म्यूचुअल फंड को समझना

म्यूचुअल फंड में निवेश आसान है, लेकिन हाई रिटर्न के लिए क्या है इसमें पैसे लगाने का सही तरीका?
म्यूचुअल फंड चुनने के वक्त सिर्फ एक, तीन या पांच साल के रिटर्न पर ध्यान न दें और न ही सिर्फ उस फंड को चुनें जो सबसे ज्यादा रिटर्न दे रहा हो.
By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 13 Nov 2020 02:22 PM (IST)
म्यूचुअल फंड में निवेश के जरिये अच्छा रिटर्न हासिल किया जा सकता है. इसमें निवेश आसान होता है. लेकिन म्यूचुअल फंड का चुनाव उतना आसान नहीं होता है, जितना आप समझते हैं. इसके लिए इक्विटी और डेट मार्केट, दोनों के बारे में आपकी जानकारी अच्छी होनी चाहिए . लिहाजा म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले एक आम निवेशक के लिए भी जरूरी होता है कि वह म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट को अच्छी तरह समझें और इसके लिए उपलब्ध रिसोर्स और ऑनलाइन कंटेंट का इस्तेमाल करे.
सिर्फ रिटर्न देख कर चुनाव न करें
सबसे पहले तो यह जरूरी है कि म्यूचुअल फंड चुनने के वक्त सिर्फ एक, तीन या पांच साल के रिटर्न पर ध्यान न दें और न ही सिर्फ उस फंड को चुनें जो सबसे ज्यादा रिटर्न दे रहा हो. याद रखें कि रिटर्न हर दिन के हिसाब से बदल सकता है और आज जो फंड टॉप पर है वो कल वहां न रहे. अगर आप इक्विटी फंड में निवेश कर रहे हैं तो यह जरूर देखें को उसने अलग-अलग मार्केट साइकिल में कैसा रिटर्न दिया. अच्छा रिटर्न उसे माना जाएगा जब इसने इंडेक्स से अच्छा रिटर्न दिया हो या अपने साथ के फंडों से अच्छा परफॉर्म किया हो. जरूरी नहीं कि आपने जो फंड चुना हो वह हमेशा चार्ट में ऊपर में ही रहे.
देखें कहां से आ रहा है रिटर्न
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दूसरी अहम बात यह है कि देखें कि यह रिटर्न कहां से आ रहा है. कहने का मतलब है कि अपने फंड की स्ट्रेटजी पर ध्यान दें. यह देखें कि अच्छा रिटर्न हासिल करने में यह कितना कारगर रहेगी. इससे आपकी खुद म्यूचुअल फंड की स्ट्रेटजी समझ में आएगी. आप यह भी जान पाएंगे कि यह आपके रिस्क लेवल पर कहां फिट बैठता है. आपके निवेश के टाइम फ्रेम के हिसाब से भी यह कहां फिट बैठता है. इसके हिसाब से आप अपना मिलाजुला पोर्टफोलियो बना सकते हैं और अपने जोखिम को कम कर सकते हैं.
डेट फंड में निवेश कर रहे हैं तो अपनाएं ये स्ट्रेटजी
जब आप डेट फंड में निवेश कर रहे हों यह देखना चाहिए कि इसका एक्सपोजर AA+ से नीचे के पेपर में तो नहीं है. इसके नीचे के कॉमर्शियल पेपर या बॉन्ड में निवेश के लिए आपके फंड के लिए जोखिम भरा हो सकता है. ऐसे फंड से बचें जिनकी मौजूदगी हाई क्रेडिट रिस्क वाले डेट इंस्ट्रूमेंट्स में हों. हमेशा हाई क्रेडिट रिस्क वाली स्कीमों से बचें चाहे चाहे आपका टाइम फ्रेम और जोखिम लेने की क्षमता कितनी भी क्यों न हो. म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को यह सलाह दी जाती है कि वे अपने निवेश का टाइम फ्रेम कम से कम फंड के एवरेज पोर्टफोलियो मैच्योरिटी के समान ही रखें. इससे भी ज्यादा अवधि तक निवेश बनाए रखा जा सकता है.
