भारत में शीर्ष बिटकॉइन दलाल

Exposed: इंटरनेट से भी हो रही है काले धन की धुलाई
इसी सिलसिले को बढ़ाते हुए आपको बताने जाने जा रहे हैं कि कुछ शातिर किस तरह इंटरनेट के जरिए काले धन को सफेद बनाने का गोरखधंधा कर रहे हैं. इस धंधे का जरिया बनी हुई बिटकॉइन्स ऑनलाइन करेंसी
खुशदीप सहगल
- नई दिल्ली,
- 20 दिसंबर 2016,
- (अपडेटेड 20 दिसंबर 2016, 4:55 PM IST)
काले धन के खिलाफ देश की लड़ाई में कुछ ठग अदृश्य साइबर चुनौती बन कर पेश आ रहे हैं. ये डिजिटल करेंसी को उन कर चोरों तक पहुंचा रहे हैं जो अपनी काली कमाई के लिए सुरक्षित ठिकाने तलाश रहे हैं. ये खुलासा आज तक/ इंडिया टुडे की विशेष जांच टीम की तहकीकात से हुआ है. बता दें कि 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद से ही आजतक/इंडिया टुडे ने जुगाड़ के जरिए काले धन को सफेद बनाने वालों के खिलाफ मुहिम छेड़ी हैं.
इसी सिलसिले को बढ़ाते हुए आपको बताने जाने जा रहे हैं कि कुछ शातिर किस तरह इंटरनेट के जरिए काले धन को सफेद बनाने का गोरखधंधा कर रहे हैं. इस धंधे का जरिया बनी हुई बिटकॉइन्स ऑनलाइन करेंसी. ये एक तरह की आभासी करेंसी हैं जिसका हवाला ऑपरेटर और अपराधियों की ओर से वसूली, ड्रग्स के काले कारोबार और यहां तक की सुपारी लेकर हत्याओं का भुगतान करने के लिए किया जाता हैं. बिटकॉइन्स के अप्रतिबंधित ऑनलाइन बाजार के एजेंट इस आभासी करेंसी का इस्तेमाल काले धन को इंटरनेट पर खपाने में कर रहे हैं.
बता दें कि बिटकॉइन्स विश्व में मुद्रा नियमन वाली संस्थाओं की पकड़ से अब भी बाहर है. इन्हें कंप्यूटर्स की मदद से संचालित किया जाता है. इसे गुप्त करेंसी भी कहा जाता है. इसके जरिए इंटरनेट पर उत्पादों और सेवाओं को बेचा और खरीदा जाता है.
बिटकॉइन्स को 2008 में 'सटोशी नाकामोटो' के झूठे नाम से बनाया गया था. इन्हें आभासी बैंक खाते में जमा रखा जाता है. इनका इस्तेमाल करने वालों को ट्रांजेक्शन्स के लिए अपना वास्तविक नाम बताने की जरूरत नहीं होती. ये सिर्फ वॉलेट आईडी से पहचाने जाते हैं.
आजतक/इंडिया टुडे के अंडरकवर रिपोर्टर्स ने अपनी तहकीकात में देश में इंटरनेट पर सक्रिय मनी लॉन्ड्रिंग के दलालों को बेनकाब किया. इसी मुहिम के तहत अंडर कवर रिपोर्टर्स ने दिल्ली के V3S मॉल पर बिटकॉइन दलाल विजय से मुलाकात की. विजय ने अवैध नोटों को आभासी करेंसी में बदलने की पेशकश की.
विजय ने कहा, 'ये Zebpay पर 20 फीसदी प्रीमियम से होगा. मौजूदा रेट अगर प्रति बिटकॉइन 64,000 से 65,000 रुपए का है तो मान कर चलिए एक्सचेंज कम से कम 75,000 रुपए पर होगा.'
बता दें कि Zebpay भारत में बिटकॉइन ट्रेडिंग के लिए एक्सचेंज है.
