बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है

शेयर बाजार में इस्तेमाल किए जाने वाले 23 सबसे महत्वपूर्ण शब्द
भारत में मुख्य रूप से 2 स्टॉक एक्सचेंज हैं: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)l बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दलाल स्ट्रीट, मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में स्थित एक भारतीय शेयर बाजार है। सन 1875 में स्थापित, बीएसई एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज हैl बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, 30 बड़ी कंपनियों के बाजार मूल्य में उतार चढ़ाव की गणना करता हैl ये सभी शब्द बैंकिंग सामान्य ज्ञान के लिए बहुत उपयोगी हैंl
भारत में मुख्य रूप से 2 स्टॉक एक्सचेंज हैं: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)l बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दलाल स्ट्रीट, मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में स्थित एक भारतीय शेयर बाजार है। सन 1875 में स्थापित, बीएसई एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज हैl बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ,30 बड़ी कंपनियों के बाजार मूल्य में उतार चढ़ाव की गणना करता हैl दूसरा स्टॉक एक्सचेंज NSE भी मुंबई में है और इसकी स्थापना 1992 में हुई थीl सामान्य लोगों की जानकारी के लिए शेयर बाजार में इस्तेमाल होने वाले मुख्य शब्द इस प्रकार हैं l
1. इक्विटी शेयर (Equity Share): इक्विटी शेयर वे अंश है जिन्हें कंपनी से मताधिकार प्राप्त होता है l ये अंशधारी ही धारित अंशों के अनुपात में ही कंपनी के स्वामित्वधारी होते हैं l इन्हें लाभांश वितरण में कोई वयीयता प्राप्त नही होती है l
2. वरीयता अंश (Preference Share): ये वे शेयर धारक होते हैं जिन्हें लाभांश वितरण में वरीयता दी जाती हैl लाभ बाँटने के बाद यदि कुछ लाभांश बचता है तो उसे इक्विटी शेयर धारकों में बांटा जाता हैl वरीयता अंश के शेयर धारकों को कंपनी में मताधिकार प्राप्त नही होता है l
3. इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO): इसका सम्बन्ध प्राइमरी बाजार से है जिसमे नयी कंपनियों के अंश बाजार में जारी किये जाते हैं l इस विधि के माध्यम से कम्पनियाँ बाजार से पैसा जुटा कर अपनी आगे की वित्तीय योजनाओं को बनाती है l
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4. फालो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है पब्लिक ऑफर: जब कोई भी नयी कंपनी अपनी अधिकृत पूँजी की उगाही शेयरों के निर्गमन के द्वारा प्राथमिक बाजार से करती है तो इसे FPO कहते हैं l
5. ब्लू चिप कंपनी (Blue Chip Company): यह एक ऐसी कंपनी होती है जिसके शेयरों को खरीदना बेहद सुरक्षित माना जाता है। इस कंपनी के शेयरों को खरीदने वाला निवेशक जोखिम रहित लाभ प्राप्त करता है l
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6. इनसाइडर ट्रेडिंग (Insider Trading): इसका मतलब एक ऐसी सूचना से होता है जो कि एक कंपनी की कार्य प्रणाली से जुडी होती है जिसमे कम्पनी की भावी योजनाओं में बारे में जानकारी होती हैl यदि यह सूचना कंपनी के किसी उच्च अधिकारी (कंपनी के निदेशकों और उच्च स्तरीय अधिकारियों) के माध्यम से सार्वजनिक हो जाती है तो उस कंपनी के शेयरों के दाम अप्रत्याशित रूप से ऊपर या नीचे होते हैं l