Published at : 13 Nov 2020 02:22 PM (IST) Tags: Investment in Mutual fund mutual fund return Debt fund Mutual fund हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi
Mutual Fund: कौन सा म्यूचुअल फंड देगा लॉन्ग टर्म में ज्यादा फायदा, क्या आपको पता है
डीएनए हिंदी: अगर आप निवेशक हैं तो कहां निवेश (Investment) करना है इस पर स्टडी करना बहुत जरूरी है. निवेश के क्षेत्र में म्यूचुअल फंड बेहतर ऑप्शन है. निवेशक कम उम्र से म्यूचुअल फंड में निवेश करना शुरू कर सकता है. म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) सभी प्रकार के वित्तीय लक्ष्यों के लिए सबसे अच्छे निवेश साधनों में से एक है. हालांकि म्यूचुअल फंड मार्केट लिंक्ड है इसलिए यह थोड़ा असुरक्षित भी माना जाता है, लेकिन अगर आप म्यूचुअल फंड में तरीके से और लॉन्ग-टर्म के लिए निवेश करते हैं तो यह बेहतर मुनाफा भी देता है.
म्यूचुअल फंड में निवेशक शोर्ट टर्म, मिड टर्म और लॉन्ग टर्म में निवेश कर सकते हैं. इन लक्ष्यों म्यूचुअल फंड को समझना के लिए एमएफ के पास अलग-अलग कैटेगरी के फंड होते हैं. आपके लिए भी हम सुझाव देंगे कि आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को परिभाषित करें और फिर उसी के मुताबिक निवेश करें. आप इस स्तर पर और अधिक पैसा बनाने को अपना लक्ष्य मान सकते हैं और बाद के चरण में विभिन्न लक्ष्यों के लिए संचित कोष का उपयोग करने की योजना बना सकते हैं.
पोर्टफोलियो बनाते वक्त एग्रेसिव एप्रोच जरूरी
जैसे ही आप नौकरी करना शुरू करते हैं आप अपने पोर्टफोलियो के निर्माण में थोड़ा एग्रेसिव एप्रोच अपना सकते हैं. आप मुख्य रूप से लार्ज, लार्ज (Large-Cap) और मिड कैप (Mid-Cap) और फ्लेक्सी कैप फंडों (Flexi Cap Fund) में अपने निवेश में विविधता ला सकते हैं. आप मिड कैप फंड (Mid-Cap Fund) में निवेश करने पर भी विचार कर सकते हैं. हालांकि शुरुआत में आवंटन को 10% तक सीमित रखा जा सकता है. फंड और फंड हाउस में निवेश को अच्छी तरह से विविधतापूर्ण रखने के लिए, आप निवेश के समय (Time of Investment) एक फंड में 15-20% तक के आवंटन पर विचार कर सकते हैं.
इन म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर सकते हैं
यहां हम कुछ बेहतर फंड्स के बारे में बता रहे हैं जिनमें आप लंबी अवधि के दृष्टिकोण से निवेश करने पर विचार कर सकते हैं - कोई भी निफ्टी इंडेक्स फंड (Nifty Index Fund) (18%), केनरा रोबेको ब्लूचिप फंड (Canara Robeco Bluechip Fund) (18%), पराग पारिख फ्लेक्सी कैप फंड (Parag Parikh Flexi Cap Fund) (18%), मिरे इमर्जिंग ब्लूचिप फंड (Mirae Emerging Bluechip Fund) (18%), IIFL फोकस्ड इक्विटी फंड (IIFL Focused Equity Fund) (18%) और कोटक इमर्जिंग इक्विटी फंड )Kotak Emerging Equity Fund) (10%).
कई निवेशक हर साल अपने एसआईपी ( SIP) को आगे बढ़ाने की रणनीति का पालन करते हैं जो उन्हें अनुशासित रहने और अपने करियर में आगे बढ़ने के साथ-साथ एक अच्छा फंड बनाने में भी मदद करता है. आप भी इस रणनीति का पालन कर सकते हैं क्योंकि यह लंबे समय में बहुत मददगार है.