विजय ने कहा, 'अगर 1,000 (बिटकॉइन) चाहते हैं तो आपको मिल जाएंगे. दोबारा भुगतान किश्तों में होगा. जैसे कि एक वक्त में 5 लाख से 6 लाख भारत में शीर्ष बिटकॉइन दलाल रुपए.' विजय ने बताया कि वो बिटकॉइन्स के बदले बंद हो चुके 1000 रुपए के नोट स्वीकार करने को तैयार है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आभासी करेंसी के ट्रेडर्स को पहले ही इसके कानूनी और वित्तीय जोखिमों के बारे में आगाह कर चुका है. 2013 में RBI ने चेतावनी दी थी कि इस तरह के ट्रांजेक्शन्स मनी लॉन्ड्रिंग और आंतकवाद को फंडिंग की रोकथाम वाले कानूनों के उल्लंघन की श्रेणी में आ सकते हैं.
इस सब के बावजूद बिटकॉइन्स के सीक्रेट नेटवर्क के दलाल बेखौफ टैक्स लूट के पैसे को आभासी करेंसी में बदल कर अपने लिए मोटी कमाई का रास्ता ढूंढ रहे हैं.
अंडरकवर रिपोर्टर्स को दिल्ली में एक और बिटकॉइन दलाल राहुल तक पहुंचने में सफलता मिली. अंडर कवर रिपोर्टर्स ने राहुल से अपनी काल्पनिक रकम को डिजिटल करेंसी में बदलने की इच्छा जताई. इस पर राहुल ने एक दूसरे दलाल से फोन पर बात की. फिर राहुल ने अंडरकवर रिपोटर्स ने पैसा लेकर आने के लिए कहा.
राहुल ने भारत में शीर्ष बिटकॉइन दलाल कहा, 'मैं जगह और रकम बता दूंगा. आपको मॉडल टाउन या जनकपुरी में पेमेंट मिल जाएगी. ये पेमेंट आपके डिजिटल वॉलेट में रहेगी. किसी को इसके बारे में पता नहीं चलेगा. आप इसे दो-चार महीने बाद निकलवा सकते हैं.'
राहुल ने दावा किया कि वो किस तरह सब काला धन रखने वालों को इसे डिजिटल करेंसी में बदलने में मदद कर रहा है. अभी तक इस ट्रेड के बारे में भारत में ज्यादा किसी को पता नहीं था. 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद डिजिटल करेंसी के जुगाड़ का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाने लगा.
जैसे जैसे बिटकॉइन्स के बारे में देश में जानकारी बढ़ रही है, इसकी कीमत भी बढ़ती जा रही है. बिटकॉइन के देश में दाम अमेरिका से 8 फीसदी ज्यादा हैं. भारत में बिटकॉइन ट्रेडिंग बहुत छोटे पैमाने पर है. हर दिन देश में 5 करोड़ रुपए की बिटकॉइन डीलिंग होती है. वहीं चीन में हर दिन 10,000 करोड़ रुपए और अमेरिका में 2,000 करोड़ रुपए बिटकॉइन ट्रेड होता है.
बिटकॉइन को लेकर देश में तस्वीर अब भी धुंधली है लेकिन फिर भी ये किसी भी फॉरेन एक्सचेंज ट्रेड, स्टॉक इंडेक्स और कॉमोडिटी कॉन्ट्रेक्ट से अच्छा निवेश साबित हो रहा है. तेल और सोने की तरह ट्रेड होने वाला इलेक्ट्रॉनिक कॉइन 2016 के शुरु से अब तक 79 फीसदी उछाल ले चुका है. अब इसका मूल्य 778 डॉलर तक पहुंच चुका है. ये 2014 से अब तक का सबसे ऊंचा मूल्य है.