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7. वाणिज्यिक पत्र (Commercial Paper): यह एक असुरक्षित वचन-पत्र (Promissory Note) होता है जो कि एक वित्तीय संस्थान द्वारा जारी किया जाता है lइसको जारी करने का मुख्य उद्येश्य अल्पकालीन वित्तीय जरूरतों को पूरा करना होता है l
8. बोनस इश्यू (Bonus Issue):इस प्रकार के शेयर बोनस, उन शेयर धारकों को फ्री में उस अनुपात में दिए जाते हैं जिनके उनके पास उस कंपनी के शेयर पहले से ही होते हैं l ऐसे शेयरों को लाभांश शेयर भी कहते हैं l
भारतीय बजट से जुडी शब्दावली
9. तेजड़िया (Bull): तेजड़िया उस व्यक्ति को कहा जाता है जो कि शेयर बाजार में शेयरों की खरीदारी करता है और इसी खरीदारी के कारण शेयर बाजार ऊपर की ओर जाता हैl यह निवेशक बाजार के बारे में सकारात्मक रुख रखता है क्योंकि वह यह सोचता है कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है उसके द्वारा खरीदे गए शेयरों का दाम ऊपर चढ़ेंगेl
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10. मंदड़िया(Bear): मंदड़िया उस निवेशक को कहा जाता है जो कि अपने खरीदे गए शेयरों को बेचता क्योंकि उसको लगता है कि उसके द्वारा खरीदे गए शेयरों का दाम बाजार में गिरेंगेl इसलिए वह अपने शेयरों को बेच देता है और कई लोगों के द्वारा ऐसा करने पर बाजार नीचे की ओर गिरता है l
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11. लाभांश (Dividend): यह कंपनी द्वारा अपने शेयर धारकों को दिया जाने वाला लाभ का हिस्सा होता हैl लाभ का यह हिस्सा कंपनी अपने सभी शेयर धारकों को उनके शेयरों की संख्या के अनुपात में बांटती हैl जिसके पास जितने अधिक शेयर, उसको उतना अधिक लाभांश मिलता हैl
शेयर बाजार में सेबी के मुख्य कार्य क्या हैं?
12. हॉट मनी (Hot Money): यह वह निवेश मनी होती है जो कि अधिक लाभ की तरह भागती हैl इस प्रकार की निवेश मनी बाजार में बहुत ही कम स्थिर होती है इसी कारण इसे हॉट मनी कहते हैंl
13. जंक बांड(Junk Bond): जंक बांड वे बांड है जिनकी रेटिंग नीची हो परन्तु उन पर प्राप्त होने वाले रिटर्न(लाभ) की दर ऊंची हो l
14. कर्ब ट्रेडिंग(Kerb Trading): स्टॉक एक्सचेंज मार्किट की बिल्डिंग के बाहर, स्टॉक एक्सचेंज के ही समय में या उसके बाद प्रतिभूतियों में अवैध ट्रेडिंग को कर्ब ट्रेडिंग कहते हैं l
15. स्टैग (Stag): ऐसे लोग जो प्राइमरी मार्किट में पैसा लगाना पसंद करते है सेकेंडरी मार्किट में नही, स्टैग कहलाते हैं l ये लोग बहुत कम जोखिम उठाते हैं l
16. अल्फ़ा शेयर : इन्हें ग्रुप A का शेयर भी कहा जाता हैl ये ऐसे स्टॉक हैं जिनके क्रय विक्रय में बाधा नही होती है l
17. राइट इशू (Right Issue): जब शेयर या प्रतिभूति के आबंटन में वर्तमान शेयर धारकों को प्राथमिकता दी जाये तो इस प्रकार के निर्गमित शेयर को राइट इशू कहते हैंl वर्तमान शेयर धारकों को इन शेयरों को खरीदने के लिए रुपये देने पड़ते हैं अर्थात ये शेयर, बोनस शेयर की तरह कीमत रहित नही होते हैं l
18. स्नो बालिंग प्रभाव: जब शेयर के मूल्य में थोड़ी बृद्धि से शेयर क्रय के कारण या किसी अन्य कारण कुछ ऐसी स्थिति पैदा हो जाये कि शेयरों का मूल्य बढ़ता ही जाये और इतना अधिक बढ़ जाये कि क्रय विक्रय पर स्टॉप आर्डर आने लगे तो इसे स्नो बालिंग कहते हैं l
