घोटाले के दलालों से बचना

व्यापमं घोटाला : एक अपराध. तीन अपराधी. तीन तरह का रवैया, यह कैसी जांच?
एक ही अपराध, तीन आरोपी और एसटीएफ का तीन तरह का रवैया. एक लड़की, जिसने अपराध के कुछ महीनों पहले ही नाबालिगी की दहलीज पार की थी। दूसरा एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी साला और रिटायर आईजी का बेटा, और तीसरा भी एक रसूखदार रहा शख्स. । जांच के इसी रवैये की पड़ताल करती खबर। साथ ही उन छात्रों के भविष्य का रास्ता तलाशने की कोशिश भी जो चाहे-अनचाहे ध्वस्त हो चुकी व्यवस्था और व्यापमं गैंग के कुचक्र में फंसकर, अपराधी बन भविष्य तबाह कर चुके हैं।
इंदौर. अब सीबीआई उन मामलों की फिर से समीक्षा करने की बात कर रही है, जिनकी जांच कर एसटीएफ चालान पेश कर चुकी है। ऐसे में एक बार फिर आस बंधी है कि एक ओर जहां उन छात्रों को राहत मिलेगी, जो अपने अभिभावकों की करतूतों के चलते अपराधी होने का दंश झेल रहे हैं। दूसरी ओर उन चेहरों के सामने आने की भी उम्मीद है जो अपने रसूख के चलते अपराधियों की सूची से बाहर हो गए।
400 से ज्यादा छात्र झेल रहे अपराधी होने का दंश
जेल की दीवारें जितनी ऊंची नहीं उससे कहीं ज्यादा गहरे में बैठी दहशत, अनिश्चित भविष्य और अपराधी कहलाने को अभिशप्त रवीना ऐसी अकेली लड़की नहीं है। यह कहानी लगभग चार सौ उन छात्र-छात्राओं की है जो 18 से 20 साल की उम्र के हैं। जो अपने मन से किसी को अपने मन से 18 -20 रुपए भी नहीं दे सकते लेकिन व्यापमं के दलालों के कुचक्र फंसे अभिभावकों की गलती और एसटीएफ की हठधर्मिता का दंश झेल रहे हैं। रवीना तो फिर भी 14 दिन में बाहर आ गई लेकिन ऐसे छात्रों की फहरिस्त बहुत लंबी है जिन्हें तीन से लेकर छह महीने सलाखों के पीछे गुजारना पड़े। कई लड़कियों को तो 18-19 जून 14 की दरम्यान रात प्रदेशभर में एक साथ छापा मारकर उठाया गया।
मानसिक दबाव आत्महत्या का कारण : कई आरोपियों ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया या हृदय गति रुक जाने से मौत के गाल में समा गए। 40 से ज्यादा हुई मौतों का पूरा सच सीबीआई जांच के सामने ही सामने आएगा। लेकिन मनोचिकित्सक कहते हैं कि कम उम्र के लड़के अकसर पुलिस और जेल जाने का मानसिक दबाव सह नहीं पाते जिसकी परिणिती कई बार हार्टअटैक या हार्टफेल हो जाने के रूप में सामने आती है।
रवीना असरानी : 18 साल की उम्र, 14 दिनों तक जेल की चाहरदीवारी में रही कैद
यह जो चेहरा देख रहे हैं अब धीरे-धीरे अब इसकी आंखों के नीचे गहराए काले धब्बे गायब हो रहे हैं, लेकिन मुस्कराहट के लिखी दहशत की इबारत सालभर बाद भी साथ पढ़ी जा सकती है। जबलपुर मेडिकल कॉलेज से निष्कासित हो चुकी रवीना असरानी वह पहली लड़की है जो व्यापमं घोटाले के चलते सलाखों के पीछे पहुंचाई गई थी। एसटीएफ द्वारा निचली अदालत में जमानत के सख्त विरोध के बाद अंतत: वह जेल की दीवारों के बाहर तब आ पाई जब 14 दिन बाद हाईकोर्ट ने उसे जमानत दी। रवीना और उसके पिता पर पीएमटी 2013 की तर्ज पर हुए पीएमटी 2012 घोटाले में व्यापमं घोटाले के दलाल तरंग शर्मा को 17 लाख देकर पीएमटी पास करने का आरोप है। जून 2014 में एक दिन पिता के साथ भोपाल बुलाया गया। दिनभर चली पूछताछ के बाद उसे बचने का एक ही रास्ता बताया गया कि वह अपने पिता के खिलाफ बयान दे दें। वह कैसे दे देती नतीजा रात भर थाने की सलाखों के पीछे और दूसरे दिन जेल।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का बेटा तो दूसरे अधिकारी का साला, सत्ता और संगठन का करीबी राघवेंद्र तोमर का नाम प्री.प्री.जी. 