विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली

स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है

स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है

स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है

स्टॉप लॉस आर्डर आप की मदद करता है जब भी आप को लगे की आपने जो आर्डर प्लेस किया है (चाहे वो खरीद का हो या बेचने का हो) वो आपके खिलाफ जा सकता है और आपके नुक्सान को कम करने में आपकी मदद करता है। उदहारण के तौर पे - अगर आपने Rs 100/- का कोई स्टॉक खरीदा है और आप ज़्यादा से ज़्यादा Rs 5/- का नुक्सान उठा सकते है तो आपको अपना स्टॉक को Rs 95/- में बेचने के लिए आर्डर प्लेस करना होगा। इस तरह के आर्डर को स्टॉप लॉस आर्डर कहते है क्योंकि आप आपने नुकसान को उतना ही लिमिट कर रहे हैं जितना की आप सह सकते है।

दो तरह के स्टॉप लॉस आर्डर होते है:

1. SL आर्डर (स्टॉप -लॉस लिमिट) = प्राइस + ट्रिगर प्राइस

2. SL-M आर्डर (स्टॉप -लॉस मार्किट) = सिर्फ ट्रिगर प्राइस

केस 1 > अगर आप ने बाय पोजीशन लिया है तो, आप सेल SL प्लेस करना होगा

केस 2 > अगर आप ने सेल पोजीशन लिया है तो, आप बाय SL प्लेस करना होगा

केस 1 में, अगर आपके पास Rs 100/- में बाय का पोजीशन है और आप स्टॉप लॉस Rs 95/- में प्लेस करना चाहते है

a. SL-M आर्डर टाइप - आपको सेल आर्डर SL-M प्लेस करना होगा, जिसमें ट्रिगर प्राइस 95 होगा और जब प्राइस 95 पर ट्रिगर होगा तो , सेल मार्किट आर्डर एक्सचेंज को जायेगा और आपका पोजीशन मार्किट प्राइस पर क्लोज हो जायेगा।

b. SL आर्डर टाइप - आपको सेल SL आर्डर प्लेस करना होगा, ट्रिगर प्राइस के साथ क्योंकि आपका आर्डर को पहले ट्रिगर करना होगा इसीलिए (ट्रिगर प्राइस ≥ प्राइस ) इस तरह के आर्डर आपको रेंज देता है , स्टॉप लॉस के लिए।

मान लीजिये आप रेंज Rs 0.10 (10 paise) का दिया है अब आप ट्रिगर प्राइस = 95 और प्राइस = 94.90 होगा। जब प्राइस 95 पर ट्रिगर करता है, तब सेल लिमिट आर्डर एक्सचेंज को जाता है और आर्डर स्क्वायर ऑफ हो जाता है। जो भी प्राइस उपलब्ध होगा 94.90 से उपर उसी पर स्क्वायर ऑफ हो जायेगा। मतलब SL आर्डर 96 या 94.95 पर ही पूरा होगा और 94.90 से नीचे नहीं होगा।

इस तरह के आर्डर का नुकसान भी है, अगर मान लीजिए मार्किट बहुत जल्दी से गिरने लगता है जब तक 95 ट्रिगर हो और इससे पहले की 94.90 सेल लिमिट आर्डर एक्सचेंज को मिले, स्टॉक प्राइस पहले ही 94.90 से नीचे गिर चूका हो, तब स्टॉप-लॉस आर्डर आप का क्लोज नहीं होगा। आपका स्टॉप लॉस आर्डर खुला ही रहेगा और आपका नुकसान बहुत ही बढ़ सकता है।

आपको खुद ही तय करना होगा की SL or SL-M का इस्तेमाल करें मार्किट को दिमाग में रख कर तय करना होगा।

