महीने का ऑनलाइन ब्रोकर

सेबी ने ऑनलाइन बॉन्ड मंच प्रदान करने वालों के लिये नियम जारी किये
नयी दिल्ली, 11 नवंबर (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियां बेच रहे ऑनलाइन बॉन्ड मंच प्रदान करने वालों के लिये चीजें सुगम बनाने को लेकर नियामकीय व्यवस्था पेश की है।
सेबी ने शुक्रवार को एक अधिसूचना में कहा कि नये नियमों के तहत नियामक से शेयर ब्रोकर का पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त किये बिना कोई भी व्यक्ति ‘ऑनलाइन बॉन्ड’ मंच प्रदाता के रूप में काम नहीं करेगा।
ऐसे व्यक्ति को पंजीकरण की शर्तों के साथ समय-समय पर नियामक की तरफ से निर्धारित अन्य जरूरतों का पालन करना होगा। इस कदम से निवेशकों, विशेष रूप से गैर-संस्थागत निवेशकों के बीच भरोसा बढ़ेगा क्योंकि मंच की सुविधा नियामक से पंजीकरण प्राप्त मध्यस्थ प्रदान करेगा।
इस नियम के लागू होने की तारीख से पहले पंजीकरण प्रमाण पत्र के बिना ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता के रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति तीन महीने की अवधि के लिये अपना काम जारी रख सकता है।
बॉन्ड्स इंडिया डॉट कॉम के संस्थापक अंकित गुप्ता ने सेबी के कदम को बॉन्ड क्षेत्र के लिये एक महत्वपूर्ण पहल करार दिया। यह खुदरा निवेशकों के बीच भरोसा बढ़ाने और बॉन्ड बाजार में को गति देने में मददगार होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘अभी बाजार नियंत्रित नहीं है। इससे क्षेत्र में प्रवेश को लेकर कोई रोक-टोक नहीं है। इससे निवेशकों के बीच संबंधित व्यक्ति को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा होती है। सेबी के इस कदम के अन्य संबंधित नियमों महीने का ऑनलाइन ब्रोकर से निवेशकों की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है…।’’
सेबी के अनुसार, ऑनलाइन बॉन्ड मंच मान्यता प्राप्त शेयर बाजार से अलग है। यह कोई भी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली हो सकती है, जिस पर सूचीबद्ध या सूचीबद्ध होने के लिए प्रस्तावित ऋण प्रतिभूतियों की पेशकश और लेनदेन किया जाता है। इसके अलावा, ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता से आशय, वैसे व्यक्ति से है, जो इस तरह के मंच का संचालन करता है।
इसके तहत, सेबी ने एनसीएस (गैर-परिवर्तनीय प्रतिभूतियों का निर्गम और सूचीबद्धता) नियमों में संशोधन किया है। नया नियम नौ नवंबर से प्रभावी हो गया है।
इसके अलावा, सेबी ने अलग से प्रायोजकों के लिये रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) इकाइयों की न्यूनतम शेयरधारिता आवश्यकता को घटाकर 15 प्रतिशत करने के नियमों को अधिसूचित किया है। अबतक यह 25 प्रतिशत था। इसका उद्देश्य अधिक से अधिक कंपनियों को रीट लाने के लिये प्रोत्साहित करना है।
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
ट्रेडिंग अकाउंट में लाखों रुपए के नुकसान से बचना है तो गलती से भी न भूलें इन टिप्स को
हाल के दिनों में फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और आपको इनसे बचकर रहने की जरूरत है। अगर आप थोड़ी सी भी चूक होगी तो आपको लाखों रुपए का चूना लग सकता है। आजकल शेयर मार्केट में ट्रेडिंग में सभी लोगों.