2012 की एफआई में दर्ज है। लेकिन जांच का सिलसिला ऐसा चला कि गिरफ्तार होना तो दूर एक शपथ पत्र और एग्रीमेंट के आधार पर वह सरकारी गवाह बना दिया गया। दरअसल प्रीप्रीजी घोटाले के प्रमुख आरोपी व्यापमं के चीफ सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिंद्रा और एक्जाम कंट्रोलर पंकज त्रिवेदी से हुई पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि जिन आठ छात्रों से 60 से 70 लाख लेकर परीक्षा के एक दिन ‘माडल आंसर की’ उपलब्ध कराई गई थी उन सभी छात्रों के रुकने का इंतजाम राघवेंद्र तोमर ने एक और पुलिस अधिकारी के भाई भरत मिश्रा के साथ मिलकर मंडीद्वीप स्थित एक प्राइवेट लिमिटेड फैक्टरी में किया था। इसकी एवज में भरत मिश्रा को 40 और राघवेंद्र तोमर को 30 लाख मिले थे।
तोमर ने एसटीएफ को एक शपथ पत्र देकर बताया कि उसने यह फैक्टरी दो साल पहले 50 हजार रुपए प्रतिमाह किराए पर भिंड निवासी राविन सिंह सेंगर को किराए पर दे दी थी और छात्रों के रुकने का इंतजाम उसी ने किया था। और तोमर सरकारी गवाह बना लिए गए। अब यह सीबीआई की जांच का विषय हो सकता है कि जो एसटीएफ 18 साल की रवीना जेल भेजने के लिए इतना तत्पर था कि उसका रुख इतना नरम कैसे हो गया। उसने यह जांच करने की जहमत भी नहीं उठाई कि किराए पर देने की सूचना रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी को दी गई है या अनुबंध पत्र पर लगा स्टाम्प कब का है। या कंपनी की घोटाले के दलालों से बचना बैलेंस शीट क्या कहती है।
प्रेम प्रसाद पर भी रवीना असरानी के पिता की तरह पीएमटी 2012 में अपनी बेटी का अवैध तरीके से चयन करवाने का आरोप था। हालांकि कांग्रेसी नेता इन पर और भी कई नौकरियां लगवाने में अपने रसूख के बेजा इस्तेमाल का आरोप लगाते रहे हैं। लेकिन इनकी गिरफ्तारी तो दूर एसटीएफ में भोपाल की कोर्ट में इनकी अग्रिम जमानत तक का भी ढंग से विरोध नहीं किया। नतीजा 22 जून 2014 को इन्हें और इनकी बेटी को अग्रिम जमानत मिल गई। अब जब सीबीआई रसूखदारों को फिर से जांच के दायरे में लाने का दांवा कर रही है। यह देखने लायक बात होगी कि वह प्रेमप्रसाद के मामले में क्या रुख अपनाती है।
> अभिभावकों और छात्र-छात्राओं को चालान पेश हो जाने के बाद भी सरकारी गवाह बनाया जा सकता है। एसटीएफ के द्वारा पेश किए जा चुके चालान में फिलहाल परिस्थितिजन्य साक्ष्य ज्यादा हैं। अभिभावकों, छात्राओं की गवाही उसे सीधे साक्ष्य देगी। जिससे मूल अपराधियों की सजा सुनिश्चित होगी।’ - नरेंद्र जैन, पूर्व न्यायाधीश एवं अधिवक्ता, इंदौर
> राघवेंद्र तोमर को गवाह बनाना कानून का दुरुपयोग है। इसकी संपत्ति के स्त्रोतों की जांच अनुबंध पत्र और कंपनी तथा आयकर दस्तावेजों से इसका झूठ पकड़ा जा सकता है। केवल किराएदारी के अनुबंध के आधार पर छोड़ देना संदेहास्पद है। - मनोहर दलाल, वरिष्ठ अधिवक्ता इंदौर
एसडीएम कार्यालय से कंप्यूटर चोरी
काशीपुर। चोर पुराने एसडीएम कोर्ट के दरवाजे और पांच अलमारियों के ताले तोड़कर कंप्यूटर, मॉनीटर, सीपीयू, यूपीएस चुरा ले गए। चोरी की सूचना फैलते ही प्रशासन में खलबली मच गई। एसडीएम दयानंद सरस्वती, एएसपी डॉ. जगदीश चंद, आईटीआई थाना प्रभारी इंस्पेक्टर नरेश चौहान ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। अपर उपजिलाधिकारी कार्यालय के रीडर नंदन सिंह ने आईटीआई थाने में अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई।
रीडर सोमवार को जब कार्यालय पहुंचे तो सफाई कर्मचारी राजकुमार ने बताया कि ऑफिस के पिछले दरवाजे की कुंडी टूटी थी। दरवाजा खुला है। तब नंदन सिंह ने देखा तो ऑफिस में रखी छह लोहे की अलमारियों में से पांच के लॉक तोड़ कर खोले गए थे। कंप्यूटर, मॉनीटर, सीपीयू, यूपीएस भी गायब थे। ऑफिस में रखी छह अलमारी में से पांच के ताले तोड़कर चोर कंप्यूटर सेट ले गए।
