन्होंने कहा, एक तरफ, क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से नाम रहित है। दूसरी ओर, यह पूरी तरह से पारदर्शी और ट्रैक करने योग्य है। इसका अर्थ नामरहित में है, लेकिन उसके पते में अपनी पहचान के बारे में कुछ भी बताए बिना एक क्रिप्टो पते को आप पकड़ सकते हैं। एक व्यक्ति कई पते रख सकता है, और सिद्धांत रूप में, उन पते को एक साथ जोड़ने, या इंगित करने के लिए कुछ भी नहीं होगा कि व्यक्ति उनके स्वामित्व में है।
आभासी मुद्रा भेजना और प्राप्त करना छद्म नाम के तहत लिखने जैसा है। यदि किसी लेखक का छद्म नाम कभी उनकी पहचान से जुड़ा होता है, तो उस छद्म नाम के तहत उन्होंने जो कुछ भी लिखा है, वह उनसे जुड़ा होगा। बिटकॉइन लेनदेन इतिहास के साथ ग्राहक डेटा से मेल खाने वाले उपकरणों के साथ पास पर आपराधिक गतिविधि हो सकती है। इससे उच्च-जोखिम वाले ग्राहकों की पहचान करना आसान हो सकता है, एएमएल अनुपालन बना रहेगा, और क्रिप्टो मनी लांड्रिंग से जुड़े तनाव से बच सकते हैं।
क्रिप्टो धोखाधड़ी से साधारण नागरिक को बचाने के लिए और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधि क्रिप्टो को रोकने के लिए, भारत को जल्दी से निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए -
1. केवल एक बैंक को क्रिप्टो मुद्रा से निपटने की अनुमति दें।
2. भारतीय आईपी का उपयोग करके सभी वॉलेट पते को ट्रैक करने के लिए युवा और साइबर टीम की नियुक्ति करें, उन्हें स्थान तक ट्रेस करें।
3. कुछ ISP को क्रिप्टो एक्सचेंज आईपी की अनुमति दें, ताकि इसे ट्रैक करना आसान हो जाए।
4. क्रिप्टो कस्टडी सेवा के लिए अतिरिक्त कर का शुल्क।
5. क्रिप्टो बीमा कंपनी को शामिल करें।
6. लिमिट क्रिप्टो होल्डिंग व्यक्ति या कंपनी के आईटीआर पर निर्भर करती है।
7. सख्त क्रिप्टोकरेंसी के साथ-साथ क्रिप्टो ट्रांजेक्शन ओवरसीज को सीमित करें।
8. इश्यू लाइसेंस व्यक्तिगत व्यापारी, जो व्यापार करना चाहते हैं।
9. एक्सचेंजों को लाइसेंस जारी करना।
एडवोकेट पी एम मिश्रा ने बताया, मैं वर्तमान सरकार की क्रिप्टो रेगुलेटरी दृष्टिकोण के बारे में बहुत सकारात्मक हूं और मैं यह देखना चाहूंगा कि भारत को क्रिप्टो करेंसी दौड़ जीतनी चाहिए क्योंकि क्रिप्टो डिजिटल गोल्ड के अलावा कुछ भी नहीं है।
हैकरों ने की इतिहास की सबसे बड़ी चोरी, करीब 4465 करोड़ रुपये चुराये, वापस किये करीब 350 करोड़ रुपये
बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसीज के दुनियाभर में क्रेज बढ़ रहे हैं. वहीं, हैकरों की नजर भी इस पर पड़ चुकी है. हैकर्स ने 600 मिलियन डॉलर यानी करीब 4465 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसीज चुरा ली. यह अब तक की सबसे बड़ी चोरी मानी जा रही है.
हैकरों ने अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लिये क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी की ट्रांसफरिंग करनेवाली कंपनी पॉली नेटवर्क ने सिक्योरिटी में हैकरों द्वारा सेंध लगाये जाने की सूचना दी है. कंपनी ने बताया है कि हैकरों ने पॉली नेटवर्क पर हमला कर बड़ी चोरी को अंजाम देते हुए अपने अकाउंट में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांसफर कर लिया.
इतिहास की सबसे बड़ी चोरी
कंपनी ने हैकरों के ऑनलाइन एड्रेस साझा करते हुए हैकिंग से प्रभावित ब्लॉकचेन और क्रिप्टो एक्सचेंज को हैकरों के एड्रेस से आ रहे टोकन्स को ब्लैकलिस्ट करने की मांग की है. पॉली नेटवर्क ने हैकरों से कहा कि 'जो अमाउंट हैक किया है, वह इतिहास का सबसे बड़ा अमाउंट है.
