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शेयर बाजार कैसे काम करता है?

शेयर बाजार कैसे काम करता है?
आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.

Share Market Complete Hindi guide – शेयर बाजार हिंदी गाइड

आज के डिजिटल युग में लोगों के बीच में शेयर मार्केट और स्टॉक मार्केट में निवेश करने की होड बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही हमारी नई पीढ़ी खुली आर्थिक नीतियों के साथ जवान हुई है। इसलिए, नए पीढ़ी ऑनलाइन पैसे कमाने के तरीके के साथ साथ खुले शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट पर ऑनलाइन पैसों को लगा करके कैसे लाभ कमा सकते हैं? इन सारी चीजों के बारे में काफी सजग हो गए हैं। आज हम अपनी इस वेबसाइट पर आपको Share Market Complete Hindi guide – शेयर बाजार हिंदी गाइड के बारे में संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।

Share Market Complete Hindi guide – शेयर बाजार हिंदी गाइड

आज के वर्तमान समय में लोगों की मानसिकता और नए नौजवान पीढ़ी, पैसों को बचाना एवं उन्हें निवेश करना और उससे लाभ अर्जित करना इस बारे में काफी जागरूक है। इसलिए वह नीति नए तरीके खोजते हैं ताकि वह अपने पैसों को अच्छी जगह निवेश करके अच्छी खासी लाभ कमा सकें।

अगर हमारे पास पैसे है तो हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं और पैसों की बिना हमारा सपना सपना भरी रह जाता है। इसलिए नई पीढ़ी नीति नए तरीकों के माध्यम से चाहे वह शेयर बाजार हो, या फिर म्यूच्यूअल फंड या SIP करके अपने पैसों को निवेश करते हैं।

हम इसीलिए आप लोगों को यहां पर शेयर मार्केट से संबंधित पूरी जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। आप नीचे क्लिक करके संबंधित आर्टिकल पढ़ सकते हैं। और शेयर बाजार पर निवेश करना आरंभ कर सकते हैं।

IPO में निवेश करने जा रहे हैं? तो इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना उठाना पड़ सकता है नुकसान

इस बात पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां किया जाना है. अगर कंपनी कर्ज के बोझ से दबी है तो निवेशकों को इसमें निवेश करने में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए.

IPO में निवेश करने जा रहे हैं? तो इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना उठाना पड़ सकता है नुकसान

आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.

IPO: भारतीय शेयर बाजार में हाल के दिनों में इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) की बाढ़ आई हुई है. स्टॉक इंडेक्स अपने अब तक के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहे हैं. बाजार की इस तेजी का फायदा उठाने के लिए अभी और ज्यादा आईपीओ के आने की उम्मीद है. निवेशक भी इन आईपीओ के ज़रिए पैसा कमाने के लिए बिल्कुल तैयार हैं, हालांकि नए निवेशकों को इन आईपीओ में निवेश करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. नए निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.

क्या है IPO

इनिशियल पब्लिक ऑफर बाजार से पूंजी जुटाने के लिए किसी प्राइवेट कंपनी द्वारा लाया जाता है. यह एक प्राइवेट कंपनी को पब्लिक कंपनी में बदलने की प्रक्रिया है. जब कंपनियों को पैसे की जरूरत होती है तो ये शेयर बाजार में खुद को लिस्ट कराती हैं. आईपीओ के ज़रिए प्राप्त शेयर बाजार कैसे काम करता है? पूंजी को कंपनी अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च करती है. इस फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने या कंपनी की तरक्की आदि में किया जा सकता है. स्टॉक एक्सचेंजों पर शेयरों की लिस्टिंग से कंपनी को अपने मूल्य का उचित वैल्यूएशन प्राप्त करने में मदद मिलती है.

यह ध्यान रखना अहम है कि सभी आईपीओ को उनके मन मुताबिक सफलता नहीं मिलती है. अतीत में ऐसे कई आईपीओ रहे हैं जो सफल नहीं हो सके जबकि कई अन्य ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और निवेशकों की संपत्ति में इजाफा किया. इसलिए, निवेशकों को किसी भी आईपीओ में निवेश करने से पहले इसके बारे में अच्छी तरह समझ लेना जरूरी है. आईपीओ में पैसा लगाते समय निवेशकों के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, जिसके बारे में हमने यहां बताया है.