केस 2 में, आप के पास सेल पोजीशन है 100 पर है, आप SL 105 में प्लेस करना चाहते है,

a. SL-M आर्डर टाइप - आप को बय SL-M आर्डर प्लेस करना होगा ट्रिगर प्राइस = 105 यहाँ जब प्राइस 105 ट्रिगर करेगा तब बय मार्किट आर्डर एक्सचेंज को मिलेगा और आपका पोजीशन स्क्वायर ऑफ मार्किट प्राइस पर हो जायेगा।

b. SL आर्डर टाइप - आपको बय SL आर्डर प्लेस करना होगा, ट्रिगर प्राइस के साथ क्योंकि आपका आर्डर को पहले ट्रिगर करना होगा इसीलिए (ट्रिगर प्राइस ≤ प्राइस ) इस तरह के आर्डर स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है आपको रेंज देता है , स्टॉप लॉस के लिए।

मान लीजिये आप रेंज Rs 0.10 (10 paise) का दिया है अब आप ट्रिगर प्राइस = 105 और प्राइस = 105.10 होगा। जब प्राइस 105 पर ट्रिगर करता है, तब बय लिमिट आर्डर एक्सचेंज को जाता है और आर्डर स्क्वायर ऑफ हो जाता है। जो भी प्राइस उपलब्ध होगा 105.10 से नीचे उसी पर स्क्वायर ऑफ हो जायेगा। मतलब SL आर्डर 105.05 या 105 पर ही पूरा होगा और 105.10 से ऊपर नहीं होगा।

SL आर्डर का दूसरा अल्टरनेटिव इस्तेमाल:

जैसे की सेल SL आर्डर बय प्राइस के नीचे के लिए इस्तेमाल होता और बय SL आर्डर सेल प्राइस के ऊपर , तो आप यह आर्डर टाइप्स को लास्ट ट्रेडेड प्राइस (LTP) के ऊपर या लास्ट ट्रेडेड प्राइस के नीचे इस्तेमाल कर सकते है।

1. LTP के अपर बय करने के लिए आप बय SL आर्डर प्लेस कर सकते है जो भी प्राइस में आपको बय करना है।

2. LTP के नीचे सेल करने के लिए आप सेल SL आर्डर प्लेस कर सकते है जो भी प्राइस में आपको सेल करना है।

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Stop Loss Meaning in Hindi

What is Stop Loss in Share Market in Hindi?

Stop Loss वह मूल्य है जो शेयर मार्केट में ट्रेडर को ज्यादा नुकसान होने से बचाता है। यह ट्रेडर्स के जोखिम को कम कर उन्हें सही समय पर मार्केट से बाहर निकलने की अनुमति देता है।

शॉर्ट टर्म ट्रेड में स्टॉप लॉस की जरुरत और भी बढ़ जाती है क्योंकि यहां जोखिम की संभावना और भी ज्यादा होती है। स्टॉप लॉस ट्रेडर के इसी जोखिम को सीमित करता है।

यह उनलोगों के लिए रामबाण की तरह है जो निरंतर ट्रेडिंग नहीं करते और जो शेयर बाजार के ट्रेंड से अनजान हैं। ऐसे लोग स्टॉप लॉस लगाकर अपने नुकसान को कम कर सकते हैं।

स्टॉप लॉस को अच्छे से समझने के लिए एक उदहारण लेते है।

यदि हम किसी कंपनी के शेयर को 100 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से इस उम्मीद में खरीदते हैं कि इसकी प्राइस मार्केट में कभी तो 120 रुपये हो जाएगी और यह अच्छा-खासा रिटर्न देगी।

इसके उलट दूसरी स्थिति यह भी हो सकती है कि प्राइस 85 रुपये तक पहुंच जाए। मार्केट में इस तरह के बदलाव इतनी तेजी से होते हैं कि ट्रेडर को पता भी नहीं चलता।

इस स्थिति में यदि शेयर खरीदते समय ट्रेडर ने स्टॉप लॉस मूल्य यानी एक खास मूल्य जैसे 95 रुपये तय कर लिया है तो किसी भी वक्त मार्केट के उतार-चढ़ाव के दौरान शेयर प्राइस 95 पर पहुंचेगा तो शेयर खुद ब खुद सेल हो जाएगा और ट्रेडर बड़े नुकसान से बच जाएगा।