कंपनी ने हैकरों को दी पुलिस कार्रवाई की धमकी
साथ ही कंपनी ने कहा है कि आपके द्वारा चुराये गये पैसे क्रिप्टो कम्युनिटी के हजारों सदस्यों के हैं. कंपनी ने हैकरों को पुलिसिया कार्रवाई की भी धमकी दी है. साथ ही कहा है कि मिलकर समस्या का कोई हल निकाला जा सकता है.
करीब 350 करोड़ रुपये हैकरों ने लौटाये
हालांकि, पॉली नेटवर्क ने कहा है कि हैकरों ने पॉली नेटवर्क टीम को धन वापस भेजना शुरू कर दिया है. परियोजना के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट का कहना है कि अब तक 4.7 मिलियन डॉलर मिल चुके हैं. ये पैसे तीन अकाउंट में भेजे गये हैं.
Cryptocurrency kya hai/ What is Cryptocurrency/ जानिए क्रिप्टोकरेंसी के बारें सबकुछ?
Cryptocurrency क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास kya hai:- क्रिप्टोकरेंसी में लगातार तेजी से उतार चढ़ाव देखा जा सकता है। हाल ही के दिनों में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना एक चर्चा का बिषय बन गया है। आज के इस लेख में आप को क्रिप्टोकरेंसी से संबधित जानकारी दे रहे है। पूरी जानकारी के लिए इस लेख को लास्ट तक जरुर पढें। इस लेख में what is cryptocurrency के तहत आप को cryptocurrency kya hai, cryptocurrency in hindi, cryptocurrency in word, Types of cryptocurrency India, cryptocurrency world, cryptocurrency future, आदि के बारे में जानकारी दे रहे है ।
टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही रही है। ऐसे में करेंसी (Cryptocurrency kya hai) भी पीछे नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी भी एक तरीके से अपने पैर पसार रही है। इसके पीछे के वजह है कि देश और दुनिया की बड़ी कंपनिया के द्वारा में इसमें इट्रेस्ट बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में देश में क्रिप्टोकरेंसी का प्रचलन तेजी से बढ़ा है, देश में कई ऐसे स्टार्टअप हैं जो इस फील्ड में काम कर रहे है। Cryptocurrency हालांकि यह सबके लिए खास कर अच्छी नहीं हो सकती है।
देश-दुनिया के किसी भी व्यक्ति, संस्था तथा देश को अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए और आपसी लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए एक मुद्रा (currency) की जरूरत होती है ताकि उसका उपयोग वह सुचारू रूप से कर सके, और वस्तुओं के अदान प्रदान किया जा सकें। इसलिए, प्रत्येक देश की अपनी अलग-अलग करेंसी होती है, जैसे-भारत में रुपया, अमेरिका में डॉलर आदि।
दरअसल, यह फिजिकल करेंसी होती हैं जिसे आप देख सकते हैं, छू सकते हैं और नियमानुसार किसी भी स्थान या देश में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency kya hai) इससे अलग होती है जो एक डिजिटल करेंसी है। इसे आप न तो देख सकते हैं, न छू सकते हैं, क्योंकि फिजिकल रूप में क्रिप्टो करेंसी का छापा नहीं किया जाता। इसलिए इसे आभासी मुद्रा कहा जाता है। यह पिछले कुछ सालों में ऐसी करेंसी काफी प्रचलित हुई है। जिससे की आज के समय में खबरों में ट्रेंड रहती है। आज के समय में लोगों का झुकाव इस Cryptocurrency की देखा जा रहा है।
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What is Cryptocurrency /Cryptocurrency kya hai?