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DRHP को ध्यान से पढ़ें

किसी कंपनी के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस या DRHP के ज़रिए उस कंपनी को समझा जा सकता है. इस दस्तावेज को बाजार नियामक सेबी के सामने प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें कंपनी से संबंधित अहम जानकारियां होती हैं. इसमें कंपनी के बिजनेस, पास्ट परफॉरमेंस, संपत्ति और देनदारियां, आईपीओ के ज़रिए प्राप्त फंड के इस्तेमाल से संबंधित डिटेल और संभावित रिस्क फैक्टर्स जो कंपनी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं, आदि जानकारियां होती हैं. निवेश करने का निर्णय लेने से पहले आपको इसे अच्छी तरह से पढ़ लेना चाहिए. DRHP कई अहम जानकारी प्रदान करता है, जिसकी मदद से आप कंपनी के व्यवसाय को बेहतर ढंग से समझने और इस आधार पर निवेश का निर्णय ले सकते हैं.

जुटाई गई पूंजी का उद्देश्य

इस बात पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां किया जाना है. अगर कंपनी कर्ज के बोझ से दबी है और डीआरएचपी में उल्लेख करती है कि आय का इस्तेमाल मौजूदा कर्ज का भुगतान करने के लिए किया जाएगा, तो निवेशकों को इसमें निवेश करने में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए. हालांकि, अगर फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने के साथ-साथ कंपनी की तरक्की के मिश्रित उद्देश्य के लिए किया जाना है, तो निवेश करने पर विचार किया जा सकता है. अगर कंपनी पहले ही अच्छा परफॉर्म कर रही है और आईपीओ से प्राप्त फंड का इस्तेमाल कंपनी की तरक्की के लिए करना चाहती है तो ऐसे में इसमें निवेश करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

प्रमोटरों को जानें

जो लोग कंपनी को चला रहे हैं, उन पर नजर रखनी चाहिए. इसमें फर्म के प्रमोटर और प्रबंधन के अन्य प्रमुख अधिकारी शामिल हैं. कंपनी ग्रोथ करेगी या नहीं, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि उसके प्रमोटर और प्रमुख अधिकारी कौन हैं. कंपनी के सभी तरह के व्यावसायिक निर्णय इन्हीं के द्वारा लिए जाते हैं. एक निवेशक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रमुख प्रबंधन अधिकारियों ने कंपनी के साथ कितने साल बिताए हैं.

कंपनी के कारोबार और इसके विस्तार के शेयर बाजार कैसे काम करता है? बारे में जानें

कंपनी जिस सेक्टर से संबंधित है, उसमें कंपनी की स्थिति, उसकी बाजार हिस्सेदारी, उसके उत्पादों की पहुंच, भौगोलिक प्रसार, विस्तार योजनाएं, अनुमानित लाभ, सप्लाई चैन, संकट से निपटने की क्षमता जैसे फैक्टर्स पर ध्यान देना जरूरी है. इन सभी जीचों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कंपनी भविष्य में ग्रोथ करेगी या नहीं.

रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानें

कंपनी अपने DRHP में रिस्क फैक्टर्स के बारे में बताती है. एक निवेशक को इसे ध्यान से पढ़ना चाहिए. ये ऐसी चीजें हैं जिन पर निर्भर करता है कि इस आईपीओ में निवेश से फायदा होगा या नुकसान. कानूनी मुकदमों, पॉलिसी से संबंधित परिवर्तनों और ब्याज दरों समेत कई तरह के रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं. यह कंपनी की भविष्य की विकास संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं.

किसी भी अन्य निवेश की तरह, निवेश करने से पहले अपनी जोखिम लेने की क्षमता का आकलन करना जरूरी है. आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार निवेश करना चाहिए. अगर बिजनेस बाजार सहभागियों की सलाह के अनुसार बहुत जोखिम भरा दिखता है और आपकी जोखिम लेने की क्षमता से मेल नहीं खाता है, तो आईपीओ में निवेश से बचना बेहतर है.

(Article: Adhil Shetty)

(इस आर्टिकल को BankBazaar.com के CEO ने लिखा है.)

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शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव : कहां करें निवेश?

