प्रवृत्ति की रणनीति

टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है?

टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है?
टेक्नोलॉजी से नुकसान – Disadvantages of technology in hindi

वार्षिक रिपोर्ट: यह किसी कंपनी के मूल्यांकन को कैसे प्रभावित करती है

कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट कंपनी से जुड़े आंतरिक कारकों की जानकारी देती है। लेकिन सिर्फ यही कारक कंपनी के मूल्य को प्रभावित नहीं करते। कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट और आंतरिक पहलुओं के बाहर भी एक दुनिया है, या यूँ कहें, कि इनके अलावा भी कई अहम कारक हैं। और इस अध्याय में हम उन्ही के बारे में पढ़ेंगे। हम बहुत से बाहरी कारकों के बारे में ध्यान से पढ़ेंगे और ये समझने की कोशिश करेंगे कि वे कंपनी के मूल्यांकन को कैसे प्रभावित करते हैं। तो चलिए, शुरू करते हैं।

बाज़ार की मौजूदा परिस्थियाँ

कंपनी जिस उद्योग के अंतर्गत काम करती है, उस उद्योग की बाज़ार परिस्थितियों का कंपनी के मूल्यांकन पर गहरा असर पड़ता है। बाज़ार की मौजूदा परिस्थितियों या करेंट मार्केट सिनारियो, में बहुत सारे कारक शामिल होते हैं, जैसे उद्योग की मांग ,बाज़ार का साइज़, उद्योग को नियंत्रित करने वाली नीतियाँ, और व्यापक ग्लोबल परिस्थितियाँ। चलिए एक-एक कर, इन कारकों के बारे में जानते हैं।

उद्योग की मांग

अगर एक कंपनी किसी ऐसे उद्योग के अंतर्गत काम करती है जो अभी ट्रेंड में चल रहा है या आमतौर पर बाज़ार में जिसकी डिमांड बनी रहती है, तो उसका मूल्यांकन, किसी दूसरे उद्योग के अंतर्गत काम कर रही, उसी साइज़ की, बाकी कंपनियों के मुकाबले ज्यादा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि उस कंपनी को उद्योग के प्रोडक्ट की बढ़ती डिमांड और उस उद्योग में बढ़ते निवेश का फायदा मिलता है।

बाज़ार का आकार

इंडस्ट्री की मांग की तरह ही, किसी उद्योग के लिए बाज़ार जितना बड़ा होगा, उस इंडस्ट्री में काम करने वाली कंपनी का मूल्यांकन उतना ही ज्यादा होगा। उदाहरण के लिए, अगर कंज़्यूमर ड्यूरेबल्स के बाज़ार का आकार बड़ा है, तो उस उद्योग में काम करने वाली कंपनियों का मूल्यांकन ज्यादा हो सकता है।

उद्योग को नियंत्रित करने वाली नीतियाँ

सरकार द्वारा बनाई गयी नीतियाँ, कंपनी के मूल्यांकन पर बहुत ज्यादा प्रभाव डाल सकती हैं। अगर उन नीतियों में बहुत ज्यादा प्रतिबंध लगाए गए हैं और नियामक प्राधिकरणों का नियंत्रण बहुत ज़्यादा है, तो कंपनियों का मूल्यांकन कम हो सकता है।

व्यापक ग्लोबल परिस्थितियाँ

मौजूदा ग्लोबल इकॉनोमी, स्वास्थ्य, सामाजिक और राजनीतिक स्थितियों का कंपनी के मूल्यांकन में बहुत बड़ा हाथ होता हैं। अगर इनमें से कोई भी एक कारक गड़बड़ा जाता है, तो आप यह मानकर चलिए कि कंपनी के मूल्यांकन पर उसकी मार ज़रूर पड़ेगी।

तो अब आप समझ गए है कि बाज़ार की मौजूदा परिस्थियों का मूल्यांकन पर क्या असर पड़ता है। चलिए, इन कारकों को उदाहरण के माध्यम से टेस्ट करते हैं। एक मोटर गाड़ी उद्योग को लेते है, विशेष रूप से, कार बनाने वाले उद्योग को। यहाँ उद्योग की मांग और भारत में कार का बाज़ार, दोनों ही बहुत बड़े और सकारात्मक हैं, लेकिन फिर भी 2020 में कार बनाने वाली कंपनियों के मूल्यांकन को एक झटका लगा।