19. शोर्ट सेलिंग (Short Selling): जब किसी व्यक्ति या दलाल द्वारा उससे अधिक स्टॉक के विक्रय का सौदा किया जाता जितना उसके पास है या जितना कहीं से लेकर पूर्ती कर सकता हैl यह क्रिया बिलकुल गैर-कानूनी है l
20. लार्ज कैप कम्पनियाँ (Large Cap Companies): ये वे कम्पनियाँ होती हैं जिनका बाजार पूंजीकरण 10,000 करोड़ रुपये या इससे अधिक हो l
21. मिड कैप कम्पनियाँ (Mid Cap Companies): ये वे कम्पनियाँ होती हैं जिनका बाजार पूंजीकरण 10,000 करोड़ रुपये से कम पर 2500 करोड़ से अधिक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है हो l
22. स्माल कैप कम्पनियाँ (Small Cap Companies): ये वे कम्पनियां होती हैं जिनका बाजार पूंजीकरण 2500 करोड़ रुपये से कम हो l
23. पौंजी स्कीम (Ponzy Schemes): ये वे फर्जी कम्पनियाँ होती हैं जो कि लोगों को कम समय में अधिक रिटर्न की गारंटी देकर निवेशकों का पैसा लेकर गायब हो जातीं हैl ऐसी कंपनियों का सरकार के पास कोई भी रिकॉर्ड नही होता है l
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ऊपर दिए गए शब्द उन सभी लोगों के लिए बहुत ही मददगार होंगे जो कि या तो शेयर बाजार में पैसा निवेश करते हैं या शेयर बाजार कैसे काम करता है इस बारे में जानना चाहते हैं l
146 साल का हुआ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज: कैसा रहा BSE का बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है 1875 से लेकर अब तक का सफर?, जानिए सबकुछ
आज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) 146 साल का गया है। 9 जुलाई 1875 में BSE की स्थापना हुई थी। यह एशिया का पहला और सबसे तेज स्टॉक एक्सचेंज है। करीब 41 साल पहले 100 के आधार अंक से शुरू हुआ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स आज 53,000 के पार पहुंच गया है। यानी सेंसेक्स में लगभग 530 गुना की बढ़ोतरी हुई है।
शेयर मार्केट की शुरुआत एक बरगद के पेड़ के नीचे 318 लोगों ने 1 रुपये के एंट्री फीस के साथ की थी। 25 जनवरी, 2001 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने डॉलेक्स-30 लॉन्च किया था। इसे BSE का डॉलर लिंक्ड वर्जन कहा जाता है।
सेंसेक्स की शुरुआत कहानी
1986 में जब सेंसेक्स की शुरुआत हुई तो इसका बेस इयर 1978-79 को रखा गया और बेस 100 पॉइंट बनाया गया। जुलाई 1990 में ये आंकड़ा 1,000 पॉइंट पर पहुंच गया। 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद सरकार ने FDI के दरवाजे खोले और बिजनेस करने के कानून में बदलाव किया। मार्केट वैल्यू का डिरेगुलेशन किया गया और अर्थव्यवस्था को सर्विस ओरिएंटेड कर दिया। इसने सेंसेक्स में गति बढ़ाई।
जब सेंसेक्स पहली बार बना, तब क्या बदलाव हुए
सबसे पहले सर्विस इंडस्ट्री, यानी बैंकिंग, टेलीकॉम और आईटी सेक्टर्स की कंपनियों को शामिल किया गया। इसके बाद 90 के दशक के अंत और 2,000 की शुरुआत में आईटी कंपनियों में तेजी से हो रहे डेवलपमेंट को देखते हुए पुरानी कंपनियों की जगह टीसीएस और इंफोसिस को शामिल किया गया। उदारीकरण के बाद से ही भारत की बड़ी कंपनियां घरेलू बिक्री पर ज्यादा निर्भर नहीं हैं। ये सभी कंपनियां एक्सपोर्ट के जरिए बिजनेस बढ़ाती रही हैं। वहीं आईटी सेक्टर में आउटसोर्सिंग की वजह से इन्फोसिस जैसी कंपनियों को फायदा हुआ है। टाटा जैसी ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनी ने यूके जैसे विकसित बाजारों में कदम रखा है
