विदेशी मुद्रा रोष

Sri Lanka Economic Crisis: श्रीलंका में गहराता संकट, अब कोई भी व्यक्ति 10,000 डॉलर से अधिक की विदेशी मुद्रा नहीं रख सकेगा
Sri Lanka Economic Crisis: श्रीलंका में विदेशी मुद्रा संकट की वजह से आज श्रीलंका के पास ईंधन भुगतान के लिए पैसा नहीं है. इसी के मद्देनजर केंद्रीय बैंक ने यह फैसला लिया है.
By: एजेंसी | Updated at : 19 May 2022 10:45 PM (IST)
आर्थिक संकट को लेकर श्रीलंका के लोगों में रोष है और सरकार विरोधी प्रदर्शन लगातार जारी है. (फाइल फोटो)
कोलंबो: आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा रखने की सीमा को 15,000 डॉलर से घटाकर 10,000 अमेरिकी डॉलर करने का फैसला किया है. देश में विदेशी मुद्रा संकट की वजह से आज श्रीलंका के पास ईंधन भुगतान के लिए पैसा नहीं है. इसी के मद्देनजर केंद्रीय बैंक ने यह फैसला लिया है.
श्रीलंका ‘फर्स्ट न्यूज’ वेबसाइट की खबर के अनुसार, केंद्रीय बैंक के गवर्नर नंदलाल वीरासिंघे ने कहा कि विदेशी मुद्रा विनिमय अधिनियम के तहत किसी के लिए भी विदेशी मुद्रा रखने की सीमा होती है. अभी तक यह सीमा 15,000 डॉलर थी.
गवर्नर ने कहा कि 10,000 डॉलर की सीमा के साथ संबंधित व्यक्ति को यह भी बताना होगा कि उसे यह राशि कहां से मिली है. उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा रखने वालों को दो सप्ताह की छूट दी जाएगी. इससे अधिक विदेशी मुद्रा को उन्हें बैंकिंग प्रणाली में अपने विदेशी मुद्रा खाते में जमा करना होगा या इसे ‘सरेंडर’ करना होगा.
पीएम ने कहा देखते ही गोली मारने का आदेश नहीं दिया था
श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार को संसद को बताया कि सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने का कोई आदेश रक्षा मंत्रालय को नहीं दिया गया था.
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प्रधानमंत्री ने कहा कि पुलिस अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर सकती है और जरूरत पड़ने पर गोली भी चला सकती है. लेकिन इसके लिए प्रक्रियाओं का पालन करना होता है. उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह संसद के कुछ सदस्यों की संपत्ति पर हमला जरूर हुआ था, विदेशी मुद्रा रोष लेकिन देखते ही गोली मारने का आदेश जारी नहीं किया गया था.
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Published at : 19 May 2022 10:52 PM (IST) Tags: Sri Lanka Bank foreign currency sri lanka economic crisis Sri Lanka Crisis हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना विदेशी मुद्रा रोष Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi
मुद्रा और चालू खाते को लेकर भारत की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत 3.5 फीसदी के काफी उच्च स्तर के चालू खाते के घाटे की संभावना से दो-चार है. एक अनुमान के मुताबिक़, भारत का चालू खाते का घाटा 100 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर हो सकता है. सरकार के सामने इस बढ़ रहे चालू खाते के घाटे की भरपाई पूंजी प्रवाह से करने की चुनौती है. The post मुद्रा और चालू खाते को लेकर भारत की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है appeared first on The Wire - Hindi.
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत 3.5 फीसदी के काफी उच्च स्तर के चालू खाते के घाटे की संभावना से दो-चार है. एक अनुमान के मुताबिक़, भारत का चालू खाते का घाटा 100 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर हो सकता है. सरकार के सामने इस बढ़ रहे चालू खाते के घाटे की भरपाई पूंजी प्रवाह से करने की चुनौती है.