दर्ज रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। सूचना मिलते ही एसडीएम, एएसपी, आईटीआई थाना प्रभारी पहुंच गए। चोरी होने पर वकीलों ने हंगामा किया। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आनंद रस्तोगी ने कहा कि अदालत परिसर में चोरी होना गंभीर मामला है।
वकील अमरीश अग्रवाल ने चोरी का शीघ्र खुलासा करने की मांग की। वकील शैलेंद्र मिश्रा ने कहा कि जब एनएच घोटाले की जांच चल रही है तब ऐसी घोटाले के दलालों से बचना चोरी होना और भी चिंता का कारण है। एएसपी चंद ने कहा कि जांच पूरी की जाएगी।
काशीपुर। आम नागरिक एसडीएम कोर्ट कार्यालय में चोरी के तार एचएच घोटाले से जुड़े होने की आशंका जता रहे हैं। जिसने भी घटना के बारे में सुना उसने एक ही बात कही एनएच के लिए अधिग्रहित भूमि के उपयोग, मुआवजा तय करने में काशीपुर तहसील क्षेत्र में भारी घोटाले की आशंका है। यहां दलाल सक्रिय थे। लोगों ने कहा कि ऐसी संभावना है कि जांच में फंसने से बचने के घोटाले के दलालों से बचना लिए घोटालेबाज संबंधित रिकॉर्ड नष्ट करना चाहते हैं। लोगों का कहना है कि भूमि घोटाले में दलाल, अधिकारियों ने किसानों की आड़ में घोटाला किया। अब वह बचने के लिए रिकॉर्ड ही नष्ट करने पर आमादा हैं।
काशीपुर। सुरक्षा के लिए घरों, कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की सीख देने वाला प्रशासन स्वयं लापरवाह है। इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि जिस कार्यालय में राजस्व संबंधित महत्वपूर्ण रिकॉर्ड रखे हैं। उसकी सुरक्षा के लिए चौकीदार भी नहीं है। सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगाए गए हैैं। पुलिस गश्त भी नामभर के लिए है। इतना ही नहीं एसडीएम कार्यालय तक में कैमरे नहीं लगे हैं।
काशीपुर। एसडीएम कोर्ट कार्यालय की अलमारियों में एक भी फाइलें बिखरी नहीं मिलीं। वकील अमरीश अग्रवाल ने कहा कि अलमारियों के बाहर एक भी फाइल नहीं पड़ी थी, जबकि चोरी करने वाला सामान बिखेर जाता है। ऐसे में चोरी के पीछे कोई जानकार ही हो सकता है।
काशीपुर। एसडीएम दयानंद सरस्वती ने कहा कि एनएच से संबंधित कोई फाइल चोरी नहीं हुई। डीएम के आदेश पर राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जिस भूमि का मुआवजा निर्धारण में एवं कृषि से अकृषि घोषित करने में अनियमितता की जांच की जा रही है, उसके अभिलेख 23 मार्च 2017 को जिला कोषागार के लॉकर में डबल लॉक में रखे गए हैं।
काशीपुर। चोर पुराने एसडीएम कोर्ट के दरवाजे और पांच अलमारियों के ताले तोड़कर कंप्यूटर, मॉनीटर, घोटाले के दलालों से बचना सीपीयू, यूपीएस चुरा ले गए। चोरी की सूचना फैलते ही प्रशासन में खलबली मच गई। एसडीएम दयानंद सरस्वती, एएसपी डॉ. जगदीश चंद, आईटीआई थाना प्रभारी इंस्पेक्टर नरेश चौहान ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। अपर उपजिलाधिकारी कार्यालय के रीडर नंदन सिंह ने आईटीआई थाने में अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई।
रीडर सोमवार को जब कार्यालय पहुंचे तो सफाई कर्मचारी राजकुमार ने बताया कि ऑफिस के पिछले दरवाजे की कुंडी टूटी थी। दरवाजा खुला है। तब नंदन सिंह ने देखा तो ऑफिस में रखी छह लोहे की अलमारियों में से पांच के लॉक तोड़ कर खोले गए थे। कंप्यूटर, मॉनीटर, सीपीयू, यूपीएस भी गायब थे। ऑफिस में रखी छह अलमारी में से पांच के ताले तोड़कर चोर कंप्यूटर सेट ले गए।