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म्यूचुअल फंड में करना चाहते हैं निवेश? पहले इन बातों को समझना है बेहद जरूरी
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के दो तरीके हैं। पहला SIP और दूसरा एक मुश्त रकम का निवेश। SIP के लिए आपको बाजार में ज्यादा समय देने की जरूरत नहीं पड़ती।
फंड मैनेजर रिटर्न और जोखिम के आधार आपके पैसों को कई जगहों पर निवेश करता है
Highlights क्या सच में म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पैसों को दोगुना किया जा सकता है? म्यूचुअल फंड में निवेश करने के दो तरीके हैं।
इन दिनों टेलीविजन से लेकर पोस्टर तक हर जगह म्यूचुअल फंड्स के विज्ञापन दिख जाते है। इसमें बड़ी ही आसानी से पैसों को दोगुना करने की बात भी कही जाती है। तो ऐसे में ये सवाल जरूर उठता है कि क्या सच में म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पैसों को दोगुना किया जा सकता है? क्या सच में म्यूचुअल फंड्स पैसा कमाने का सबसे आसन जरिया है? ऐसे कई सवाल जो आपका जेहन में उठते होंगे हम उनका जवाब बताने की कोशिश कर रहे हैं।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने के दो तरीके हैं। पहला SIP और दूसरा एक मुश्त रकम का निवेश। SIP म्यूचुअल फंड को समझना के लिए आपको बाजार में ज्यादा समय देने की जरूरत नहीं पड़ती। इसमें बीते समय की एक अवधि के दौरान शेयर बाजार की अस्थिरता के चलते जोखिम का औसत निकालते हैं। वहीं म्यूचुअल फंड में एक मुश्त रकम का निवेश करते समय आपको गाइडलाइंस ठीक से पढ़ने की जरूरत है।
क्या है म्यूचुअल फंड
इन सबसे पहले हमें म्यूचुअल फंड को समझने की जरूरत है। जानकारों के मुताबिक किसी एक जगह में लोगों द्वारा बड़ी संख्या में पैसा निवेश करना ही म्यूचुअल फंड है। आपके द्वारा निवेश किए गए रुपयों मैनेज करने के लिए बाकायदा एक फंड मैनेजर होता है।
ताकि मिल सके ज्यादा रिटर्न
फंड मैनेजर रिटर्न और जोखिम के आधार आपके पैसों को कई जगहों पर निवेश करता है। म्यूचुअल फंड हाउस इक्विटी, बॉन्ड, मुद्रा बाजार के साधनों या अन्य सिक्यॉरिटीज में निवेश करते हैं, जिससे निवेशकों को कम-से-कम जोखिम में ज्यादा-से-ज्यादा रिटर्न हासिल हो सके।
निवेश लिए बेहतर विकल्प
एक्सपर्ट के मुताबिक, अन्य फंड्स की तुलना में बेहतर परफॉर्मेंस करने वालों की तुलना में एचडीएफसी इक्विटी ग्रोथ, एबीएसएल फ्रंटलाइन इक्विटी, कोटक सिलेक्ट फोकस फंड, एसबीआई ब्लूचिप रेगुलर ग्रोथ, आईसीआईसीआई प्रु।फोकस्ड ब्लूचिप इक्विटी, आईसीआईसीआई प्रु। वैल्यू डिस्कवरी, एचडीएफसी टॉप 200, मोतीलाल ओसवाल मल्टीकैप 35, फ्रैंकलिन इंडिया प्राइमा प्लस, आईसीआईसीआई प्रु। डायनैमिक प्लान म्यूचुअल फंड शामिल है। इनमें निवेश करना एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
ये है इनकी खासियत
इन 10 शेयरों की निफ्टी (एनएसई का बेंचमार्क इंडेक्स) में हिस्सेदारी 54 फीसदी है। टॉप 10 लार्ज कैप म्यूचुअल फंड की इन शेयरों में 33 फीसदी होल्डिंग है। बाकी निवेशक दूसरे शेयरों में पैसे लगाते हैं। उतार-चढ़ाव का असर कम करने के लिए निवेश डायवर्सिफाई करना होता है।
म्युचुअल फंड में निवेश के जोखिम