पिछले कुछ हफ्तों से, जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) द्वारा लगातार बाजार में बिकवाली का दौर जारी रहा, भारतीय रिजर्व बैंक भारतीय मुद्रा रुपये की विनिमयय दर को थामने की एक हारी हुई लड़ाई लड़ता दिखा.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने मुख्य तौर पर भारतीय ब्लूचिप कंपनियों के शेयरों की बिक्री है और भारतीय बाजार से 2.3 लाख करोड़ रुपये (लगभग 30 अरब अमेरिकी डॉलर) की बड़ी रकम निकाल ली है. इसने भारतीय रुपये पर और नीचे गिरने का भीषण दबाव बनाने का काम किया है.
रुपये में ऐतिहासिक गिरावट का दौर जारी है और यह आरबीआई द्वारा भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर की बिक्री करके इसे संभालने की कोशिशों को धता बताते हुए प्रति डॉलर 79 रुपये विदेशी मुद्रा रोष से ज्यादा नीचे गिर चुका है. सिर्फ एक पखवाड़े में ही रिजर्व बैंक ने 10 अरब अमेरिकी डॉलर की बिक्री की है.
बता दें कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, अक्टूबर, 2021 के 642 अरब अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर से 50 अरब अमेरिकी डॉलर घट गया है. इसके अलावा तेल-गैस का एक बड़ा आयातक होने के नाते ज्यादातर विशेषज्ञों के अनुमानों के मुताबिक भारत 3.5 फीसदी के काफी उच्च स्तर के चालू खाते के घाटे की संभावना से भी दो-चार है. ठोस आंकड़ों में तब्दील करें, तो भारत का चालू खाते का घाटा 100 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर हो सकता है. सरकार के सामने इस बढ़ रहे चालू खाते के घाटे की भरपाई पूंजी प्रवाह से करने की चुनौती है.
इस साल, पूंजी प्रवाह (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश-एफडीआई) दोनों ही काफी कमजोर रहे हैं. एलआईसी के शेयरों के विनिवेश को लेकर जिस तरह से बहुत उत्साह नहीं दिखा, उससे यह स्पष्ट है कि विदेशी संस्थागत निवेशक बेहद लाभदायक भारतीय सार्वजनिक उपक्रमों की परिसंपत्तियों में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.
विदेशी निवेशक अपने निवेश फैसलों को तब तक रोक कर रखेंगे, जब तक कि रुपये में गिरावट/अवमूल्यन पूरी तरह हो नहीं जाता है और यह नया स्थिर स्तर प्राप्त नहीं कर लेता है. यूक्रेन युद्ध के बाद और तेल-गैस और खाद्य पदार्थों की बढ़ रही कीमतों की पृष्ठभूमि में रुपये का नया स्तर क्या है? ज्यादातर वैश्विक निवेशक इस बात की थाह लेना चाहते हैं.
जापानी इनवेस्टमेंट रिसर्च हाउस नोमुरा ने डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत के 82 रुपये तक जाने का अनुमान लगाया है. वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह सावधानी के साथ यह बता दिया कि वैश्विक आर्थिक हालातों को देखते हुए 80 रुपये प्रति डॉलर का मूल्य तर्कसंगत होगा.
सीएनबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन ने यह स्वीकार किया कि 2022-23 में भारत 30 से 40 अरब डॉलर के नकारात्मक चालू खाते विदेशी मुद्रा रोष के घाटे का सामना कर सकता है. उन्होंने इसके साथ ही यह भी तुरंत ही जोड़ा कि यह कोई चिंता की बात नहीं है क्योंकि इतनी रकम विदेशी मुद्रा भंडार से ली जा सकती है.
आरबीआई के डेटा के आधार पर इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट एक और गंभीर चिंता की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को अगले 9 महीनों में 267 अरब अमेरिकी डॉलर के विदेशी कर्ज का भुगतान करना होगा. यह भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का करीब 44 प्रतिशत है. क्या वैश्विक मुद्रा संकुचन के हालात में यह एक और जोखिम का सबब बन सकता है?
एक तरफ नागेश्वरन यह तर्क दे रहे हैं कि खतरे की घंटी बजाने जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन सरकार के कुछ कदमों से ऐसा लगता है यह काफी चिंतित है.
वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसे घरेलू कच्चा तेल उत्पादकों पर एक बड़ा विंडफॉल टैक्स (अचानक और अप्रत्याशित हुए मुनाफे पर लगाया गया कर)- करीब 40 डॉलर प्रति बैरल का- लगा दिया. इसने डीजल, पेट्रोल और निर्यातित एटीएफ पर एक अच्छा खासा 13 रुपये प्रति लीटर का निर्यात कर भी लगा दिया. इससे मुख्य तौर पर आरआईएल (रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड) पर प्रभाव पड़ेगा, जो अपने रिफाइंड उत्पादों का 90 फीसदी से ज्यादा निर्यात करती है.
पिछले कुछ महीनों से आरआईएल ने जमकर मुनाफा कमाया है. यह रूस से काफी सस्ता और कीमत में काफी छूट के साथ मिला कच्चा तेल खरीदकर अपने उत्पादों, मुख्य रूप से डीजल की बिक्री यूरोपीय संघ और अमेरिका को कर रही था. कुछ जानकारों का कहना है कि आरआईएल को प्रति बैरल पर 35 डॉलर से ज्यादा मुनाफा हो रहा था.
जेपी मॉर्गन का कहना है कि सरकार द्वारा निर्यात कर लगाए जाने के बाद मुनाफा घटकर 12 से 13 डॉलरर प्रति बैरल पर आ सकता है. हालांकि इसके बाद भी रिलायंस को अपने निर्यात पर अच्छा-खासा लाभ होगा.
सरकार ने सोने के आयात पर भी आयात शुल्क को बढ़ा दिया है. उसे उम्मीद है कि इससे सोने का आयात कम होगा और भारत के कीमती विदेशी मुद्रा भंडार को सहेजा जा सकेगा.विदेशी मुद्रा रोष
समस्या यह है कि ये सब चालू खाते के घाटे को नियंत्रण में रखने के मकसद से टुकड़े-टुकड़े में लिए गए फैसले हैं. खाद्य पदार्थो, स्टील, तेल आदि पर निर्यात प्रतिबंध लगाने विदेशी मुद्रा रोष का मकसद घरेलू मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखना है, लेकिन इससे निर्यात से होने वाली कमाई में भी कमी आती है, खासकर ऐसे समय में जब विदेशी मोर्चे का जोखिम बढ़ रहा है. इसलिए, घरेलू महंगाई पर नियंत्रण और विदेशी मोर्चे को स्थिर करने के बीच, केंद्र की स्थिति काफी दुविधा वाली हो गई है.
सरकारें माइक्रो पॉलिसी के स्तर पर जितना रद्दोबदल करती हैं, मैक्रो मैनेजमेंट का काम उतना अनिश्चित और कठिन होता जाता है. भारत में अभी यही हो रहा है.
तेल कंपनियों पर विंडफॉल लाभ पर कर लगाकर जमा किए गया धन बढ़ रहे राजकोषीय घाटे को पाटने में आंशिक तौर पर मदद करेगा. लेकिन यह पर्याप्त नहीं है, क्योंकि कुल अतिरिक्त खर्च सरकार द्वारा लगाए गए सभी विंडफॉल करों को शामिल करने के बावजूद विदेशी मुद्रा रोष बजट के अनुमानों से 3.5 से 4 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है.
खराब हो रहे वैश्विक आर्थिक हालात के बीच बढ़ रही राजकोषीय चुनौती को कम करके नहीं आंका जा सकता है.
बढ़ी हुई बेरोजगारी के बीच भारत में एक के बाद होने वाले चुनावों में लोक-कल्याण के नए-नए वादे किए जाते हैं. इस पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदार लोक-कल्याणकारी कार्यक्रमों के जरिये ज्यादा समग्र लोक-कल्याणवाद वादा भी राजकोषीय खर्च को बढ़ावा देता है.
जहां तक मैक्रो या व्यापक स्तर का सवाल है, तो दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी होंगी कि भारत अपने दोहरे घाटे- राजकोषीय घाटे और चालू खाते के घाटे से कैसे निपटता है.