फरीदाबाद के सेक्टर 29 में बिटकॉइन के एक और दलाल सरकार ने अवैध नोटों को बड़े पैमाने पर बदलने का दावा किया. सरकार ने कहा, 'मैं आपका काम एक ही बार में करा सकता हूं. मेरे संपर्क भारत में शीर्ष स्तर के लोगों तक है. और मैं क्या कह सकता हूं.' सरकार ने 9.60 लाख रुपए मूल्य के अवैध नोटों के बदले बिटकॉइन्स बेचने का प्रस्ताव किया. सरकार ने दावा किया, 'आपका धन तब सुरक्षित रहेगा.'
CryptoCurrency: अभी भले ही अंधकार में हो बिटकॉइन का भविष्य, लेकिन यह एक सच्ची विरासत; जानें क्यों
बिटकॉइन (Bitcoin), विनिमय का वह माध्यम है जो लेन-देन करने वाली पार्टियों (छद्म नाम के रूप में संदर्भित) की केवल डिजिटल पहचान का उपयोग करके लेनदेन की सुविधा प्रदान कर सकता है।
हाइलाइट्स
- बिटकॉइन अस्थिर है और इसके उपयोग से होने वाले लेनदेन धीमे व महंगे
- क्रिप्टोकरंसी अप्रत्यक्ष रूप से भौतिक मुद्रा के निधन को कर रही तेज
- ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के फाइनेंस के दूसरे क्षेत्रों में इस्तेमाल की हो रही तलाश
ईश्वर प्रसाद
बिटकॉइन (Bitcoin) का समय बेहतर नहीं हो सकता था। यह क्रिप्टोकरंसी 2009 की शुरुआत में अस्तित्व में आई. वैश्विक वित्तीय संकट शुरू होने के ठीक बाद की अवधि, जब अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में राष्ट्रीय सरकारों और वाणिज्यिक बैंकों पर भरोसा बिल्कुल निचले स्तर पर था। केंद्रीय बैंक के पैसे के उपयोग के बिना और एक वित्तीय संस्थान के हस्तक्षेप के बिना लेनदेन करने में सक्षम होने की धारणा इमीडिएट अपील थी।
बिटकॉइन, विनिमय का वह माध्यम है जो लेन-देन करने वाली पार्टियों (छद्म नाम के रूप में संदर्भित) की केवल डिजिटल पहचान का उपयोग करके लेनदेन की सुविधा प्रदान कर सकता है। बिटकॉइन ने शुरुआत में डार्क वेब को बढ़ावा भारत में शीर्ष बिटकॉइन दलाल दिया, जहां नशीली दवाओं और यौन तस्करी जैसे अवैध कारोबार होतेहैं। जैसे-जैसे इसने लोकप्रियता हासिल की, यह स्पष्ट हो गया कि इसके यूजर्स की गुमनामी की गारंटी नहीं दी जा सकती। बिटकॉइन का उपयोग करके लेनदेन या क्रिप्टोकरंसी का उपयोग करके वास्तविक वस्तुओं और सेवाओं की खरीद (और वितरण), यूजर्स की वास्तविक पहचान को उजागर करना संभव बनाता है। बिटकॉइन में रैनसमवेयर भुगतान प्राप्त करने वाले हैकर्स को अपने डिजिटल ट्रेल्स को छिपाने के लिए काफी दिमाग लगाना पड़ता है। इसके अलावा, बिटकॉइन अस्थिर है और इसके उपयोग से होने वाले लेनदेन धीमे व महंगे हैं। नेटवर्क भी बड़े लेनदेन की मात्रा को समय पर प्रॉसेस नहीं कर सकता है।
कुछ हद तक वित्तीय संपत्ति में बदल गया बिटकॉइन
बिटकॉइन, छद्म नाम से विनिमय के माध्यम के रूप में अपने घोषित उद्देश्य में विफल रहा है। लेकिन फिर भी बिटकॉइन कुछ हद तक एक वित्तीय संपत्ति में बदल गया है। बिटकॉइन में आंतरिक मूल्य का अभाव है ओर इसके अनुयायियों का मानना है कि इसकी कमी, बिटकॉइन की उच्च कीमत का आधार है। क्रिप्टोकरंसी क्रिएट करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाला एल्गोरिद्म 2.1 करोड़ बिटकॉइन की हार्ड कैप रखता है (अब तक लगभग 1.85 करोड़ बिटकॉइन क्रिएट किए गए हैं)। लेकिन कमी अपने आप में मूल्य का एक टिकाऊ स्रोत नहीं हो सकती है, और इस स्तर पर बिटकॉइन और इसी तरह की क्रिप्टोकरंसी की आसमान छूती कीमतें शुद्ध सट्टेबाजी को दर्शाती हैं। उनका मूल्य पूरी तरह से निवेशकों के विश्वास पर निर्भर करता है।