हर्षद मेहता कांड:मार्च 1992 में सेंसेक्स पहली बार 4 हजार के स्तर पर बंद हुआ, लेकिन इसके बाद सेंसेक्स 2,900 से 4,900 के बीच झूलता रहा और इसे 5 हजार तक पहुंचने में सात साल से ज्यादा लग गया। इसका मुख्य कारण था कि इसी साल हर्षद मेहता के घोटाले का खुलासा होने से शेयर बाजार में भारी बिकवाली हुई थी।
2006 में 10 हजार पार
सेंसेक्स को 5 हजार से 10 हजार तक पहुंचने में 6 साल से ज्यादा समय लग गया। 7 फरवरी 2006 को सेंसेक्स 10,082.28 पर बंद हुआ, लेकिन अगले डेढ़ साल में ही सेंसेक्स 10 से 15 हजार के स्तर पर पहुंच गया।
सेंसेक्स के लिए 2007 सबसे बेहतरीन
9 जुलाई 2007 को सेंसेक्स 15,045.73 पर बंद हुआ। 2007 सेंसेक्स के लिए अब तक सबसे बेहतरीन साल रहा। अगले छह महीने में ही सेंसेक्स 20 हजार के स्तर पर पहुंच गया और दिसंबर 2007 में सेंसेक्स ने 20,000 का स्तर भी पार कर लिया था।
2008 की मंदी ने बाजार का खेल बिगाड़ा
8 जनवरी 2008 को सेंसेक्स ने कारोबार के दौरान पहली बार 21 हजार का स्तर पार किया था, लेकिन इसी साल आई अंतरराष्ट्रीय मंदी ने पूरा खेल बिगाड़ दिया था। मंदी की वजह से पूरी दुनिया के शेयर बाजारों के साथ ही भारतीय शेयर बाजार भी धड़ाम हो गए और 10 जनवरी 2008 को सेंसेक्स 14,889.25 के स्तर पर बंद हुआ. इसी साल 16 जुलाई को सेंसेक्स 12,575.8 पर बंद हुआ। इतना ही नहीं नवंबर 2008 में सेंसेक्स 8,451.01 के स्तर तक पहुंच गया था। इसके बाद सेंसेक्स को फिर वापस 21 हजार के स्तर तक जाने में करीब 3 साल लगे थे।
2014 में बाजार ने नरेंद्र मोदी का शानदार स्वागत किया
साल 2013 में BSE सेंसेक्स ने पलटी मारी और 18 जनवरी 2013 को सेंसेक्स फिर 20,039.04 पर बंद हुआ। 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी। शेयर बाजार ने भी मोदी सरकार का जमकर स्वागत किया। 16 मई 2014 को ही सेंसेक्स 25,364 के स्तर तक पहुंच गया था। इसके बाद सेंसेक्स को 25 हजार से 30 हजार तक पहुंचने में तीन साल का समय लगा था।
साल 2017 में 30 हजार का स्तर
साल 2017 के अप्रैल महीने में सेंसेक्स 30,133 तक पहुंचा और अगले एक साल में ही सेंसेक्स 35 हजार के लेवल पर पहुंच गया। 17 जनवरी 2018 को सेंसेक्स 35,081 पर बंद हुआ। 30 अक्टूबर 2019 को सेंसेक्स ने 40,051 के स्तर को छू लिया था।
कोरोना संकट में बड़ा झटका लगा
सेंसेक्स जनवरी 2020 में 42 हजार के करीब पहुंच गया था, लेकिन इसके बाद साल 2020 का कोरोना ने तबाही मचाना शुरू कर दिया था। और यही कारण था कि सेंसेक्स मार्च 2020 में लॉकडाउन के बाद 25,981 तक पहुंच गया था, हालांकि अप्रैल के अंत और मई से सेंसेक्स में फिर से शानदार रिकवरी आने लगी।
15 महीने में 40 से 50 हजार का सफर
30 अक्टूबर 2019 को सेंसेक्स पहली बार 40,000 के पार बंद हुआ। विदेशी और घरेलू निवेशकों के दम पर सेंसेक्स ने करीब एक साल में ही 40 से 45 हजार तक का सफर तय कर लिया। 4 दिसंबर, 2020 को सेंसेक्स 45,079 पर बंद हुआ। इसके करीब डेढ़ महीने बाद ही सेंसेक्स ने 21 जनवरी 2021 को नया रिकॉर्ड बनाते हुए 50 हजार का आंकड़ा पार कर लिया।
किसने की थी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत?