हाल के दिनों में फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और आपको इनसे बचकर रहने की जरूरत है। अगर आप थोड़ी सी भी चूक होगी तो आपको लाखों रुपए का चूना लग सकता है। आजकल शेयर मार्केट में ट्रेडिंग में सभी लोगों की दिलचस्पी होती है और आप में से बहुत लोग शेयर बाजार में ट्रेडिंग भी करते होंगे, आपके ट्रेडिंग अकाउंट में काफी स्टॉक्स होंगे और उनकी वैल्यू भी काफी होगी। ऐसे में अगर आप सावधानी नहीं रखेंगे तो आपको लाखों रुपए का नुकसान होने की आशंका है। हम आपको बता रहे हैं, शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय किन बातों को गलती से भी नहीं भूलना चाहिए-
> केवल रेजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर के साथ ही व्यवहार/अनुबंध करें - जिस ब्रोकर के साथ आप लेन-देन कर रहे हों, उसके रेजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की जाँच कर लें।
> फिक्सड/गारंटीकृत/नियमित रिटर्न/कैपिटल प्रोटेक्शन प्लान्स से सावधान रहें। ब्रोकर या उनके औथोरइज्ड व्यक्ति या उनका कोई भी प्रतिनिधि/कर्मचारी आपके इन्वेस्ट पर फिक्सड/गारंटीकृत/नियमित रिटर्न/कैपिटल प्रिजरवेसन देने के लिए औथोरइज्ड नहीं है या आपके द्वारा दिये गए पैसो पर ब्याज का भुगतान करने के लिए आपके साथ कोई लोन समझौता करने के लिए औथोरइज्ड नहीं है। कृपया ध्यान दें कि आपके खाते में इस प्रकार का कोई व्यवहार पाए जाने पर आपका दिवालिया/निष्कासित ब्रोकर संबंधी दावा निरहन कर दिया जाएगा।
> कृपया आपने 'केवाईसी' (KYC) पेपर में सभी जरूरी जानकारी खुद भरें और ब्रोकर से अपने 'केवाईसी' पेपर की नियम अनुसार साइन की हुई प्रति प्राप्त करें। उन सभी शर्तों की जांच करें जिन्हें आपने सहमति और स्वीकृति दी है।
> सुनिश्चित करें कि आपके स्टॉक ब्रोकर के पास हमेशा आपका नया और सही कांटैक्ट डिटेल हो जैसे ईमेल आईडी/मोबाइल नंबर। ईमेल और मोबाइल नंबर जरूरी है और एक्सचेंज रिकॉर्ड में अपडेट के लिए आपको अपने ब्रोकर को मोबाइल नंबर देना होगा। यदि आपको एक्सचेंज/डिपॉजिटरी से नियमित रूप से संदेश नहीं मिल रहे हैं, तो आपको स्टॉक ब्रोकर/एक्सचेंज के पास इस मामले को उठाना चाहिए।
> इलेक्ट्रॉनिक (ई-मेल) कॉन्ट्रैक्ट नोट्स/फाइनेंशियल डिटेल्स का चयन सिर्फ तभी करें जब आप खुद कंप्यूटर के जानकार हों और आपका अपना ई-मेल अकाउंट हो और आप उसे प्रतिदिन/नियमित देखते हो।
> आपके द्वारा किए गए ट्रेड के लिए एक्सचेंज से प्राप्त हुए किसी भी ईमेल/एसएमएस को अनदेखा न करें। अपने ब्रोकर से मिले कॉन्ट्रैक्ट नोट/अकाउंट के डिटेल से इसे वेरिफ़ाई करें। यदि कोई गड़बड़ी हो, तो अपने ब्रोकर को तुरंत इसके बारे में लिखित रूप से सूचित करें और यदि स्टॉक ब्रोकर जवाब नहीं देता है, तो एक्सचेंज/डिपॉजिटरी को तुरंत रिपोर्ट करें।
> आपके द्वारा निश्चित की गई अकाउंट के सेटलमेंट कि फ्रिक्वेन्सी की जांच करें। यदि आपने करेंट अकाउंट (running account) का ऑप्शन चुना है, तो कृपया कन्फ़र्म करें कि आपका ब्रोकर आपके अकाउंट का महीने का ऑनलाइन ब्रोकर नियमित रूप से सेटलमेंट करता है और किसी भी स्थिति में 90 दिनों में एक बार ( यदि आपने 30 दिनों के सेटलमेंट का विकल्प चुना है तो 30 दिन) डिटेल्स भेजता है । कृपया ध्यान दें कि आपके ब्रोकर द्वारा डिफॉल्ट होने की स्थिति में एक्सचेंज द्वारा 90 दिनों से अधिक की अवधि के दावे एक्सैप्ट नहीं किए जाएंगे।
> डिपॉजिटरी से प्राप्त जॉइंट अकाउंट की जानकारी (Consolidated Account Statement- CAS) नियमित रूप से वेरिफ़ाई करते रहें और अपने ट्रेड/लेनदेन के साथ सामंजस्य स्थापित करें।
> कन्फ़र्म करें कि पे-आउट की तारीख से 1 वर्किंग डे के भीतर आपके खाते में धनराशि/सिक्योरिटी (शेयर) का पेमेंट हो गया हो। कन्फ़र्म करें कि आपको अपने ट्रेड के 24 घंटों के भीतर कॉन्ट्रैक्ट नोट मिलते हों।