इसका मुख्य कारण था भारत सरकार के, सभी गाड़ियों के लिए BS6 प्रदूषण नियंत्रण के कड़े नियम और दूसरा, कोविड-19 महामारी। इन दोनों की वजहों से, मौजूदा बाज़ार परिस्थितियाँ खराब हुई और BS4 गाड़ियों की बहुत बड़ी इन्वेंट्री बिक नहीं पाई। इसकी वजह से उद्योग को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। इसके साथ ही कोरोना महामारी की वजह से लगाए हुए लॉकडाउन और लोगों की छूटती नौकरियों की वजह ने भी नयी गाड़ियों की डिमांड को पूरी तरह से खत्म कर दिया। इस तरह आपको समझ आ गया होगा कि कैसे बाज़ार की परिस्थितियों का असर कंपनी के मूल्यांकन पर पड़ा।

उद्योग में होने वाली अप्रत्याशित घटनाएँ

आमतौर पर, निवेशक अनिश्चित और अप्रत्याशित घटनाओं को पसंद नहीं करते है। इस तरह की घटनाएँ व्यवसाय को पटरी से उतार देती हैं और इससे बिज़नेस को नुकसान पहुँचता है, और इसी वजह से कंपनी का मूल्यांकन कम होता है। लेकिन यह भी सही नहीं है कि सभी अकस्मात घटनाओं से मूल्यांकन में हमेशा कमी ही आती है। एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, जिस घटना से किसी इंडस्ट्री को नुकसान होता है वही घटना किसी दूसरी इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद हो सकती है।

उदाहरण के लिए हम एयरलाइन इंडस्ट्री और मेडिकल इंडस्ट्री को लेते है। कोरोना महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन में, सभी एयरलाइनों की सभी उड़ानों पर अनिवार्य रूप से पहले हफ्तों और फिर महीनों के लिए रोक लगा दी गयी। इससे सभी एयरलाइंस को बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि उन्हें तो अभी भी कर्मचारियों को सैलरी , हवाई जहाज़ों की लीज़, और हैंगर किराए जैसी स्थायी खर्च टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है? का भुगतान तो करना ही पड़ रहा है। ज़्यादातर एयरलाइंस ने अपने कई कर्मचरियों को कंपनी से निकाला है ताकि उनके खर्चों में कमी आ सके। इस अकेली अकस्मात घटना की वजह से एयरलाइन कंपनी के मूल्यांकन में बहुत ज्यादा गिरावट आई है।

दूसरी ओर, मेडिकल इंडस्ट्री इस परिस्थिति में ना केवल सुरक्षित तरह से चलते रहने में सफल रही है, बल्कि यह तो और ज्यादा फलती-फूलती रही। फार्मा कंपनियों ने इस दौरान श्वासयंत्र, ब्लड ऑक्सीमीटर, थर्मल स्कैनर, और वेंटिलेटर जैसे मेडिकल प्रोडक्टस की बिक्री में बहुत बड़ा इज़ाफा देखा। इस अचानक हुई घटना ने दोनों ही तरह के निवेशक, चाहे वह घरेलू हों या विदेशी, को फार्म इंडस्ट्री में निवेश करने के लिए बहुत प्रेरित किया, जिससे इस इंडस्ट्री का मूल्यांकन बहुत तेज़ी से बड़ा है।

नए प्रतियोगियों का मार्केट में आना

एक और कारक जो किसी कंपनी की वैल्यूशन को प्रभावित करता है, वह है नए प्रतियोगियों का बाज़ार में आना। आमतौर पर, नए प्रतियोगियों के पास कुछ अहम फायदे तो होते ही है। उनके पास इंडस्ट्री और उपभोक्ताओं का अच्छे से विश्लेषण करने का समय होता है। इसीलिए जब वह अपना बिज़नेस शुरू करते हैं तो वह सभी कारकों को ध्यान में रखकर बिलकुल सही तरीके से शुरुआत करते हैं। और जब भी कोई नया प्रतियोगी बाज़ार में कदम रखता है तो उसके पास लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का फायदा भी होता है जो उन्हें मौजूदा खिलाड़ियों की तुलना में ज्यादा अच्छे तरीके से काम करने में मदद करता है।

उदाहरण के लिए रिलायंस जियो लिमिटेड को लेते हैं, टेलिकॉम सेक्टर में उन्होंने बहुत देरी से एंट्री ली थी। पर फिर भी, अगर हम एक्टिव यूज़र-बेस को आधार रखकर देखें, तो वह पिछले कुछ ही वर्षो में नंबर एक पर पहुँच गई है। अच्छी खासी पूंजी वाले जियो ने, टेलीकॉम सेक्टर में काफी कम लागत वाली स्कीमों साथ-साथ, अत्याधुनिक 4जी टेक्नोलॉजी को लॉन्च किया जिससे उनका कस्टमर बेस और मज़बूत हो गया।

