लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है?

एफएमपी (FMP): निवेश से पहले क्या जानना है जरूरी
बैंकों में किए जाने वाले फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी या FD) के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि म्यूचुअल फंड (mutual fund या MF) की debt कैटेगरी के अंतर्गत भी एक ऐसी स्कीम है जिसमें आपको एक निश्चित अवधि के निवेश पर तकरीबन निश्चित (indicative) return मिलता है? इसका नाम है फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (Fixed Maturity Plan या FMP)। यह स्कीम उन निवेशकों के लिए अच्छी है जो ब्याज दर में उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचना चाहते हैं और सुरक्षित डेट इंस्ट्रूमेंट्स (debt instruments) में निवेश को प्राथमिकता देते हैं। टैक्स में बचत के मामले में भी यह बैंक FD के मुकाबले थोड़ी बेहतर है क्योंकि इस स्कीम पर इंडेक्सेशन बेनिफिट मिलता है बशर्ते आप 36 महीने या इससे ज्यादा के FMP प्लान में निवेश कर रहे हों।
FMP mutual fund की एक क्लोज-एंडेड (close-ended) डेट फंड स्कीम है। इसमें निवेशक सिर्फ स्कीम के लॉन्चिंग के समय यानी न्यू फंड ऑफर (NFO) के दौरान ही निवेश कर सकते हैं। जबकि रिडीम (redeem) करने का विकल्प मैच्योरिटी पीरियड के बाद है। इस स्कीम के तहत फंड हाउस FMP स्कीम की मैच्योरिटी पीरियड के समान मैच्योरिटी वाले फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज (fixed income securities) जैसे मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स, सरकारी और कॉरपोरेट बॉन्ड, बैंक एफडी वगैरह में निवेश करते हैं। फंड मैनेजर इस बात का भी ख्याल रखते हैं कि वे सभी इंस्ट्रूमेंट्स जिनमें निवेश कर रहे हैं, एक ही समय में मैच्योर हों।
कितना रिटर्न?
इस स्कीम की लॉन्चिंग के समय ही फंड हाउस निवेशकों को स्कीम इंफॉर्मेशन डॉक्यूमेंट (scheme information document) में इस बात की जानकारी दे देते हैं कि वे किस स्कीम के तहत किस-किस इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करेंगे। इससे निवेशकों को स्कीम के रिटर्न के बारे में मोटे तौर पर जानकारी मिल जाती है।
यह क्लोज-एंडेड फंड हैं। इसलिए इन्हें केवल स्टॉक एक्सचेंज पर बेचा जा सकता है, जहां ये लिस्टेड होते हैं। लेकिन इन यूनिट्स में ट्रेडिंग न के बराबर होती है। इससे इनकी लिक्विडिटी पर असर पड़ता है। लिहाजा, निवेशकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे मैच्योरिटी तक निवेश जारी रखें।
अन्य MF स्कीम की तरह इसमें भी निवेश के दो प्लान — ग्रोथ (growth) और डिविडेंड (dividend) — में से एक चुनने का विकल्प है। ग्रोथ प्लान में रिटर्न स्कीम के बीच में नहीं मिलता यानी रिटर्न रिडेम्पशन (redemption) से पहले नहीं मिलता। FMP एक डेट फंड है, इसलिए इस पर तीन साल से ज्यादा की होल्डिंग पीरियड (holding period) के बाद मिलने वाले रिटर्न पर इंडेक्सेशन बेनिफिट (Indexation benefit) के साथ 20.8 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (एलटीसीजी या LTCG) का प्रावधान है। Indexation benefit, यानी इन्फ्लेशन को एडजस्ट करने के बाद मिलने वाले रिटर्न, के चलते FMP में निवेश पोस्ट-टैक्स रिटर्न के हिसाब से बेहतर है। लेकिन 3 साल से कम अवधि की स्कीम के लिए मिलने वाले रिटर्न यानी शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) पर निवेशक को टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता है। दूसरी तरफ अगर आप डिविडेंड प्लान लेते हैं तो आपको स्कीम के बीच जो रिटर्न डिविडेंड के रूप में मिलता है, वह आपके टोटल इनकम में जुड़ जाएगा और आपको आपके टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स चुकाना होगा।