> एनएसई की वेबसाइट पर ट्रेड वेरिफिकेशन की सुविधा भी उपलब्ध है जिसका उपयोग आप अपने ट्रेड के वेरिफिकेशन के लिए कर सकते हैं।
> ब्रोकर के पास अनावश्यक बैलेंस न रखें। कृपया ध्यान रहे कि ब्रोकर के दिवालिया निष्कासित होने पर उन खानों के दावे स्वीकार नहीं होंगे जिनमें 90 दिन से कोई ट्रेड ना हुआ हो।
> ब्रोकर्स को सिक्यूरिटि के ट्रांसफर को मार्जिन के रूप में स्वीकार करने की अनुमति नहीं है। मार्जिन के रूप में दी जाने वाली सिक्योरिटी ग्राहक के अकाउंट में ही रहनी चाहिए और यह ब्रोकर को गिरवी रखी जा सकती हैं। ग्राहकों को किसी भी कारण से ब्रोकर या ब्रोकर के सहयोगी या ब्रोकर के औथोरइज्ड व्यक्ति के साथ कोई सिक्यूरिटी रखने की अनुमति नहीं है। ब्रोकर केवल कस्टमर द्वारा बेची गई सिक्योरिटी के डिपोजिट करने के लिए ग्राहकों से संबंधित सिक्योरिटी ले सकता है।
> भारी मुनाफे का वादा करने वाले शेयर/सिक्योरिटी में व्यापार करने का लालच देकर ईमेल और एसएमएस भेजने वाले धोखेबाजों के झांसे में न आएं। किसी को अपना यूजर आईडी और पासवर्ड ना दें। आपके सारे शेयर या बैलेंस शून्य हो सकता है। यह भी हो सकता है कि आपके खाते में बड़ी राशि की वसूली निकल आए।
> पीओए (पावर ऑफ अटॉर्नी) देते समय सावधान रहें - सभी अधिकार जिनका स्टॉक ब्रोकर प्रयोग कर सकते हैं और समय सीमा जिसके लिए पीओए मान्य है, इसे स्पष्ट रूप से बताएँ। यह ध्यान रहे कि सेबी/एक्सचेंजों के अनुसार पीओए अनिवार्य / आवश्यक नहीं है।
> ब्रोकर द्वारा रिपोर्ट किए गए फंड और सिक्योरिटी बैलेंस के बारे में साप्ताहिक आधार पर एक्सचेंज द्वारा भेजे गए मैसेजों की जांच करें और यदि आप इसमें कोई अंतर पाते हैं, तो तुरंत एक्सचेंज को शिकायत करें।
> किसी के साथ पासवर्ड (इंटरनेट अकाउंट) शेयर न करें। ऐसा करना अपने सुरक्षित पैसे शेयर करने जैसा है।
> कृपया सेबी के रेजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर के अलावा किसी औथोरइज्ड व्यक्ति या ब्रोकर के सहयोगी सहित किसी को भी ट्रेडिंग के उद्देश्य से फंड ट्रांसफर न करें।
डिस्क्लेमर- जानकारी आपको एनएसई से मिली सूचना के आधार पर है।
4 तरीके जिसमें रियल एस्टेट ब्रोकर मृत लीड को पुनर्जीवित कर सकते हैं
लेनदेन में शामिल निवेश के विशाल आकार के कारण रियल एस्टेट कई अन्य व्यवसायों के विपरीत है। यही कारण है कि रियल एस्टेट ब्रोकर अक्सर अपने 20 में से केवल एक कॉल को सही दिशा में प्रगति करते हुए देखेंगे। 20 में से लगभग 19 बार, उन्हें बताया जा सकता है कि उनकी सेवाओं की आवश्यकता नहीं है। हालाँकि, यह भी इंगित करता है कि ये 19 लोग जिनके साथ आप संपर्क में हैं, आपके संभावित ग्राहक होने की संभावना है। यदि आपने प्रभावी ढंग से पालन किया है, तो आप सक्षम हो सकते हैंo उन्हें बिक्री / खरीद के बारे में अपना दिमाग बदलने में मदद करें।
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Mutual funds investment: घर बैठे करें निवेश, तैयार हो जाएगा 1 करोड़ रुपए का फंड
म्युचुअल फंड (mutual funds) में निवेश (investment) करके अच्छा रिटर्न (Best returns) पाया जा सकता है. म्युचुअल फंड (MF) की कई कैटेगरी (categories) का 5 साल का रिटर्न (returns) 30 फीसदी (per cent) से ऊपर रहा है. यही कारण है कि म्युचुअल फंड (mutual funds) की आसेट अंडर मैनेजमेंट (AMU) 25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई है. यही कारण है कि ज्यादातर लोग म्युचुअल फंड (MF) में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन निवेश का तरीका मालूम न होने के चलते वह कर नहीं पाते हैं. हालांकि म्युचुअल फंड (mutual funds) में निवेश (invest) काफी आसान होता है. यह 3 तरीके से किया जा सकता है.आइए जानते हैं कैसे करते हैं म्युचुअल फंड में निवेश .
