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ईपीएफओ इक्विटी निवेश सीमा को 25% तक बढ़ाने पर कर रहा है विचार, जानें- क्यों?

EPFO Investment in Equity: ईपीएफओ इक्विटी निवेश सीमा को 25% तक बढ़ाने पर विचार कर रहा है. यदि इक्विटी निवेश की सीमा 25% तक बढ़ जाती है, तो EPFO ​​संभावित रूप से हर महीने शेयर बाजार में लगभग 3,000 करोड़ रुपये का निवेश कर सकता है.

Published: June 7, 2022 10:18 AM IST

EPFO Investment in Equity: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की त्रिपक्षीय शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की 25-26 जून को बेंगलुरु में बैठक होने वाली है, जिसमें इक्विटी में संगठन के एक्सपोजर को 25% तक बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया जाएगा.

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बता दें, ईपीएफओ 17 लाख करोड़ रुपये के कोष का प्रबंधन करता है और अपने सदस्यों से संबंधित 240 मिलियन से अधिक खातों का रखरखाव करता है. इसे सालाना लगभग 6.5 मिलियन सक्रिय ग्राहकों से लगभग 2.3 ट्रिलियन रुपये मिलते हैं.

अपने निवेश से गिरती आय के मद्देनजर, जिसने ईपीएफओ को 2021-22 के लिए भविष्य निधि जमा पर 8.1% ब्याज के चार दशक से अधिक के निचले स्तर की घोषणा करने के लिए मजबूर किया. वित्त निवेश और लेखा परीक्षा समिति (FIAC), की एक उप-समिति सीबीटी ने पिछले महीने अपनी बैठक में ईपीएफ सदस्यों के लिए उच्च रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए इक्विटी में निवेश की सीमा को 5% के दो समान चरणों में बढ़ाने पर चर्चा की.

मौजूदा सीमा को 15% से 25% तक बढ़ाने के प्रस्ताव पर कर रहा है विचार

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) इक्विटी में अपनी निवेश सीमा को मौजूदा 15% से 25% तक बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. शेयरों में अधिक निवेश का लक्ष्य शीर्ष सेवानिवृत्ति निकाय को लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करने के लिए संघर्ष कर रही ऋण प्रतिभूतियों में निवेश के साथ रिटर्न में कमी को घटाने में मदद करना है.

दो सप्ताह पहले वित्त निवेश और लेखा परीक्षा समिति की बैठक हुई

इस मामले पर चर्चा करने के लिए लगभग दो सप्ताह पहले वित्त निवेश और लेखा परीक्षा समिति की बैठक हुई थी. ईपीएफओ इक्विटी निवेश केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की जून के अंतिम सप्ताह में होने वाली बैठक में समिति के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा. सिफारिश को अंतिम मंजूरी के लिए श्रम और वित्त मंत्रालयों को भेजा जाएगा.

EPFO अधिकारियों ने हाल ही में प्रमुख म्यूचुअल फंडों से की मुलाकात

ईपीएफओ के अधिकारियों ने हाल ही में प्रमुख म्यूचुअल फंडों से मुलाकात की और इक्विटी योजनाओं में संभावित निवेश के रास्ते पर प्रतिक्रिया जुटाई. ईपीएफओ एसबीआई एनएसई -0.06% म्यूचुअल फंड और यूटीआई म्यूचुअल द्वारा संचालित सेंसेक्स और निफ्टी को ट्रैक करने वाले एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के माध्यम से इक्विटी में निवेश करता है. ईपीएफओ सक्रिय रूप से प्रबंधित इक्विटी म्यूचुअल फंड योजनाओं या सीधे शेयरों में निवेश नहीं करता है.

गौरतलब है कि 15% की सीमा पर, EPFO ​​इन ETF में लगभग 1,800-2,000 करोड़ रुपये का निवेश करता है. केंद्रीय भविष्य निधि निकाय के बारे में कहा जाता है कि उसे प्रतिदिन औसतन 600 करोड़ का प्रवाह प्राप्त होता है, जिसमें से वह दावों के निपटान के लिए लगभग 200 करोड़ का उपयोग करता है. यह विभिन्न निवेशों के लिए प्रति माह 12,000 करोड़ में तब्दील हो जाता है. यदि इक्विटी निवेश की सीमा 25% तक बढ़ जाती है, तो EPFO ​​संभावित रूप से हर महीने शेयर बाजार में लगभग 3,000 करोड़ रुपये का निवेश कर सकता है.

