मुद्रा दरें

रुपया तीन पैसे चढ़कर 81.68 प्रति डॉलर पर
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विदेशी मुद्रा और सर्राफा विश्लेषक गौरांग सोमैया ने कहा, ‘‘रुपया सीमित दायरे में कारोबार करता रहा और पिछले कुछ सत्रों में उतार-चढ़ाव कम रहा। पिछले कुछ सत्रों में बढ़त के बाद यूरो और पाउंड आज नीचे चले गए। कोविड के मामलों में वृद्धि के बीच सुरक्षित निवेश में खरीदारी के कारण येन में तेजी आई।’’
उन्होंने मुद्रा दरें कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि रुपया एक दिशा में बढ़ेगा और 81.40 और 82.05 प्रति डॉलर के दायरे में रहेगा।’’
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.35 प्रतिशत की गिरावट के साथ 105.59 पर रह गया।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 3.10 प्रतिशत घटकर 81.04 डॉलर प्रति बैरल रह गया।
बीएसई का मुद्रा दरें 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 211.16 अंक बढ़कर 62,504.80 अंक पर बंद हुआ।
KBC 14: नेपाल मुद्रा दरें की मुद्रा क्या है?
KBC 14 2022 Daily Pari Match Quiz 29 November, 24x7 Quiz, KBC Pari Match Quiz answers today: नेपाल की मुद्रा क्या है?
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उत्तर: A. नेपाली रुपया
नेपाल की मुद्रा नेपाली रुपया है. नेपाली रुपया कहा जाता हैं नेपाली मुद्रा को. और 1 अमेरिका डॉलर समान नेपाली 126 रुपया बराबर होता है. आप भारत के SBI एटीएम से नेपाल की SBI एटीएम में पैसा विथड्रॉल (निकल सकते हैं) कर सकते हैं. नेपाली रुपया 1932 से नेपाल की आधिकारिक मुद्रा है. रुपये का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला प्रतीक रुपये या ₨ है. रुपये को पहली बार 1932 में पेश किया गया था, प्रत्येक रुपये के लिए 2 मोहरे की विनिमय दर पर चांदी मोहर की जगह. पहले रुपये को मोहरस कहा जाता था. नेपाल राष्ट्र बैंक द्वारा इस मुद्रा के निर्गमन पर नियंत्रण रहता है. कई अन्य राष्ट्रों के मुद्रा भी रुपया कहलाते हैं. नेपाल में प्राचीन काल में, स्वर्ण मुद्रा या चाँदी के सिक्के चलते थे. 50 पैसे के सिक्के को मोहर बोलते थे तथा अपने मुद्रा में गुरु गोरखनाथ के नाम व पादुका अंकित करते थे. आज भी यही होता है. 17 सितम्बर 1945 में सरकार ने 5, 10 और 100 रुपये के नोट जारी किये जिसे नेपाली में मोहरु नाम दिया गया था.
पहले खर्चे कम करो. कर्ज देने से पहले IMF ने पाकिस्तान को दी यह नसीहत
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को लोन देने से पहले खर्च को कम करने की नसीहत दी है. मौजूदा समय में पाकिस्तान की आर्थिक हालत काफी खराब है. हाल ही में देश में आर्थिक सुधार के लिए आईएमएफ पाकिस्तान को 1.2 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त लोन देने के लिए मुद्रा दरें राजी हुआ था.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 29 नवंबर 2022,
- (अपडेटेड 29 नवंबर 2022, 11:41 AM IST)
आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने लोन देने से पहले एक खास नसीहत दी है. आईएमएफ ने कहा है कि पाकिस्तान को अपने खर्च कम करने की जरूरत है. पाकिस्तानी न्यूज चैनल, ARY के अनुसार, आईएमएफ पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय और संघीय राजस्व बोर्ड (FBR) के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं है.
जुलाई में आईएमएफ पाकिस्तान के लिए लोन की राशि बढ़ाने के लिए राजी हुआ था. जिसके तहत पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर का अतिरिक्त ऋण देने की बात हुई थी. इस लोन के मिलने के बाद पाकिस्तान पर आईएमएफ का 7 अरब डॉलर कर्ज हो जाएगा.
न्यूज एजेंसी रायटर्स के अनुसार, आईएमएफ ने लोन कार्यक्रम की नौंवी समीक्षा बातचीत से पहले पाकिस्तान को खर्च कम करने की नसीहत दी है.
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पाकिस्तान की गड़बड़ाई आर्थिक व्यवस्था
पाकिस्तान पिछले काफी समय से आर्थिक संकटों से जूझ रहा है. पिछले साल पाकिस्तान में जहां राजनीतिक स्थिरता का संकट देखने को मिला तो वहीं बाढ़ ने एक तिहाई पाकिस्तान मुद्रा दरें के लाखों लोगों को गंभीर तरह से अपनी चपेट में ले लिया. बाढ़ से पाकिस्तान को आर्थिक नजरिए से भी काफी नुकसान पहुंचा और पहले से खराब अर्थव्यवस्था की हालत और बिगड़ गई. पाकिस्तान ने वैश्विक मंच पर मदद की मांग भी की, जिसके बाद कई देशों की ओर से मदद भी की गई.
वर्तमान में पाकिस्तान में महंगाई दर आसमान छू रहा है. अगस्त में पाकिस्तान की महंगाई दर पिछले 13 सालों के उच्चतम स्तर पर थी. महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए स्टेट बैंक मुद्रा दरें ऑफ पाकिस्तान ने ब्याज दरों में 100 बेसिक अंको की बढ़ोतरी करते हुए 16 प्रतिशत कर दिया है. आर्थिक संकट झेल रहे पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति और भी बदतर है.