Indexation benefit के चलते तीन साल से ज्यादा मैच्योरिटी वाली स्कीम में निवेश पोस्ट-टैक्स रिटर्न के लिहाज से बेहतर है। वैसे भी तीन साल से थोडी-सी भी ज्यादा अवधि की स्कीम पर तीन की जगह चार साल के लिए indexation (डबल इंडेक्सेशन) का फायदा मिल जाता है। फंड हाउस इस स्कीम की लॉन्चिंग को लेकर डबल इंडेक्सेशन बेनिफिट का ख्याल भी रखते हैं।
पिछले महीने SBI की FMP सीरीज 68 लॉन्च हुई जिसका NFO 15 सितंबर को खुला और 21 सितंबर को बंद हो गया। इस स्कीम का मैच्योरिटी पीरियड 1,302 दिन है। मतलब यह स्कीम अप्रैल 2026 में मैच्योर होगी। इस प्लान की मैच्योरिटी पीरियड 36 महीने से थोड़ा ज्यादा होने की वजह से indexation benefit तीन वित्त वर्ष के बजाय चार वित्त वर्ष यानी 2022-23, 2023-24, 2024-25, 2025-26 के लिए मिलेगा।
लेकिन ऊंची महंगाई दर और ब्याज दरों में लगातार की जा रही बढ़ोतरी के बीच निवेशक कम अवधि के FMP में भी निवेश कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे अगर इस स्कीम का मैच्योरिटी पीरियड 36 महीने से कम है तो कैपिटल गेन पर indexation benefit नहीं मिलेगा।
डेट फंड किसे कहते हैं? फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले क्या लिक्विड फंड बेहतर?
अगर आप अधिकतम तीन साल तक के लिए निवेश करना चाहते हैं, और रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं तो फिर आपके सामने पहला विकल्प 'फिक्स्ड डिपॉजिट' का है. लेकिन लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है? अगर फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) से थोड़ा ज्यादा रिटर्न चाहते हैं तो फिर डेट फंड (Debt Funds) में निवेश कर सकते हैं.
दरअसल, डेट फंड कम जोखिम के साथ बेहतर रिटर्न हासिल करने में मदद करता है. क्योंकि म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश सबसे ज्यादा फायदे का सौदा माना जाता है. अक्सर देखा गया है कि Fixed Deposit के मुकाबले डेट म्यूचुअल फंड (Debt Mutual Fund) में ज्यादा रिटर्न मिल जाता है.
वैसे अगर निवेश का लंबे समय तक का प्लान है तो फिर निवेशक को इक्विटी फंड में निवेश की सलाह दी जाती है, क्योंकि वो बाजार में अस्थिरता से हुए नुकसान को पूरा कर सकते हैं. लेकिन छोटी अवधि के लिए डेट फंड्स बेहतर विकल्प हैं. निवेशक लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है? को डेट फंड में ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.
इसके अलावा जिन निवेशकों की आय स्थिर नहीं है, उन्हें एक बड़ा हिस्सा डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए. ताकि उनका निवेश अधिक सुरक्षित रहे और जरूरत पड़ने पर तुरंत अपना पैसा निकाल सकें. डेट फंड्स (Debt Funds) का पैसा फिक्स्ड रिटर्न (Fixed Return) देने वाले बॉन्ड में लगाया जाता है.
डेट फंड क्या है?
डेट फंड म्यूचुअल फंड में निवेश का एक कैटेगरी है. डेट म्यूचुअल फंड फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी में पैसा लगाते हैं. इनमें बॉन्ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटी, ट्रेजरी बिल और नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर वगैरह शामिल हैं. यानी सुरक्षित जगह पर निवेश किया जाता है. आमतौर पर डेट फंड की तय मैच्योरिटी डेट होती है. यहां पैसा इक्विटी फंड के मुकाबले सुरक्षित होता है.