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शेयर बाजार में उथल-पुथल, लेकिन सितंबर में इक्विटी फंड में निवेश दोगुना से ज्यादा हुआ, SIP में भी तेजी आई

सितंबर के महीने में म्यूचुअल फंड्स का AUM घटकर 38.42 लाख करोड़ रुपए रहा. इक्विटी फंड्स में निवेश में दोगुना से ज्यादा उछाल दर्ज किया गया. SIP बढ़कर 12976 करोड़ रुपए रहा.

Mutual Funds data September: म्यूचु्अल फंड्स एसोसिएशन AMFI की तरफ से सितंबर महीने के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश का आंकड़ा जारी किया गया है. एम्फी के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर के महीने में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP बढ़कर 12976 करोड़ रुपए रहा. अगस्त के महीने में यह आंकड़ा 12693 करोड़ रुपए का रहा था. शेयर बाजार में हलचल रही, लेकिन इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश में उछाल दर्ज किया गया. सितंबर महीने में कुल इक्विटी इन्फ्लो 14077 करोड़ रहा. अगस्त के महीने में यह आंकड़ा 5942 करोड़ रहा था. मंथली आधार पर इसमें 137 फीसदी का उछाल आया है. वहीं, बीते महीने निफ्टी में 3.75 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.

टोटल असेट अंडर मैनेजमेंट घटा

सितंबर महीने में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का टोटल असेट अंडर मैनेजमेंट 38.42 लाख करोड़ रुपए रहा. इसमें गिरावट दर्ज की गई है. अगस्त के महीने में यह 39.33 लाख करोड़ रहा था. सितंबर महीने में सेक्टोरल फंड्स में सबसे ज्यादा निवेश आया. इस सेगमेंट में कुल 4418 करोड़ का निवेश आया. फ्लेक्सी कैप फंड्स में 2401 करोड़ का निवेश आया. मिडकैप फंड्स में 2151 करोड़ का निवेश आया. ETF में उछाल दर्ज किया गया और यह आंकड़ा 10808 करोड़ रहा जो अगस्त में 7416 करोड़ रहा.

लिक्विड फंड से 59970 करोड़ की भारी निकासी

लिक्विड फंड से 59970 करोड़ की निकासी की गई. अगस्त में 50096 करोड़ का इन्फ्लो आया था. टोटल डेट स्कीम से 65372 करोड़ की निकासी की गई. अगस्त में इस स्कीम में 49164 करोड़ का इन्फ्लो आया था. कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड से 2926 करोड़ की निकासी की गई. अगस्त में 673 करोड़ का इन्फ्लो आया था.

हायब्रिड फंड से निकासी

हायब्रिड फंड से सितंबर के महीने में 2688 करोड़ की निकासी की गई. अगस्त में यह निकासी 6601 करोड़ की थी. क्रेडिट रिस्क आउटफ्लो 492 करोड़ का रहा जो अगस्त में 88.3 करोड़ रहा.

Investment Tips: इक्विटी में निवेश की शुरुआत कैसे करें, जानिए इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें?

 लांग टर्म में रिटर्न के नजरिए से इक्विटी निवेश का सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है.

लांग टर्म में रिटर्न के नजरिए से इक्विटी निवेश का सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है.

अगर आप डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाए हुए हैं तो इक्विटी में आप सीधे (डायरेक्ट) निवेश कर सकते हैं. लेकिन निवेश की शुरु . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 03, 2021, 14:10 IST

Investment Tips: अगर आप लांग टर्म आर्थिक जरूरतों की पूर्ति के लिए फंड जनरेट करना चाहते हैं तो इक्विटी में निवेश जरूर शुरू कर दीजिए. क्योंकि लांग टर्म में रिटर्न के नजरिए से इक्विटी निवेश का सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है. सरकार की छोटी बचत योजनाओं, एफडी व अन्य फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश से हालांकि आपको सुनिश्चित रिटर्न मिलता है. लेकिन इन्फ्लेशन (महंगाई) और टैक्स को माइनस/एडजस्ट करने के बाद यह रिटर्न बेहद कम हो जाता है.