तो ये बात हुए स्टॉप लॉस क्या होता है, लेकिन अक्सर शुरूआती ट्रेडर्स इस असमंझस में रहते है कि स्टॉप लॉस कैसे लगाए।

SL Trigger Price Means in Hindi

जैसे की बताया गया है की स्टॉप लॉस की सही वैल्यू से आप अपने नुक्सान को सीमित कर सकते है तो यहाँ पर ज़रूरी है की आपको ट्रिगर प्राइस की जानकारी हो । ट्रिगर प्राइस वह प्राइस है जिस प्राइस पर आर्डर एक्सचेंज पर ट्रांसफर हो जाता है और फिर स्टॉप लॉस हिट होते ही आपका आर्डर निष्पादित हो जाता है ।

बाय और सेल दोनों के लिए स्टॉप लॉस ट्रिगर प्राइस की वैल्यू अलग-अलग होती है, जैसे की अगर लॉन्ग पोजीशन ले रहे है तो ट्रिगर प्राइस की वैल्यू स्टॉप लॉस से ज़्यादा होती है और शार्ट पोजीशन के समय ट्रिगर प्राइस स्टॉप लॉस से कम रखा जाता है ।

Stop Loss Kaise Lagaye

ऐसे ट्रेडर जो स्टॉक मार्केट में ट्रेड की शुरुआत करने जा रहे हैं और उनके पास मार्केट के ट्रेंड को समझने का अनुभव नहीं है तो ट्रेडर के मन में नुकसान का डर सबसे ज्याादा होता है।

यह डर कभी-कभी इतना ज्यादा होता है कि लोग अपने ट्रेंडिंग के इरादों को भी बदल देते हैं। ऐसे ट्रेडर के लिए स्टॉप लॉस एक सहारे की तरह है जिससे वे अपने हिसाब से अपने लॉस को तय कर सकते हैं और प्रॉफिट को लॉक कर सकते हैं।

आइये जानते है कुछ ऐसे स्ट्रेटेजी जो आपको इंट्राडे ट्रेडिंग में सही ट्रिगर प्राइस सेट करने में मदद करती है ।

Best Stop Loss Strategy in Hindi

Stop loss के बारे में अच्छी तरह समझने के बाद सवाल उठता है कि आखिर किस प्राइस पर Stop loss लगाया जाए, क्या इसके लिए कोई नियम है?

इन सवालों के जवाब के साथ ही आप Stop loss को लेकर एक अच्छी रणनीति तैयार कर सकते हैं। शेयर मार्केट का गणित का सही उपयोग कर आप स्टॉप लॉस की जानकारी प्राप्त कर सकते है।

1. परसेंटेज मेथड (Percentage Method): ज्यादातर ट्रेडर Stop loss के लिए परसेंटेज नियम का पालन करते हैं। यह परसेंटेज नियम शेयर प्राइस का 10 प्रतिशत होता है। उदाहरण के लिए यदि शेयर प्राइस 100 रुपये है तो 100 रुपये का 10 प्रतिशत कम यानी 90 रुपये पर आप अपना Stop loss लगा सकते है।

क्योकि आप अपने रिस्क के अनुसार स्टॉप लॉस सेट करते है इसलिए शुरुआती ट्रेडर के लिए ये काफी चुनौतीपूर्ण होता है । अगर आप सही वैल्यू के साथ स्टॉप लॉस लगाना चाहते है तो उसके लिए आप आगे दी गयी सपोर्ट और रेजिस्टेंस मेथड का उपयोग कर सकते है। नए ट्रेडर्स के लिए ये एक अच्छा इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Intraday Trading Strategy in Hindi) मानी जा सकती है.