डेट म्यूचुअल फंड की विभिन्न कैटेगरी हैं. कुछ स्कीम्स शॉर्ट-टर्म सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं. वहीं, दूसरी लंबी अवधि के बॉन्ड में पैसा लगाती हैं. इन सभी कैटेगरी में जोखिम भी अलग-अलग तरह का होता है. इसलिए निवेश से पहले सही कैटेगरी का चयन जरूरी है.
डेट फंड के फायदे
डेट फंड का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को सुरक्षित निवेश के जरिए अच्छा रिटर्न देना होता है. डेट फंड को ही लिक्विड (Liquid Fund) भी कहा जाता है. क्योंकि इसमें लिक्विडिटी की भी लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है? कोई समस्या नहीं होती है. यानी जब चाहें आप अपना पैसा निकाल सकते हैं. इन फंडों से पैसे निकालने के आवेदन करने के एक दिन के भीतर आपके खाते में पैसा आ जाता है. वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट में समय से पहले पैसे निकालने पर भारी नुकसान होता है. (Photo: Getty Images)
Debt funds से मुनाफे पर टैक्स का प्रावधान है. डेट फंड को 3 साल के बाद भुनाने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) लगता है. 3 साल के पहले डेट म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचने से हुए मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है. इस शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन को आपकी कुल आमदनी में जोड़ा जाएगा और फिर Tax Slab के हिसाब से Tax की गणना की जाएगी. (Photo: Getty Images)
म्यूचुअल फंड से जुड़े जोखिम
क्या आपने कभी सोचा है कि जोखिम क्या हैं? ठीक है, मैं कहूँगी कि आपने ऐसा नहीं किया है इसलिए आप इस पृष्ठ पर आए हैं। अब, जब आप अपना पैसा म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो आपको इससे जुड़े जोखिमों के बारे में जानना होगा। इन जोखिमों को अक्सर निवेशकों द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है लेकिन एक तर्कसंगत निवेशक वह होता है जो रिटर्न की तुलना म्यूचुअल फंड निवेश से जुड़े जोखिमों से करता है और फिर निर्णय लेता है।
इस लेख में, आपको म्यूचुअल फंड योजनाओं से जुड़े जोखिमों से अवगत कराने के लिए इस दिशा में एक छोटा कदम उठाया गया है। जोखिमों पर चर्चा करने से पहले, हम म्यूचुअल फंड के अर्थ से शुरू करेंगे और फिर हम इससे जुड़े जोखिम पर चर्चा करेंगे।
म्यूचुअल फंड क्या हैं?
आमतौर पर कहा जाता है कि म्यूचुअल फंड विभिन्न निवेशकों के योगदान से बनाए गए धन का एक पूल है और एक फंड मैनेजर द्वारा प्रबंधित किया जाता है। योगदान किए गए धन को लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है? विभिन्न प्रतिभूतियों जैसे स्टॉक, बॉन्ड, सोना, आदि में निवेश किया जाता है। मूल रूप से, यह विविध जोखिम और कम लागत के साथ शेयर बाजार में प्रवेश करने के लिए एक प्रवेश द्वार प्रदान करता है।
एक उदाहरण से समझते हैं-
तीन व्यक्ति A, B और C हैं। वे सभी शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं लेकिन निम्नलिखित समस्याओं का सामना कर रहे हैं:
A. निवेश करने के लिए केवल 200 रुपये हैं लेकिन 1 शेयर 1000 रुपये का है।
B. वित्तीय बाजार के बारे में जानकारी नहीं है।
C. बाजार के लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है? उतार-चढ़ाव से डरते हैं।