आइए इक्विटी में निवेश शुरू करने से पहले कुछ जरूरी बातों को जानते हैं:

डायरेक्ट या म्यूचुअल फंड के माध्यम से
अगर आप डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाए हुए हैं तो इक्विटी में आप सीधे (डायरेक्ट) निवेश कर सकते हैं. लेकिन निवेश की शुरुआत में डायरेक्ट निवेश का तरीका बेहतर नहीं है. क्योंकि इसके लिए आपको बाजार की समझ होनी चाहिए. साथ ही यह भी जरूरी है कि आप निवेश की बारीकियों से वाकिफ हों. जो पहली बार इक्विटी में निवेश करने वालों लोगों के पास आमतौर पर नहीं होता है.

अगर आप बिना समझ के निवेश करेंगे तो आपको नुकसान झेलना पड़ सकता है. इसलिए आम निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड इक्विटी में निवेश का सबसे आसान और सुरक्षित जरिया है. क्योंकि म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर अपनी बेहतर समझ से आपकी रकम को अलग अलग कंपनी के शेयरों में इन्वेस्ट/निवेश करता है.

निवेश की अवधि
इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश आपके लिए तभी बेहतर होगा जब आप इसमें लांग टर्म यानी कम से कम 10 से 15 साल के लिए निवेश कर रहे हों. क्योंकि बाजार मे उतार-चढाव की वजह से शार्ट और मीडियम टर्म में बेहतर रिटर्न की गुंजाइश कम बनती है. उल्टे नुकसान हो सकता है.

किस तरह के फंड में निवेश?
इक्विटी म्यूचुअल फंड भी अलग-अलग तरह के होते हैं. मसलन लार्ज कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप फंड. जैसा कि नाम से स्पष्ट है लार्ज कैप फंड में एक्सपोजर लार्ज कैप कंपनियों (मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से एक से 100 नंबर तक की लिस्टेड कंपनियां) में होता है. उसी तरह मिड कैप फंड में मिड कैप कंपनियों (मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से 101 से 250वें नंबर तक की कंपनियां) में और स्मॉल कैप फंड में एक्सपोजर स्मॉल कैप कंपनियों (मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से 250वें नंबर के बाद की सारी कंपनियां) में होता है.

लार्ज कैप फंड में उतार-चढाव यानी जोखिम/रिस्क स्मॉल कैप और मिड कैप फंड की तुलना में कम होता है. लेकिन रिटर्न के नजरिए से स्मॉल और मिड कैप फंड ज्यादा बेहतर हो सकते हैं. इसलिए निवेश की शुरुआत से पहले आप यह देख लें कि आप कितना जोखिम उठा सकते हैं.

अगर आप कम जोखिम उठा सकते हैं तो वैसे फंड में ही निवेश करना चाहिए जहां अधिकतम एक्सपोजर लार्ज कैप कंपनियों में हो. या फिर मल्टी इक्विटी निवेश कैप फंड में जहां निवेश लार्ज कैप, मिड कैप व स्माल कैप तीनो तरह की कंपनियों में होता है. तीनो तरह की कंपनियों में एक्सपोजर की वजह इक्विटी निवेश से मल्टीकैप फंड में लार्ज कैप फंड की तुलना में रिटर्न की गुंजाइश ज्यादा होती है. हालांकि वैसे निवेशक जो कम उम्र में निवेश शुरू कर रहे हैं वह मिड व स्मॉल कैप फंड में निवेश कर सकते हैं.

टैक्स में छूट
अगर आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश पर टैक्स में भी छूट चाहते हैं तो आपको ईएलएसएस (इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम) में निवेश करना चाहिए. लेकिन 80C के तहत टैक्स में यह छूट तभी मिलेगी जब आप इसमें कम से कम 3 वर्ष के लिए निवेश करें. हालांकि ईएलएसएस पर लांग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) टैक्स, अन्य इक्विटी म्यूचुअल फंड की तरह हीं लगता है. मेरी सलाह है कि ईएलएसएस में भी निवेश आप लांग टर्म के लिए हीं करें और तीन वर्ष के बाद रिडीम करने से बचें. क्योंकि बेहतर रिटर्न के लिए निवेश की अवधि लंबी होनी ही चाहिए. मतलब इसमें निवेश सिर्फ टैक्स बचाने के लिए नहीं बल्कि बेहतर रिटर्न के नजरिए से भी हो.