इन दिनों शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। लेकिन इस उतार-चढ़ाव के दौर में भी निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि बाजार में निवेश का एक ऐसा भी विकल्प है, जहां उतार-चढ़ाव का इस्तेमाल प्रतिफल हासिल करने के लिए किया जाता है। यह विकल्प है आर्बिट्राज फंड।

क्या है आर्बिट्राज फंड?

बाजार में उतार-चढ़ाव के दौर में कम जोखिम उठाने वाले निवेशकों के लिए आर्बिट्राज फंड निवेश का एक बेहतर विकल्प है। ये इक्विटी म्युचुअल फंड की श्रेणी में आते हैं। मतलब इसमें कम से कम 65 फीसदी निवेश इक्विटी में होता है। जबकि बाकी निवेश डेट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में किया जाता है। आर्बिट्राज फंड इक्विटी मार्केट के कैश और फ्यूचर (डेरिवेटिव) सेगमेंट में किसी शेयर की कीमत में अंतर का फायदा उठाकर प्रतिफल देते हैं। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव वाले दौर में दोनों सेगमेंट के बीच कीमतों का अंतर बढ़ जाता है। जब बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ता है, तब ये फंड ज्यादा प्रतिफल देते हैं, लेकिन जब उतार-चढ़ाव कम होता है तो प्रतिफल में भी कमी आती है।

कैसे काम करता है?

इसमें एक सेगमेंट से कम कीमत पर शेयर खरीद कर दूसरे सेगमेंट में ज्यादा कीमत पर बेच दिया जाता है। इसे एक उदाहरण की मदद से समझा जा सकता है। मान लीजिए किसी कंपनी के एक शेयर की कीमत कैश सेगमेंट में 500 रुपये है और फ्यूचर/डेरिवेटिव सेगमेंट में 550 रुपये है। इसलिए अगर कोई निवेशक एक ही समय में इस शेयर को कैश सेगमेंट में खरीदकर फ्यूचर सेगमेंट में बेच दे तो उसे 50 रुपये का मुनाफा होगा। इस तरह आर्बिट्राज फंड कैश सेगमेंट और फ्यूचर सेगमेंट में कीमतों के बीच अंतर का फायदा उठाता है।

क्या है आर्बिट्राज फंड?

इस फंड को काफी सुरक्षित माना जाता है। फंड मैनेजर इक्विटी में निवेश करने के बाद डेरिवेटिव मार्केट में उस सौदे को हेज करता है। इससे कैश मार्केट में खरीदे गए शेयर पर जोखिम काफी हद तक घट जाता है और शेयरों में ज्यादा गिरावट आने पर भी पोर्टफोलियो सुरक्षित बना रहता है।

क्या हैं टैक्स प्रावधान?

ये फंड इक्विटी म्युचुअल फंड की कैटेगरी में आते हैं। इसलिए इस पर टैक्स भी इक्विटी की तरह हीं लगता है। यहां हम इसके दोनों ऑप्शन ग्रोथ और डिविडेंड में टैक्स प्रावधान की बात करेंगे।

ग्रोथ ऑप्शन : एक साल से कम अवधि में अगर आप रिडीम करते हैं तो इनकम शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको 15 फीसदी (प्लस 4 फीसदी सेस) शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। लेकिन अगर आप एक साल के बाद रिडीम करते हैं तो इनकम लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको सालाना एक लाख रुपये से ज्यादा की आय पर 10 फीसदी (प्लस 4 फीसदी सेस) लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। एक लाख रुपये से कम की आय पर कोई टैक्स देय नहीं होगा।

डिविडेंड ऑप्शन : अगर आप डिविडेंड शेयर बाजार कैसे काम करता है? प्लान लेते हैं तो आपको निवेश की अवधि के दौरान, जो प्रतिफल लाभांश के रूप में मिलता है, वह आपकी सालाना आय में जुड़ जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से उस रकम पर टैक्स अदा करना होगा। साथ ही, अगर किसी वित्त वर्ष में लाभांश 5 हजार रुपये से ज्यादा है तो लाभांश राशि पर शेयर बाजार कैसे काम करता है? आपसे 10 फीसदी टीडीएस काट लिया जाएगा।

ग्रोथ या डिविडेंड?