किसी भी व्यक्तिगत संपत्ति में निवेश करने की तुलना में म्यूचुअल फंड में निवेश करना कम जोखिम भरा माना जाता है। लोग आम तौर पर दुर्भाग्य से म्यूचुअल फंड में निवेश के जोखिमों को पूरी तरह से अनदेखा करते हैं, और इसे जोखिम-मुक्त निवेश के रूप में लेना शुरू करते हैं जो बेहद खतरनाक हो सकता है।
हर निवेशक को किसी भी परिसंपत्ति में निवेश करने से पहले जोखिम का पता होना चाहिए। इस लेख में, हम म्यूचुअल फंड में शामिल कुछ जोखिमों के बारे में चर्चा करेंगे।
डेब्ट म्युचुअल फंड जोखिम
डेब्ट म्यूचुअल फंड निवेश एक निश्चित आय वाला साधन होता है। वे निवेशक के लिए नियमित आय उत्पन्न करते हैं और अन्य प्रकार के म्यूचुअल फंडों की तुलना में आमतौर पर सुरक्षित माने जाते हैं। एकमुश्त (या एसआईपी) राशि इस परिसंपत्ति वर्ग में जमा की जाती है और यह क्वाटर्ली, छमाही या वार्षिक आधार पर निवेशक के जमा राशि पर ब्याज का भुगतान करती है। डेट फंड आमतौर पर कॉरपोरेट बॉन्ड, सरकारी बॉन्ड, कमर्शियल पेपर, ट्रेजरी बिल, आदि में अपना कोष निवेश करते हैं।
हालांकि, अन्य सभी परिसंपत्ति वर्गों की तरह - डेट म्यूचुअल फंड भी कुछ जोखिम उठाते हैं। आम तौर पर, एक निवेशक को डेब्ट म्यूचुअल फंड में निवेश के तीन प्रकार के जोखिमों के बारे में पता होना चाहिए।
ब्याज दर जोखिम
डेट म्यूचुअल फंड में ब्याज दर का जोखिम बहुत आम होता है। यह समझने के लिए इसे सरल रखना महत्वपूर्ण है, कि बॉन्ड की कीमतों और ब्याज दरों के बीच हमेशा उलटा संबंध होता है। जब भी ब्याज दरें बढ़ती हैं, बांड की कीमत घट जाती है। दूसरी ओर, ब्याज दरों में गिरावट से बांड की कीमत बढ़ जाती है।
तो, ब्याज दर जोखिम मूल रूप से ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव से जुड़ा हुआ होता है। यह म्यूचुअल फंड में शामिल बॉन्ड की कीमत बदलती रहती है, और इसलिए फंड के रिटर्न को प्रभावित करता है। डेब्ट म्यूचुअल फंड धारकों के लिए लॉन्ग-टर्म निवेश के मामले में गिरती ब्याज दर बहुत लाभदायक होती हैं। इसी तरह, ब्याज दर में वृद्धि से लॉन्ग-टर्म निवेशक को नुकसान होता हैं।
क्रेडिट जोखिम
- यह आपकी निवेश की गई आंशिक या पूर्ण - राशि या ब्याज समय पर वापस नहीं मिलने का जोखिम होता है। दूसरे शब्दों में, क्रेडिट जोखिम करने का बॉन्ड जारी करने वाली संस्था का डिफ़ॉल्ट करने में जोखिम है।
- बांड को आमतौर पर विभिन्न क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा रेट किया जाता है, जो म्युचअल फंड द्वारा निवेश किए गए फंड का विश्लेषण करने में आपकी मदद करता हैं।
- एएए या एए जैसे उच्च क्रेडिट रेटिंग उपकरणों में क्रेडिट डिफॉल्ट जोखिम की कम संभावना होती हैं। बीबीबी या बीबी जैसे कम क्रेडिट रेटिंग वाले उपकरण क्रेडिट डिफ़ॉल्ट जोखिम की अधिक संभावना रहती हैं।
- आम तौर पर, कम क्रेडिट रेटिंग उपकरण उच्च रिटर्न और इसके विपरीत की पेशकश करते हैं।
जिन बांडों में उच्च क्रेडिट जोखिम होता है वे आमतौर पर अच्छे आर्थिक परिदृश्यों के दौरान अच्छा प्रदर्शन करते हैं, लेकिन यदि अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन करने में विफल रहती है तो उनका प्रदर्शन प्रभावित होगा।