एसआईपी या लंप सम ?
शुरुआती निवेशकों के लिए एसआईपी (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) म्यूचुअल फंड में निवेश का बेहतर तरीका है. एसआईपी से आपको एवरेजिंग का फायदा मिलता है. यानी लंबी अवधि में निवेश करने पर उतार-चढाव का एवरेजिंग हो जाता है. मतलब गिरावट के दौर में एक समान निवेश पर ज्यादा यूनिट और तेजी के दौर में कम यूनिट मिलता है . दूसरी बात अगर आप एसआईपी के जरिए निवेश करते हैं तो यह आपको निवेश और बचत के मामले में अनुशासित भी करता है.

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'इक्विटी निवेश'

एचडीएफसी (HDFC) की निजी इक्विटी इकाई एचडीएफसी कैपिटल ने किफायती आवास क्षेत्र में प्रौद्योगिकी नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिये पहल की है. इसके तहत नवोन्मेष को लेकर प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जा रहा है.

ईपीएफओ (EPFO) निवेश योग्य जमा का पांच प्रतिशत से 15 प्रतिशत इक्विटी या इक्विटी संबंधित योजनाओं में निवेश कर सकता है. इस सीमा को बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने के प्रस्ताव पर ईपीएफओ के परामर्श निकाय वित्तीय लेखा और निवेश समिति ने विचार किया और मंजूरी दी है.

सरकार अब एलआईसी में अपने 3.5 फीसदी शेयरों को 21,000 करोड़ रुपये में बेचेगी, हालांकि ये नियामकीय मंजूरी के तहत होगा. मसौदा में कहा गया था कि सरकार एलआईसी की पांच फीसदी इक्विटी बेचेगी.

भारतीय कंपनियों ने वर्ष 2021 में इक्विटी और कर्ज के जरिये 9 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं. अगर ओमिक्रॉन के चलते हालात खराब नहीं हुए तो इसमें 2022 के दौरान और अधिक मजबूती आने की उम्मीद है

IPL New Team: कोलकाता के दिग्गज उद्योगपति संजीव गोयनका (Sanjiv Goenka) के आरपी-एसजी समूह ने सोमवार को इंडियन प्रीमियर लीग की लखनऊ फ्रेंचाइजी 7090 करोड़ रुपये में खरीदी जबकि अंतरराष्ट्रीय इक्विटी निवेश फर्म सीवीसी कैपिटल ने अहमदाबाद फ्रेंचाइजी 5600 करोड़ रुपये की बोली लगाकर अपने नाम की

इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Funds) योजनाओं को जुलाई में शुद्ध रूप से 22,583 करोड़ रुपये का निवेश मिला है. यह लगातार पांचवां महीना है जबकि इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश प्रवाह सकारात्मक रहा है. इस दौरान फ्लेक्सी-कैप श्रेणी (Flexicap Funds) को सबसे अधिक निवेश प्राप्त हुआ.

Glenmark Life IPO: Glenmark Life Sciences के IPO के तहत 1,060 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी किए जाएंगे. वहीं ग्लेनमार्क फार्मा 63 लाख इक्विटी शेयरों की बिक्री पेशकश लाएगी. आईपीओ आज से खुलकर 29 जुलाई को बंद होगा.

शेयरखान बाई बीएनपी परिबा के निवेश समाधान प्रमुख गौतम कालिया ने कहा, ‘‘अप्रैल महीने में कोविड-19 संक्रमण के मामले बढ़े. इससे बाजार में कुछ सुधार देखने को मिला, लेकिन इसके तुरंत बाद तेजी से सुधार हुआ. म्यूचुअल फंड इकाइयों ने अप्रैल में इस गिरावट का उपयोग इक्विटी निवेश बढ़ाने में किये.’’

कंपनी ने कहा, ‘‘इस निवेश के जरिये समूह की डिजिटल और नव वाणिज्य पहल को प्रोत्साहन मिलेगा और साथ ही उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों की पेशकश बढ़ेगी.’’आरआरवीएल के पास अर्बन लैडर की शेष हिस्सेदारी खरीदने का भी विकल्प होगा, जिससे उसकी कुल हिस्सेदारी 100 प्रतिशत इक्विटी शेयर पूंजी हो जाएगी. इसके अलावा. आरआरवीएल ने कंपनी में 75 करोड़ रुपये का और निवेश करने का प्रस्ताव किया है. कंपनी ने कहा कि यह निवेश दिसंबर, 2023 तक पूरा हो जाएगा.