जो लोग एक साल तक के लिए इनमें निवेश कर रहे हैं, वे डिविडेंड ऑप्शन को चुन सकते हैं, बशर्ते डिविडेंड को जोड़ने के बाद भी उनकी टैक्स योग्य आय 5 लाख रुपये से कम हो। क्योंकि अगर होल्डिंग पीरियड एक साल से कम है तो ग्रोथ स्कीम में आपको 15 फीसदी शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। वहीं, जिनका होल्डिंग पीरियड एक साल से अधिक है, उनके लिए ग्रोथ ऑप्शन अच्छा रहेगा।

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बनना चाहते हैं शेयर बाजार का 'शेर' तो आसान भाषा में समझें सेंसेक्स और निफ्टी का खेल

अगर आप कम समय में कमाना चाहते हैं ज्यादा पैसा. करना चाहते हैं शेयर बाजार में निवेश तो जानिये शेयर बाजार का गणित. हम आपको बता रहे हैं क्या है शेयर बाजार और कैसे करता है काम. क्या है BSE और NSE. शेयर बाजार में कितना है खतरा. निवेश के लिए क्या है नियम ?

Share market

हैदराबाद: वर्तमान में हर शख्स निवेश और कमाई करना चाहता है, लेकिन वो कहां और कैसे निवेश करें इसकी जानकारी नहीं होती है. कई लोग शेयर बाजार में उतरना चाहते हैं, लेकिन उनके पास शेयर बाजार की समझ नहीं होती है. ऐसे में आज हम आपको शेयर बाजार का सारा गणित बता रहे हैं. जिससे आप आसानी से शेयर बाजार में निवेश और उसके काम करने के तरीकों को जान जाएंगे.

क्या है शेयर बाजार ?
शेयर का मतलब हिस्सा होता है. बाजार खरीद-बिक्री की जगह को कहते हैं. मतलब शेयर बाजार का शाब्दिक अर्थ है हिस्सा खरीदने और बेचने वाली जगह. भारत में दो प्रमुख बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज शेयर बाजार है. शेयर मार्केट यानी शेयर बाजार में रजिस्टर्ड कंपनियां अपनी हिस्सेदारी खरीदती या बेचती है. शेयर खरीदने और बेचने के लिए BSE या NSE का उपयोग किया जाता है. रजिस्टर्ड कंपनियां शेयर ब्रोकर के जरिये हिस्सेदारी बेचती या खरीदती है. शेयर बाजार में कोई इंडिविजुअल व्यक्ति भी शेयर खरीद या बेच सकता है. इसके लिए उसे कुछ शर्तों का पालन करना होता है. शेयर बाजार में घरेलू कंपनियों या व्यक्ति के साथ विदेशी निवेशक भी निवेश कर सकते हैं.

BSE या NSE में कैसे लिस्ट होती है कंपनियां ?
शेयर बाजार में रजिस्टर्ड होने के लिए कंपनियों को एक लिखित समझौता करना पड़ता है. इसके बाद पूंजी बाजार नियामक यानी सेबी (SEBI) के पास कंपनी को कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करानी होती है. दस्तावेजों की जांच और सही पाये जाने के बाद कंपनी BSE या NSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में लिस्टेड हो जाती है. BSE या NSE में लिस्टेड कंपनी को समय-समय पर अपनी हर गतिविधि को शेयर बाजार में बतानी होती है. इसमें निवेशकों से जुड़ी लाभ-हानि की जानकारी शामिल होती है.

व्यक्तिगत रूप से कैसे ले सकते हैं शेयर ?
कंपनियों के अलावा कोई भी शख्स इंडिविजुअल यानी व्यक्तिगत रूप से शेयर बाजार में निवेश कर सकता है, यानी किसी भी कंपनी का हिस्सेदारी खरीद या खरीदे हुए हिस्सेदारी को बेच सकता है. इसके लिए निवेशक को किसी ब्रोकर की मदद से एक डीमैट अकाउंट खुलवाना होता है. डीमैट अकाउंट खुलने के बाद शख्स को अपने बैंक अकाउंट से डीमैट अकाउंट को लिंक करना होता है. इसके बाद बैंक अकाउंट से डीमैट अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर ब्रोकर की मदद से या खुद किसी कंपनी के शेयर को खरीद सकते हैं. शेयर खरीदते ही वो डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है, इसके बाद शेयर खरीदने वाला शख्स जब भी चाहें ब्रोकर के माध्यम से या खुद से भी उस हिस्सेदारी को बेच सकते हैं.