नया ट्रेंड स्टेबलकॉइन्स
पिछले कुछ सालों में, विभिन्न क्रिप्टोकरंसी सामने आई हैं जो बिटकॉइन की खामियों को दूर करने का प्रयास करती हैं। मोनेरो और Zcash जैसी क्रिप्टोकरंसी में परिष्कृत एन्क्रिप्शन एल्गोरिद्म हैं जो यूजर्स की पहचान को अधिक प्रभावी ढंग से छिपाते हैं लेकिन वे उपयोग करने के लिए बोझिल हैं। स्टेबलकॉइन्स नामक क्रिप्टोकरंसी की एक नई नस्ल अस्थिर मूल्य की समस्या को ठीक करने का प्रयास करती है, लेकिन लेनदेन को मान्य करने के लिए उन्हें निर्दिष्ट बिचौलियों की आवश्यकता होती है। कुछ हद तक विडंबना यह है कि स्टेबलकॉइन्स अपने स्थिर मूल्य को फिएट मुद्राओं या सरकारी बॉन्ड के स्टोर द्वारा उनके समर्थन से प्राप्त करती है। स्टेबलकॉइन्स के लिए व्यावसायिक मामला यह है कि वे राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर और उसके पार कम लागत और आसानी से सुलभ डिजिटल भुगतान प्रदान करते हैं। अवसर को भांपते हुए, यहां तक कि फेसबुक ने अपनी खुद के स्टेबलकॉइन्स Diem का प्रस्ताव दिया है, जो शुरू में अमेरिकी डॉलर और अमेरिकी सरकार के बॉन्ड जैसी हार्ड करंसी के भंडार द्वारा समर्थित होगा। फेसबुक और ऐमजॉन जैसी कॉरपोरेशंस की व्यापक पहुंच और वित्तीय दबदबे को देखते हुए, उनकी क्रिप्टोकरंसी को व्यापक स्वीकृति मिल जाने की कल्पना करना कठिन नहीं है।
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कुछ सरकारें मानती हैं खतरा
बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरंसी पर चीन का प्रतिबंध इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे कुछ सरकारें उन्हें एक खतरे के रूप में देखती हैं। अन्य सरकारें भी क्रिप्टोकरंसी और संबंधित सट्टा वित्तीय उत्पादों को विनियमित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। क्रिप्टोकरंसी में वित्तीय जोखिम भी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि क्रिप्टोकरंसी ने कोई वास्तविक लाभ नहीं दिया है। बिटकॉइन को रेखांकित करने वाली प्रौद्योगिकी जिसे ब्लॉकचेन कहा जाता है, उसके फाइनेंस के दूसरे क्षेत्रों में इस्तेमाल की तलाश की जा रही है। जल्द ही वकीलों और रियल एस्टेट दलालों जैसे पारंपरिक बिचौलियों के बिना, घर या कार खरीदने जैसे ब्रॉड रेंज ट्रांजेक्शन संभव हो सकेंगे।
केंद्रीय बैंकों ने अपने स्वयं की डिजिटल करंसी डिजाइन करना कर दिया शुरू