दर्ज रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। सूचना मिलते ही एसडीएम, एएसपी, आईटीआई थाना प्रभारी पहुंच गए। चोरी होने पर वकीलों ने हंगामा किया। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आनंद रस्तोगी ने कहा कि अदालत परिसर में चोरी होना गंभीर मामला है।
वकील अमरीश अग्रवाल ने चोरी का शीघ्र खुलासा करने की मांग की। वकील शैलेंद्र मिश्रा ने कहा कि जब एनएच घोटाले की जांच चल रही है तब ऐसी चोरी होना और भी चिंता का कारण है। एएसपी चंद ने कहा कि जांच पूरी की जाएगी।
काशीपुर। आम नागरिक एसडीएम कोर्ट कार्यालय में चोरी के तार एचएच घोटाले से जुड़े होने की आशंका जता रहे हैं। जिसने भी घटना के बारे में सुना उसने एक ही बात कही एनएच के लिए अधिग्रहित भूमि के उपयोग, मुआवजा तय करने में काशीपुर तहसील क्षेत्र में भारी घोटाले की आशंका है। यहां दलाल सक्रिय थे। लोगों ने कहा कि ऐसी संभावना है कि जांच में फंसने से बचने के लिए घोटालेबाज संबंधित रिकॉर्ड नष्ट करना चाहते हैं। लोगों का कहना है कि भूमि घोटाले में दलाल, अधिकारियों ने किसानों की आड़ में घोटाला किया। अब वह बचने के लिए रिकॉर्ड ही नष्ट करने पर घोटाले के दलालों से बचना आमादा हैं।
काशीपुर। सुरक्षा के लिए घरों, कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की सीख देने वाला प्रशासन स्वयं लापरवाह है। इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि जिस कार्यालय में राजस्व संबंधित महत्वपूर्ण रिकॉर्ड रखे हैं। उसकी सुरक्षा के लिए चौकीदार भी नहीं है। सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगाए गए हैैं। पुलिस गश्त भी नामभर के लिए है। इतना ही नहीं एसडीएम कार्यालय तक में कैमरे नहीं लगे हैं।
काशीपुर। एसडीएम कोर्ट कार्यालय की अलमारियों में एक भी फाइलें बिखरी नहीं मिलीं। वकील अमरीश अग्रवाल ने कहा कि अलमारियों के बाहर एक भी फाइल नहीं पड़ी थी, जबकि चोरी करने वाला सामान बिखेर जाता है। ऐसे में चोरी के पीछे कोई जानकार ही हो सकता है।
काशीपुर। एसडीएम दयानंद सरस्वती ने कहा कि एनएच से संबंधित कोई फाइल चोरी नहीं हुई। डीएम के आदेश पर राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जिस भूमि का मुआवजा निर्धारण में एवं कृषि से अकृषि घोषित करने में अनियमितता की जांच की जा रही है, उसके अभिलेख 23 मार्च 2017 को जिला कोषागार के लॉकर में डबल लॉक में रखे गए हैं।
छात्रवृत्ति घोटाला: हाईकोर्ट के चाबुक का दिखा असर, संयुक्त निदेशक को भेजा गया जेल
राज्य के समाज कल्याण विभाग अफसर, कर्मचारियों और दलालों द्वारा करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति हेराफेरी में हाईकोर्ट के चाबुक ने असर दिखाना शुरू कर दिया.
Published: November 2, 2019 11:58 AM IST
देहरादून: राज्य के समाज कल्याण विभाग अफसर, कर्मचारियों और दलालों द्वारा करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति हेराफेरी में हाईकोर्ट के चाबुक ने असर दिखाना शुरू कर दिया. हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही इस घोटाले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी. एसआईटी ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा सहित कई राज्यों से इस घोटाले के तार जुड़े पाए थे. एसआईटी की जांच के बाद उत्तराखंड राज्य भर में ताबड़तोड़ मामले भी दर्ज हुए. फिलहाल विद्यार्थियों के धन से अपनी जेब भरने के काले-कारोबार में गिरफ्तार समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक को जेल भेज दिया गया है.