आखिरकार इन दो संकेतकों का मैक्रो मैनेजमेंट ही विनिमय दर की स्थिरता, मुद्रास्फीति और संवृद्धि का निर्धारण करेगा. अल्पकालिक नजरिये से उठाए जाने वाले कदमों से एक सीमा के बाद कोई फायदा नहीं पहुंचेगा.
अमृतसर एयरपोर्ट पर विदेशी मुद्रा की तस्करी: CISF ने दुबई जाने वाले 2 यात्रियों से 21 हजार यूरो बरामद किए, पुलिस पूछताछ जारी
पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर विदेशी मुद्रा की तस्करी का मामला सामने आया है। एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट में दुबई जाने के लिए तैयार दो यात्रियों को सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF) ने विदेशी मुद्रा के साथ गिरफ्तार किया है। जब्त की गई विदेशी मुद्रा की भारतीय रुपए में वैल्यू 32.86 लाख आंकी जा रही है।
कस्टम अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, दुबई से एयर इंडिया की फ्लाइट संख्या IX 191 अमृतसर एयरपोर्ट पर जाने के लिए तैयार थी। सुरक्षा के लिए तैनात CISF के जवान पैसेंजर्स और उनके सामान की जांच कर रहे थे। इसी दौरान 2 पैसेंजर्स के सामान में उन्हें कुछ अजीब वस्तु दिखाई दी। जब उनके सामान की गहन जांच की गई तो उसमें से 21 हजार यूरो निकले। CISF के जवानों ने दोनों पैसेंजर्स को तुरंत कस्टम विभाग के हवाले कर दिया।
जब्त किए गई करेंसी
कस्टम विभाग के अधिकारियों ने CISF से मिली जानकारी के बाद दोनों पैसेंजर्स को हिरासत में ले लिया। 21 हजार यूरो की भारतीय करेंसी वैल्यू 32,86,5000 रुपए आंकी गई है, जिसे कस्टम विभाग ने द कस्टम एक्ट 1962 के सेक्शन 110 के तहत जब्त कर लिया है।
कल मिला था सोना
शनिवार को दुबई से अमृतसर पहुंची स्पाइस जेट की फ्लाइट में एक महिला को 540 ग्राम सोने की पेस्ट के साथ विदेशी मुद्रा रोष गिरफ्तार किया था। आरोपी महिला ने सोने की पेस्ट को अपने कपड़ों में चिपकाकर छिपाया था, ताकि वह मेटल डिटेक्टर व एक्सरे मशीन से बच जाए।
मुद्रा और चालू खाते को लेकर भारत की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत 3.5 फीसदी के काफी उच्च स्तर के चालू खाते के घाटे की संभावना से दो-चार है. एक अनुमान के मुताबिक़, भारत का चालू खाते का घाटा 100 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर हो सकता है. सरकार के सामने इस बढ़ रहे चालू खाते के घाटे की भरपाई पूंजी प्रवाह से करने विदेशी मुद्रा रोष की चुनौती है. The post मुद्रा और चालू खाते को लेकर भारत की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है appeared first on The Wire - Hindi.
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत 3.विदेशी मुद्रा रोष 5 फीसदी के काफी उच्च स्तर के चालू खाते के घाटे की संभावना से दो-चार है. एक अनुमान के मुताबिक़, भारत का चालू खाते का घाटा 100 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर हो सकता है. सरकार के सामने इस बढ़ रहे चालू खाते के घाटे की भरपाई पूंजी प्रवाह से करने की चुनौती है.
पिछले कुछ हफ्तों से, जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) द्वारा लगातार बाजार में बिकवाली का दौर जारी रहा, भारतीय रिजर्व बैंक भारतीय मुद्रा रुपये की विनिमयय दर को थामने की एक हारी हुई लड़ाई लड़ता दिखा.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने मुख्य तौर पर भारतीय ब्लूचिप कंपनियों के शेयरों की बिक्री है और भारतीय बाजार से 2.3 लाख करोड़ रुपये (लगभग 30 अरब अमेरिकी डॉलर) की बड़ी रकम निकाल ली है. इसने भारतीय रुपये पर और नीचे गिरने का भीषण दबाव बनाने का काम किया है.