यह भी ध्यान देने योग्य है कि केंद्रीय बैंकों ने अपने स्वयं की डिजिटल करंसी डिजाइन करना शुरू कर दिया है। जापान और स्वीडन जैसे देशों ने परीक्षण शुरू कर दिया है और भारत सहित कई अन्य देशों ने ऐसा करने की योजना बनाई है। इस प्रकार क्रिप्टोकरंसी अप्रत्यक्ष रूप से भौतिक मुद्रा के निधन को तेज कर रही हैं। हालांकि वित्तीय संपत्ति के रूप में क्रिप्टोकरंसी का भविष्य अस्पष्ट है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट रूप से एक क्रांति की शुरुआत की है जो कम लागत वाले डिजिटल भुगतान को व्यापक रूप से सुलभ बनाएगी। ये नई प्रौद्योगिकियां, बुनियादी वित्तीय उत्पादों और सेवाओं की श्रृंखला को आसानी से और व्यापक रूप से जनता के लिए उपलब्ध कराकर फाइनेंस को लोकतांत्रिक बनाने में मदद करेंगी। यह बिटकॉइन की सच्ची विरासत हो सकती है, जिसके लिए हमें आभारी होना चाहिए।
(लेखक, कॉर्नेल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं और 'द फ्यूचर ऑफ मनी: हाउ द डिजिटल रेवोल्यूशन इज ट्रांसफॉर्मिंग करेंसीज एंड फाइनेंस' के लेखक हैं।)
Polygon: भारत में बनी क्रिप्टोकरेंसी दुनिया की शीर्ष 20 डिजिटल करेंसी में शामिल, जानिए इसके बारे में
क्रिप्टोकरेंसी वास्तव में एक डिजिटल करेंसी है जिसके जरिए आजकल बेहतरीन रिटर्न कमाने में मदद मिल रही है। दुनिया भर में बहुत सी क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं जिनमें ट्रेडिंग चल रही है। इनमें बिटकॉइन, डॉगकॉइन, इथेरियम, चिया जैसी क्रिप्टोकरेंसी शामिल है। अगर आप बहुत उत्साही क्रिप्टोकरेंसी निवेशक हैं तो आपको अपनी कुल निवेश पोर्टफोलियो का एक फीसदी से ज्यादा क्रिप्टो में निवेश करने की जरूरत नहीं है।
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पॉलीगॉन के संदीप नैनवाल
तीन भारतीयों द्वारा मिलकर बनाई गई क्रिप्टोकरेंसी पॉलीगॉन (polygon) पिछले हफ्ते मार्केट कैप के लिहाज से 10 अरब डॉलर को पार कर गई है। इस समय इसका मार्केट केपिटलाइजेशन 13 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इसके साथ ही पॉलीगॉन ने दुनिया के शीर्ष 20 क्रिप्टोकरेंसी की सूची में जगह बना ली है। दुनिया भर की क्रिप्टोकरेंसी पर नजर रखने वाली संस्था coinmarketcap.com के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। दुनिया भर में इन दिनों क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने में लोगों की रुचि बढ़ रही है, हालांकि कई कारणों से क्रिप्टो करेंसी के भाव में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है।
मेटिक बना पॉलीगॉन
पॉलीगॉन को पहले मैटिक नेटवर्क के नाम से जाना जाता था। इस साल फरवरी से अब तक इसका मार्केट कैप 10 गुना बढ़ चुका है। इसके ब्लॉकचेन का गेमिंग प्लेयर्स, नॉन फंजिबल टोकंस और डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस में प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसी साल मार्च में नैस्डेक (Nasdac) में लिस्टेड कॉइनबेस ने अपने यूजर को पॉलीगॉन कॉइन में ट्रेड करने की इजाजत दे दी थी।
बाजार की मांग के साथ बदलाव
पॉलीगॉन के सह संस्थापक संदीप नैनवाल ने कहा, "पिछले कुछ समय में पॉलीगॉन की ग्रोथ में काफी तेजी रही है। किसी भी क्रिप्टोकरंसी के साथ स्पेकुलेशन जुड़ा होता है और इसके साथ भी यह सच है कि हमने अपना विजन और कामकाज का स्कोप बढ़ाया है। रियल वर्ल्ड एप्लीकेशन और ग्राहकों की दिलचस्पी बढ़ने की वजह से पॉलीकॉन का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। पॉलीगॉन के अन्य संस्थापकों में जयंती कानानी और अनुराग अर्जुन शामिल हैं।
