प्रवृत्ति की रणनीति

अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए

अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए
पड़ती है दोहरी मार
अनंजय अग्रवाल के मुताबिक, रुपए-डॉलर के मूल्य में बदलाव से ड्यूटी भी प्रभावित होती है. उदाहरण के तौर पर यदि रुपया डॉलर के मुकाबले 78 से 80 हो गया, तो हमें केवल 2 रुपए ही ज्यादा नहीं देने है, बल्कि ज्यादा ड्यूटी का भी भुगतान करना है. ऐसे में हमारी लागत काफी बढ़ जाती है और नुकसान उठाना पड़ता है. यही वजह है कि इम्पोर्ट का रेश्यो कम हो रहा है.
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दोस्तो अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए अगर आप इंडिया में रह के किसी भी US के निवेशक के पोर्टफोलियो कॉपी करते हो जैसे अगर आप Warren Buffet का पोर्टफोलियो कॉपी करते हो मतलब जिन कम्पनियों में उन्होंने निवेश किया है तो उन्हीं कंपनी में अगर आप निवेश करते हो तो अगर Warren Buffett को 20% का रिटर्न मिलता है तो आपको इंडियन होने के नाते US stock market में 24–25% का रिटर्न मिल सकता है ।मतलब बिना कोई ज्यादा मेहनत किए आपको एक अमेरिकन निवेशक से ज्यादा रिटर्न मिलेगा वो भी 4–5 % का वह भी फ्री में लेकिन वो कैसे ये हम थोरी देर में एक दम विस्तार से जानेंगे ।

जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

  • शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
  • अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
  • राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर

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कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश

आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.

डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर

शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्‍थितियों में शेयरों का मूल्‍य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.

रुपए की बिगड़ती 'सेहत' का सबसे अधिक असर कहां? समझें कैसे बन रहे हालात

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो

by बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो ।।
Published - Thursday, 30 June, 2022

फाइल फोटो

डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट का दौर जारी है. बुधवार को रुपए 18 पैसे कमजोर होकर अब तक के सबसे निचले स्तर 79.05 पर पहुंच गया. यानी अब एक डॉलर के लिए हमें 79.05 रुपए चुकाने होंगे. पिछले कुछ सालों में रुपए की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है. रुपए में कमजोरी का असर देश की अर्थव्यवस्था से लेकर आम आदमी की पॉकेट तक पड़ता है. लिहाजा, संभव है कि आने वाले दिनों में महंगाई से त्रस्त जनता को, बढ़ते दाम का एक और डोज मिल जाए.

सवाल: क्या ये सही समय है जब निवेशकों को अपना पोर्टफोलियो स्माल कैप से लार्ज कैप की साइड स्विच कर लेना चाहिए?

रामनाथन: लार्ज कैप में पूंजी की कम लागत, बड़ी मात्रा में नकदी प्रवाह के लिए नए व्यवसायों का निर्माण / अधिग्रहण या एक ही पंक्ति में बढ़ने के फायदे हैं. इसलिए, लार्ज कैप को एसेट एलोकेशन स्‍ट्रैटजी का एक अभिन्न अंग बनाना चाहिए. हालांकि, हम शॉर्ट टर्म टैक्टिकल स्ट्रैटेजी के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि मार्केट को टाइम करना बहुत मुश्किल है. भारतीय मिडकैप को भी विकास के मामले में आगे एक लंबा रनवे तय करना है. इसमें अभी नए व्यवसायों में प्रवेश कर सकते हैं जो बड़ी कंपनियों में रुचि नहीं रखते हैं. फैशन/खुदरा और निर्माण सामग्री में ऐसी कंपनियों के कई उदाहरण हैं. इसलिए हमारा मानना ​​है कि सेक्युलर ग्रोथ बिजनेस में मिड और लार्जकैप कंपनियों का डायवर्सिफाइड बास्केट एक उपयुक्त एसेट एलोकेशन स्ट्रैटेजी होगी.

सवाल: भारतीय शेयर बाजार पर यूएस टेपर का क्या इम्पैक्ट पड़ सकता है?

रामनाथन: फेड टेंपर ग्लोबल लिक्विडिटी को कम कर सकता है और कॉस्ट ऑफ कैपिटल को बढ़ा सकता है. अभी तक इंटरेस्ट रेट्स बढ़ने की उम्मीद कम है. क्योंकि कैपेक्स अभी इतना बढ़ा नहीं है कि अतिरिक्त लिक्विडिटी को अब्‍जॉर्ब कर सके. कैपेक्स साइलेंट है क्योंकि कंपनियों ने अभी तक अपनी क्षमताओं का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया है क्योंकि कंपनियां अभी अपने कर्ज को कम करने में लगी हैं. इस समय घर की खरीदारी भी निचले स्तर पर है बस सरकार के द्वारा ही इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्चा हो रहा है. मुझे अभी भी कम लिक्विडिटी दिखाई दे रही है, जो यील्ड्स को बढ़ा रही है और इसलिए इक्विटी बाजारों में सेंटीमेंट को प्रभावित कर रही है.

रामनाथन: कभी FII हमारे शेयर बाजार में प्रमुख रोल निभाया करते थे, लेकिन अभी डोमेस्टिक रिटेल और इंस्टीटयूशनल इन्वेस्टर्स द्वारा ये काम हो रहा है. इसके साथ ही प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टर्स का भी लार्ज इंफ्लो देखने को मिला है. इसलिए हम FII के शेयर बाजार से पैसे निकलने से उतने चिंतित नहीं हैं जितने पहले हुआ करते थे. इसके अलावा चाइना के कैपिटल मार्केट्स में हाल की घटनाओं ने भारत को और अधिक मजबूत बना दिया है. जिससे हमें रिअलोकशन बेनिफिट्स मिल सकते हैं.

सवाल: आपकी नज़र में कुछ ऐसे स्टॉक्स जिन्हें निवेशक डिप में बाई कर सकते हैं?

रामनाथन: हम किसी भी इंडिविजुअल स्टॉक्स का रेकमेंड नहीं करते हैं. हमारी स्टॉक चयन रणनीति सस्टेनेबल ग्रोथ पोटेंशियल के साथ हाई पोटेंशिअल ग्रोथ पर जोर देती है, जिसके परिणामस्वरूप फ्री कैश फ्लो बढ़ता है और इक्विटी पर अच्छा रिटर्न मिलता है.

रामनाथन: पिछले एक साल में देखें तो इस सेगमेंट में कुछ ज्यादा ही तेज़ी आई हैं. ऐसे में थोड़ा बहुत और करेक्‍शन अभी देखने को मिल सकता है. इसके साथ ही ये ऐसा सेगमेंट है जहां छोटे निवेशकों की सक्रिय भागीदारी देखी जाती है. जो वोलैटिलिटी को लेने की एपेटाइट नहीं रखते हैं जो खुद से एक शार्प मूवमेंट का कारण बनता है. ऐसे में अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए इस सेगमेंट में और वोलेटिलिटी देखने को मिल सकती है, लेकिन हम इसका उपयोग अच्छे स्टॉक्स को खरीदने में करेंगे. जिससे की लॉन्ग टर्म के लिए एक अच्छा पोर्टफोलिओ तैयार किया जा सके.

सवाल: इक्विटी इंडेक्स के आल टाइम हाई पर आप निवेशकों को ऐसी कौन सी गलतियां न करने कि सलाह देना चाहेंगे?

रामनाथन: आमतौर पर निवेशक लोअर क्वालिटी वाले स्टॉक को अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए बाजार के हाई के पास खरीदते हैं, जिसके कारण उन्हें काफी नुक्सान उठाना अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए पड़ता है. हमारे अनुभव से इस प्रकार की टैंप्‍टेशन से बचना चाहिए क्योंकि जब मार्केट गिरता है तो उसके साथ सारे स्टॉक्स भी गिरते है, लेकिन अक्सर देखा गया है इस फॉल में ख़राब क्वालिटी बिज़नेस वाले स्टॉक्स ज्यादा गिरते हैं. इसीलिए रिटेल इन्वेस्टर्स को इस प्रकार की गलती करने से बचना चाहिए.

रामनाथन: जीएसटी और कोविड -19 के बाद भारत कई वर्षों से सेल्फ रेस्‍टरेंट ग्रोथ ट्रजेक्‍टरी पर है. इस टाइम में सबसे ज्यादा प्रीमियमाइजेशन और बाजार असंगठित से संगठित हुए हैं. हालांकि कई सेक्टर अब्सोल्युट आधार पर नहीं बढ़े हैं. इसलिए हमें कंज्‍पशन और डिमांड में वृद्धि देखने को मिल सकती अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए है. हालांकि कुछ सेक्टरों में लंबी अवधि के बाद कंसोलिडेशन आया है. ऐसे हमें त्योहारी सीजन शुरू होने का वेट करने की जरूरत है और ये भी उम्मीद करें कि कोविड की तीसरी लहर डिमांड को प्रभावित न करे.

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