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत 4 गुजराती और एक पारसी शेयर ब्रोकर्स ने की थी। 1850 के आसपास अपने कारोबार के सिलसिले में मुंबई के टाउन हॉल के सामने बरगद के एक पेड़ के नीचे बैठक किया करते थे। इन ब्रोकर्स की संख्या साल-दर-साल लगातार बढ़ती गई। 1875 में इन्होंने अपना 'द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन’ बना लिया, साथ ही, दलाल स्ट्रीट पर एक ऑफिस भी खरीद लिया। आज इसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कहा जाता है।
दैनिक भास्कर से खास बातचीत में BSE के MD & CEO आशीष चौहान ने कहा कि BSE अपनी स्थापना के बाद पिछले 146 सालों से भारत में इन्वेस्टमेंट और वेल्थ क्रिएशन के लिए काम कर रहा है। BSE की सफलता की कोशिश, 7.2 करोड़ से ज्यादा निवेशक खाते, 4,700 से ज्यादा रजिस्टर्ड कंपनियों और 231 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के इक्विटी मार्केट कैपिटलाइजेशन से देखी जा सकती है। BSE आने वाले समय में भारत को डबल डिजिट एनुअल ग्रोथ हासिल करने में मदद करेगा।
Sensex और Nifty के बारे में क्यों होती है इतनी बात, क्या है इनके कैलकुलेशन का तरीका, जानिए कई दिलचस्प सवालों के जवाब
How Sensex and Nifty Calculated: सेंसेक्स और निफ्टी स्टॉक मार्केट में उठा-पटक को मापने का काम करते हैं.
सेंसेक्स और निफ्टी दो प्रमुख लॉर्ज कैप इंडेक्सेज हैं जो देश के दो प्रमुख स्टॉक्स एक्सचेंजेज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंजेज से जुड़ा हुए हैं.
Know How Sensex and Nifty are Calculated: कारोबार की खबरें पढ़ने के दौरान कुछ शब्द बार-बार सामने आते हैं जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी प्रमुख हैं. खबरों के जरिए पता चलता है कि सेंसेक्स ने रिकॉर्ड स्तर छुआ या सेंसेक्स में गिरावट बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है के चलते निवेशकों का करोड़ों का नुकसान हुआ, ऐसे में आम लोगों के मन में दिलचस्पी उठना स्वाभाविक हैं कि सेंसेक्स और निफ्टी क्या हैं जिससे लोगों के करोड़ो का नफा-नुकसान जुड़ा हुआ है. इसके अलावा अगर शेयर बाजार में निवेश या ट्रेडिंग करने की सोच रहे हैं तो भी इनके बारे में जानना बहुत जरूरी है.
Sensex और Nifty दो प्रमुख लॉर्ज कैप इंडेक्स यानी सूचकांक हैं. सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) से जुड़ा इंडेक्रस है, जबकि निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंच (NSE) से जुड़ा हुआ है. ये दोनों इंडेक्स स्टॉक मार्केट में उठा-पटक को मापने का काम करते हैं. आमतौर पर जब कोई निफ्टी कहता है तो उसका मतलब निफ्टी 50 होता है.