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी होती है, जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है। यह एक स्वतंत्र मुद्रा है जिसका कोई मालिक नहीं होता। यह करेंसी किसी भी एक अथॉरिटी के काबू में भी नहीं होती है। इस करेंसी में कोडिंग तकनीक का इस्तेमाल होता है। इस तकनीक के जरिए करेंसी के ट्रांजेक्शन का पूरा लेखा-जोखा होता है, जिससे इसे हैक करना बहुत मुश्किल है। यही वजह है कि क्रिप्टोकरेंसी में धोखाधड़ी की संभावना बहुत कम होती है।
रुपया, डॉलर, यूरो या अन्य करेंसी की तरह ही इस करेंसी का संचालन किसी राज्य, देश, संस्था या सरकार द्वारा नहीं किया जाता। यह एक डिजिटल करेंसी होती है जिसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर इसका प्रयोग किसी सामान की खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जा सकता है। क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल केंद्रीय बैंक पर निर्भर नहीं होता है, जो कि इसकी सबसे बड़ी खामी है। इसलिए कुछ लोगों का मानना है की Cryptocurrency का इस्तेमाल गलत तरीके से भी किया जा सकता है।
क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास
सर्वप्रथम क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत 2009 में हुई थी जो “बिटकॉइन” थी। इसको जापान के सतोषी नाकमोतो नाम के एक इंजीनियर ने बनाया था। शुरुआत में यह उतनी प्रचलित नहीं थी, किन्तु धीरे-धीरे इसके रेट आसमान छूने लगे, जिससे यह सफल हो गई। आज के समय में न्यूज में क्रिप्टो करेंसी ट्रेंड में रहती है। हालांकि इससे पहले इस करेंसी के शुरुआत की गई।
- 1983 में सबसे पहले यूएस क्रिप्टोग्राफर डेविड चाम ने ई-कैश (ecash) नाम से क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी बनाई थी।
- 1995 में डिजिकैश के जरिए इसे लागू किया गया।
- इस पहली क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी को किसी बैंक से नोटों के रूप में विड्रॉल करने के लिए एक सॉफ्टवेयर की आवश्यकता थी।
- यह सॉफ्टवेयर पूरी तरह से एनक्रिप्टेड था। सॉफ्टवेयर के जरिए क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी प्राप्त करने वाले को एनक्रिप्टेड-की यानी खास प्रकार की चाभी दी जाती थी।
- इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से पैसा जारी करने वाला बैंक, सरकार या अन्य थर्ड पार्टी ट्रांजेक्शन को ट्रैक नहीं कर पाते थे।
- 1996 में अमेरिका की नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी ने क्रिप्टोकरेंसी सिस्टम के बारे में बताने वाला एक पेपर पब्लिश किया।
- 2009 में सातोशी नाकामोतो नाम के वर्चुअल निर्माता ने बिटकॉइन नाम की क्रिप्टोकरेंसी बनाई। इसके बाद ही क्रिप्टोकरेंसी को दुनियाभर में लोकप्रियता मिली। जिससे की आज के समयें क्रिप्टो करेंसी को चर्चा में रहती है।
Cryptocurrency Wallet/ क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट क्या हैं?
जैसा कि नाम से पता चलता है, ये वॉलेट आपको क्रिप्टो एसेट्स और टोकन स्टोर करने में मदद करते हैं। एक वॉलेट आपके फोन पर एक अलग डिवाइस या एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम हो सकता है। वे ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सेफ्टी और सिक्योरिटी के साथ आपकी क्रिप्टो एसेट्स को सुरक्षित रखने के लिए मदद करता है, साथ ही क्रिप्टोकरेंसी को भेजने और रिसीव करने की सुविधा भी देता है।क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट दो तरह के होते है।
- Paper Wallets: पेपर वॉलेट्स को पेपर की प्रिंटेड शीट पर स्टोर किया जाता है और यह सबसे सुरक्षित ऑप्शन में से एक है।
- Hardware Wallets : एक हार्डवेयर वॉलेट क्रिप्टो स्टोर करते समय सुरक्षा और सुविधा के बीच बैलेंस बनाने में मदद करता है। हार्डवेयर वॉलेट को आपकी प्राइवेट की (Private Key) को स्टोर करने के ऑनलाइन तरीकों से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
कैसे तैयार होती है क्रिप्टोकरेंसी?
आखिर कैसे की जाती है क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग क्रिप्टोकरेंसी को माइनिंग के जरिए तैयार किया जाता है। बिटकॉइन (Bitcoin) की माइनिंग में काफी उर्जा का उपयोग होता है और इसी तरह कुछ अन्य क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग भी काफी उर्जा इस्तेमाल करती है। माइनिंग में काफी शक्तिशाली कंप्यूटर जटिल गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं।
इन कंप्यूटर्स में काफी शक्तिशाली ग्राफिक्स कार्ड्स क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास का इस्तेमाल होता है। यह वर्चुअल माइनिंग होती है जिसमें क्रिप्टोकरेंसी पाने के लिए एक बेहद जटिल डिजिटल पहेली को हल करना पड़ता है। इस पहेली को हल करने के लिए अपने खुद के एल्गोरिद्म (प्रोग्रामिंग कोड) और साथ ही बहुत ज्यादा कंप्यूटिंग पावर की जरूरत पड़ती है।
दुनिया में कौन- कौन सी क्रिप्टोकरेंसी है?