कई तरीके हैं निवेश करने के
म्युचुअल फंड (mutual funds) में निवेश के कई तरीके हैं. एक तरीका है कि किसी एजेंट (Agent) के माध्यम से निवेश किया जाए. दूसरा तरीका है कि ऑनलाइन (online) किसी भी म्युचुअल फंड (MF) कंपनी या किसी मध्यस्थ कंपनी (Mediator company) के माध्यम से निवेश किया जाए. इसके अलावा तीसरा तरीका है कि किसी शेयर ब्रोकर कंपनी (Share broker company) में डीमैट (Demat) और ट्रेडिंग अकाउंट (Trading account) खोला जाए और उसके माध्यम से निवेश (investment) किया जाए. म्युचुअल फंड (mutual funds) की किसी अच्छी स्कीम (Scheme) में अगर कोई व्यक्ति 20 साल की उम्र में 1000 रुपए महीने का निवेश शुरू कर दे और उसे औसतन 12 फीसदी का ही रिटर्न मिले तो उस व्यक्ति को 60 साल की उम्र में 1 करोड़ रुपए से ज्यादा मिल सकता है.
ऐसे बनाएं प्लानिंग
-सबसे पहले तय करें कि किस माध्यम से निवेश (investment) करना है. अगर एजेंट (Agent) के माध्यम से करना है तो उससे संपर्क करें.
-MF में अगर निवेश ऑनलाइन निवेश (online investment) करना चाहते हैं तो तय करें कि शेयर ब्रोकर (Share broker) के माध्यम से करेंगे या सीधे म्युचुअल फंड (MF) कंपनी की वेबसाइट पर जाकर निवेश करेंगे.
-अगर शेयर ब्रोकर के माध्यम से निवेश करना चाहते हैं तो सबसे पहले डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाएं. अगर किसी म्युचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट (Website) पर जाकर सीधे निवेश करना चाहते हैं अपना डिटेल उस कंपनी की वेबसाइट (Website) पर दर्ज करें.
ऐसे करें ब्रोकर के माध्यम से निवेश
शेयर ब्रोकर (stock broker) के यहां खुले ट्रेडिंग खाते (trading account) की मदद से आप सीधे म्युचुअल फंड (mutual funds) में निवेश (Investment) कर सकते हैं. यहां पर म्युचुअल फंड वाले हिस्से में जाकर सही स्कीम (scheme) चुनें और कितना पैसा निवेश (investment) करना चाहते हैं, यह डालें. इसके बाद आपका निवेश (investment) हो जाएगा.
म्युचुअल फंड की वेबसाइट (mutual fund website) से निवेश का तरीका
अगर म्युचुअल फंड (mutual fund) की वेबसाइट (mutual fund website) के माध्यम से निवेश करना चाहते हैं तो उस कंपनी की साइट पर अपना ऑनलाइन अकाउंट (online account) बनाएं. इसमें नाम पता और बैंक डिटेल (bank details) जैसी जानकारी मांगी जाती है. एक बार यह अकाउंट बन जाए तो फिर आप उस कंपनी की किसी भी स्कीम (Scheme) में निवेश (investment) कर सकते हैं.
जारी होता है इन्वेस्टमेंट का स्टेटमेंट
किसी भी माध्यम (Mediator company) से निवेश (investment) करने पर म्युचुअल फंड (mutual funds) कंपनी एक स्टेटमेंट (investment statement) जारी करती है. इस स्टेटमेंट में निवेश से जुड़ा पूरा विवरण होता है.
हर माह भी कर सकते हैं निवेश (Investment)
म्युचुअल फंड (mutual funds) में निवेश (Investment) दो तरह से होता है. एक तरीके में निवेश एक बार में ही किया जाता है. इस तरीके से निवेश (Investment) में आमतौर पर 5 हजार रुपए का न्यूनतम निवेश करना होता महीने का ऑनलाइन ब्रोकर है. दूसरा तरीका सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) कहलाता है. Systematic Investment Plan माध्यम से हर माह निश्चित तारीख पर तय रकम का निवेश म्युचुअल फंड में होने लगता है. इस माध्यम से ज्यादातर स्कीम (Scheme) में न्यूनतम 500 रुपए का भी निवेश किया जा सकता है.