पॉलीगॉन से पावरहाउस
इस साल जनवरी से मई के बीच में पॉलीगॉन पर बनने वाले एप्लीकेशन की संख्या 8 गुना बढ़कर 400 तक पहुंच गई है। पॉलीगॉन इथेरियम ब्लाकचैन पर आधारित क्रिप्टोकरंसी है। ट्विटर के संस्थापक जैक डोर्सी भी ऐसा एक एप्लीकेशन यूज कर रहे हैं। वह भी एनएफटी की तर्ज पर इस तरह के एप्लीकेशन की मदद से मिंटिंग में जुटे हैं। नैनवाल ने कहा, "हम चाहते हैं कि भारत दुनिया में ब्लॉकचेन का पावर हाउस बने।" उनका लक्ष्य दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा क्रिप्टो प्रोजेक्ट बनाना है। बिटकॉइन और इथेरियम के बाद वे पॉलीगॉन को देखना चाहते हैं।
बिटकॉइन से मुकाबला
अगर अमेरिकी यूरोप और चीन की ब्लॉकचेन तकनीक की बात करें तो भारत का यह ब्लॉकचेन स्टार्टअप अभी नवजात अवस्था में है। पश्चिमी देशों की दमदार मौजूदगी वाले स्पेस में भारत के इस कामकाज को नोटिस करने में वक्त लग सकता है। वेस्टर्न प्रोजेक्ट अभी काफी प्रीमियम पर चल रहे हैं। अटेंशन पाने के लिए भारत की कंपनी को 5 गुना अधिक काम करना पड़ सकता है। साल 2019 में पहली बार पॉलीगॉन का टोकन बांटा गया था।
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बीजेपी नेताओं ने गुजरात में किया हजारों करोड़ का बिटकॉइन घोटाला: कांग्रेस
कांग्रेस ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए ‘मेगा बिटकॉइन स्कैम’ का खुलासा किया है। कांग्रेस ने कहा है कि गुजरात में बीजेपी नेताओं ने 5000 से 88000 करोड़ तक का घोटाला किया है। कांग्रेस ने इस मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है।
कांग्रेस ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए मेगा बिटकॉइन स्कैम का खुलासा किया है। कांग्रेस ने कहा है कि गुजरात में बीजेपी नेताओं ने मिडिलमैन यानी दलालों के जरिए पुरानी करेंसी नेपाल के जरिए विदेशों में भेजकर बिटकॉइन खरीदे। इसके अलावा जिन दूसरे लोगों ने भी बिटकॉइन में निवेश किया है उन्हें गुजरात सीबीआई और पुलिस धमकाकर उनसे बिटकॉइन की उगाही कर ही है। कांग्रेस ने इस पूरे घोटाले को 5000 से 88000 करोड़ तक का बताया है।
कांग्रेस ने इस घोटाले में बीजेपी के भाजपा के कुछ नेताओं के शामिल होने का अंदेशा जताया और मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग की। कांग्रेस प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि, “यह बहुस्तरीय घोटला था और गुजरात सीआईडी इसे 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला बता रही है, जबकि कुछ न्यूज रिपोर्ट और स्वतंत्र ब्लॉगर ने इस घोटाले को लगभग 88,000 करोड़ का बताया है।”
उन्होंने कहा कि अवैध लेनदेन का यह कारोबार गुजरात के गृह राज्य मंत्री प्रदीप जडेजा को की गयी शिकायत के बाद सामने आया और अब तक इस घोटाले में एक पुलिस अधीक्षक, एक निरीक्षक तथा दस पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। मामले की गहनता से की गयी जांच से यह भी खुलासा हुआ है कि घोटाले का मास्टरमाइंड भारतीय जनता पार्टी का पूर्व विधायक नलिन कोटाडिया है। वह अभी फरार है, लेकिन उसने एक वीडियो जारी कर कहा कि उसके साथ बीजेपी के कई शीर्ष नेता शामिल हैं और यदि उसकी गिरफ्तारी हुई तो वह सबका खुलासा कर देगा।