Bitcoin:- बिटकॉइन दुनिया में सबसे पहला क्रिप्टो करेंसी है। जिसे सातोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) ने सन 2009 में बनाया था। ये एक डिजिटल करेंसी है जिसे की केवल ऑनलाइन ही सामान और सेवा खरीदने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह एक Decentralized currency है जिसका मतलब है की इसपर सरकार या कोई भी संस्था का कोई भी हाथ नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी में Bitcoin का मुल्य में तेजी से उतार चढ़ाव आते रहते है। आप इसके वर्तमान के महत्व के बारे में पता लगा सकते हैं।
बिटकॉइन के अलावा दुनिया कई प्रकार के क्रिप्टोकरेंसी चलन में है जैसे कि Ethereum, Litecoin (LTC), डॉगकॉयन Dogecoin (Doge), रिप्पल (Ripple)नियो (Neo), Litecoin, Faircoin (FAIR), Dash (DASH), Peercoin (PPC), Ripple (XRP), Monero (XMR) क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास हैं।
क्रिप्टोकरेंसी कैसे खरीद सकते हैं?
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वेबसाइट के जरिए इनकी खरीद की जा सकती है। इसके लिए पहले एक्सचेंज पर रजिस्ट्रेशन करना होता है। फिर बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड के जरिए भुगतान कर क्रिप्टोकरेंसी की यूनिट खरीद सकते हैं। ग्राहक को अपने देश के नियम-कानून ध्यान में रखने होते हैं। अलग-अलग एक्सचेंज कमीशन के रूप में कुछ चार्ज लेते हैं। ग्राहक क्रिप्टोकरेंसी को ऑनलाइन वॉलेट में रख सकते हैं।
इंटरनेट पर आप को कई ऐसे बेवसाइट मिल जाएगी जो क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज का काम करती है । जैसे की भारत में भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स (WazirX) वेबसाइट है । यहां पर आपक्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज से जुड़े यानि की खरीद सकते है।
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के नाम पर 50 लाख की ठगी,रिपोर्ट दर्ज
मेरठ। ऐप के जरिए क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के नाम पर सेना से सेवानिवृत्त एक अधिकारी और दो कारोबारियों से 54 लाख रुपये की ठगी कर ली गई। जिले में वर्चुअल निवेश का झांसा देकर ऐसी ठगी पहली बार की गई है। इसके चलते साइबर टीम की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर ऐसी ठगी से बचने के लिए अलर्ट जारी कर दिया गया है।
इस मामले में मेडिकल और लालकुर्ती थाने में दो केस दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा एक अन्य मामले की शिकायत पल्लवपुरम थाने में की गई है। इसकी जांच अभी जारी है। साइबर सेल के अनुसार सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लोगों के ग्रुप में निवेश से जुड़े संदेश भेजकर उन्हें झांसा दिया गया। इसके बाद क्रिप्टोकरेंसी ग्रुप इनवेस्टमेंट के बहाने खाते से रुपये निकलवाए गए।
लालकुर्ती थाना क्षेत्र के सेना से सेवानिवृत्त अधिकारी कुछ महीनाें से टेलीग्राम ग्रुप में जुड़े थे। पहले वर्चुअल करेंसी की कम रेट बताकर खरीद कराई गई। इसके बाद मोटे मुनाफे का लाभ देकर खाते से अलग-अलग रकम ली गई। कुल 23 लाख रुपये की ठगी की गई।
वहीं दूसरी ओर मेेडिकल थाना क्षेत्र में भवन सामग्री से जुड़े कारोबारी ने दो नवंबर को मेडिकल थाने में क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर 26 लाख की ठगी का केस दर्ज कराया था। उन्होंने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी में ऑनलाइन निवेश करने वाली साइटों का हवाला देकर टेलीग्राम ग्रुप पर जोड़ा गया और फिर ठगी की गई।
वही थाना पल्लपुरम में एक अन्य कारोबारी ने बताया कि वह दो माह पहले ही वर्चुअल निवेश के झांसे में आ गए। उनसे पांच लाख रुपये की ठगी की गई। बाद में पता चला कि कुछ अन्य लोग भी उनकी तरह ठगी के शिकार हुए हैं, लेकिन इनकम टैक्स सहित अन्य कारणों से अभी सामने नहीं आ रहे हैं।
RBI ने लॉन्च किया ‘डिजिटल रुपया’ (e₹), समझिए क्या होंगे इसके फायदे
RBI Digital Rupee: भारतीय रिजर्व बैंक ने आज 1 नवंबर को अपनी डिजिटल करेंसी ‘डिजिटल रुपया’ को लॉन्च कर दिया है। केंद्रीय बैंक (RBI) ने अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (E-Rupee) जारी किया है। यह फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। शुरुआती दौर में डिजिटल रुपया सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेन-देन निपटाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
Key Points
– भारत सरकार ने 01 फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की
– 30 मार्च, 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित की
– 01 नवंबर, 2022 को होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (e₹) लांच
