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क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है

क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है
मायावती ने कहा था कि यूपी में मदरसों पर भाजपा सरकार की टेढ़ी नज़र है. मदरसा सर्वेक्षण के नाम पर क़ौम के चंदे पर चलने वाले निजी मदरसों में हस्तक्षेप का अनुचित प्रयास हो रहा है, जबकि सरकार को सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसों व सरकारी स्कूलों के बदतर हाल को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए.

गोल्ड

गोल्ड के बदले ‘गोल्ड बॉन्ड’ में निवेश कितना लाभकारी है?

एक भारतीय महिला के लिए सोना बहुत महत्वपूर्ण होता है.आभूषण के रूप में पहनने,उपहार के रूप में देने में सोने का इस्तेमाल बड़ा सम्मानित और कुलीन माना जाता है.लेकिन सोने का इस परंपरागत उपयोग के अलावा आर्थिक दृष्टि से निवेश के रूप में प्रयोग भी बहुत लोकप्रिय है.इन सब कारणों से भारत में सोने की मांग हमेशा ऊंची रहती है.लेकिन भारत में सोने का अभाव है.इसलिए इस बढ़े हुए मांग को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर सोने का आयात करना पड़ता है.इस आयात में भारत के विदेशी मुद्रा कोष से बड़ी मात्रा में धन निकलते हैं.विदेशी मुद्रा कोष से धन न निकले इसलिए आरबीआई ने 2015 में ‘सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम लेकर आई.

भारत सरकार के निदेश पर आरबीआई इस बॉन्ड को बेचती है.अभी 30 अगस्त 2021 से 3 सितंबर 2021 तक इसे आप डाकघर,बैंक या ऑनलाइन खरीद सकते हैं.इसपर 2.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज मिलता है और आठ वर्ष इस बॉन्ड की परिपक्वता अवधि है.अर्थात 8 वर्ष बाद आपको एक मोटी राशि मिलेगी.सोने के मूल्य के समान ही इसके भी मूल्य में चढ़ाव उताड़ आते रहता है.आप इसे बीच में भी बेच सकते हैं.

गोल्ड के बदले गोल्ड बॉन्ड में क्यों निवेश करें?

यदि आप सुरक्षित निवेश होने के कारण सोने में निवेश करते हैं तो फिजिकल गोल्ड के बदले गोल्ड बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं.इसमें आपको ब्याज और परिपक्वता क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है अवधि पूरी होने पर एक अच्छा रिटर्न मिलेगा.जो कि फिजिकल गोल्ड में निवेश से नही क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है प्राप्त होता है.लेकिन यदि आप सोने को आभूषण के रूप में उपयोग करना चाहते हैं तो इसमें निवेश न करें.

इस बॉन्ड के कारण एक तो सरकार का आयात कम हुआ इससे व्यापारिक घाटा कम करने में सरकार को सुविधा हुई.दूसरी ओर सरकार बॉन्ड जारी करके बाजार से पैसे जुटा ली जिसे वो खर्च कर सकती है.सरकार आम तौर पर बॉन्ड के माध्यम से पैसे जुटाती रहती है.लेकिन इस बॉन्ड के माध्यम से सरकार के दो ऑब्जेक्टिव पूरे हो जाते हैं.आम आदमी के लिए भी यह सुरक्षित निवेश होती हैं क्योंकि इसे सरकार जारी करती है.

रिटेल इनवेस्टर्स अब RBI से सीधे खरीद सकेंगे सरकारी बॉन्ड, सेंट्रल बैंक में खुलेगा अकाउंट

रिटेल इनवेस्टर्स अब RBI से सीधे खरीद सकेंगे सरकारी बॉन्ड, सेंट्रल बैंक में खुलेगा अकाउंट

Government Bond: अब रिटेल इनवेस्टर्स सरकारी बॉन्ड में RBI के जरिए सीधे लेनदेन कर सकते हैं.