यहां म्यूचुअल फंड की भूमिका आती है। म्यूचुअल फंड से दी गई सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। ए, बी, और सी से पैसा एकत्र किया जाएगा और प्रतिभूतियों में निवेश किया जाएगा और उनके योगदान के अनुसार उन्हें इकाइयां प्रदान की जाएंगी। इस प्रकार, ए के पास अपने निवेश के अनुसार इकाइयाँ हो सकती हैं, बी फंड मैनेजर द्वारा अपने फंड के पेशेवर प्रबंधन का लाभ उठा सकता है और सी अपने जोखिम में विविधता ला सकता है और शेयर बाजार में निवेश का आनंद ले सकता है।
साथ ही, म्यूचुअल फंड निवेश से जुड़े कुछ मिथक भी हैं। अधिक जानने के लिए लेख पढ़ें:-
म्युचुअल फंड के बारे में 11 मिथक
आइए अब जानते हैं म्यूचुअल फंड से जुड़े कुछ प्रमुख जोखिमों के बारे में:
बाजार ज़ोखिम
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि म्यूचुअल फंड विभिन्न प्रतिभूतियों में निवेश करके अपने जोखिम में विविधता लाता है। लेकिन जोखिम का क्या विविधीकरण होगा जब पूरा बाजार खराब प्रदर्शन कर रहा है। बाजार जोखिम, जिसे व्यवस्थित जोखिम के रूप में भी जाना जाता है, एक परिहार्य जोखिम है। ऐसे कई कारक हैं जो बाजार के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं जैसे मुद्रास्फीति, राजनीतिक हित, मंदी आदि।
एकाग्रता जोखिम
कुछ म्यूचुअल फंड स्कीमों में जहां निवेश मुख्य रूप से किसी विशेष क्षेत्र पर केंद्रित होता है, वहां एकाग्रता जोखिम होता है। यदि पोर्टफोलियो केवल एक क्षेत्र के प्रदर्शन पर निर्भर है तो इसमें उस विशेष क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण पैसे खोने का एक उच्च जोखिम शामिल है। हमेशा डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो रखने की सलाह दी जाती है।
ब्याज दर जोखिम
म्यूचुअल फंड से जुड़े जोखिमों में से एक ब्याज दर जोखिम है। ब्याज दर और ऋण प्रतिभूतियों के मूल्य के बीच एक विपरीत संबंध है। दूसरे शब्दों में, जब ब्याज दरें बढ़ती हैं तो बांड की कीमत नीचे जाती है और इसके विपरीत। ब्याज दर में परिवर्तन उधारकर्ता की मांग और ऋणदाता द्वारा ऋण की आपूर्ति पर निर्भर करता है।
तरलता जोखिम
लिक्विडिटी जोखिम भी एक बड़ा जोखिम है जो म्यूचुअल फंड से जुड़ा होता है। तरलता जोखिम उस जोखिम को संदर्भित करता है जब निवेशक निवेश के मूल्य में हानि किए बिना अपने निवेश को बेचने या भुनाने में सक्षम नहीं होता है। उदाहरण के लिए ईएलएसएस की लॉक-इन अवधि जिसके परिणामस्वरूप तरलता जोखिम होता है।
ऋण जोखिम
बहुत ही सरल शब्दों में, ऋण जोखिम ऋण पर चूक से जुड़े जोखिम को संदर्भित करता है जो योजना के जारीकर्ता द्वारा भुगतान न करने पर उत्पन्न होता है। डेट म्यूचुअल फंड क्रेडिट जोखिम से ग्रस्त हैं। कई क्रेडिट एजेंसियां हैं जैसे कि ICRA (इन्वेस्टमेंट इंफॉर्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया लिमिटेड), CRISIL (क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड), आदि जो कंपनियों को उनकी साख के आधार पर रेटिंग प्रदान करती हैं। उच्च रेटिंग वाली कंपनियां उनसे जुड़े क्रेडिट जोखिम की भरपाई के लिए उच्च ब्याज दर प्रदान करती हैं। कभी-कभी फंड मैनेजरों को अधिक रिटर्न मिलता है, इन कम रेटिंग वाले फंडों में निवेश करें जो निवेशकों को क्रेडिट दर जोखिम के लिए उजागर करते हैं।
मुद्रास्फीति जोखिम