पायलट प्रोजेक्ट
इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा। आरबीआई ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है।
आरबीआई ने केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के बारे में पेश अपनी संकल्पना रिपोर्ट में कहा था कि यह डिजिटल मुद्रा लाने का मकसद मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों का पूरक तैयार करना है। इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे।
डिजिटल करेंसी में 9 बैंक शामिल
थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में नौ बैंक होंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक शामिल हैं। ये बैंक गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे. इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC का नाम दिया गया है और भारत की ये पहली डिजिटल करेंसी आपके लिए बहुत कुछ बदलने वाली है।
क्या है CBDC
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। इसमें केंद्रीय बैंक पैसे छापने के बजाय सरकार के पूर्ण विश्वास और क्रेडिट द्वारा समर्थित इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी करता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी डिजिटल एक करेंसी कानूनी टेंडर है। यह फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है। सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है।
दो तरह की होगी CBDC
– Retail (CBDC-R): Retail CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी
– Wholesale (CBDC-W) : इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है
पिछले दिनों RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल मुद्रा को उनका पूरक बनाना और उपयोगकर्ताओं को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है। इसका मकसद किसी भी तरह से मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलना नहीं है.। यानी आपके लेन-देन पर इसका कोई असर नहीं होने वाला है।
RBI को सीबीडीसी की शुरूआत से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी। यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और तरलता के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है।
डिजिटल करेंसी के फायदे
देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। ये फायदे भी होंगे
बिजनेस में पैसों के लेनदेन का काम हो जाएगा आसान।
CBDC द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन होगा
चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का झंझट नहीं रहेगा।
नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा।
पेपर नोट की प्रिंटिंग का खर्च बचेगा
एक डिजिटल मुद्रा की जीवन रेखा भौतिक नोटों की तुलना में अनिश्चित होगी
CBDC मुद्रा को फिजिकल तौर पर नष्ट करना, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है
अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में डिजिटल रुपये का एक अन्य प्रमुख लाभ यह है कि इसे एक इकाई द्वारा विनियमित किया जाएगा, जिससे बिटकॉइन जैसी अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े अस्थिरता जोखिम को कम किया जा सकेगा।
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर
क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से प्राइवेट है। इसे कोई मॉनिटर नहीं करता और इस पर किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता। ऐसी करेंसी गैरकानूनी होती हैं। लेकिन, RBI की डिजिटल करेंसी पूरी तरह से रेगुलेटेड है, जिसके सरकार की मंजूरी होगी। डिजिटल रुपी में क्वांटिटी की भी कोई सीमा नहीं होगी। फिजिकल नोट वाले सारे फीचर डिजिटल रुपी में भी होंगे। लोगों को डिजिटल रुपी को फिजिकल में बदलने की सुविधा होगी। क्रिप्टोकरेंसी का भाव घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होगा।
अर्थव्यवस्था को होगा फायदा
भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में अगला मील का पत्थर है। ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की आशंका नहीं होगी। इस डिजिटल करेंसी से सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो जाएगी। सरकार का बेहतर नियंत्रण होगा कि पैसा कैसे देश में प्रवेश करता है और प्रवेश करता है, जो उन्हें भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाओं के लिए जगह बनाने और कुल मिलाकर अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने की अनुमति देगा।
डिजिटल रुपया (e ₹) प्रणाली भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगी, जिसका बड़ा सकारात्मक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा।