विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद

Britain : राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने के उद्देश्य से उत्तरी आयरलैंड जा रहे हैं बोरिस जॉनसन
लंदन। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने की कवायद के तौर पर सोमवार को उत्तरी आयलैंड जा रहे हैं। इस गतिरोध से क्षेत्रीय प्रशासन के गठन की राह में बाधा पैदा हो रही है। जॉनसन की सरकार द्वारा यूरोपीय संघ के साथ ब्रेग्जिट समझौते को तोड़ने की धमकियों के बीच यह …
लंदन। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने की कवायद के तौर पर सोमवार को उत्तरी आयलैंड जा रहे हैं। इस गतिरोध से क्षेत्रीय प्रशासन के गठन की राह में बाधा पैदा हो रही है। जॉनसन की सरकार द्वारा यूरोपीय संघ के साथ ब्रेग्जिट समझौते को तोड़ने की धमकियों के बीच यह यात्रा हो रही है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर यूरोपीय संघ ब्रेग्जिट के बाद व्यापार के नियमों में बदलाव के लिए राजी नहीं होता है तो ‘‘कार्रवाई करने की आवश्यकता’’ होगी।
उत्तरी आयरलैंड में मतदाताओं ने इस महीने एक नई असेंबली का चुनाव किया है, जिसमें आयरलैंड की राष्ट्रवादी पार्टी सिन फिन ने सबसे ज्यादा सीटें जीती हैं। यह पहली बार है जब आयरलैंड गणराज्य के साथ एकीकरण की मांग कर रही पार्टी ने प्रोटेस्टेंट यूनियनिस्ट के गढ़ में चुनाव जीता है। डोमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी दूसरे नंबर पर आयी है और उसने सरकार बनाने या तब तक असेंबली के गठन से इनकार कर दिया है जब तक कि जॉनसन सरकार ब्रिटेन के बाकी हिस्सों से उत्तरी आयरलैंड आ रहे सामान पर ब्रेग्जिट के बाद कर लगाने को रद्द नहीं कर देती।
उत्तरी आयरलैंड की शांति प्रक्रिया के तौर पर सत्ता साझा करने के नियमों के अनुसार, नेशनलिस्ट और यूनियनिस्ट दलों के सहयोग के बिना कोई भी सरकार नहीं बनायी जा सकती। जॉनसन के कार्यालय ने रविवार को बताया कि वह बेलफास्ट में नेताओं से काम पर लौटने और बढ़ती महंगाई जैसे ‘‘रोजी-रोटी’’ के मुद्दों से निपटने का अनुरोध करेंगे। उत्तरी आयरलैंड, ब्रिटेन का इकलौता हिस्सा है जिसकी सीमा यूरोपीय संघ से लगती है।
लैंगिक समानता के लिए TCS ने बदली वर्क पॉलिसी, अब क्या होगा?
राज एक्सप्रेस। भारत में रोजगार के कठिनतम दौर में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस-TCS) ने लैंगिक समानता की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। कंपनी ने अपने महिला-पुरुष के अलावा अन्य लिंग के मानवीय श्रम योगदान के प्रति भी सम्मान दर्शाने अपनी वर्क पॉलिसी बदली है।
इंश्योरेंस अधिकार-
TCS ने अब लेस्बियन, गे, बायोसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर्स कर्मचारी के साझेदार (पार्टनर) को भी इंश्योरेंस पॉलिसी के अधिकार में शामिल करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा कंपनी में अब काम करने वाले वर्कर की यदि इच्छा हुई तो लिंग परिवर्तन कराने के लिए उसे कंपनी से 2 लाख रुपये तक की मदद मिलेगी।
टाटा कंसल्टंसी सर्विसेज में ये कवायद जेंडर इक्विलिटी यानी लैंगिक समानता के मकसद से की जा रही है। कंपनी अब अपनी जीवन बीमा पॉलिसी में चेंज करते हुए एलजीबीटी (लेसबियन, गे, बाइसेक्सुअल ट्रांसजेंडर) कर्मचारियों की भी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी कवर करेगी।
बदल दी स्पाउस की परिभाषा-
कंपनी ने इसके लिए कर्मचारियों के विवाहित संबंधों की पृष्ठभूमि से जुड़ी कैटेगरी “स्पाउस” के लिए हमसफर “पति-पत्नी” की जानकारी को लेकर भी परिभाषा में बदलाव किया है। टीसीएस की नई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में अब कर्मचारी के पति-पत्नी यानी स्पाउस को 'पार्टनर' के रूप में चेंज किया गया है।
लिंग परिवर्तन पर दो लाख-
कंपनी ने न केवल इन्श्योरेंस पॉलिसी बदली है बल्कि कामकाज की शर्तों में भी बदलाव किया है। इसके मुताबिक टीसीएस में कार्यरत कोई कर्मचारी यदि सर्जरी से लिंग परिवर्तन (जेंडर चेंज) कराना चाहता है, तो इस बदलाव के लिए मेडिकल प्रक्रिया में आने वाले कुल खर्च का आधा खर्च कंपनी उठाएगी, लेकिन यह राशि दो लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। मतलब कंपनी ने इस मदद की सीमा अधिकतम दो लाख रुपया तय की है।
आपको बता दें, भारत में लैंगिक समानता की दिशा में इतना बड़ा फैसला लेने का साहस टाटा समूह की किसी कंपनी ने पहली दफा उठाया है। अनुमानित तौर पर टीसीएस में 4 लाख कर्मचारी नौकरी सेवा-शर्तों पर काम करते हैं।
ई-मेल भेजकर जानकारी-
टीसीएस ने अपने कर्मचारियों को इस अहम बदलाव के बारे में ई-मेल के जरिए सूचना दी है। जिसमें इस बदलाव से LGBT (लेसबियन, गे, बाइसेक्सुअल तथा ट्रांसजेंडर) कर्मचारियों को मिलने वाले फायदों का ज़िक्र है। कंपनी ने बताया है कि, अब कर्मचारियों के अबाउट कॉलम में स्पाउस के बजाए 'पार्टनर' शब्द उपयोग होगा। कंपनी के इस बदलाव के बाद समलैंगिक पार्टनर्स को जीवन बीमा विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद पॉलिसी में शामिल किया जा सकेगा।
टाटा की पहली कंपनी-
सूचना प्रौद्योगिकि में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (TCS) प्राइवेट सेक्टर में बड़ा नाम है। कंपनी ने यह बदलाव इसलिए किया है, ताकि उसकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कर्मचारियों विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद के सेम-सेक्स रिलेशनशिप को भी शामिल किया जा सके। ऐसा करने वाली टाटा समूह की यह पहली कंपनी होगी।
भारत में चलन नया नहीं-
आरबीएस इंडिया और सिटी बैंक ये वो नाम हैं, जहां पहले से ही गे पार्टनर्स को मेडिकल कवर या फिर फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस जैसी सुविधाओं के लाभ की पात्रता है। कई कंपनियों में लिव-इन पार्टनर को भी जीवन संगी मानकर बीमा कवर दिया जा रहा है।
वैवाहिक स्थिति/पार्टनर-
तेजी से बदल रहे सामाजिक परिवेश में टीसीएस ने भी समय से कदमताल करना ठीक समझा है। गौरतलब है कंपनी में इस बदलाव का हाल ही में औपचारिक खाका तैयार किया गया है। इस बदलाव के बाद कंपनी के कर्मचारी की सिर्फ वैवाहिक स्थिति को ही मान्यता नहीं रहेगी, बल्कि कर्मचारी यदि सहमति से किसी के साथ जीवन गुजारने रजामंद है, तो उसके पार्टनर को भी वो तमाम लाभ मिलेंगे जिसके अन्य किसी कर्मचारी के जीवन संगी हकदार होते हैं।
अधिकतम 2 लाख-
टीसीएस का कोई कर्मचारी यदि नई पॉलिसी के तहत सर्जरी करवाकर लिंग चैंज कराना चाहता है, तो उसे कंपनी चिकित्सीय खर्च पर आने वाली कुल लागत का 50 फीसद जो कि, अधिकतम दो लाख से अधिक नहीं होना चाहिए इंश्योरेंस कवर करेगी।
ताकि बरकरार रहे सम्मान-
टीसीएस का मानना है किसी भी व्यक्ति का सम्मान उसके अहम मूल्यों में से एक है। इस कारण कंपनी ने लैंगिक समानता की दिशा में कंपनी की नीतियों में अहम बदलाव का निर्णय लिया है।
“हम ऐसा संगठन बनाने में विश्वास रखते है जहां हर कोई खुद को समावेशित और सम्मानित महसूस करता हो।“
प्रीति डी'मेलो, ग्लोबल डायवर्सिटी हेड, टीसीएस
कंपनी ने इस बदलाव के लिए ऐसे वर्किंग स्ट्रक्चर का हवाला दिया है जहां माहौल पारदर्शी और सबके अनुकूल हो। गौरतलब है इस अहम बदलाव के बाद कंपनी को लिंग परिवर्तन सर्जरी की एक एप्लीकेशन भी मिल चुकी है। कंपनी ने ऐसे संगठन की प्रतिबद्धता जताई है, जहां सभी कोई शामिल, सहभागी और सम्मानित महसूस कर सकें।
गौरतलब है कि, पश्चिमी देशों की तरह ही भारतीय कार्य संस्कृति में भी समलैंगिक संबंधों को प्रधानता देने की मांग लंबे समय से होती रही है। टीसीएस समेत कई संगठनों ने समानता के भाव के मद्देनज़र अपनी नीतियों में बदलाव किया है। ताकि कर्मचारियों का हित प्रभावित न हो।
LGBTQIA-
लेस्बियन, गे, बायोसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वियर, इंटरसेक्स, असेक्सुअल जैसी तमाम परिभाषित रिश्तों की डोर में बंधे रिश्तों से फैमिली मैंबर सरीखा बर्ताव करने देश-विदेश में न केवल वकालत हो रही है बल्कि अधिकारपूर्ति के तमाम प्रबंध भी किए जा रहे हैं। भारत में भी हाल ही में ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन बिल पास किया गया है। इस वर्ग के कर्मचारियों को मेडिकल इंश्योरेंस, लिंग परिवर्तन सर्जरी, हारमोन थेरेपी जैसी चिकित्सीय सुविधाओं का अन्य जेंडर्स विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद की तरह लाभ मिल सकेगा।
टीसीएस की भी नई नीति में स्पाउस यानी पति या पत्नी को अब पार्टनर के तौर पर परिभाषित किया जा सकेगा, ताकि समान-जेंडर पार्टनर्स को हेल्थ पॉलिसी में कवर किया जा सके। समान जेंडर सेक्स संबंधों से आकर्षित कर्मचारियों को समानता का अधिकार देने के लिए ही टीसीएस ने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में बदलाव किया है।
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आलेख : चीन से दोस्ती में चलें संभलकर - ब्रह्मा चेलानी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कुछ दिन पूर्व वुहान में हुए अनौपचारिक सम्मेलन को रिश्तों को नए सिरे से संवारने की कवायद के तौर पर देखा गया। इसमें दोनों देशों के नजरिए में तब अंतर नजर आया, जब उन्होंने सहमतियों की अपने-अपने हिसाब से व्याख्या की। जैसे भारत ने कहा कि दोनों नेताओं ने अपनी सेनाओं को 'रणनीतिक निर्देश दिए हैं विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद ताकि सीमा पर तनाव और ज्यादा न बढ़े, लेकिन चीनी वक्तव्य में इसका कोई उल्लेख नहीं था। चीन के साथ व्यापार असंतुलन की मार झेल रहे भारत ने कहा कि दोनों देश व्यापार और निवेश को 'सतत एवं संतुलित रूप से आगे बढ़ाएंगे, मगर यह बात भी बीजिंग के रुख में शामिल नजर नहीं आई।
ऐसे मतभेदों पर कोई हैरानी नहीं है। असल में इस सम्मलेन में मेलजोल की भावना तो खूब दिखाई गई, लेकिन द्विपक्षीय संबंधों की दिशा में बुनियादी बदलाव लाने के लिहाज से ठोस फैसले नहीं हुए। चीनी राष्ट्रपति ने मजबूती के साथ प्रतीकों का मिश्रण करते हुए कूटनीतिक बिसात बिछाने पर अधिक ध्यान दिया, जिसमें लंबे लाल कालीन पर मोदी की अगवानी करना, भारतीय नेता को झील की सैर कराना और गर्मजोशी से हाथ मिलाने जैसी कवायदें शामिल रहीं। अगर मोदी के दौर में हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे की वापसी होती है, तो इसमें भारी राजनीतिक जोखिम होगा, क्योंकि यह मोदी की मजबूत नेता वाली छवि को नुकसान पहुंचा सकता है। चूंकि अब आम चुनावों में साल भर से भी कम का समय रह गया है, तो मोदी ने यह जोखिम लेने का फैसला किया।
असल में चीन से मधुर रिश्तों की पींगें बढ़ाने के पीछे मोदी का भी एक बड़ा दांव है, जिसमें वह विभिन्न् ताकतवर देशों के साथ संतुलन साधने की कोशिश में जुटे हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनकी अमेरिकापरस्त विदेश नीति भारत के लिए अभी तक फायदेमंद साबित नहीं हुई है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ट्रंप के मोलभाव संबंधी दृष्टिकोण और संकीर्ण भू-राजनीतिक आकलन ने भारत पर अमेरिकी दबाव बढ़ा दिया है। इनमें 25 अरब डॉलर सालाना के व्यापार अधिशेष में कटौती, रूस और ईरान के साथ तल्ख संबंध और पाकिस्तान को आतंक का निर्यातक बताने के बावजूद उससे पूर्ण राजनयिक संबंध बरकरार रखने जैसी बातें शामिल हैं। अमेरिका ने भारत को चेताया है कि उसके नए कानून के मुताबिक रूस पर लगे प्रतिबंधों के चलते भारत के रूस के साथ रक्षा अनुबंध भी प्रतिबंध के दायरे में आएंगे। ईरान पर शिकंजा कसने की अमेरिकी रणनीति भी भारतीय हितों पर कुठाराघात करने वाली है, क्योंकि भारत वहां चाबहार बंदरगाह विकसित कर रहा है। चारों ओर भूमि से घिरे अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने के लिहाज से यह भारत के लिए बेहद अहम परियोजना है। भारत का 150 अरब डॉलर का सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग भी ट्रंप की सख्त वीजा नीति की मार से कराह रहा है। नई दिल्ली को लगने लगा है कि अमेरिका जहां भारत को हल्के में ले रहा है, वहीं चीन को उसने खुली छूट दे रखी है जिसके चलते वह दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीपों का भी आसानी से सैन्यीकरण कर रहा है। चीन के साथ डोकलाम के मुद्दे पर 73 दिनों तक चले सैन्य गतिरोध के दौरान ट्रंप प्रशासन ने एक बार भी भारत के पक्ष में बयान जारी नहीं किया, जबकि जापान ने सार्वजनिक रूप से भारत के रुख का समर्थन किया था।
अमेरिकी नीतियां भारत के सदाबहार दोस्त रूस को चीन के करीब ले जा रही हैं। रूस, उत्तर कोरिया और ईरान पर अपने रुख से चीन को विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद फायदा पहुंचाते अमेरिका को देखते हुए यह जरूरी है कि भारत भी अपने पत्तों को फिर से फेंटे। एक पुरानी कहावत है, 'अपने मित्र को करीब रखो तथा अपने दुश्मन को और ज्यादा करीब। इसी के मद्देनजर मोदी भारत-चीन संबंधों को और बिगड़ने से रोकना चाहते हैं, क्योंकि संबंध बिगड़े तो विदेश नीति में भारत के लिए विकल्प भी कम हो जाएंगे। फिर गैरभरोसेमेंद ट्रंप प्रशासन पर निर्भरता में भी कोई भलाई नहीं। यहां तक कि जापान भी चीन से अपनी तल्खी को दूर कर रहा है। ऐसी स्थिति में भारत अलग रहना गवारा नहीं कर सकता।
बहरहाल, मोदी के कदम का प्रशस्तिगान करने की जिनपिंग की अपनी रणनीतिक मजबूरियां हैं, जिनमें अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर की आशंका भी एक वजह है। कुल मिलाकर बेहतर द्विपक्षीय संबंध बीजिंग को ज्यादा गुंजाइश देंगे। वैसे भी घनिष्ठता की संभावनाएं किसी भी सूरत में भरोसा जगाती हैं। आखिर इस दिशा में यह मोदी का दूसरा प्रयास जो है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने चीन से संबंध सुधार की पहली कोशिश सत्ता संभालने के तुरंत बाद ही की थी जो चीन के शातिर रवैये के चलते फलीभूत नहीं हो पाई। वर्ष 2014 में जिनपिंग मोदी के जन्मदिन पर उनके मेहमान बनकर आए, लेकिन लद्दाख में चीनी घुसपैठ का तोहफा दे गए। इसके बाद से दोनों देशों के संबंध लगातार खराब ही होते गए। वास्तव में वर्ष 1951 में तिब्बत पर कब्जे के साथ ही चीन भारत का पड़ोसी बन गया और तबसे ही उच्चस्तरीय द्विपक्षीय वार्ता संबंधों में सुधार का संकेत नहीं रही। मिसाल के तौर पर सीमा विवाद समाधान के लिए नई दिल्ली की बीजिंग के साथ जारी वार्ता की शुरुआत वर्ष 1981 में तब हुई थी, जब भारत की अर्थव्यवस्था चीन के मुकाबले बड़ी थी। अब भारत की अर्थव्यवस्था चीन से पांच गुनी छोटी है और सैन्य शक्ति के मामले में चीन भारत से मीलों आगे है, फिर भी किसी समाधान की दिशा में कोई वास्तविक प्रगति होनी बाकी है। यहां तक कि शी जिनपिंग से मोदी की वार्ता से भी बहुत कुछ हासिल नहीं हुआ, जबकि दोनों नेता 2014 के बाद से ही दुनिया के अलग-अलग स्थानों पर 14 बार मुलाकात कर चुके हैं। मोदी चार बार चीन जा चुके हैं और अगले महीने फिर जाएंगे। वास्तव में वुहान जाना मोदी के लिए बहुत फायदेमंद नहीं रहा।
डोकलाम में चीनी दबाव के आगे मुस्तैदी से डटे रहे मोदी ने चीन को गतिरोध समाप्त करने के लिए परस्पर कदम पीछे खींचने संबंधी समझौता करने पर मजबूर कर दिया था, लेकिन पिछले आठ महीनों के दौरान चीनी सैन्य बल गुपचुप ढंग से डोकलाम पठार के अधिकांश हिस्से पर काबिज हो गए है। इसके अलावा अगर आर्थिक मोर्चे पर बात करें भारत को चीन के साथ हर महीने पांच अरब डॉलर का व्यापार घाटा भी हो रहा है।
मोदी भारतीय वायुसेना के सबसे बड़े युद्धाभ्यास के बाद ही वुहान गए। इस युद्धाभ्यास का मकसद चीन और उसके साथी पाकिस्तान से संघर्ष की सूरत में दो मोर्चों पर एक साथ निपटने की तैयारी करना था। जहां मोदी यह चाहते होंगे कि चीन के साथ सीमा विवाद कम होने के साथ ही व्यापार संतुलित हो, वहीं शायद जिनपिंग यह मानते हों कि उन्हें मोदी की जितनी जरूरत है, उससे ज्यादा मोदी को उनकी दरकार है। भारत की सुरक्षा और आर्थिक चिंताओं या सीमा पर घुसपैठ में कमी करने जैसे मसलों को दरकिनार करते हुए चीन वुहान के बाद भारतीय बाजार में अपनी पैठ बढ़ाने के साथ यह भी चाहेगा कि भारत उसे चुनौती देना बंद करे। मोदी का यह दौरा चीन के लिए ज्यादा फायदेमंद दिख रहा है।
(लेखक सामरिक मामलों के विशेषज्ञ एवं सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में फेलो हैं)
विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) की हालत स्थिर बताई जा रही है. सेना के अस्पताल (Army Hospital) ने बयान जारी कर बताया कि मुखर्जी की हालत अभी स्थिर है और अभी उन्हें वेंटिलेटर पर ही रखा जा रहा है.
Pranab Mukherjee Health: आर्मी अस्पताल में बयान में कहा, "ब्रेन क्लॉट के लिए 10 अगस्त 2020 को पूर्व राष्ट्रपति की इमरजेंसी सर्जरी की गई. उनकी हालत में कोई सुधार नहीं दिख रहा है. उनका स्वास्थ्य और खराब हो गया है. वह अब भी वेंटिलेटर पर हैं."
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Delhi Deputy Chief Minister Manish Sisodia) का कहना है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में बोर्ड परीक्षा को सरल बनाने के प्रस्ताव से रट्टा लगाने की समस्या हल नहीं होगी, क्योंकि शिक्षा प्रणाली अब भी मूल्यांकन प्रणाली का गुलाम बनी रहेगी. दिल्ली के शिक्षा मंत्री सिसोदिया ने कहा कि नीति सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने में विफल है तथा निजी शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित करती है और कुछ सुधार वास्तविकता पर आधारित नहीं हैं. सिसोदिया ने कहा, ‘‘हमारी शिक्षा प्रणाली हमेशा से मूल्यांकन प्रणाली का गुलाम रही है और आगे भी रहेगी. बोर्ड परीक्षाएं सरल बनाने से मूल समस्या हल नहीं होगी जो कि रट्टा लगाना है. जोर अब भी वार्षिक परीक्षाओं पर रहेगा, जरूरत सत्र के अंत में छात्रों का मूल्यांकन करने से जुड़ी अवधारणा को दूर करने की है, चाहे यह सरल हो या कठिन.''
OnePlus Nord स्मार्टफोन को नया अपडेट प्राप्त हुआ है, जो कि लो-लाइट सेल्फी और मैक्रो कैमरा फोटो इम्प्रूवमेंट्स लेकर आया है। यह अपडेट भारत विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद और ग्लोबल वेरिएंट दोनों के लिए जारी किया गया है।
Delhi Coronavirus Update: दिल्ली में कोरोना के मामलों (Coronavirus Cases) में सुधार होता नजर आ रहा है और यहां रिकवरी रेट पहली बार 90 फीसदी से अधिक हो गया है. दिल्ली में अब कोरोना रिकवरी रेट 90.09% हो गया है. अब राष्ट्रीय राजधानी में केवल 7.07% एक्टिव मामले ही बचे हैं जबकि डेथ रेट- 2.82% है. सोमवार को समाप्त 24 घंटे में दिल्ली में कोरोना के 707 नए मामले सामने आए जिसके बाद संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 1,46,134 हो गई.
पूर्व रक्षा मंत्री और समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव की सेहत में सुधार हो रहा है. अस्पताल में सोमवार को यह जानकारी दी. मेदांता अस्पताल के निदेशक डॉक्टर राकेश कपूर ने सोमवार को बताया कि मुलायम सिंह की तबियत अब पहले से बेहतर है. यादव (80) विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद को शुक्रवार को मूत्र नली में संक्रमण की शिकायत के बाद लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी कोविड-19 जांच रिपोर्ट निगेटिव आयी थी. कपूर ने रविवार को बताया था कि चूंकि मूत्र नली में संक्रमण का असर मुलायम के गुर्दों तक पहुंचा है लिहाजा स्थिति बेहतर होने के बाद ही उन्हें छुट्टी दी जाएगी. फिलहाल उनकी हालत में लगातार सुधार हो रहा है.
Pumpkin DIY Hair Mask: ये हेयर मास्क, सीरम, तेल और मिस्ट न केवल आपके बालों को गहराई से कंडीशन करते हैं बल्कि बालों के विकास की प्रक्रिया को तेज़ और बेहतर बनाने में भी मदद करते हैं. आपके बालों की गुणवत्ता समय की अवधि में बहुत सुधार करती है क्योंकि इन सभी बालों के उपचारों में कुछ अद्भुत प्राकृतिक मसालों, तेलों की अच्छाई है.
GATE 2021: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे (IIT बॉम्बे) ने ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (GATE 2021) एंट्रेंस परीक्षा के लिए डेट शीट जारी कर दी है. आधिकारिक जानकारी के अनुसार, गेट 2021 के लिए एप्लिकेशन विंडो 14 से 30 सितंबर तक gate.iitb.ac.in पर उपलब्ध होगी. एप्लिकेशन फॉर्म 7 अक्टूबर तक लेट फीस के साथ जमा किए जा सकते हैं. जमा किए हुए फॉर्म में सुधार करने की सुविधा 13 नवंबर तक उपलब्ध रहेगी. परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड gate.iitb.ac.in पर 8 जनवरी तक उपलब्ध रहेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) पर एक ई-कॉन्क्लेव को संबोधित किया. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और शिक्षा मंत्रालय द्वारा 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधार' सम्मेलन आयोजित किया गया है. पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि तीन-चार साल के व्यापक विचार-विमर्श और लंबे मंथन के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) आज लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) पर एक ई-कॉन्क्लेव को संबोधित करेंगे. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और शिक्षा मंत्रालय द्वारा 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधार' सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, यूजीसी सचिव, विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर, डायरेक्टर्स, राष्ट्रीय शिक्षा नीति कमेटी के सदस्य और प्रसिद्ध संस्थानों, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के प्रिंसिपल्स कॉन्क्लेव में शामिल रहेंगे.
बिजनेस::आज शुरू होगी 2023-24 के बजट की कवायद
नई दिल्ली, एजेंसी। सरकार वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट को बनाने की कवायद
सरकार वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट को बनाने की कवायद सोमवार से शुरू करने जा रही है। माना जा रहा है कि अगले वित्त वर्ष का सरकार का वार्षिक बजट सुस्त वैश्विक परिदृश्य के बीच वृद्धि को प्रोत्साहन देने के उपायों पर केंद्रित होगा।
बजट की प्रक्रिया की शुरुआत विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ चालू वित्त वर्ष 2022-23 के व्यय के संशोधित अनुमानों और 2023-24 के लिए कोष की जरूरत पर विचार-विमर्श के साथ शुरू होगी। सोमवार को पहले दिन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, श्रम और रोजगार मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और युवा मामले और खेल मंत्रालय के साथ संशोधित अनुमानों पर बैठकें होंगी।
चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमानों और 2023-24 के लिए बजट अनुमानों पर ज्यादातर बैठकों की अध्यक्षता वित्त सचिव और व्यय सचिव करेंगे। वित्त मंत्रालय के बजट प्रभाग के अनुसार, एक माह तक चलने वाला यह विचार-विमर्श 10 नवंबर को सहकारिता मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण विभाग, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, रेल मंत्रालय और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ बैठकों के साथ पूरा होगा।
बजट-पूर्व बैठकों के बाद 2023-24 के लिए बजट अनुमानों को अस्थायी तौर पर अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
ये बैठकें ऐसे समय होने जा रही हैं जबकि कई संस्थानों मसलन भारतीय रिजर्व बैंक और विश्व बैंक ने भारत के वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर क्रमश: सात प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत कर दिया है।
यह नरेंद्र मोदी 2.0 सरकार और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का पांचवां बजट होगा। अप्रैल-मई 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले यह आखिरी पूर्ण बजट होगा। चुनावी साल में सरकार सीमित अवधि के लिए लेखानुदान पेश करती है। उसके बाद बजट जुलाई में पेश किया जाता है। वित्त वर्ष 2023-24 का बजट एक फरवरी, 2023 को पेश किए जाने की उम्मीद है।