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Sensex क्या है?
सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का बेंचमार्क इंडेक्स है. इसीलिए इसे बीएसई सेंसेक्स भी कहा जाता है. सेंसेक्स शब्द सेंसेटिव और इंडेक्स को मिलाकर बना है. हिंदी में कुछ लोग इसे संवेदी सूचकांक भी कहते हैं. इसे सबसे पहले 1986 में अपनाया गया था और यह 13 विभिन्न क्षेत्रों की 30 कंपनियों के शेयरों में होने वाले उतार-चढ़ाव को दिखाता है. इन शेयरों में बदलाव से सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव आता है. सेंसेक्स का कैलकुलेशन फ्री फ्लोट मेथड से किया जाता है.
कैसे होता है सेंसेक्स का कैलकुलेशन ?
- सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है. इसके लिए कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयरों की संख्या को शेयर के भाव से गुणा करते हैं. इस तरह जो आंकड़ा मिलता है, उसे कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन या हिंदी में बाजार पूंजीकरण भी कहते हैं.
- अब उस कंपनी के फ्री फ्लोट फैक्टर की गणना की जाती है. यह कंपनी द्वारा जारी किए कुल शेयरों का वह परसेंटेज यानी हिस्सा है जो बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होता है. जैसे कि किसी कंपनी ABC के 100 शेयरों में 40 शेयर सरकार और प्रमोटर के पास हैं, तो बाकी 60 फीसदी ही ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होंगे. यानी इस कंपनी का फ्री फ्लोट फैक्टर 60 फीसदी हुआ.
- बारी-बारी से सभी कंपनियों के फ्री फ्लोट फैक्टर को उस कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन से गुणा करके कंपनी के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन की गणना की जाती है.
- सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन को जोड़कर उसे बेस वैल्यू से डिवाइड करते हैं और फिर इसे बेस इंडेक्स वैल्यू से गुणा करते हैं. सेंसेक्स के लिए बेस वैल्यू 2501.24 करोड़ रुपये तय किया गया है. इसके अलावा बेस इंडेक्स वैल्यू 100 है. इस गणना से सेंसेक्स का आकलन किया जाता है.
निफ्टी 50 क्या है ?
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 50 भी एक प्रमुख मार्केट इंडिकेटर है. निफ्टी शब्द नेशनल और फिफ्टी को मिलाने से बना है. नाम के अनुरूप इस इंडेक्स में 14 सेक्टर्स की 50 भारतीय कंपनियां शामिल हैं. इस प्रकार यह बीएसई की तुलना में अधिक डाइवर्सिफाइड है. बीएसई की तरह ही यह लार्ज कैप कंपनियों के मार्केट परफॉरमेंस को ट्रैक करता है. इसे 1996 में लांच किया गया था और इसकी गणना फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर की जाती है.
4. कैसे होता है Nifty का कैलकुलेशन?
- निफ्टी की गणना लगभग सेंसेक्स की तरह ही फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटालाइजेशन के आधार पर होती है लेकिन कुछ अंतर भी है.
- निफ्टी की गणना के लिए सबसे पहले सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण यानी मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है, जिसके लिए आउटस्टैंडिंग शेयर की संख्या को वर्तमान भाव से गुणा करते हैं.
- इसके बाद मार्केट कैप को इंवेस्टेबल वेट फैक्टर (RWF) से गुणा किया जाता है. RWF पब्लिक ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध शेयरों का हिस्सा है.
- इसके बाद मार्केट कैप को इंडिविजुअल स्टॉक को एसाइन किए हुए वेटेज से गुणा किया जाता है.
- निफ्टी को कैलकुलेट करने के लिए सभी कंपनियों के वर्तमान मार्केट वैल्यू को बेस मार्केट कैपिटल से डिवाइड कर बेस वैल्यू से गुणा किया जाता है. बेस मार्केट कैपिटल 2.06 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है और बेस वैल्यू इंडेक्स 1 हजार है.
