क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है

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अमेरिकी डॉलर को रौंद रही रूस-चीन क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है की स्ट्रैटजी: पुतिन ने सस्ता तेल बेचा, जिनपिंग ने सस्ता कर्ज बांटा; भारत भी अहम क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है किरदार
24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला करते ही रूस पर प्रतिबंधों की बाढ़ आ गई। अमेरिकी डॉलर में कारोबार न कर पाने का संकट खड़ा हो गया। रूसी करेंसी रूबल की वैल्यू धड़ाम हो गई। रूस की इकोनॉमी तबाह होने की भविष्यवाणियां होने लगीं, लेकिन पुतिन तो जैसे इसी मौके के इंतजार में थे। उन्होंने जिनपिंग के साथ एक ऐसी स्ट्रैटजी को एक्टिवेट कर दिया, जिसकी तैयारी दोनों पिछले कई सालों से कर रहे थे। ये स्ट्रैटजी दुनिया से अमेरिका डॉलर के दबदबे को खत्म कर क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है सकती है।
भास्कर एक्सप्लेनर में हम रूस-चीन की उसी स्ट्रैटजी को आसान भाषा में जानेंगे, लेकिन उससे पहले 2 सवालों के जवाब जान लेना जरूरी है.
सवाल- 1: अमेरिकी डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी कैसे बन गई?
Foreign Exchange Reserves: देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर, 524.52 अरब डॉलर रह गया रिजर्व
3.85 अरब डॉलर की गिरावट के बाद देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2 साल के सबसे निचले स्तर 524.52 अरब डॉलर रह गया है.
Foreign Exchange Reserves: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले दो साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक 21 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार में 3.85 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया है. जुलाई 2020 के बाद यह सबसे निचले स्तर पर है. इससे पिछले हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर की गिरावट के बाद 528.37 अरब डॉलर रह गया था. पिछले कई महीनों से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट दर्ज की जा रही है.
एफसीए और गोल्ड रिजर्व में भी गिरावट
आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में मुद्राभंडार का महत्वपूर्ण घटक मानी जाने वाली फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) 3.593 अरब डॉलर घटकर 465.075 अरब डॉलर रह गई है. इसके साथ ही देश के गोल्ड रिजर्व 24.7 करोड़ डॉलर घटकर 37,206 अरब डॉलर रह गया. केंद्रीय बैंक के मुताबिक स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDRs) 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.44 अरब डॉलर हो गया है.
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रुपये में गिरावट को रोकने के प्रयास जारी
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की प्रमुख वजह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट को रोकने के लिए RBI मुद्रा भंडार से मदद ले रहा है. अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के साथ सबसे ऊंचे स्तर पर था. आरबीआई द्वारा क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है घरेलू करंसी के मूल्य को गिरावट से बचाने के लिए पिछले एक साल में अब तक 115 अरब डॉलर की बिकवाली कर चुका है.
विदेशी मुद्रा भंड़ार में गिरावट का असर
कोई भी देश जरूरत पड़ने पर अपने देश की करंसी में आई तेज गिरावट को रोकने के लिए विदेशी मुद्रा भंड़ार की मदद लेता है. हालांकि इसमें गिरावट के नुकसान भी हैं. अगर मुद्रा भंड़ार ज्यादा कम हो जाता है, तो करंसी में अनियंत्रित गिरावट हो सकती है. इससे आयात पर निर्भर देशों पर बुरा असर पड़ता है, क्योंकि करंसी में गिरावट की वजह से आयात पर दिये जाने वाली लागत बढ़ जाती है.