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जेल भेजे गए समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक का नाम गीताराम नौटियाल है. गीताराम नौटियाल को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है. जेल भेजने का आदेश अपर जिला जज श्रीकांत पांडेय की अदालत द्वारा सुनाया गया. इस मामले में जेल से बचने के लिए आरोपी द्वारा शुक्रवार को जमानत अर्जी भी दाखिल की गई थी. इस अर्जी पर अब 4 नवंबर को सुनवाई होगी.
संयुक्त निदेशक को जेल भेजे जाने की पुष्टि शासकीय अधिवक्ता राजीव गुप्ता ने भी मीडिया से बातचीत में की. जेल भेजा गया संयुक्त निदेशक गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट भी गया था. वहां से जब उसे कोई राहत नहीं मिली तो उसने गुरुवार को सिडकुल थाने जाकर खुद को पुलिस के सामने पेश कर दिया. पुलिस ने शुक्रवार को आरोपी को विशेष सतर्कता जज की अदालत में पेश किया था. फिलहाल अदालत के आदेश के मुताबिक आरोपी 14 नवंबर तक जेल में ही रहेगा.
गौरतलब है कि इस छात्रवृत्ति घोटाले में यूं तो अब तक 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. मगर संयुक्त निदेशक की गिरफ्तारी उन सबमें सबसे अहम और बड़ी मानी जा रही है. इस घोटाले में कई और रहीस घोटालेबाजों की गिरफ्तारी के लिए एसआईटी द्वारा छापेमारी बदस्तूर जारी है.
एसआईटी के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने शनिवार को बताया कि इस घोटाले में जो कुछ अब तक सामने निकल कर आया है, उससे लगता है कि यह घोटाला तमाम शिक्षण संस्थानों के मालिकों की भी मिली भगत से किया गया है. ऐसे में कई नामी गिरामी शिक्षण संस्थानों को संचालित करने वाली कई बड़ी मछलियां भी गिरफ्तार होकर जेल जाएंगी. इसमें संदेह नहीं है.
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हरियाणा में वीवीआईपी घोटाला, अफसरों की आईडी से किए गाड़ियों के नंबर अलॉट
पानीपत । हरियाणा के पानीपत जिले से घोटाले का एक अजीबो-गरीब मामला देखने को मिला है. यहां जालसाजों ने पानीपत और समालखा के एसडीएम की यूजर आईडी के इस्तेमाल के जरिए वीवीआईपी नंबर जारी कर दिए. ये नंबर गाड़ियों को अलॉट किए गए हैं. आमतौर पर वीवीआईपी नंबर लेने के लिए बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है लेकिन भुगतान से बचने के लिए दलालों ने मिलीभगत करके अफसरों के कम्प्यूटर की यूजर आईडी का प्रयोग कर नंबर अलॉट करवा लिएं.
नंबर 0003,0005,0006,0009 है. एसपी शशांक सावन की निगरानी में जब मामले की जांच की गई तो घोटाले का पर्दाफाश हुआ. हालांकि अभी तक उन सरकारी कर्मचारियों के नाम सामने नहीं आएं हैं जो इस मिलीभगत में शामिल हैं. जाहिर है जांच को आगे बढ़ाया गया तो कर्मचारी सस्पेंड हो सकतें हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार पानीपत और समालखा एसडीएम की यूजर आईडी से सात वीवीआईपी नंबर जारी कर दिए गए हैं. आमतौर पर एक नंबर की कीमत 50 हजार रुपए से डेढ़-दो लाख तक होती है. ये वीवीआईपी नंबर जारी करने का अधिकार सिर्फ ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को होता है.
धोखाधड़ी का केस दर्ज
थाना शहर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी है. जो कर्मचारी इस घोटाले में शामिल पाया जाता है ,उसका नाम इस मामले में जोड़ा जाएगा. इस पूरे प्रकरण के बाद पानीपत और समालखा एसडीएम के कार्यालयों में तैनात कर्मचारियों में दहशत का माहौल बना हुआ है. लेकिन अब बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या दलाल इतने एक्टिवेट हो गए हैं कि एसडीएम की यूजर आईडी तक इस्तेमाल करने लगे हैं.
एनआईसी ने की जांच
एनआईसी की जांच में सामने आया है कि एक यूजर आईडी पानीपत एसडीएम और दूसरी समालखा एसडीएम के नाम है. जाहिर सी बात है इतने बड़े स्तर पर घोटाले को अंजाम बिना सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत के नहीं दिया जा सकता है.
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