राजनीतिक उठा पटक एक कारण
राजनीतक उठा पटक और सियासी ड्रामे के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में काफी उथल-पुथल मचा हुआ है. आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक अस्थिरता के कारण विदेशी भंडार में तेजी से कमी आ रही है.
वर्तमान में पाकिस्तान की विदेशी मुद्रा भंडार काफी कम है. पाकिस्तानी चैनल जियो की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा 8 अरब डॉलर से भी कम है. यह राशि छह सप्ताह के आयात के लिए भी पर्याप्त नहीं है. हाल ही में विश्व बैंक और एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) के नए निवेश के बावजूद भंडार में कमी पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.
बाहरी देनदारी से चूकने का डर
पाकिस्तान के ऊपर बाहरी कर्ज बहुत ज्यादा है. इस्लामिक बांड के जरिए लिए गए कर्ज का एक बिलियन डॉलर से ज्यादा राशि का बांड पुनर्भुगतान 5 दिसंबर को पूरा हो रहा है. इस कर्ज पर डिफॉल्ट होने की खबरों के बीच स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के प्रमुख जमील अहमद ने कहा था कि पाकिस्तान तय तारीख से तीन दिन पहले 2 दिसंबर को यह बांड भरेगा.
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर जमील अहमद ने कहा था कि बांड भुगतान के लिए एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक और कई अन्य माध्यमों से 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मुद्रा दरें व्यवस्था की गई है.
कर्ज के तले डूब चुका पाकिस्तान!
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान को इससे पहले मुद्रा दरें भी काफी कर्ज दे चुका है. 2019 में पाकिस्तान ने आईएमएफ से 6 अरब डॉलर का कर्ज लेने का समझौता किया था. यह राशि पाकिस्तान को तीन सालों में किश्तों में दी जानी थी. हालांकि, इसी दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के राजनीतिक निर्णय को आईएमएफ के शर्तों का उल्लंघन करार देते हुए संस्था की ओर से कर्ज जारी रखने पर रोक लगा दी थी.
दरअसल, इमरान खान ने पेट्रोल-डीजल पर सब्सिडी देने की घोषणा कर दी थी. आईएमएफ ने इसे शर्तों का उल्लंघन माना था. नई सरकार के बनने के बाद शहबाज शरीफ ने आईएमएफ से फिर से बातचीत शुरू की. आईएमएफ कड़ी शर्तों के साथ लोन देने के लिए राजी हुआ था. वर्तमान की 1.2 अरब डॉलर का कर्ज लेने के बाद आईएमएफ का कर्ज बढ़कर 7 अरब डॉलर हो जाएगा.
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति हुई और बदहाल, विदेशी मुद्रा भंडार कारण देश की ''लाइफ लाइन'' प्रभावित
इंटरनेशनल डेस्कः पाकिस्तान में विदेश मुद्रा भंडार की स्थिति और भी खराब हो गई है। फरवरी में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 16 अरब डालर था यह जून के पहले हफ्ते में 10 अरब डालर पहुंच गया। इस समय पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में आठ अरब डालर से भी कम धनराशि है। इसमें 29 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिलने वाली 1.2 अरब डालर की धनराशि शामिल होगी। यह राशि महज दो महीने के आयात बिल को चुका पाएगी। पाकिस्तान की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए पाकिस्तान सरकार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की कठोर शर्तों को मानना होगा।
लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के बीच पाकिस्तान में तीन बार तेल के दाम बढ़ाए गए। 26 मई से अभी तक वहां पेट्रोल के दाम में 84 पाकिस्तानी रुपये की वृद्धि की जा चुकी है। इतना ही नहीं महंगाई का असर लाइफ लाइन कही जाने वाली चाय पर भी पड़ा है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल होने के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ा है। पाकिस्तान वर्ष 2018 में FATF मुद्रा दरें की ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ था। इस सूची में रहने से देश में निवेश या आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ता है। विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि FATF का फैसला और IMF का पाकिस्तान की ओर रुख आपस में जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से बाहर होते ही IMF का रुख भी उसके प्रति सकारात्मक होगा। पाकिस्तान को ऋण देने जैसे कदमों के साथ आगे बढ़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रहता तो उसके लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती थी।
पाकिस्तान में महंगाई का असर चाय पर भी
पाकिस्तान में महंगाई का असर चाय पर भी पड़ा है। खास बात यह है कि पाकिस्तान दुनिया में चाय का सबसे बड़ा आयातक देश है। पाकिस्तान हर वर्ष 25-24 करोड़ किलो चाय मुद्रा दरें आयात करता है। इस पर पाकिस्तान का सालाना आयात बिल करीब 450 मिलियन डालर है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लिए चाय लाइफलाइन की तरह है। प्रो पंत का कहना है कि पाकिस्तान में चाय एक फूड आइटम की तरह है। यह भोग विलास का सामान नहीं है। गरीब आदमी एक कप चाय और रोटी से खाना खाता है। पाकिस्तान में ज्यादातर चाय आयातित है। पाकिस्तान में चाय की आपूर्ति पूर्वी अफ्रीकी देशों से होती है। खासकर कीनिया, तंजानिया, युगांडा और बुरुंडी से। इन देशों में चाय सस्ती दामों पर सुलभ होती है। पाकिस्तान में चाय की कीमत 850 पाकिस्तानी रुपये है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के आरंभ में चाय की कीमत सौ रुपये कम थी। इसलिए महंगाई का असर गरीबों पर पड़ा है। महंगाई के चलते कई वर्षों से चाय की प्रति कैपिटा खपत एक किलो पर ही स्थिर है।
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