इकोनॉमिस्ट्स ने कहा, विदेशी मुद्रा की आवक बढ़ाने और रुपया में गिरावट रोकने में बहुत सफल नहीं होंगे RBI के उपाय
RBI ने देश में विदेशी मुद्रा (Foreign Currency) की आवक बढ़ाने के जो उपाय किए हैं, उनका ज्यादा फायदा मिलने की उम्मीद नहीं है। इस वजह से डॉलर के मुकाबले रुपया के एक्सचेंज रेट पर इसका असर नहीं पड़ेगा। इकोनॉमिस्ट्स ने मनीकंट्रोल को यह बात बताई है। पिछले कुछ समय से डॉलर के मुकाबले रुपया में लगातार कमजोरी आ रही है।
कोटक सिक्योरिटीज में करेंसी क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है डेरिवेटिव के हेड विकास बजाज ने कहा, "हमने रुपया में कमजोरी आने पर इस तरह क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है के उपाय पहले भी देखे हैं। इनका खास असर नहीं पड़ता है। हमें यह इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि करंट अकाउंट (बढ़ता व्यापार घाटा) और कैपिटल अकाउंट (पूंजी का देश से बाहर जाना) दोनों ही मोर्चों पर रुपया को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उधर, डॉलर को लेकर माहौल काफी सपोर्टिव है और वित्तीय स्थितियां कठिन हो रही हैं।"
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उन्होंने कहा कि विदेशी माहौल अनुकूल नहीं है जिससे आरबीआई के उपायों से छोटी अवधि में थोड़ा फायदा हो सकता है। लेकिन, इनसे रुपया की दिशा बदलने की उम्मीद कम है। मंगलवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 80 के लेवल को पार कर गया।
RBI ने इस महीने की शुरुआत में देश में विदेशी करेंसी की आवक बढ़ाने के लिए कई उपायों का ऐलान किया था। उम्मीद थी कि इन उपायों से डॉलर के मुकाबले रुपया पर दबाव घटेगा। इनमें बैंकों को नॉन-रेजिडेंट्स इंडियंस से विदेशी मुद्रा जुटाने के लिए ज्यादा आजादी दी गई थी। सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के बॉन्ड में छोटी अवधि के लिए विदेशी इनवेस्टर्स के निवेश की सीमा हटा दी गई थी।
इकोनॉमिस्ट्स ने कहा, विदेशी मुद्रा की आवक बढ़ाने और रुपया में गिरावट रोकने में बहुत सफल नहीं होंगे RBI के उपाय
RBI ने देश में विदेशी मुद्रा (Foreign Currency) की आवक बढ़ाने के जो उपाय किए हैं, उनका ज्यादा फायदा मिलने की उम्मीद नहीं है। इस वजह से डॉलर के मुकाबले रुपया के एक्सचेंज रेट पर इसका असर नहीं पड़ेगा। इकोनॉमिस्ट्स ने मनीकंट्रोल को यह बात बताई है। पिछले कुछ समय से डॉलर के मुकाबले रुपया में लगातार कमजोरी आ रही है।
कोटक सिक्योरिटीज में करेंसी डेरिवेटिव के हेड विकास बजाज ने कहा, "हमने रुपया में कमजोरी आने पर इस तरह के उपाय पहले भी देखे हैं। इनका खास असर नहीं पड़ता है। हमें यह इस तथ्य को स्वीकार क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है करना होगा कि करंट अकाउंट (बढ़ता व्यापार घाटा) और कैपिटल अकाउंट (पूंजी का देश से बाहर जाना) दोनों ही मोर्चों पर रुपया को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उधर, डॉलर को लेकर माहौल काफी सपोर्टिव है और वित्तीय स्थितियां कठिन हो रही हैं।"
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उन्होंने कहा कि विदेशी माहौल अनुकूल नहीं है जिससे आरबीआई के उपायों से छोटी अवधि में थोड़ा फायदा हो सकता है। लेकिन, इनसे रुपया की दिशा बदलने की उम्मीद कम है। मंगलवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 80 के लेवल को पार कर गया।
RBI ने इस महीने की शुरुआत में देश में विदेशी करेंसी की आवक बढ़ाने के लिए कई उपायों का ऐलान किया था। उम्मीद थी कि इन उपायों से डॉलर के मुकाबले रुपया पर दबाव घटेगा। इनमें बैंकों को नॉन-रेजिडेंट्स इंडियंस से विदेशी मुद्रा जुटाने के लिए ज्यादा आजादी दी गई थी। सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के बॉन्ड में छोटी अवधि के लिए विदेशी इनवेस्टर्स के निवेश की सीमा हटा दी गई थी।
रुपया गिरने का क्या है मतलब?
विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिका मुद्रा (डॉलर) के मुकाबले रुपया गिरने का मतलब है कि भारत की करंसी कमजोर हो रही है. इसका मतलब अब आपको आयात में चुकाई जाने वाली राशि अधिक देनी होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि ग्लोबल स्तर पर अधिकतर भुगतान डॉलर में होता है. यानी रुपया गिरता है हमे अधिक विदेशी मुद्रा खर्च करनी होती है, जिससे हमारा विदेशी मुद्रा भंडार कम होने लगता है. यही वजह है कि विदेशी मुद्रा भंडार पर संकट आते ही सबसे पहले तमाम देश आयात पर रोक लगाते हैं.
एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आपको कुछ आयात करने में 1 लाख डॉलर देने पड़ रहे हैं. साल की शुरुआत में डॉलर की तुलना में रुपया 75 रुपये पर था. यानी तब जिस आयात के लिए 75 लाख रुपये चुकाने पड़ रहे थे, अब उसी के लिए 80 लाख रुपये चुकाने पड़ेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि अब डॉलर के मुकाबले रुपया 80 रुपये के भी ऊपर निकल चुका है.