SIP निवेश का बेहतर तरीका
जानकारों (experts) के अनुसार सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan) यानी SIP म्युचुअल फंड (mutual funds) में निवेश (investment) का सबसे अच्छा तरीका है. इस माध्यम से निवेश (investment) की अच्छी एवरेजिंग हाे जाती है, जिससे निवेश में खतरा घट जाता है और अच्छे रिटर्न (probability of good returns) की संभावना बढ़ जाती है. म्युचुअल फंड में SIP शुरू करने के बाद जरूरी नहीं है कि आप तय समय तक ही निवेश करें. इस निवेश (investment) को आप जब भी चाहें रोक सकते हैं. ऐसा करने पर कोई पेनाल्टी (penalty) नहीं लगती है.
5 साल का रिटर्न (returns) देखें
म्युचुअल फंड (MF) में अच्छी स्कीम चुनने के लिए या तो आप स्वंय स्कीम्स का कम से कम 5 साल का रिटर्न (returns) देखें. जिस स्कीम का रिटर्न (returns) अच्छा हो उसके निवेश के लिए चुन सकते हैं. अगर ऐसा करने में कोई दिक्कत हो तो किसी वित्तीय सलाहकार (financial adviser) से राय ले सकते हैं.
सेबी ने ऑनलाइन बॉन्ड मंच प्रदान करने वालों के लिये नियम जारी किये
नयी दिल्ली, 11 नवंबर (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियां बेच रहे ऑनलाइन बॉन्ड मंच प्रदान करने वालों के लिये चीजें सुगम बनाने को लेकर नियामकीय व्यवस्था पेश की है।
सेबी ने शुक्रवार को एक अधिसूचना में कहा कि नये नियमों के तहत नियामक से शेयर ब्रोकर का पंजीकरण महीने का ऑनलाइन ब्रोकर प्रमाणपत्र प्राप्त किये बिना कोई भी व्यक्ति ‘ऑनलाइन बॉन्ड’ मंच प्रदाता के रूप में काम नहीं करेगा।
ऐसे व्यक्ति को पंजीकरण की शर्तों के साथ समय-समय पर नियामक की तरफ से निर्धारित अन्य जरूरतों का पालन करना होगा। इस कदम से निवेशकों, विशेष रूप से गैर-संस्थागत निवेशकों के बीच भरोसा बढ़ेगा क्योंकि मंच की सुविधा नियामक से पंजीकरण प्राप्त मध्यस्थ प्रदान करेगा।
इस नियम के लागू होने की तारीख से पहले पंजीकरण प्रमाण पत्र के बिना ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता के रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति तीन महीने की अवधि के लिये अपना काम जारी रख सकता है।
बॉन्ड्स इंडिया डॉट कॉम के संस्थापक अंकित गुप्ता ने सेबी के कदम को बॉन्ड क्षेत्र के लिये एक महत्वपूर्ण पहल करार दिया। यह खुदरा निवेशकों के बीच भरोसा बढ़ाने और बॉन्ड बाजार में को गति देने में मददगार होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘अभी बाजार नियंत्रित नहीं है। इससे क्षेत्र में प्रवेश को लेकर कोई रोक-टोक नहीं है। इससे निवेशकों के बीच संबंधित व्यक्ति को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा होती है। सेबी के इस कदम के अन्य संबंधित नियमों से निवेशकों की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है…।’’
सेबी के अनुसार, ऑनलाइन बॉन्ड मंच मान्यता प्राप्त शेयर बाजार से अलग है। यह कोई भी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली हो सकती है, जिस पर सूचीबद्ध या सूचीबद्ध होने के लिए प्रस्तावित ऋण प्रतिभूतियों की पेशकश और लेनदेन किया जाता है। इसके अलावा, ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता से आशय, वैसे व्यक्ति से है, जो इस तरह के मंच का संचालन करता है।
इसके तहत, सेबी ने एनसीएस (गैर-परिवर्तनीय प्रतिभूतियों का निर्गम और सूचीबद्धता) नियमों में संशोधन किया है। नया नियम नौ नवंबर से प्रभावी हो गया है।
इसके अलावा, सेबी ने अलग से प्रायोजकों के लिये रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) इकाइयों की न्यूनतम शेयरधारिता आवश्यकता को घटाकर 15 प्रतिशत करने के नियमों को अधिसूचित किया है। अबतक यह 25 प्रतिशत था। इसका उद्देश्य अधिक से अधिक कंपनियों को रीट लाने के लिये प्रोत्साहित करना है।
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.