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मार्जिन क्या है?

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जानिए होम लोन में मार्जिन मनी रसीदों का क्या रोल है

क्या आपने पहली बार होम लोन लिया है? यह भी आपको पता होगा कि होम लोन की राशि में योगदान देना होता है। हालांकि आपको यकीन नहीं है कि अपनी जेब से आपको कितना भुगतान करना है, तो फ्रिक करने की जरूरत नहीं है। आप होम लोन आवेदकों के बीच अकेले नहीं हैं। बैंक और वित्तीय संस्थान कभी भी आपके घर के लिए शत-प्रतिशत फंड नहीं देते। अपनी तरफ से भी आपको योगदान देना होता है। मकानआईक्यू आज आपको बताएगा कि होम लोन में आपको कितनी मार्जिन मनी का योगदान देना है।

जितने पैसे का आप होम लोन अमाउंट में योगदान देते हैं, वह मार्जिन मनी होता है। जब आप अपनी जेब से मार्जिन मनी का योगदान देते हैं, तो आपका डेवलपर या रीसेलर एक रसीद देगा, जिसे मार्जिन मनी रसीद (मार्जिन क्या है? एमएमआर) कहा जाता है। क्या कभी सोचा है कि आपको भी योगदान क्यों देना पड़ता है? क्यों कर्जदाता आपके घर के लिए शत-प्रतिशत रकम नहीं देते?

अपनी जेब से पैसा भरने पर आप प्रॉपर्टी में अपनी दिलचस्पी बनाते हैं और उसी वक्त कर्जदाता का रिस्क घट जाता है। इसके बाद कर्जदाता का आप में विश्वास बन जाता है और फिर वह आपको फंड देता है। इस कुल लोन राशि में मालिक का योगदान नहीं होता)

होम लोन लेने वाले कई लोगों को मालूम होता कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मालिकों के योगदान को कंट्रोल करने वाले नियम तय किए हैं, जो होम लोन की राशि पर आधारित होते हैं।

बैंक और वित्तीय संस्थान मार्जिन मनी का आकलन करने के लिए प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू, होम लोन की अवधि, अन्य संपत्तियों में निवेश की अवसर लागत (किसी चीज की वैल्यू इसलिए खो जाए, क्योंकि आपने कोई और विकल्प चुन लिया है) और कुल होम लोन राशि को देखते हैं। उदाहरण के तौर पर 30 लाख या उससे कम के होम लोन में मालिक का योगदान कम से कम 10 प्रतिशत होता है। 30 लाख से ज्यादा के होम लोन पर बैंक आपको प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू के आधार पर 80 प्रतिशत तक फंड देते हैं। यह प्रतिशत कई मामलों में ज्यादा भी हो सकता है।

एक जरूरी सलाह: प्रॉपर्टी की कुल कीमत का पता लगाएं और ध्यान रहे कि आपको संपत्ति की कुल लागत का 20 प्रतिशत योगदान मार्जिन मनी के रूप में देना होगा। यह मोटे तौर पर मार्जिन मनी का पता लगाने का तरीका है, जो आपको योगदान के तौर पर देना है।

कंस्ट्रक्शन-लिंक्ड प्लान (सीएलपी) के लिए मार्जिन मनी प्रॉपर्टी की कंस्ट्रक्शन स्टेज पर निर्भर करती है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए कि संपत्ति 80 लाख रुपये में खरीदी गई है और सीएलपी को निर्माण के चार चरणों में बांटा गया है। इसका मतलब है मार्जिन क्या है? कि निर्माण के हर चरण के लिए 20 लाख रुपये की जरूरत है।

मान लीजिए कि उधार देने वाले 80 फीसदी लोन-टू-वैल्यू रेश्यो (एलटीवी) की फंडिंग कर रहे हैं, जो 64 लाख रुपये है (यानी 80 लाख रुपये का 80 फीसदी)। इसलिए आपको अपनी सेविंग्स से 16 लाख रुपये अरेंज करने होंगे। आपको कुल अग्रिम मार्जिन मनी का 20 प्रतिशत का भुगतान करना होगा। 16 लाख का 20 प्रतिशत यानी 3.2 लाख रुपये। बाकी का पैसा बैंक मुहैया कराएगा और मार्जिन मनी का इस्तेमाल निर्माण की प्रगति में किया जाएगा।

*हर कर्जदाता एक निश्चिन प्रतिशत (या रकम) के मार्जिन मनी की इजाजत देता है और यह होम लोन लेने वाले शख्स के बैंक स्टेटमेंट में दिखाई देता है।

*अगर मार्जिन अमाउंट कम है तो कर्जदाता होम लोन के लिए बीमा अनिवार्य कर देते हैं। लेकिन होम लोन इंश्योरेंस लेना अनिवार्य नहीं है।

*होम लोन अप्लाई करने से पहले आपके पास पर्याप्त वित्तीय कोष होना चाहिए। बिना एक निश्चिन प्रतिशत का योगदान दिए आप होम लोन नहीं ले सकते।

*मार्जिन मनी के लिए पैसा अरेंज करने के लिए कभी भी पर्सनल लोन जैसे असुरक्षित लोन के लिए अप्लाई न करें।

*अगर मार्जिन मनी के लिए आपके पास पैसा कम है तो सीएलपी या अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टीज चुन सकते हैं। इस मामले में आपको अग्रिम कुल मार्जिन मनी का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।

*फोटोकॉपी और मूल मार्जिन रसीदों (एमएमआर) को क्रम में रखें। होम लोन मूल्यांकन प्रक्रिया के दौरान आपको उन्हें कर्जदाता के सामने पेश करना होगा।

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सरकार ने ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर पर बिजनेस मार्जिन किया सीमित, कीमत में 25 से 54 प्रतिशत तक की कमी

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर पर बिजनेस मार्जिन की सीमा तय होने से उपभोक्ताओं को फायदा होगा. एनपीपीए ने तीन जून को ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स के लिए वितरक मूल्य (प्राइस टू डिस्ट्रीब्यूटर) के स्तर पर बिजनेस मार्जिन को 70 प्रतिशत पर सीमित कर दिया था. इसके बाद ब्रांड्स की कीमत में 25 से 54 प्रतिशत तक की गिरावट आई है.

By: एजेंसी | Updated at : 12 Jun 2021 09:42 AM (IST)

नई दिल्लीः रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर पर बिजनेस मार्जिन की सीमा तय होने से सरकार ने उपभोक्ताओं की बचत सुनिश्चित की है. इस कदम से इस महत्वपूर्ण उपकरण के दाम कम हुए हैं. राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने तीन जून को ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स के लिये वितरक मूल्य (प्राइस टू डिस्ट्रीब्यूटर) के स्तर पर व्यापार मार्जिन को 70 प्रतिशत पर सीमित कर दिया था.

70 ब्रांड की कीमतों में 54 प्रतिशत तक की कमी
मंत्रालय के अनुसार, ‘‘इस कदम के बाद ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर के कुल 104 निर्माताओं / आयातकों ने 252 उत्पादों / ब्रांडों के लिए संशोधित एमआरपी जमा की हैं.’’ बयान में कहा गया है, ‘‘70 ब्रांड के मामले में कीमतों में 54 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है. यह अधिकतम खुदरा मूल्य में 54,337 रुपये प्रति यूनिट तक की कमी को बताता है. इसके अलावा, 58 ब्रांड ने 25 प्रतिशत तक और 11 ब्रांड ने कीमतों में 26-50 प्रतिशत कमी की सूचना दी है.’’

9 जून से लागू हुआ संशोधित अधिकतम खुदरा मूल्य
इसमें कहा गया है कि ब्रांडों पर संशोधित अधिकतम खुदरा मूल्य 9 जून, 2021 से प्रभावी हो गया है. इसे कड़ाई से लागू करने के लिये जानकारी राज्य औषधि नियंत्रकों के साथ साझा की गयी है. गौरतलब देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा था और इस दौरान ऑक्सीजन कंसनट्रेटर भी कम उपलब्ध हो पा रहे थे. भारत के कई मित्र देशों ने भीऑक्सीजन कंसनट्रेटर भेजकर मदद की थी.

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Published at : 12 Jun 2021 09:42 AM (IST) Tags: oxygen concentrator Oxygen Concentrator Price business margin हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

SEBI ने किए मार्जिन के नियमों में बदलाव

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। यदि आप शेयर बाजार में अपना पैसा लगाते है तो, हो सकता है, ये खबर आपके काम की हो। दरअसल, सिक्युरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) द्वारा मार्जिन के नियमों में बदलाव किया गया है। इन नियमों में हुए बदलावों को देखते हुए लगता है कि, शेयर बाजार को मार्जिन की मार झेलना पड़ सकती है।

मार्जिन में किया गया बदलाव :

बता दें, SEBI द्वारा मार्जिन के नियमों में किए गए बदलाव के बाद से कैश सेग्मेंट में भी अपफ्रंट मार्जिन लगेगा। साथ ही कैश सेग्मेंट में कम से कम 22% मार्जिन वसूला जाएगा। बताते चलें, यदि कोई भी ग्राहक इनका इस्तेमाल करना चाहेगा तो, वो T+2 सेटलमेंट के बाद ही इन पैसों को प्राप्त कर सकेगा। सरल शब्दों में समझे तो, शेयर बाजार से शेयर खरीदने वाला कोई भी यूजर आपने शेयर बेचने के 2 दिन बाद ही नए शेयर खरीद पाएंगे। इसका सीधा असर BTST या STBT के वॉल्यूम पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

होल्डिंग के शेयर पर मार्जिन :