लिक्विड जोखिम
लिक्विड जोखिम का मतलब है, जब आप किसी निश्चित समय पर अपनी होल्डिंग को उचित मूल्य पर नहीं बेचते हैं।
आम तौर पर डेब्ट म्यूचुअल फंडों को इस जोखिम का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से उन्हें जो कॉर्पोरेट बॉन्ड या लॉन्ग-टर्म बांड में निवेश करता है।इसका कारण यह है कि इस तरह की प्रतिभूतियों का बाजार बहुत ही कम लेकिन बड़े मूल्य के लेनदेन के साथ होता है। जब अर्थव्यवस्था संघर्ष करती है, तो यह जोखिम विशेष रूप से बढ़ जाता है क्योंकि फंड प्रबंधकों को अपने पदों को अलग करना मुश्किल लगता है।
इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश के जोखिम
इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश निवेशक को पूंजी पर उच्च प्रत्याशित प्रतिफल (Expected return) प्रदान करता है। ऐतिहासिक आंकड़ों के अनुसार, इक्विटी निवेश ने सभी परिसंपत्ति वर्गों के बीच उच्चतम रिटर्न उत्पन्न किया है।
हालांकि, निवेश से जोखिम और प्रत्याशित प्रतिफल(Expected return) सीधे आनुपातिक होता हैं,इसलिए इक्विटी म्यूचुअल फंड को सभी परिसंपत्ति वर्गों के बीच सबसे जोखिम भरा माना जाता है, चाहे वह डेब्ट सिक्योरिटीज, रियल एस्टेट, कमोडिटीज, आदि हो। इक्विटी में निवेश के कुछ सबसे सामान्य जोखिमो का उल्लेख नीचे किया गया है।
अस्थिरता जोखिम
यहां अस्थिरता से शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव का उल्लेख होता है जो एक महत्वपूर्ण कारक है निवेश करते समय असमानताओं के बारे में विचार किया जाना। इक्विटी फंडों में, लार्ज-कैप फंड्स कम जोखिम वाले होते हैं (क्योंकि वे आर्थिक मंदी का सामना कर सकते हैं)
मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स की तुलना में। हालांकि, अधिक अस्थिर स्मॉल-कैप होती हैं,और मिड-कैप फंड्स बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के दौरान शानदार रिटर्न प्रदान करते हैं (क्योंकि बढ़ती अर्थव्यवस्था में उनकी वृद्धि की संभावना अधिक होती है)।
यदि कोई इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय कम अस्थिरता का जोखिम उठाना चाहता है, तो वह लार्ज-कैप म्यूचुअल फंड या निफ्टी 50 में निवेश कर सकता है। एक अन्य विकल्प हाइब्रिड या बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड में निवेश करना है, जो कि डेट सहित विविध पोर्टफोलियो में निवेश करता है। जो आपके समग्र अस्थिरता जोखिम को कम करता हैं। इसके अलावा, लंबी निवेश क्षितिज (horizon) के साथ हमेशा इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सुझाव दिया जाता है, क्योंकि यह आर्थिक चक्रों के साथ चलता है, और छोटी अवधि में कम या नकारात्मक रिटर्न दे सकता है।
प्रदर्शन जोखिम
प्रत्येक इक्विटी म्यूचुअल फंड में एक विशेष म्यूचुअल फंड को समझना बेंचमार्क होता है (जो आम तौर पर उस बाजार या क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें म्यूचुअल फंड मुख्य रूप से निवेश करता है) और उन फंडों का मुख्य उद्देश्य उस बेंचमार्क को हराकर अल्फा रिटर्न उत्पन्न करना होता है।
(नियमित आधार पर निधियों की अधिशेष रिटर्न) ऐसी अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल रहता हैं, जिसको प्रदर्शन जोखिम के रूप में जाना जाता है।