टेलीकॉम इंडस्ट्री में रिलायंस जियो की एंट्री, उन दूसरी टेलीकॉम कंपनियों के मूल्यांकन में नुकसान के लिए जिम्मेदार थी, जो अभी तक मजबूत मूल्यांकन और शानदार रिटर्न कमाती थी। टेलीकॉम इंडस्ट्री के समीकरण बदलने के साथ ही जियो ने दूरसंचार कंपनियों के मूल्य को भी गिरा दिया, जिससे वोडाफोन और आइडिया सेल्यूलर के बीच विलय हो गया।

निष्कर्ष

ये तीनों ही, कंपनियों के मूल्यांकन को प्रभावित करने वाले एकमात्र कारक नहीं हैं। हालांकि, यह सबसे ज्यादा टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है? प्रभावित करने वाले कारक ज़रूर हैं। अब तक, हम केवल मूल्यांकन के मात्रात्मक पक्ष को ही देख रहे थे। लेकिन इस अध्याय के साथ, हमने अब मूल्यांकन के गुणात्मक पक्ष को भी अच्छे से समझ लिया है। अगले अध्याय में, हम इस बारे में बात करेंगे कि आप अपने खुद का मूल्यांकन मॉडल कैसे बना सकते हैं और उन महत्वपूर्ण मूल्यांकन रेशियो के बारे में भी बात करेंगे, जो निवेशक नियमित रूप से उपयोग करते हैं।

टेक्नोलॉजी के नुकसान निबंध | Technology ke nuksan in hindi

टेक्नोलॉजी के नुकसान | Disadvantages of technology in hindi

टेक्नोलॉजी यानि ऐसी तकनीक जिससे हमारा जीवन सरल, सुगम बनता है। वैसे तो टेक्नोलॉजी का प्रभाव सभी जगह है लेकिन शहरो में रहने वाले व्यक्ति के जीवन में टेक्नोलॉजी का अधिक असर होता है। Technology ने मनुष्य को दिमागी स्तर पर अति संवेदनशील बना दिया है लेकिन भावुकता कम हो गयी है।

टेक्नोलॉजी की वजह से शहरी जीवन घड़ी की सुइयों पर भागने लगा है। हर आदमी घड़ी के हिसाब से चलता है। टाइम में ट्रेन चलती है, टाइम से ऑफिस शुरू होता है, टाइम पर पानी आता है। Time का गुलाम है बन गया है आदमी। इस भागदौड़ ने व्यक्ति को भावनाशून्य सा बना दिया है।

गाँव में भी लोग समय के पाबंद होते है पर समय सुबह, दोपहर, शाम, रात मुख्यतः इन चार भागो में बटा होता है। गाँव की व्यवस्था पर टेक्नोलॉजी ने इतना गहरा असर नही डाला है, जितना कि शहरों में।

शहरों में समय पर बिल न जमा करने पर बिजली चले जाने का डर, पानी चले जाने का डर, ट्रैफिक में फँसने से समय पर गंतव्य न पहुँच पाने का डर। ऐसे कई बातें आदमी का ध्यान घेरे रहती है। इन सब के बीच खुद के लिए समय नही निकाल पा रहा है, उसके पास ये जानने का समय भी नहीं कि टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है? उसके पड़ोस में कौन रहता है ?। टेक्नोलॉजी ने मनुष्य की मानसिक स्थिति को बहुत प्रभावित किया है।

disadvantages of technology in hindi

टेक्नोलॉजी से नुकसान – Disadvantages of technology in hindi

टेक्नोलॉजी के दुष्प्रभाव हैं शहरों का ध्वनि प्रदूषण (गाड़ियों का, मशीनों का, घरेलू उपकरणों का, टीवी का) आर्टिफिशियल लाइट की चकाचौंध, रात जैसा दिन और दिन जैसी रात का माहौल …ये सब हमारी सभी इन्द्रियों को बराबर व्यस्त रखते है।

आजकल गाँव-शहर हर जगह टेक्नोलॉजी का प्रभाव बहुत बढ़ गया है। टेक्नोलॉजी ने एक नई सूचना क्रांति को जन्म दिया है जिसके पीछे मोबाइल, इंटरनेट का बहुत बड़ा हाथ है।

Mobile, कम्प्यूटर, टीवी, Internet बड़े अवरोध हैं। कहते हैं मन की गति प्रकाश से भी तेज होती है। मन अनंत है ये तो सुनामी की लहरों पे भी नाव चलाये लेकिन Internet और Mobile जैसे माध्यमो ने मन की गति को अंतहीन दिशा दे दी है। मन की गति पर सब मौजूद है। उंगली घुमाइए और हाज़िर है जिन्न जैसे हजार उत्तर। मन और इन्टरनेट की गति एक जैसी हो गयी है।

इंटरनेट तो जादूगर के हाथ से निकलते रुमाल जैसा है जिसमे एक लाल रुमाल निकलता है तो उसके अंतिम छोर से पीला रुमाल बंधा हुआ निकलने लगता है जिसके अंतिम छोर पर अगला रुमाल बंधा दीखता है। जादूगर के इस जादू का अंत तो होता है पर इंटरनेट के जादू का सम्मोहन आज के व्यक्ति के दिमाग पर 24 घंटे चलता ही रहता है।

टेक्नोलॉजी ने व्यक्ति के पूरे समय पर कब्ज़ा कर लिया है और ये हाल कब्ज जैसा हो गया है, न मुक्ति मिलती है न चैन आता है। रोज़ रोज़ वही कहानी। मगर जैसे कब्ज ठीक करने के लिए खान-पान का संयम जरुरी है वैसे ही टेक्नोलॉजी संयम जरुरी है।

साधू सन्यासी आदमी पहाड़ो में रहते थे ताकि संसारिकता से दूर रह सके और मन की गति को शांत करके कुछ बातो पर केंद्रित कर सके। इन्टरनेट, कम्प्यूटर बिजली से चल रहे है पर हम नहीं। हम थकते है, भूख लगती है, हमें मानसिक शांति भी चाहिए।

Essay on Disadvantages of technology in hindi –

हम टेक्नोलॉजी के मालिक है और टेक्नोलॉजी हमारी गुलाम। हम इनपर इतना अधिक आश्रित हो गए हैं कि टेक्नोलॉजी हमें कंट्रोल करने लगा है। क्या हो अगर मालिक नौकर की गुलामी करने लगे तो ? वो उस से चिपका बैठा रहे बस उसकी सुने तो ? व्यवस्था गडबडा जाएगी। टेक्नोलॉजी से बस काम भर लो, रिश्ता मत जोड़ो ये ऐसे गुलाम है। क्योंकि हम जीते जागते इंसान है रोबोट नहीं।

हम इन सब के इतना अभ्यस्त हो गए हैं कि इनके बिना हमें खालीपन लगता है। किताबें पढना ,खेलना, शौक पूरे करना इत्यादि लोग टीवी, इन्टरनेट से पहले किया करते थे। लोग अब भी करते है पर संख्या कम हो गयी है। पढना, खेलना ये सब कार्य आदमी अपनी शारीरिक शक्ति और इच्छाशक्ति जितना करता है। मोबाइल में क्या है बस उँगलियाँ घुमाते रहो, खेलते रहो दिन रात।

Life balance image

लाइफ में बैलेंस

इन्टरनेट ने हमें Jack of all, Master of none बना दिया है। किसी एक चीज़ पर हम रुकते कहाँ है बस यहाँ वहां उड़ते जमते रहते है।

टेक्नोलॉजी का संयमित उपयोग ही सही रास्ता है। जैसे रास्तो में आदमी कान में गाना सुनते, नेट करते आता जाता रहता है बस अपनी दुनिया में खोया हुआ। यह समय वो अपने दोस्तों, प्रियजनों को फोन कर सकता है। न संभव हो तो आत्म चिंतन कर सकता है। जरुरी कामो का हिसाब कर सकता है, लिस्ट बना सकता है।

आप कहेंगे अब इन सब कामों के लिए भी एप्प आते है मोबाइल में। आप विश्वास करिए मैंने खुद पढ़ा है कई बड़ी आईटी कम्पनियों के सीईओ, नामी वेबसाईट्स के जनक अपने जेबों में एक छोटी सी डायरी और पेन रखते है। उनका मानना है ये ज्यादा सरल, आसान तरीका है बजाय मोबाइल में लिखना।

आजकल ध्यान योग में लोगो की बढती दिलचस्पी का कारण है टेक्नोलॉजी के नुकसान से खोई हुई, जीवन में बढ़ता खालीपन, भावनाशून्यता। जीवन में संयम ही शांति देता है आनंद देता है। कहा गया है अति सर्वथा वर्जयते (किसी भी वस्तु की अति अच्छी नही होती)।

टेक्नोलॉजी को सही इस्तेमाल सुख और गलत इस्तेमाल दुखद हो सकता है। Follow knowledge fun will follow, Follow fun misery will follow.

Healthy Life

शांत जीवन

सही जीवन का रहस्य है कर्मो और विचारों में सामंजस्य (बैलन्स) बनाना। इसलिए Technology का सही उपयोग और प्रयोग पर नियंत्रण आवश्यक है। Essay on Technology in hindi पर यह लेख अच्छा लगा तो Share और Forward अवश्य करें, जिससे अन्य लोग भी ये जानकारी पढ़ सकें।

क्या आपकी कंपनी एक कर्मचारी स्थानांतरण के भावनात्मक टोल का प्रबंधन कर रही है?

चलना अक्सर एक शीर्ष जीवन तनाव माना जाता है, इसलिए क्या होता है जब आप कुछ अन्य बड़े तनावों को जोड़ते हैं जैसे कि घर खरीदना / बेचना और एक नए स्थान पर एक अलग नौकरी शुरू करना? एक स्थानांतरण कर्मचारी के लिए यह कितना तनावपूर्ण हो सकता है? इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि आपके स्थानांतरित कर्मचारी और उनके परिवार को इस तनाव से भावनात्मक रूप से टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है? कैसे प्रभावित किया जाता है?

संभावित भावनात्मक टोल का प्रबंधन एक महत्वपूर्ण कारक है जिसे सभी नियोक्ताओं को संबोधित करना चाहिए, खासकर यदि आपकी कंपनी आपके कर्मचारियों को अपनी सबसे मूल्यवान संपत्ति में से एक मानती है। एक नियोक्ता के रूप में, आपको लागत और रसद पर विचार करना चाहिए लेकिन संभावित भावनात्मक टोल को भी अनदेखा न करें!

कर्मचारी पर स्थानांतरित करने का भावनात्मक टोल क्या है?

डब्ल्यूएचआर समूह मानव संसाधन प्रबंधक, किम्बरले उइट्ज़, एसएचआरएम-सीपी के अनुसार, "स्थानांतरित करने का तनाव सीधे कर्मचारी के मानसिक स्वास्थ्य और उनके नियोक्ता के साथ जुड़ाव को प्रभावित कर सकता है। जब कर्मचारी अलग होने लगेंगे, तो उनकी उत्पादकता में गिरावट शुरू हो जाएगी। यह एक ट्रिकल-डाउन प्रभाव बन जाएगा जो सीधे टीमों और अंततः कंपनी को प्रभावित कर सकता है। जब स्थानांतरण और उनके कर्मचारी के मानसिक स्वास्थ्य की बात आती है, तो कंपनियों को सक्रिय होने की आवश्यकता होती है, और जुड़ाव और उत्पादकता दोनों में इन गिरावटों को रोकने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता होती है।

कोविड-19 महामारी के मद्देनजर भी नियोक्ताओं ने अपने कर्मचारियों को नए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों पर स्थानांतरित करना जारी रखा है। स्थानांतरणकर्ताओं और उनके परिवारों को स्थानांतरण से संभावित भावनात्मक और मानसिक टोल का सामना करना पड़ता है:

  • यदि परिवार के एक या अधिक सदस्य इस कदम से नाखुश हैं और बसने में परेशानी हो रही है, तो तनाव कर्मचारी को भी प्रभावित कर सकता है। कर्मचारी विचलित, अलग या नाखुश महसूस कर सकता है, और वे नई भूमिका छोड़ने और अपने मूल स्थान पर वापस जाने पर भी विचार कर सकते हैं। एक पूरे परिवार के जीवन को उखाड़ फेंकना और एक नए समुदाय को स्वीकार करना काफी मुश्किल हो सकता है।
  • एक नए स्थान पर जाने से जुड़े कर्मचारी तनाव में एक साथी के करियर, बच्चों की शिक्षा, नई भाषाएं सीखना, सांस्कृतिक मतभेद, अपने पुराने घर को बेचना, या यहां तक कि पुराने सहकर्मियों को पीछे छोड़ना शामिल हो सकता है।
  • नई सांस्कृतिक सुविधाओं के आसपास चिंता या नए गंतव्य के अचल संपत्ति बाजार या अपराध दर के बारे में चिंताएं हो सकती हैं।
  • स्थानांतरण करने वाला कर्मचारी चिंतित हो सकता है कि नई नौकरी काम करेगी या नहीं।
  • एक थका हुआ, विचलित या विचलित कर्मचारी का रवैया नई टीम के सदस्यों द्वारा महसूस किया जा सकता है और टीम की गतिशीलता को टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है? प्रभावित कर सकता है।