रुपये में ऐतिहासिक गिरावट का दौर जारी है और यह आरबीआई द्वारा भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर की बिक्री करके इसे संभालने की कोशिशों को धता बताते हुए प्रति डॉलर 79 रुपये से ज्यादा नीचे गिर चुका है. सिर्फ एक पखवाड़े में ही रिजर्व बैंक ने 10 अरब अमेरिकी डॉलर की बिक्री की है.
बता दें कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, अक्टूबर, 2021 के 642 अरब अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर से 50 अरब अमेरिकी डॉलर घट गया है. इसके अलावा तेल-गैस का एक बड़ा आयातक होने के नाते ज्यादातर विशेषज्ञों के अनुमानों के मुताबिक भारत 3.5 फीसदी के काफी उच्च स्तर के चालू खाते के घाटे की संभावना से भी दो-चार है. ठोस आंकड़ों में तब्दील करें, तो भारत का चालू खाते का घाटा 100 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर हो सकता है. सरकार के सामने इस बढ़ रहे चालू खाते के घाटे की भरपाई पूंजी प्रवाह से करने की चुनौती है.
इस साल, पूंजी प्रवाह (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश-एफडीआई) दोनों ही काफी कमजोर रहे हैं. एलआईसी के शेयरों के विनिवेश को लेकर जिस तरह से बहुत उत्साह नहीं दिखा, उससे यह स्पष्ट है कि विदेशी संस्थागत निवेशक बेहद लाभदायक भारतीय सार्वजनिक उपक्रमों की परिसंपत्तियों में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.
विदेशी निवेशक अपने निवेश फैसलों को तब तक रोक कर रखेंगे, जब तक कि रुपये में गिरावट/अवमूल्यन पूरी तरह हो नहीं जाता है और यह नया स्थिर स्तर प्राप्त नहीं कर लेता है. यूक्रेन युद्ध के बाद और तेल-गैस और खाद्य पदार्थों की बढ़ रही कीमतों की पृष्ठभूमि में रुपये का नया स्तर क्या है? ज्यादातर वैश्विक निवेशक इस बात की थाह लेना चाहते हैं.विदेशी मुद्रा रोष
जापानी इनवेस्टमेंट रिसर्च हाउस नोमुरा ने डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत के 82 रुपये तक जाने का अनुमान लगाया है. वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह सावधानी के साथ यह बता दिया कि वैश्विक आर्थिक हालातों को देखते हुए 80 रुपये प्रति डॉलर का मूल्य तर्कसंगत होगा.
सीएनबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन ने यह स्वीकार किया कि 2022-23 में भारत 30 से 40 अरब डॉलर के नकारात्मक चालू खाते के घाटे का सामना कर सकता है. उन्होंने इसके साथ ही यह भी तुरंत ही जोड़ा कि यह कोई चिंता की बात नहीं है क्योंकि इतनी रकम विदेशी मुद्रा भंडार से ली जा सकती है.
आरबीआई के डेटा के आधार पर इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट एक और गंभीर चिंता की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को अगले 9 महीनों में 267 अरब अमेरिकी डॉलर के विदेशी कर्ज का भुगतान करना होगा. यह भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का करीब 44 प्रतिशत है. क्या वैश्विक मुद्रा संकुचन के हालात में यह एक और जोखिम का सबब बन सकता है?
एक तरफ नागेश्वरन यह तर्क दे रहे हैं कि खतरे की घंटी बजाने जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन सरकार के कुछ कदमों से ऐसा लगता है यह काफी चिंतित है.
वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसे घरेलू कच्चा तेल उत्पादकों पर एक बड़ा विंडफॉल टैक्स (अचानक और अप्रत्याशित हुए मुनाफे पर लगाया गया कर)- करीब 40 डॉलर प्रति बैरल का- लगा दिया. इसने डीजल, पेट्रोल और निर्यातित एटीएफ पर एक अच्छा खासा 13 रुपये प्रति लीटर का निर्यात कर भी लगा दिया. इससे मुख्य तौर पर आरआईएल (रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड) पर प्रभाव पड़ेगा, जो अपने रिफाइंड उत्पादों का 90 फीसदी से ज्यादा निर्यात करती है.
पिछले कुछ महीनों से आरआईएल ने जमकर मुनाफा कमाया है. यह रूस से काफी सस्ता और कीमत में काफी छूट के साथ मिला कच्चा तेल खरीदकर अपने उत्पादों, मुख्य रूप से डीजल की बिक्री यूरोपीय संघ और अमेरिका को कर रही था. कुछ जानकारों का कहना है कि आरआईएल को प्रति बैरल पर 35 डॉलर से ज्यादा मुनाफा हो रहा था.
जेपी मॉर्गन का कहना है कि सरकार द्वारा निर्यात कर लगाए जाने के बाद मुनाफा घटकर 12 से 13 डॉलरर प्रति बैरल पर आ सकता है. हालांकि इसके बाद भी रिलायंस को अपने निर्यात पर अच्छा-खासा लाभ होगा.
सरकार ने सोने के आयात पर भी आयात शुल्क को बढ़ा दिया है. उसे उम्मीद है कि इससे सोने का आयात कम होगा और भारत के कीमती विदेशी मुद्रा भंडार को सहेजा जा सकेगा.
समस्या यह है कि ये सब चालू खाते के घाटे को नियंत्रण में रखने के मकसद से टुकड़े-टुकड़े में लिए गए फैसले हैं. खाद्य पदार्थो, स्टील, तेल आदि पर निर्यात प्रतिबंध लगाने का मकसद घरेलू मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखना है, लेकिन इससे निर्यात से होने वाली कमाई में भी कमी आती है, खासकर ऐसे समय में जब विदेशी मोर्चे का जोखिम बढ़ रहा है. इसलिए, घरेलू महंगाई पर नियंत्रण और विदेशी मोर्चे को स्थिर करने के बीच, केंद्र की स्थिति काफी दुविधा वाली हो गई है.
सरकारें माइक्रो पॉलिसी के स्तर पर जितना रद्दोबदल करती हैं, मैक्रो मैनेजमेंट का काम उतना अनिश्चित और कठिन होता जाता है. भारत में अभी यही हो रहा है.
तेल कंपनियों पर विंडफॉल लाभ पर कर लगाकर जमा किए गया धन बढ़ रहे राजकोषीय घाटे को पाटने में आंशिक तौर पर मदद करेगा. लेकिन यह पर्याप्त नहीं है, क्योंकि कुल अतिरिक्त खर्च सरकार द्वारा लगाए गए सभी विंडफॉल करों को शामिल करने के बावजूद बजट के अनुमानों से 3.5 से 4 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है.
खराब हो रहे वैश्विक आर्थिक हालात के बीच बढ़ रही राजकोषीय चुनौती को कम करके नहीं आंका जा सकता है.
बढ़ी हुई बेरोजगारी के बीच भारत में एक के बाद होने वाले चुनावों में लोक-कल्याण के नए-नए वादे किए जाते हैं. इस पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदार लोक-कल्याणकारी कार्यक्रमों के जरिये ज्यादा समग्र लोक-कल्याणवाद वादा भी राजकोषीय खर्च को बढ़ावा देता है.
जहां तक मैक्रो या व्यापक स्तर का सवाल है, तो दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी होंगी कि भारत अपने दोहरे घाटे- राजकोषीय घाटे और चालू खाते के घाटे से कैसे निपटता है.
आखिरकार इन दो संकेतकों का मैक्रो मैनेजमेंट ही विनिमय दर की स्थिरता, मुद्रास्फीति और संवृद्धि का निर्धारण करेगा. अल्पकालिक नजरिये से उठाए जाने वाले कदमों से एक सीमा के बाद कोई फायदा नहीं पहुंचेगा.