वहीं, अब से यदि कोई यूजर होल्डिंग के शेयर बेचना चाहता हैं तो, उसे मार्जिन लगेगा। NSE, BSE द्वारा शनिवार को इस बारे में सम्पूर्ण जानकारी FAQ जारी जार साझा की गई। बता दें, मार्जिन से जुड़े लागू किए गए नए नियम 1 अगस्त से कई चरणों में लागू होने शुरू हो जाएंगे। इस मामले में जानकारों का भी कहना है कि, NSE-BSE को ब्रोकर्स, ट्रेडर्स की मुश्किलों के कारण को समझना चाहिए।

ब्रोकर्स के संगठन ने जताई चिंता :

गौरतलब है कि, इन नियमों में बदलाव पर ब्रोकर्स के संगठन ANMI ने चिंता जताई है। ब्रोकर्स के संगठन ने चिंता जताते हुए SEBI को बताया है कि, इन नए नियमों से ब्रोकर्स और ग्राहकों को सेयर मार्केट में पैसा लगाने पर दिक्कते आएंगी। मार्जिन कलेक्शन का यह तरीका मुश्किल साबित होगा। इतना ही नहीं ANMI ने डिलिवरी के बेचने पर मार्जिन को लेकर भी जताई चिंता जताई है। डिलिवरी वाले शेयरों पर कोई मार्जिन नहीं होनी चाहिए। 5 लाख रुपए तक के सौदों पर कोई मार्जिन ना हो।

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GDP: एसबीआई रिसर्च ने दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाया, जानें क्या कहते हैं आंकड़े?

GDP: एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार कंपनियों के राजस्व में वृद्धि दिखी है पर उनके लाभ में पिछले वर्ष की तुलना में 23 प्रतिशत की गिरावट आई है। बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र को छोड़कर अन्य लिस्टेड कंपनियों के मार्जिन पर दबाव दिखा है।

SBI Research

सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही जुलाई से सितंबर अवधि के लिए आंकड़े जारी किए जा सकते हैं। हालांकि उससे पहले एसबीआई रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में जुलाई-सितंबर तिमाही की जीडीपी को औसत से मार्जिन क्या है? 0.30 प्रतिशत कम करते हुए उसे 5.8 प्रतिशत कर दिया है। एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष की अगुवाई वाली टीम का कहना है कि दूसरी तिमाही में बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र को छोड़कर बाकी कंपनियों के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 14 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। पिछले वर्ष इसी तिमाही में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार कंपनियों के राजस्व में वृद्धि दिखी है पर उनके लाभ में पिछले वर्ष की तुलना में 23 प्रतिशत की गिरावट आई है। बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र को छोड़कर अन्य लिस्टेड कंपनियों के मार्जिन पर दबाव दिखा है। रिपोर्ट के अनुसार दूसरी तिमाही में कंपनियों का उत्पादन लागत बढ़ने से ऑपरेटिंग मार्जिन क्या है? मार्जिन घटकर 10.9 फीसदी रह गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 17.7 प्रतिश्त था। रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि में जीडीपी अपने औसत अनुमान 6.1 प्रतिशत से घटकर 5.8 प्रतिशत रह सकती है। साथ ही, रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष में ओवरऑल जीडीपी 6.8 प्रतिशत रह सकती है। यह भारतीय रिजर्व बैंक के पिछले अनुमान से 0.20 प्रतिशत कम है। बता दें कि एसबीआई रिसर्ज ने ये अनुमान 41 अग्रणी संकेतकों के समूह पर आधारित समग्र सूचकांक पर आधारित है।

विस्तार

सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही जुलाई से सितंबर अवधि के लिए आंकड़े जारी किए जा सकते हैं। हालांकि उससे पहले एसबीआई रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में जुलाई-सितंबर तिमाही की जीडीपी को औसत से 0.30 प्रतिशत कम करते हुए उसे 5.8 प्रतिशत कर दिया है। एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष की अगुवाई वाली टीम का कहना है कि दूसरी तिमाही में बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र को छोड़कर बाकी कंपनियों के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 14 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। पिछले वर्ष इसी तिमाही में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार कंपनियों के राजस्व में वृद्धि दिखी है पर उनके लाभ में पिछले वर्ष की तुलना में 23 प्रतिशत की गिरावट आई है। बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र को छोड़कर अन्य लिस्टेड कंपनियों के मार्जिन पर दबाव दिखा है। रिपोर्ट के अनुसार दूसरी तिमाही में कंपनियों का उत्पादन लागत बढ़ने से ऑपरेटिंग मार्जिन घटकर 10.9 फीसदी रह गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 17.7 प्रतिश्त था। रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि में जीडीपी अपने औसत अनुमान 6.1 प्रतिशत से घटकर 5.8 प्रतिशत रह सकती है। साथ ही, रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष में ओवरऑल जीडीपी 6.8 प्रतिशत रह सकती है। यह भारतीय रिजर्व बैंक के पिछले अनुमान से 0.20 प्रतिशत कम है। बता दें कि एसबीआई रिसर्ज ने ये अनुमान 41 अग्रणी संकेतकों के समूह पर आधारित समग्र सूचकांक पर आधारित है।

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