5. इतने खास क्यों हैं Nifty और Sensex ?
भारतीय शेयर बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का संकेत देने वाले सिर्फ यही दो इंडेक्स नहीं हैं. इसके अलावा भी तमाम इंडेक्स मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल शेयरों की चाल को समझने के लिए किया जाता है. इनमें ज्यादातर इंडेक्स किसी खास सेक्टर या कंपनियों के किसी खास वर्गीकरण से जुड़े हुए हैं. मिसाल के तौर पर किसी दिन के कारोबार के दौरान 12 प्रमुख बैंकों के शेयरों की औसत चाल का संकेत देने वाला Bank Index या सिर्फ सरकारी बैंकों के शेयरों का हाल बताने वाला PSU Bank Index, स्टील, एल्यूमीनियम और माइनिंग सेक्टर की कंपनियों के शेयरों के चाल का संकेत देने वाला मेटल इंडेक्स या फार्मा कंपनियों के शेयरों का फार्मा इंडेक्स, वगैरह-वगैरह.
ये सभी इंडेक्स बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों या उन्हें मशविरा देने वाले ब्रोकर्स या सलाहकारों के लिए बेहद काम के होते हैं. लेकिन अगर एक नजर में बाजार का ओवरऑल रुझान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है समझना हो या उसके भविष्य की दशा-दिशा का अंदाज़ा लगाना हो, तो उसके लिए सबसे ज्यादा सेंसेक्स और निफ्टी जैसे बेंचमार्क इंडेक्स पर ही गौर किया जाता है. इन्हें मोटे तौर पर मार्केट सेंटीमेंट का सबसे आसान इंडिकेटर माना जाता है.
अगर ये इंडेक्स न हों तो कारोबारी दिन के किसी भी वक्त में एक नज़र डालकर शेयर बाजार के रुझान का अंदाज़ा लगाना मुश्किल हो जाए. इसी तरह इन दोनों इंडेक्स के पिछले ऐतिहासिक आंकड़ों को देखकर बड़ी आसानी से यह निष्कर्ष भी निकाल लिया जाता है कि पिछले एक महीने, साल भर, 5 साल या उससे भी ज्यादा वक्त के दौरान भारतीय शेयर बाजार की चाल यानी लिस्टेड कंपनियों के कारोबार की दशा-दिशा कैसे रही है.
NSE और BSE क्या है?
शेयर बाजार आप सबने इसके बारे में कभी न कभी सुना होगा, साथ ही इनसे जुड़े दो शब्द NSE और BSE भी सुना ही होगा। पर आप आज भी कहीं न कहीं न कहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो ऐसी दुविधा में होंगे की आखिर NSE और BSE है क्या? दोनों में अंतर क्या है? और ये दोनों काम करिसे करते हैं? इस लेख के माध्यम से आपकी ऐसी सारी दुविधा दूर हो जाएगी।
NSE और BSE क्या है
लेख में मौजूद सामग्री
NSE क्या है?