नियोक्ताओं को कर्मचारियों के भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए

ये सभी तनाव कर्मचारी जुड़ाव को कम कर सकते हैं, कंपनी की वफादारी को कम कर सकते हैं, कारोबार बढ़ा सकते हैं और टीम की बातचीत को प्रभावित कर सकते हैं। प्रतिभा के लिए युद्ध को देखते हुए, कर्मचारी स्थानांतरण की लागत और रसद से अधिक पर विचार करना महत्वपूर्ण है। एक हस्तांतरणी की भावनात्मक जरूरतों को बाहर नहीं रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, '2020 में बेरोजगारी के नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के बावजूद प्रतिभा के लिए युद्ध जारी है. भर्ती करने वाले उन महत्वपूर्ण पदों को भरने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, और कंपनियां प्रतिभा को खोने का जोखिम नहीं उठा सकती हैं क्योंकि अर्थव्यवस्थाएं वापस आना शुरू कर देंगी। जो कंपनियां प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हैं, वे 2021 में जीतेंगी, "उइट्ज कहते हैं।

कर्मचारी लाभ समाचार में एक लेख के अनुसार, "जब कर्मचारी स्थानांतरण की बात आती है, तो अधिकांश संगठन नट और बोल्ट पर ध्यान केंद्रित करते हैं, इस कदम से जुड़ी लागतों के बारे में रणनीतिक रूप से सोचते हैं और अपने लोगों को बिंदु ए से बिंदु बी तक लाने के लिए सबसे किफायती विकल्प क्या होगा। यह एक व्यावसायिक दृष्टिकोण से समझ में आता है, लेकिन यह नहीं है कि स्थानांतरण को सफल कैसे बनाया जाए। नियोक्ताओं को याद रखना होगा कि वे लोगों को स्थानांतरित कर रहे हैं, न कि केवल बक्से। किसी भी समय जब आप लोगों से निपटते हैं, तो आपको मानव-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है।

"जब आप उन्हें अपना सामान एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में मदद कर रहे हैं, तो वे बीमा, लाइसेंस और पते बदलने से निपट रहे हैं। यदि उनके पास एक परिवार है, तो उन्हें अपने बच्चों को नए स्कूलों में दाखिला लेने, डॉक्टर खोजने और अपने पति या साथी के लिए एक नई नौकरी की आवश्यकता है। इसके शीर्ष पर, वे अपने परिवार से कुछ नकारात्मक भावनाओं से निपट सकते हैं, या इस कदम से नाखुश हो सकते हैं। यह सब प्रभावित कर टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है? सकता है कि आपका कर्मचारी अपनी नई स्थिति के बारे में कैसा महसूस करता है और वे अपनी नई भूमिका में कैसे आत्मसात करते हैं।

दांव तब और भी अधिक हो सकता है जब कर्मचारी अपने गृह देश से एक नए देश में स्थानांतरित हो रहा है, और भावनात्मक टोल एक नया स्वर ले सकता है। डब्ल्यूएचआर के अंतर्राष्ट्रीय ग्राहक सेवा प्रबंधक, लिंडेन ह्यूबी, जीएमएस® के अनुसार, जो हाल ही में अमेरिका से हमारे स्विट्जरलैंड कार्यालय में स्थानांतरित हो गए, "किसी अन्य देश में स्थानांतरित होने पर, नियमित गतिविधियों में अतिरिक्त तनाव शामिल होता है, जैसे कि किराने का सामान खरीदना, उदाहरण के लिए। यह अतिरिक्त तनाव भावनात्मक रूप से पहनने वाला हो सकता है।

एक भाषा प्रशिक्षण कंपनी तालारा के एक लेख के अनुसार, "एक मानव संसाधन प्रबंधक के रूप में, आप चाहते हैं कि कर्मचारी स्थानांतरण यथासंभव सुचारू हो। लेकिन कई कर्मचारियों के लिए अपने गृह देश को पीछे छोड़ना बड़ी बात है। मानव तत्व आपके अंतरराष्ट्रीय नियुक्तियों की भलाई के लिए महत्वपूर्ण है।

स्थानांतरण के भावनात्मक टोल को कम करने के लिए नियोक्ता क्या कर सकते हैं?