मुद्रास्फीति जोखिम म्यूचुअल फंड से जुड़े जोखिमों में से एक है जो किसी की वास्तविक क्रय शक्ति में गिरावट को संदर्भित करता है। जोखिम तब उत्पन्न होता है जब निवेश प्रतिफल निवेशकों को वास्तविक प्रतिफल प्रदान करने में विफल रहता है अर्थात निवेश से प्रतिफल की दर मुद्रास्फीति दर से कम है। इस प्रकार का जोखिम मुख्य रूप से एक निश्चित रिटर्न दर वाले निवेश से जुड़ा होता है।
मुद्रा जोखिम
मुद्रा जोखिम मुद्रा के मूल्यह्रास का जोखिम है जो किसी के निवेश मूल्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। दूसरे शब्दों में, मुद्रा जोखिम विनिमय दर में गिरावट की संभावना है जिससे आपके लाभ में कमी आ सकती है। मुद्रा जोखिम को विनिमय दर जोखिम के रूप में भी जाना जाता है।
यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि म्यूचुअल फंड से जुड़े कई जोखिम हैं। लेकिन कई निवेश तकनीकें हैं जिनका उपयोग आजकल फंड मैनेजर जोखिम को कम करने के लिए करते हैं। आपको बस थोड़ा सावधान रहने और विभिन्न म्यूचुअल फंड जोखिमों लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है? को ध्यान में रखते हुए एक प्रभावी और कुशल निर्णय लेने की आवश्यकता है।
FD के साथ अपने निवेश पोर्टफोलियो को रखें नियन्त्रित
जब अपकी संपत्ति बढ़ाने की बात आती है, आपको यही सलाह दी जाती है कि आप अपने पैसे को निवेश करें। निवेश करने से पहले सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देना ज़रूरी है। आपको निवेश की सुरक्षा, भावी रिटर्न.
जब अपकी संपत्ति बढ़ाने की बात आती है , आपको यही सलाह दी जाती है कि आप अपने पैसे को निवेश करें। निवेश करने से पहले सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देना ज़रूरी है। आपको निवेश की सुरक्षा , भावी रिटर्न , लोक - इन अवधि आदि के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
निवेश के लिए कौनसे उपकरण ठीक हैं , इसे जानने के लिए ऐसे उपकरण चुनें जिससे आपका पैसा जोखिम में न पड़े , साथ ही आपको अच्छा रिटर्न मिले , लेकिन प्लानिंग सिर्फ यहीं पर ही खत्म नहीं होती। आपको ऐसा उपकरण चुनना चाहिए जिससे आपका पोर्टफोलियो संतुलित रहे और समय आने पर आपकी सभी ज़रूरतें पूरी हो सकें। ऐसा ही एक विकल्प है फिक्स्ड डिपोज़िट , जो आपको अच्छा रिटर्न देता है और बेहद स्थायी भी है। लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि आप सही जारीकर्ता चुनें।
इस को बेहतर समझने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि एक एफडी कैसे आपके निवेश पोर्टफोलियो पर नियन्त्रण बनाए रखने में मदद कर सकती है।
प्रत्यास्थ अवधि चुनें
निवेश के लिए लम्बी लोक - इन अवधि न चुनें क्योंकि इससे लम्बे समय के लिए आपका पैसा बंद पड़ जाता है। निवेश के ऐसे कई विकल्प है जिनमें आप पहले से निर्धारित में निवेश कर अपनी लिक्विडिटी बनाए रख सकते हैं।एफडी में आप अपनी पसंद की अवधि चुन कर अपने लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए निवेश कर सकते हैं।
आइए बजाज फाइनैंस की एफडी पर विभिन्न अवधि के लिए भावी रिटर्न को समझने की कोशिश करें। अगर आप वरिष्ठ नागरिक हैं तो आप 8.75 फीसदी और अगर नियमित निवेशक हैं तो 8.35 फीसदी तक का रिटर्न पा सकते हैं , बशर्ते के लिए आप कम से कम 36 माह के लिए निवेश करें और परिपक्वता पर ही ब्याज लें।
उपभोक्ता का प्रकारः नया उपभोक्ता
उपभोक्ता का प्रकारः वरिष्ठ नागरिक
अपने पोर्टफोलियो में जोखिम को करें कम