प्रदर्शन जोखिम तब भी मौजूद होता है जब आपका फंड बेंचमार्क को हराता है, म्यूचुअल फंड को समझना लेकिन अन्य म्यूचुअल फंडों की तुलना में लगातार खराब प्रदर्शन दिखाता है। फंड के प्रदर्शन की तुलना करते समय ध्यान रखने वाली एक बात यह है कि अपने संबंधित शुल्कों और करों में कटौती के बाद रिटर्न की तुलना करें। इससे फंड का शुद्ध रिटर्न मिलता हैं।
प्रदर्शन जोखिम अपरिहार्य (inevitable) होता है। इस जोखिम को कम करने के लिए, एक अनुभवी फंड मैनेजर प्रबंधित फंड या एएमसी में एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड के साथ निवेश करता है।
एकाग्रता का खतरा
इक्विटी म्यूचुअल फंड के मामले में, यह बहुत जोखिम भरा हो सकता है, यदि फंड का पोर्टफोलियो बहुत ही केंद्रित है यानी सीमित शेयरों, एकल सेक्टर या मार्केट कैप में निवेश किया गया है। उदाहरण के लिए, यदि फंड केवल रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश करता है, तो पोर्टफोलियो पर रिटर्न केवल उस सेक्टर पर निर्भर करेगा। यदि यह अच्छा प्रदर्शन करता है, तो रिटर्न अच्छा होगा या इसके विपरीत। इसलिए, एकाग्रता जोखिम का सामना आम तौर पर सेक्टर-विशिष्ट म्यूचुअल फंडों द्वारा किया जाता है।
स्मॉल-कैप फंडों के मामले में, जब समग्र एयूएम बड़ा होता है और उपलब्ध अवसर कम होते हैं, तो फंड को कई विकल्पों के बिना विशिष्ट शेयरों में अधिक राशि का निवेश करना पड़ता हैं| जिससे उच्च एकाग्रता का जोखिम होता है।
एकाग्रता जोखिम को कम करने के लिए, एक ऐसे फंड में निवेश करना महत्वपूर्ण होता है, जो विभिन्न क्षेत्रों में या विभिन्न मार्केट कैप फर्मों के बीच विविधता लाता है, ताकि यदि कोई दूसरे को कमतर मानता है, तो वह उसे संतुलित कर सके। यदि कोई पोर्टफोलियो अच्छी तरह से विविधतापूर्ण नहीं होता है, तो जोखिम बहुत अधिक है, लेकिन साथ ही, अपेक्षित रिटर्न भी बढ़ता है।
म्यूचुअल फंड के जोखिम का मापन
1. बीटा-बाजार में उतार-चढ़ाव की प्रतिक्रिया में फंड के रिटर्न की गतिविधि का वर्णन करता है। बीटा आपको यह समझने में मदद करता हैं, कि क्या वह फंड,बाकी के बाजार की तरह एक ही दिशा में चलता है, या विपरीत| इससे हमे ये बताता हैं, कि बाजार की तुलना में वह फंड कितना अस्थिर या जोखिम भरा है। 1 से कम को कम अस्थिर माना जाता है और 1 से अधिक को अधिक अस्थिर माना जाता है। 1 का बीटा यह दर्शाता है, कि फंड बाजार की तरह ही चलता है।
2. मानक विचलन- यह आपको इस बारे में एक विचार देगा कि म्युचुअल फंड का रिटर्न कुछ समय के लिए अपने औसत रिटर्न से कितना विचलित हो सकता है। एक उच्च मानक विचलन जोखिम भरा माना जाता है।
3. ट्रेयनोर रेशियो- यह अतिरिक्त रिटर्न होता है, जो एक म्यूचुअल फंड सिस्टमेटिक रिस्क के प्रति यूनिट से ज्यादा करता है। अपरिवर्तनीय जोखिम की अनुपस्थिति के कारण म्यूचुअल फंड के मामले में अनुपात को शार्प अनुपात से बेहतर उपाय माना जाता है। फंड जितना बेहतर होगा अनुपात उतना ही अधिक होगा।
म्यूचुअल फंड: निवेश पर घटा सकते हैं जोखिम, लॉन्ग टर्म रिटर्न के हिसाब से करें किसी भी फंड का चुनाव