"कर्मचारी जुड़ाव सीधे कर्मचारी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा हो सकता है। यदि कर्मचारियों को काम पर नहीं लगाया जाता है, तो कारोबार बढ़ता है और नियोक्ता लागत बढ़ जाती है। यदि कोई कंपनी आने वाले वर्ष में प्रतिस्पर्धी बने रहना चाहती है, तो उन्हें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनके सभी कर्मचारियों की जरूरतों को पूरा किया जाए, जिसमें भावनात्मक स्वास्थ्य भी शामिल है, "उइट्ज़ कहते हैं।

सुनिश्चित करें कि आपके पास एक स्थानांतरण नीति है जिसमें निम्न सहित सभी संभावित समर्थन शामिल हैं:

टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की क़ीमत को जोड़ें, तो यूपीए का रफाल सौदा एनडीए से कहीं सस्ता पड़ता

रफाल सौदे में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से क़ीमत में आए अंतर, भारत के लिए विशेष रूप से किए जाने वाले बदलावों और यूरोफाइटर के प्रस्ताव से जुड़े सवाल अब भी बाक़ी हैं. The post टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की क़ीमत को जोड़ें, तो यूपीए का रफाल सौदा एनडीए से कहीं सस्ता पड़ता appeared first on The Wire - Hindi.

रफाल सौदे में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से क़ीमत में आए अंतर, भारत के लिए विशेष रूप से किए जाने वाले बदलावों और यूरोफाइटर के प्रस्ताव से जुड़े सवाल अब भी बाक़ी हैं.

फ्रांस में दासो एविएशन में राफेल विमान (फोटो: रॉयटर्स)

फ्रांस में दासो एविएशन में राफेल विमान (फोटो: रॉयटर्स)

रफाल फाइटर जेट सौदे को लेकर एक अहम सवाल का अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. इस सवाल को एन. राम द्वारा हाल ही में द हिंदू में किए गए रहस्योद्घाटन में अप्रत्यक्ष तरीके से उठाया गया था.

तकनीक हस्तांतरण (टेक्नोलॉजी ट्रांसफर) यूपीए सरकार के दौरान 126 विमानों के लिए किए गए करार का अनिवार्य हिस्सा था. टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए भारत काफी कीमत चुकाता.

तकनीक हासिल करना और उनका स्वदेशीकरण मुफ्त में नहीं होता. इसके लिए काफी कीमत चुकानी पड़ती है. इसलिए यूपीए के दौरान जो 126 लड़ाकू विमान खरीदे जाने प्रस्तावित थे, उनके लिए चुकाई जानी कीमत में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए अदा की जानेवाली कीमत भी शामिल थी.

यह कीमत फ्रांस से उड़ने को तैयार स्थिति में आनेवाले 18 रफाल जेटों की कीमत में अनुपातिक ढंग से जोड़ी गई होगी.

लेकिन, एनडीए द्वारा उड़ने को तैयार स्थिति में खरीदे गए 36 रफाल जेटों की कीमत में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की कीमत शामिल नहीं है. इसलिए जब हम एनडीए द्वारा सौदा किए गए 36 जेटों की कीमत की तुलना यूपीए के करार के उड़ने को तैयार स्थिति में आने वाले 18 जेटों से करते हैं, तो यह जरूरी हो जाता है कि 18 रफाल जेटों में जुड़ी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की कीमत को घटाकर हिसाब किया जाए.

ऐसा करने पर यूपीए के दौर के करार की प्रति एयरक्राफ्ट कीमत में भारी कमी आएगी. यह हिसाब किसी ने नहीं लगाया है. कम से कम यह कवायद सरकार ने तो नहीं ही की है, जो सौदे के इन पहलुओं को छिपाने की कोशिश कर रही है.

अगर यूपीए दौर के सौदे में से टेक्नोलॉजी टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है? ट्रांसफर की कीमत को हटा दिया जाए, तो 18 जेटों की कीमत एनडीए द्वारा प्रति एयरक्राफ्ट चुकाई जानेवाली कीमत से काफी सस्ती ठहरनी चाहिए. कीमत में अंतर का यह पहलू- जो काफी अच्छा खास अंतर है- अभी भी रहस्य के परदे में छिपा हुआ है.

यूपीए और एनडीए के करार में प्रति एयरक्राफ्ट कीमत में अंतर वास्तव में द हिंदू की पड़ताल में निकाले गए 14 प्रतिशत के निष्कर्ष से काफी ज्यादा ठहरेगा.

रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि अगर यूपीए के सौदे में से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की कीमत को हटा दिया जाए, तो एनडीए का प्रति एयरक्राफ्ट सौदा और भी ज्यादा महंगा ठहरेगा.