इससे पहले आरआईएल ने 23 सितंबर को घोषणा की थी कि केकेआर इक्विटी निवेश उसकी सहायक कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (RRVL) में 1.28 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी खरीदने के लिए निवेश करेगी. कंपनी ने शेयर बाजार को बताया कि रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड को एलिसियम एशिया होल्डिंग्स (केकेआर की एक इकाई) से 5,550 करोड़ रुपये मिले हैं और इसके बदले केकेआर को 81,348,479 इक्विटी शेयर आवंटित किए गए हैं.

एसआईपी निवेश का 80 फीसदी इक्विटी फंडों में

पिछले दो वर्षों में हाइब्रिड व पैसिव फंडों को लेकर ऐक्टिव इक्विटी योजनाओं की तुलना में खासी दिलचस्पी नजर आई। हालांकि जब बात सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) की बात हो तो ऐक्टिव इक्विटी योजनाओं की प्रतिस्पर्धी के तौर पर ये नहीं उभर पाए हैं।

सिस्टमै​टिक इन्वेस्टमेंट प्लान के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि एसआईपी के जरिए हुए शुद्ध‍ निवेश का 80 फीसदी से ज्यादा सितंबर में ऐक्टिव इक्विटी योजनाओं में चला गया। इसकी तुलना में सिर्फ छह फीसदी पैसिव योजनाओं में और 8 फीसदी हाइब्रिड योजनाओं में गया। सितंबर में शुद्ध‍ एसआईपी निवेश में डेट योजनाओं की भागीदारी महज 2 फीसदी रही।

निवेश सलाहकार उतारचढ़ाव वाली परिसंपत्तियों में एसआईपी के जरिए निवेश की सलाह देते हैं ताकि रुपये की औसत लागत का अधिकतम फायदा उठाया जा सके। इसी वजह से एसआईपी निवेश के लिए इक्विटी ​योजनाएं सबसे ज्यादा तरजीही विकल्प हैं।

निवेशक आम तौर पर इक्विटी बाजारों में नरमी के दौरान एकमुश्त रकम के निवेश के लिए डेट व हाइब्रिड योजनाओं का इस्तेमाल करते हैं। कई वजहों से पिछले कुछ वर्षों के दौरान पैसिव व हाइब्रिड योजनाओं के इर्द-गिर्द काफी बातें हुई हैं।

हाइब्रिड योजनाओं को इक्विटी योजनाओं के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित विकल्प बताया गया था, जब बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए थे। पैसिव योजनाओं को कमजोर प्रदर्शन वाले लार्जकैप फंडों के विकल्प के तौर पर पेश किया गया।

पैसिव योजनाओं की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) मार्च 2021 व सितंबर 2022 के बीच 88 फीसदी बढ़ीं। हाइब्रिड फंडों ने इस अवधि में 44 फीसदी की वृद्धि दर्ज की।

सकल बनाम शुद्ध‍

एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों से पता चलता है कि ऐक्विट योजनाओं व अन्य योजनाओं (डेट, हाइब्रिड व पैसिव) में सकल एसआईपी निवेश इस वित्त वर्ष में बढ़ा है।

इक्विटी योजनाओं में सकल निवेश इस वित्त वर्ष में सितंबर तक 6 फीसदी बढ़कर 10,956 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो मार्च में 10,365 करोड़ रुपये था। बाकी ओपन एंडेड योजनाओं के मामले में सकल एसआईपी निवेश में बढ़ोतरी सिर्फ 3 फीसदी रही। ऐक्टिव इक्विटी योजनाओं में शुद्ध‍ निवेश जून में बढ़कर 7,360 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो अप्रैल में 5,672 करोड़ रुपये रहा था। उसके बाद से हर महीने यह आंकड़ा घटा है और सितंबर में 5,325 करोड़ रुपये रह गया।

म्युचुअल फंड के अधिकारियों व अग्रणी वितरकों के मुताबिक, एसआईपी के शुद्ध‍ निवेश के कम रहने की वजह त्योहारों के कारण हुई ज्यादा निवेश निकासी है। एम्फी के आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर में निवेशकों ने एसआईपी खातों से 6,578 करोड़ रुपये निकाले। यह 11 महीने का सर्वोच्च आंकड़ा है।

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