गोहिल ने कहा कि बीजेपी नेताओं ने नोटबंदी को जैकपॉट के तौर पर भुनाया है और पुराने नोटों के बदले बिटकॉइन जमा किए हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पुराने नोटों से बिटकॉइन जेनरेट कर हजारों करोड़ का लेनदेन हुआ है। कांग्रेस ने इस पूरे मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की है।
कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने गुरुवार को बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नोटबंदी के बाद बीजेपी नेताओं ने गुजरात में 5 हजार करोड़ से लेकर 88 हजार करोड़ रुपये तक का बड़ा बिटकॉइन घोटाला किया है। उन्होंने कहा कि पुराने नोट वर्चुअल करंसी में बदले गए। उन्होंने बताया कि बिटकॉइन करेंसी से दो लोगों के बीच में सीधा लेन-देन होता है और तीसरे को पता भी नहीं चलता।
गोहिल ने इस मामले में सूरत के एक व्यक्ति का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि सूरत के रहने वाले शैलेश बाबूलाल भट्ट से पहले एक सीबीआई इंस्पेक्टर ने और फिर अमरेली पुलिस ने बिटकॉइन करेंसी की जबरन वसूली की। उन्होंने बताया कि शैलेश की शिकायत के बाद शैलेश को शिकायतकर्ता न बनाकर सीआईडी इस मामले में खुद शिकायतकर्ता बनी। उनका कहा कि जांच से पता चलता है कि इसमें आईपीएस अधिकारी भी शामिल हैं और इसमें मास्टर माइंड बीजेपी नेता नलिन कोटरिया है। अब शैलेश तथा नलिन कोटरिया गायब हैं।
कांग्रेस का आरोप है कि गुजरात में जिस तरह बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और दूसरे भाजपा नेताओं के सहकारी बैंकों में हजारों करोड़ के पुराने नोट जमा हुए, उसी तरह 88 हजार करोड़ रुपये बिटकॉइन करंसी में बदले गए। गोहिल ने कहा कि कांग्रेस मांग करती है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस पूरे बिटकॉइन घोटाले की पारदर्शी जांच करायी जाए, तभी इसमें कुछ हासिल होगा।
कांग्रेस ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 6 सवाल पूछे हैं।
- अमरेली पुलिस किसके इशारे पर निवेशकों और दूसरे मिडिलमैन से बिटकॉइन की वसूली कर रही है?
- जांच एजेंसियों ने शैलेश भट्ट को शिकायतकर्ता क्यों नहीं बनाया?
- शिकायतकर्ता के मुताबिक सीबीआई इंस्पेक्टर सुनील नायर ने उससे 5 करोड़ रुपए की उगाही की, तो फिर उसे आरोपी बनाने के बजाय सिर्फ उसका ट्रांसफर क्यों किया गया?
- नलिन कोटड़िया ने जिन बीजेपी नेताओं के खिलाफ सबूतों की बात करते हैं, उनके नाम क्या हैं?
- सीबीआई, ईडी और दूसरी केंद्रीय एजेंसियां इस मेगा बिटकॉन स्कैम की जांच क्यों नहीं कर रही? वे किसे बचाने की कोशिश कर रही हैं?
- अगर मोदी सरकार कांग्रेस नेताओं की जांच के लिए सीबीआई और ई़डी को कर्नाटक तक भेज सकती है, तो फिर अपने ही घर में इस मामले की जांच क्यों नहीं करती।
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