डिफेंस एकाउंट्स के पूर्व सचिव सुधांशु मोहंती का कहना है, ‘ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की लागत अच्छी-खासी होती है, क्योंकि स्थानीय मैन्युफैक्चरर को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में मदद करने के लिए विदेशी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की पूरी टीम कुछ साल बिताती है. रफाल के मामले में भारत के लिए खासतौर पर किए जानेवाले संवर्धनों (एनहांसमेंट) का स्वदेशीकरण करने में काफी खर्च आता.’

गौरतलब है कि मोहंती ने 2016 टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है? में सेवानिवृत्त होने से पहले करार की लागत वाले पहलू की जांच की थी.

द हिंदू के लेख में यह पक्ष भी उठाया गया था कि कैसे रफाल के प्रतिद्वंद्वी बोलीकर्ता यूरोफाइटर ने एनडीए सरकार के सामने जो नई पेशकश की थी, वह 20 प्रतिशत सस्ती थी.

आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि सस्ते दर की इस पेशकश में तकनीक का हस्तांतरण भी शामिल था क्योंकि यह प्रस्ताव यूपीए के 126 लड़ाकू विमानों के करार के संदर्भ में दिया गया था.

मोहंती का कहना है कि और कुछ नहीं तो सरकार यूरोफाइटर की पेशकश का इस्तेमाल रफाल से कीमतों को और कम कराने के लिए कर सकती थी.

इसलिए जब मोदी ने तकनीक के हस्तांतरण के पहलू को उड़ने के लिए तैयार स्थिति में आनेवाले 36 लड़ाकू विमान खरीदने के नए करार से हटाने का फैसला किया, तो यह पूछना प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का कर्तव्य बनता था कि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के बिना उसी साज-सज्जा वाले लड़ाकू विमान की कीमत यूरोफाइटर द्वारा कितनी लगाई जाती?

लेकिन ऐसा नहीं किया गया. इसलिए स्वाभाविक तौर पर- विश्वसनीय आंकड़ों और सूचना की गैरमौजूदगी में- टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की कीमत के साथ या उसके बिना प्रति रफाल जेट की कीमत में तुलना करना नामुमकिन हो गया है.

द हिंदू का लेख, रफाल द्वारा खासतौर पर फ्रांस टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है? विकसित किए जा रहे भारत की मांग के अनुसार के लिए किए जानेवाले 13 विशेष एनहांसमेंट के लिए चुकाई जानेवाली कीमत के सवाल को भी उठाता है, जिसकी लागत 1.3 अरब यूरो ठहरती है.

एक स्थिति में 1.3 अरब यूरो को 36 हिस्सों बांटा गया है और यूपीए के करार में इसे 126 एयरक्राफ्ट के साथ ही बाद के चरण में पीछे से खरीदे जानेवाले (फॉलो-ऑन) 50 और एयरक्राफ्टों में विभाजित किया गया है.

कीमत में इस अंतर पर भी लगभग कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है क्योंकि एनडीए सरकार ने फॉलो ऑन उपबंध को हटा दिया. इसका मतलब यह हुआ कि बाद में की जानेवाली किसी खरीद के लिए भारत अपनी मांग के हिसाब से किए जानेवाले एनहांसमेंट के लिए, यूपीए करार की तुलना में कहीं ज्यादा कीमत चुकाएगा.

यहां एक अहम सवाल उठता है. अगर कल रफाल रक्षा मंत्रालय द्वारा एमएमआरसीए लड़ाकू विमानों के लिए मंगाई गई निविदाओं में हिस्सा लेता है, तो क्या भारत अपने लिए किए जानेवाले विशेष एनहांसमेंट के लिए प्रति विमान- 126 की जगह 36 के करार पर आधारित- ज्यादा ऊंची स्थिर कीमत चुकाएगा?

ये परेशान करनेवाले सवाल हैं, जो इस सौदे को जरूरत से ज्यादा अपारदर्शिता को देखते हुए बने रहेंगे.

एक हिसाब से, भविष्य में रफाल एमएमआरसीए के अन्य बोलीकर्ताओं के ऊपर साफ लाभ की स्थिति में है क्योंकि यह पहले ही भारत के लिए उसके हिसाब से विशेष एनहांसमेंट का निर्माण कर चुका है.

वह पहले ही भारत की जरूरत के हिसाब से किए जानेवाले एनहांसमेंट पर काम कर रहा है और उसके लिए जरूरी टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है? बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है.

मोहंती का कहना है कि अगर इन तकनीकों को भारत में एचएएल के साथ मिलकर विकसित किया जाता है, तो यह काफी बेहतर होता. इससे भविष्य में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को वास्तव में मजबूती मिलती.

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