NSE स्टॉक एक्सचेंज भारत की एक सबसे बड़ी वित्तीय बाजार है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1992 में इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम आधारित बाजार के रूप में की गयी थी। इक्विटी वॉल्यूम के मामले में यह वर्तमान में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वित्तीय बाजार के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है।
अगर हम इसके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के बारे में बात करें तब वर्तमान में यह इक्विटी, थोक ऋण और डेरीवेटिव सेगमेंट में डील करती है। NSE की सबसे मशहूर सेवाओं अगर सबसे पहले किसी चीज़ के नाम आता है तब वह है NIFTY 50 इंडेक्स, जो की भारतीय शेयर बाजार में सबसे बड़ी 50 कंपनी के शेयर को ट्रैक करता है।
हमारे देश भारत में National Stock Exchange of बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है India ही वह पहली शेयर बाजार थी जो पूरी तरह से स्वचालित थी और इलेक्ट्रॉनिक्स माध्यम के जरिये शेयरों का आदान प्रदान किया करती थी। इस संस्थान की शुरुआत इस उद्देश्य के साथ किया गया था की शेयर बाजार से जुड़े बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है सरे काम पारदर्शिता के साथ की जाए।
जिस उद्देश्य के साथ इस स्टॉक एक्सचेंज को सरकार ने शुरू किया था, उस उद्देश्य को लगभग यह पूरा करने में भी काफी हद तक सफल रहा है।
NSE से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- देश में पहला क्लीयरिंग कारपोरेशन National Securities Clearing Corporation Ltd. की शुरुआत NSE ने की थी।
- देश की पहली डिपाजिटरी National Securities Depository Limited का सेटअप और प्रमोशन भी इसने ही किया था।
- NSE देश का पहला स्टॉक एक्सचेंज मार्केट था, जिसने ETF’s (एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड) की ट्रेडिंग की शुरुआत की थी।
- वर्ष 2000 में NSE ने ही सबसे पहले भारत में स्टॉक एक्सचेंज को इंटरनेट से जोड़कर निवेश को आसान और सुगम बनाया।
- NSE ने CNBC TV 18 टीवी चैनल से जुड़कर मीडिया सेंटर की शुरुआत की थी।
BSE क्या है?
BSE क्या है?
BSE भारत के सबसे पहला और सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है जिसकी शुरुआत वर्ष 1875 में 5 मूल शेयर और स्टॉक ब्रोकर संगठन के द्वारा किया गया था। बॉम्बे स्तिथ इस स्टॉक एक्सचेंज में वर्तमान में लगभग 6000 से कहीं ज़्यादा कंपनियां लिस्टेड है। यही कारण है की BSE दुनिया की बाकी स्टॉक एक्सचेंज की तरह काफी ज़्यादा महत्व रखती है।
BSE ने भारत के खुदरा ऋण बाजार के साथ ही पूँजी बाजार को भी बढ़ाने में काफी ज़्यदा योगदान दिया है, और यही कारन है की आज भारत के व्यावसायिक क्षेत्र काफी ज़्यदा तरक्की कर रही है। आपको यह जानकर ख़ुशी होगी की BSE पुरे एशिया का सबसे पहला स्टॉक एक्सचेंज है। इस एक्सचेंज में छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) की इक्विटी ट्रेडिंग भी की जाती है।
BSE से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- भारत में कुल 23 स्टॉक एक्सचेंज हैं जिसमे से BSE को सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज मन जाता है, क्यूंकि इसमें 6000 से भी ज़्यादा कंपनियां लिस्टेड है।
- पूरी दुनिया में यह ट्रांज़ैक्शन के नजरिये से 11 वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।
- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को प्रेमचंद रॉयचंद द्वारा फंडिंग किया गया था।
- वर्ष 1986 में BSE ने BSE SENSEX विकसित किया था, जो लगभग BSE में लिस्टेड कंपनियों के एक तिहाई ट्रांज़ैक्शन के बराबर का महत्व रखता है।
अंतिम शब्द
इस लेख के माध्यम से आपने यह जाना की NSE और BSE क्या है? और साथ ही इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को भी आपने जाना। लेख से सम्बंधित किसी तरह की बात या विचार आपके मन में हो तब निचे कमेंट करके हमें अवस्य बताएं, धन्यवाद्।
Q: NSE का फुल फॉर्म क्या है?
उत्तर: अंग्रेजी में NSE का पूरा मतलब है National Stock Exchange of India .
Q: BSE का फुल फॉर्म क्या है?
उत्तर: अंग्रेजी में BSE का पूरा मतलब है Bombay Stock Exchange.
आकाश कुमार एक Tech-Enthusiast और एक Electronics and Communications Engineering Graduate हैं, और इनका Passion है ब्लॉगिंग करना और लोगो तक सही एवं शटीक जानकारी पहुँचाना। अपने फ्री समय में ये Spotify में गाना सुनना पसंद करते हैं।
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