Government Bond: अब रिटेल इनवेस्टर्स सरकारी बॉन्ड में RBI के जरिए सीधे लेनदेन कर सकते हैं. आम निवेशक रिजर्व बैंक आफ इंडिया के जरिए प्राइमरी और सेकंडरी दोनों मार्केट में ट्रांजैक्शन कर सकते हैं. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार 5 फरवरी को मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू जारी करते हुए इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि सरकारी बॉन्ड में लेनदेन करने के लिए अब कोई भी RBI में अकाउंट खुलवा सकता है. इस फैसले के साथ ही इंडिया अब उन देशों की लिस्ट में शामिल हो चुका है जहां आम निवेशक सरकारी बॉन्ड में लेनदेन करते हैं. यह एक बड़ा स्ट्रक्चरल बदलाव है.

रिस्क कम, स्टेबल रिटर्न

देखा जाए तो अभी भी निवेशक गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लेन देन करते हैं. लेकिन अब वे आरबीआई के जरिए सीधे गवर्नमेंट बांड में लेन देन कर सकेंगे. यह एक नया कदम है. असल में सरकारी बॉन्ड में रिटेल इनवेस्टर्स की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सरकार और RBI ने कई अहम कदम उठाए हैं. यह भी उन्हीं में शामिल है. बता दें कि गवर्नमेंट बांड को निवेश के लिए सुरक्षित माना जाता है. इसे सरकार जारी करती है, इसलिए इनमें रिस्क नहीं या बहुत कम होता है. इन बॉन्ड पर कम लेकिन स्टेबल रिटर्न मिलता है.

गवर्नमेंट बांड ऐसा डेट इंस्ट्रूमेंट है, जिसकी खरीद-फरोख्त होती है. केंद्र और राज्य सराकरों इन्हें जारी करती हैं. केंद्र या राज्यों की सरकारों को कई बार फंड की जरूरत पड़ती है. कई बार लिक्विडिटी क्राइसिस की स्थिति बनती है. ऐसे में बाजार से पैसा जुटाने के लिए वे ऐसे बांड जारी करती हैं. यह छोटी और लंबी अवधि दोनों के लिए जारी किए जाते हैं.

अभी कौन करता है खरीद-बिक्री?

गवर्नमेंट बांड की खरीद बिक्री म्यूचुअल फंड, PF, बीमा कंपनियां, कमर्शियल बैंक, प्राइमरी डीलर, को-ऑपरेटिव बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और पेंशन फंड करते हैं. इसमें एक साथ खरीदने और बेचने की बोली लगाई जाती है. इसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) को सीमित कारोबार की इजाजत दी गयी है. कंपनियां भी G-Sec की खरीद-बिक्री करती हैं.

कई ऐसे गवर्नमेंट बांड हैं, जिनमें पिछले 5 साल का रिटर्न 7 से 10 फीसदी सालाना तक है. वहीं कुछ 10 साल के मेच्योरिटी वाले बांड भी हैं, जिनमें 10 फीसदी सालाना तक के हिसाब से रिटर्न मिला है. अगर सही स्कीम का चुनाव करें तो रिटर्न के लिहाज से यह एफडी से बेहतर हो सकता है. वहीं इसमें 10 साल की मेच्योरिटी वाली स्कीम भी है. अगर आप G-Sec में निवेश करते हैं और तीन साल से अधिक समय तक निवेश बनाये रखते हैं तो म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करने पर आप इनकम टैक्स में लाभ उठा सकते हैं.

सरकार दे रही सस्ता सोना खरीदने का सुनहरा मौका, 28 फरवरी से आवेदन शुरू, चेक करें कीमतों के साथ सभी डिटेल्स

अगर आप सोने में निवेश करना चाहते हैं तो आपके पास शानदार मौका आ रहा है। दरअसल, सरकारी गोल्ड बॉन्ड योजना 2021-22 के लिए इश्यू प्राइस 5,109 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया है। इसमें निवेश के लिये सोमवार से आवेदन दिया जा सकता है।

Updated: February 25, 2022 11:45:43 pm

अगर आप भी गोल्ड में रुचि रखते हैं और सोने में निवेश करना चाहते हैं तो आपके पास एक शानदार मौका आ रहा है। बता दें कि, सरकारी गोल्ड बॉन्ड योजना 2021-22 के लिए इश्यू प्राइस 5,109 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया है। जिसमे निवेश के लिये सोमवार यानी 28 फरवरी से आवेदन प्रक्रिया शुरू हो रही है।भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को कहा कि गोल्ड बॉन्ड योजना 2021-22 की 10 वीं किस्त सब्सक्रिप्शन के लिए 28 फरवरी से 4 मार्च तक खुली रहेगी।