कैसे काम करता है शेयर बाजार ?
शेयर बाजार एक तरह से आइडिया बेचने का भी जगह है. जैसे किसी शख्स के पास कोई आइडिया है, लेकिन उसके पास पैसे नहीं हैं. ऐसे में वो या तो किसी निवेशक से मदद ले सकता है या सीधे शेयर बाजार में आ सकता है. नई कंपनियों को शेयर बाजार में आने के लिए सेबी (पूंजी बाजार नियामक) की कुछ शर्तों को माननी जरूरी है. शेयर बाजार में सिर्फ नई कंपनी ही नहीं पुरानी कंपनियां भी आ सकती है. शेयर बाजार में आने के बाद लोग या दूसरी कंपनियां उस कंपनी की हिस्सेदारी को खरीदेगी.

शेयर में निवेश कर बन सकते हैं अमीर!
दुनिया में हर कोई अमीर बनना चाहते है. इसके लिए सभी अपने-अपने तरह से प्रयास भी करते हैं. वैसे तो अमीर बनने के कई रास्ते भी होते हैं, लेकिन कई बार ऐसे रास्तों में जोखिम भी ज्यादा होता है. अमीर बनने के लिए शेयर बाजार भी एक रास्ता है. जिससे लोग कम समय में अमीर बन सकते हैं, हालांकि इसमें जोखिम भी है. शेयर बाजार में निवेश करते वक्त किसी को भी काफी सावधान रहना होता है. निवेश से पहले सतर्कता और प्लानिंग की जरूरत होती है. हमेशा एक बेहतर प्लानिंग के साथ किए गए निवेश का अच्छा आउटकम आता है. ऐसे में अगर निवेशक के पास निवेश करने के लिए अच्छी रकम है तो वो अच्छी कमाई भी कर सकता है. शेयर मार्केट का एक नियम कहता है कि थोड़ा-थोड़ा इन्वेस्टमेंट बेहतर रिटर्न की गारंटी देता है.

क्या है सेंसेक्स और निफ्टी ?
शेयर बाजार में हमेशा सेंसेक्स और निफ्टी का जिक्र आता है. दरअसल, सेंसेक्स और निफ्टी इंडेक्स यानी सूचकांक होता है. सेंसेक्स अंग्रेजी के दो शब्द सेंसिटिव और इंडेक्स से बना है. जिसे हिंदी में सूचकांक कहते हैं. कंपनियों की आर्थिक मूल्यांकन सेंसेक्स से ही होता है. सेंसेक्स शेयर बाजार में कंपनियों के वित्तीय हालात का पैमाना होता है. भारत में 30 कंपनियां ही बीएसई में लिस्टेड होती है, जिसका सेंसेक्स अनुमानित होता है. ये कंपनियां स्थाई नहीं होती है. समय-समय पर ये कंपनियां बदलती रहती है. इंडेक्स कमेटी इन 30 कंपनियों का चुनाव करती है.
निफ्टी भी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक होता है. निफ्टी अंग्रेजी के दो शब्द नेशनल और फिफ्टी से मिलकर बना है. इसके तहत 22 अलग-अलग सेक्टर की 50 कंपनियां लिस्टेड होती है. इन 50 कंपनियों के आर्थिक मूल्यांकन निफ्टी सूचकांक से तय होता है. सेंसेक्स और निफ्टी के अलावा भी कई सूचकांक होते हैं. हालांकि भारत में यहीं दोनों सूचकांक महत्वपूर्ण है.

शेयर भाव में क्यों होता है उतार-चढ़ाव?
शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों का सूचकांक बढ़ते-घटते रहता है. इसके पीछे कंपनी के कामकाज के तरीके, नए ऑर्डर मिलने, प्रोडक्ट के नतीजे, कंपनी का मुनाफा पर निर्भर करता है. शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियां हर दिन कारोबार करती है. जिसमें कुछ न कुछ बदलाव होते रहता है. इन्हीं बदलावों पर कंपनियों का मूल्यांकन होता है. कंपनियों के मूल्यांकन के आधार पर उसके शेयर का भाव बढ़ते या घटते रहता है. इन सबके बीच अगर कोई कंपनी सेबी के नियमों या बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की शर्तों के साथ कोई छेड़छाड़ करती है, तो उस कंपनी को लिस्ट से बाहर कर दिया जाता है.

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