जब आप पैसा निवेश करते हैं , उसमें कुछ न कुछ जोखिम होता है जो उपकरण के प्रकार पर निर्भर करता है। ऐसे उपकरणों पर जोखिम अधिक होता है जो बाज़ार से लिंक्ड हों , या लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है? जिनमें उंचे रिटर्न का आश्वासन दिया जाए। हालांकि एफडी में आपको अपने निवेश पर आश्वस्त रिटर्न मिलता है। क्योंकि एफडी पर बाज़ार के उतार - चढ़ावा का असर नहीं पड़ता और आपको तय ब्याज राशि मिलती है। इसके अलावा एनबीएफसी की एफडी को नेशनल एवं इंटरनेशनल एजेन्सियों द्वारा क्रेडिट रेटिंग भी दी जाती है , जिसकी मदद से आप जा सकते हैं कि आपके लिए कौनसे जारीकर्ता की एफडी ठीक होगी। इस तरह आप अपने निवेश पर जोखिम को नियन्त्रित कर सकते हैं।
लिक्विडिटी के विकल्प पर ध्यान दें
आप अपनी एफडी का पैसा समय से पहले निकाल सकते हैं या इस पर लोन ले सकते हैं , आप चाहें तो ब्याज के आवधिक भुगतान के लिए भी अनुरोध कर सकते हैं। अगर लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है? आप लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है? अपने वेतन के अलावा कुछ नियमित मासिक कमाई चाहते हैं तो इस तरह का आवधिक भुगतान आपके लिए फायदेमंद होगा। आप अपनी सुविधानुसार लिक्विडिटी से लाभान्वित हो सकते हैं। अन्य उपकरणों में उंचे रिटर्न के साथ ये विकल्प नहीं मिलते।
वित्तीय योजना को सुगम बनाएं
अपने पोर्टफोलियो के नियन्त्रण में यह भी ज़रूरी है कि आप अपनी आय की निश्चितता बनाए रखें। चूंकि एफडी पर बाज़ार के उतार - चढ़ाव का असर नहीं पड़ता , और ज़्यादातर प्रतिष्ठत जारीकर्ताओं की अच्छी क्रेडिबिलिटी एवं स्टेबिलिटी रैंकिंग हैं , ऐसे में आप अन्य प्रकार के निवेश की तुलना में एफडी पर बेहतर फायदा पा सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि आपको ऐसे कारणों की चिंता करने की ज़रूरत नहीं जो बाज़ार से जुड़े हों , या जो आपके नियन्त्रण में न हों जैसे तेल की बढ़ती कीमतें , आर्थिक मंदी , राजनैतिक उथल - पुथल आदि। आप निवेश करने से पहले एफडी कैलकुलेटर की मदद से अपने रिटर्न की गणना भी कर सकते हैं
उपरोक्त तथ्य बताते हैं कि कैसे एफडी अच्छा रिटर्न देने वाला निवेश है और कैसे आप अपने निवेश पोर्टफोलियो पर नियन्त्रण बनाए रख सकते हैं। इसलिए सुनिश्चित करें कि आपकी निवेश रणनीति में बजाज फाइनेंस जैसे जारीकर्ता की एफडी शामिल हो। यह जहां एक ओर बाज़ार में सबसे ज़्यादा रिटर्न देती है , वहीं दूसरी ओर कई अन्य वैल्यू एडेड फीचर्स के साथ आपको लाभान्वित भी करती है।
इसके अलावा बजाज फाइनैंस की एफडी को ICRA के द्वारा MAAA, CRISIL के द्वारा FAAA और एस एण्ड पी ग्लोबल की बीबीबी रेटिंग भी दी गई है। यह रेटिंग सुनिश्चित करती है कि आपका पैसा सुरक्षित हाथों में है और आपको समय पर अच्छा रिटर्न मिलेगा। इस एफडी के लिए आप आसानी से आवेदन कर सकते हैं और मात्र रु 25000 की राशि से निवेश कर सकते हैं। इस एफडी में आप मल्टी डिपोज़िट और स्वतः नवीनीकरण सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं।
ये एफडी के कुछ फीचर्स हैं , आप इसके अलावा भी बहुत से फायदे पा सकते हैं। आपको सिर्फ आॅनलाईन आवेदन फॉर्म भरना है और हमारा प्रतिनिधि आपको पूरी प्रक्रिया में सहायता प्रदान करेगा।
Disclaimer: ये कंटेंट Bajaj Finserv द्वारा वितरित किया गया है , कोई भी HT ग्रुप पत्रकार इस कंटेंट निर्माण में सामिल नहीं है |