रूस-यूक्रेन संकट के बाद से दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव जारी है। इस कारण निवेशक सीधे इक्विटी में पैसा लगाने के बजाय म्यूचुअल फंडों में निवेश कर रहे हैं। हालांकि, म्यूचुअल फंड में निवेश पर भी जोखिम है, लेकिन इसे कम किया जा सकता है। जोखिम कैसे घटाएं, पूरा गणित बताती कालीचरण की रिपोर्ट-
बीपीएन फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि इक्विटी बाजार की तरह म्यूचुअल फंडों में निवेश पर भी जोखिम रहता है। इस जोखिम के कई कारण होते हैं। इनमें घरेलू के साथ वैश्विक कारण भी होते हैं, जिससे म्यूचुअल फंड में निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ता है। हालांकि, फंड मैनेजरों की मदद से और अपनी निवेश रणनीति बदलकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है। बाजार में म्यूचुअल फंड की कई योजनाएं उपलब्ध हैं, जिसमें अपने लिए बेहतर का चयन कर निवेश कर सकते हैं।
- एके निगम का कहना है कि अगर रिटर्न के हिसाब से अपने लिए किसी म्यूचुअल फंड योजना का चुनाव कर रहे हैं तो हमेशा लॉन्ग टर्न रिटर्न देखें।
- लॉन्ग टर्म यानी 8-10 साल के ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो इससे लिवाली और बिकवाली दोनों परिस्थितियों में फंड के प्रदर्शन को समझने में मदद मिलती है।
- 10 साल का ट्रैक रिकॉर्ड देखें, फंड के पूरे प्रदर्शन को समझने में मिलती है मदद।
- ऐसे फंड का चयन करें, जिसने कम-से-कम 2-3 साल की अवधि में लगातार बेहतर प्रदर्शन किया हो
अपने जोखिम का आकलन करें
सेबी के मुताबिक, एसेट मैनेजमेंट कंपनी को अपने सभी फंड के लिए रिस्क-ओ-मोटर दिखाना होता है। इसमें म्यूचुअल फंड से जुड़े सभी जोखिम के स्तर के बारे में जानकारी देनी होती है। इससे पहले रिस्क-ओ-मीटर में किसी खास श्रेणी से जुड़े जोखिम को दिखाया जाता था, लेकिन अब किसी फंड में निवेश से पहले इस मीटर से जांच लें कि किस फंड से जुड़ा जोखिम आपकी क्षमता के अनुकूल है। इसका स्तर लिक्विडिटी, क्रेडिट, ब्याज दर, बाजार पूंजीकरण और उतार-चढ़ाव जैसे जोखिमों के आधार पर तय होती है।
सभी एनएफओ में निवेश से बचें
पूंजी जुटाने के लिए एएमसी न्यू फंड ऑफर (एनओफओ) लाती हैं। िवेशक अधिक रिटर्न के लिए एनएफओ में निवेश करते हैं। हालांकि, सभी एनएफओ में निवेश से बचना चाहिए। ये नए ऑफर होते हैं और इनके बारे में अधिक जानकारी सार्वजनिक नहीं होती है। इसलिए सावधानी से इसमें निवेश करना चाहिए। यह भी देखना देना है कि इनमें क्या नया है और लागत कितनी है।
लार्जकैप में लगाएं पैसा
मिडकैप और स्मॉलकैप में निवेश पर अधिक रिटर्न मिलने की संभावना रहती है, लेकिन इसमें जोखिम भी अधिक रहता है। लार्जकैप में निवेश इसलिए बेहतर है क्योंकि बाजार की गिरावट के दौरान भी इसका प्रदर्शन बेहतर रहता है।
लार्जकैप में निवेश का पैसा उन बड़ी कंपनियों में लगाया जाता है, जिनकी अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ होती है। अगर बाजार की गिरावट के दौरान इनमें नरमी आती भी है तो कुछ समय बाद इनके शेयर चढ़ जाते हैं।
फंडामेंटल की जांच जरूर करें
किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले इसका फंडामेंटल जरूर जांच लें। फंड के पोर्टफोलियो में देख लें कि यह कितना मजबूत है और इसका पैसा सभी सेक्टर्स की टॉप कंपनियों में लगा है या नहीं। कमजोर फंडामेंटल वाले फंड में निवेश से शॉर्ट टर्म में थोड़ा मुनाफा हो सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में बड़ा घाटा उठाना पड़ सकता है। -अतुल गर्ग, निवेश सलाहकार
विस्तार
बीपीएन फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि इक्विटी बाजार की तरह म्यूचुअल फंडों में निवेश पर भी जोखिम रहता है। इस जोखिम के कई कारण होते हैं। इनमें घरेलू के साथ वैश्विक कारण भी होते हैं, जिससे म्यूचुअल फंड में निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ता है। हालांकि, फंड मैनेजरों की मदद से और अपनी निवेश रणनीति बदलकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है। बाजार में म्यूचुअल फंड की कई योजनाएं उपलब्ध हैं, जिसमें अपने लिए बेहतर का चयन कर निवेश कर सकते हैं।
- एके निगम का कहना है कि अगर रिटर्न के हिसाब से अपने लिए किसी म्यूचुअल फंड योजना का चुनाव कर रहे हैं तो हमेशा लॉन्ग टर्न रिटर्न देखें।
अपने जोखिम का आकलन करें
सेबी के मुताबिक, एसेट मैनेजमेंट कंपनी को अपने सभी फंड के लिए रिस्क-ओ-मोटर दिखाना होता है। इसमें म्यूचुअल फंड से जुड़े सभी जोखिम के स्तर के बारे में जानकारी देनी होती है। इससे पहले रिस्क-ओ-मीटर में किसी खास श्रेणी से जुड़े जोखिम को दिखाया जाता था, लेकिन अब किसी फंड में निवेश से पहले इस मीटर से जांच लें कि किस फंड से जुड़ा जोखिम आपकी क्षमता के अनुकूल है। इसका स्तर लिक्विडिटी, क्रेडिट, ब्याज दर, बाजार पूंजीकरण और उतार-चढ़ाव जैसे जोखिमों के आधार पर तय होती है।
सभी एनएफओ में निवेश से बचें
पूंजी जुटाने के लिए एएमसी न्यू फंड ऑफर (एनओफओ) लाती हैं। िवेशक अधिक रिटर्न के लिए एनएफओ में निवेश करते हैं। हालांकि, सभी एनएफओ में निवेश से बचना चाहिए। ये नए ऑफर होते हैं और इनके बारे में अधिक जानकारी सार्वजनिक नहीं होती है। इसलिए सावधानी से इसमें निवेश करना चाहिए। यह भी देखना देना है कि इनमें क्या नया है और लागत कितनी है।
लार्जकैप में लगाएं पैसा
मिडकैप और स्मॉलकैप में निवेश पर अधिक रिटर्न मिलने की संभावना रहती है, लेकिन इसमें जोखिम भी अधिक रहता है। लार्जकैप में निवेश इसलिए बेहतर है क्योंकि बाजार की गिरावट के दौरान भी इसका प्रदर्शन बेहतर रहता है।
लार्जकैप में निवेश का पैसा उन बड़ी कंपनियों में लगाया जाता है, जिनकी अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ होती है। अगर बाजार की गिरावट के दौरान इनमें नरमी आती भी है तो कुछ समय बाद इनके शेयर चढ़ जाते हैं।
फंडामेंटल की जांच जरूर करें
किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले इसका फंडामेंटल जरूर जांच लें। फंड के पोर्टफोलियो में देख लें कि यह कितना मजबूत है और इसका पैसा सभी सेक्टर्स की टॉप कंपनियों में लगा है या नहीं। कमजोर फंडामेंटल वाले फंड में निवेश से शॉर्ट टर्म में थोड़ा मुनाफा हो सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में बड़ा घाटा उठाना पड़ सकता है। -अतुल गर्ग, निवेश सलाहकार