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क्या आप आवेदन कर सकते हैं:
कुछ मीडिया खबरों के अनुसार इस योजना के तहत आम निवेशक न्यूनतम एक ग्राम सोना और अधिकतम चार किलो ग्राम सोना के लिये निवेश कर सकते हैं। हिंदु अविभाजित परिवार चार किलो और न्यास तथा इसी प्रकार की इकाइयां प्रत्येक वित्त वर्ष में 20 किलो के लिये आवेदन कर सकती हैं।

इन निवेशकों के लिए जरूरी है गोल्ड बांड:
इस स्कीम की सबसे बड़ी खास बात तो ये है कि सोने की कीमत में इजाफा होने के साथ आपको प्रत्येक 2.5 फीसदी का ब्याज भी मिलता है। वहीं इसमें डिफॉल्ट होने का खतरा भी नहीं होता है। इस स्कीम से बाहर निकलना भी काफी आसान है। वहीं इस स्कीम में निवेशकों को कैपिटल गेंस भी नहीं देना होगा। अगर बात बीते 10 से 15 सालों की करें तो गोल्ड में निवेश करना काफी फायदे के सौदा साबित हुआ है।

विदेशी हमलावरों के गुनाहों को भारतीय मुसलमानों के ‘सिर का बोझ’ नहीं बनाना चाहिए: नकवी

उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य के ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण कराने के निर्णय पर भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि सभी मदरसों पर शक़ नहीं करना चाहिए, लेकिन सर्वेक्षण को लेकर बवाल करना खुद सवाल बन जाता है. The post विदेशी हमलावरों के गुनाहों को भारतीय मुसलमानों के ‘सिर का बोझ’ नहीं बनाना चाहिए: नकवी appeared first on The Wire - Hindi.

उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य के ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण कराने के निर्णय पर भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि सभी मदरसों पर शक़ नहीं करना चाहिए, लेकिन सर्वेक्षण को लेकर बवाल करना खुद सवाल बन जाता है.

भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी. (फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शुक्रवार को यहां कहा कि विदेशी आक्रमणकारियों की ‘गुनाहों की गठरी’ को भारतीय मुसलमानों के ‘सिर का बोझ’ नहीं बनाना चाहिए.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता नकवी शुक्रवार को लखनऊ स्थित विश्वेश्वरैया हॉल में उत्तर प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन पर लोगों को संबोधित कर रहे थे.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नकवी ने कहा कि मानवता के खिलाफ क्रूरता का जघन्य इतिहास कभी भी किसी भारतीय समुदाय के डीएनए का क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है हिस्सा नहीं हो सकता. लेकिन जब लोग विदेशी आक्रमणकारियों की क्रूरता को पहचानने की कोशिश करते हैं, तो वे वास्तव में देश में सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने के लिए नापाक तत्वों की मदद करते हैं.’

भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि कुछ लोग ‘इस्लामोफोबिया’ के झूठे और मनगढ़ंत तर्कों तथा दुष्प्रचार के जरिये भारत को बदनाम करने की कोशिश करते रहते हैं, लेकिन ऐसी साजिश से सावधान रहने की जरूरत है.

प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाय)

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गरीबी दूर करने के लिए भारत सरकार ने वित्तीय समावेशन को बेहद महत्वपूर्ण बताया है। यदि लोग बड़ी संख्या में वित्तीय सेवाओं से वंचित रहेंगे तो यह हमारे देश के विकास में बाधा बनेगा। नागरिकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए इस योजना की आवश्यकता थी जिससे सभी इससे होने वाले लाभ और विकास का हिस्सा बन सकें।

विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाय) की घोषणा प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2014 को ऐतिहासिक लाल किले से की थी जिसका शुभारम्भ 28 अगस्त 2014 को पूरे देश में किया गया। योजना के शुभारम्भ के समय माननीय प्रधानमंत्री जी ने इसे गरीबों की इस दुष्चक्र से मुक्ति के त्योहार के रूप में मनाने का अवसर बताया।

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