2. सपोर्ट और रेजिस्टेंस मेथड (Support and Resistance in Hindi): हर एक स्टॉक अस्थिरता के चलते शेयर मार्केट चार्ट में एक सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल बनाता है और ये लेवल आपको स्टॉप लॉस लगाने में मदद करते है ।

अगर आपने लॉन्ग पोजीशन लेकर इंट्राडे ट्रेड की है तो यहाँ पर आप ट्रेडिंग प्राइस से पहले वाले सपोर्ट को पहचान उससे थोड़ा कम स्टॉप लॉस लगा सकते है ।

उदारहण के लिए अगर स्टॉक का एंट्री प्राइस 200 है और उसका सपोर्ट 185 पर है तो आप 182 पर स्टॉप लॉस ट्रिगर प्राइस लगा सकते है । इसी तरह से अगर आपने शार्ट पोजीशन लेकर ट्रेड किया है तो आप रेसिस्टेन्स की जानकारी प्राप्त कर स्टॉप लोस्स ट्रिगर प्राइस लगा सकते है ।

अगर आपको सपोर्ट और रेजिस्टेंस की जानकारी प्राप्त करने में मुश्किल हो रही है तो आप इंट्राडे ट्रेडिंग फॉर्मूला का उपयोग कर सकते है ।

स्टॉप लॉस के फायदे

Stop loss स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है लगाने के लिए ट्रेडर को अलग से कोई राशि नहीं देनी पड़ती है। इस तरह से देखा जाए तो ट्रेडर के लिए यह एक फ्री इंश्योरेंस पॉलिसी की तरह है जो केवल फायदा ही पहुंचा सकती है नुकसान नहीं।

नए ट्रेडर को ट्रेड करने के लिए प्रोत्साहित करती है। नए ट्रेडर के सामने सबसे बड़ी चुनौती और मार्केट में उतरने का डर होता है कि कही वो अपने पैसे न गंवा दें। इसलिए Stop loss जोखिम को कम कर ट्रेडर का मार्केट में उतरने के निर्णय में मदद करता है।

ये आपके मार्केट संबंधी भ्रांतियों को दूर कर एक विश्वास प्रदान करता है। यदि कोई ट्रेडर अपनी उम्मीद के मुताबिक ही मार्केट में जोखिम उठाता है तो मार्केट के प्रति उसका विश्वास बढ़ता है।

स्टॉप लॉस के नुकसान

Stop loss के सबसे बड़े नुकसानों में से एक की बात करें तो मार्केट में आई कुछ समय की अस्थिरता पर भी यह सक्रिय हो जाते हैं क्योंकि हो सकता है कुछ समय अंतराल के बाद मार्केट में फिर से तेजी आ जाए।

ऐसे में ट्रेडर ज्यादा रिटर्न पाने की संभावना से वंचित रह जाता है। इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। मान लिया किसी ट्रेडर ने 120 में शेयर खरीदे और 108 का स्टॉप लॉस लगाया।

अब यदि मार्केट कुछ समय के लिए भी नीचे आया तो शेयर 108 में सेल हो जाएगा जबकि यह शेयर ट्रेडर को और भी ज्यादा बड़ा रिटर्न दे सकता था।

स्टॉप लॉस लगाने के लिए कोई स्थायी नियम नहीं है। अलग-अलग ट्रेडर अपने हिसाब से इसका उपयोग कर सकते हैं। एक और नुकसान की बात करें तो मार्केट ट्रेंड के हिसाब से स्टॉप लॉस में बदलाव नहीं किया जा सकता है।

निष्कर्ष

नए ट्रेडर के लिए Stop loss एक इंश्योरेंस की तरह तो है जो उनके जोखिम को खत्म कर उनके पैसे खोने के डर को खत्म करता है लेकिन लेकिन कभी-कभी यह नुकसान भी पहुंचाता है।

स्टॉप लॉस को उन लोगों के लिए तो फायदेमंद है जो ट्रेड के बाद मार्केट के ट्रेंड पर नजर नहीं रखते लेकिन उन लोगों के लिए यह उतना फायदेमंद नहीं है जो मार्केट को करीब से जानते हैं और उसके हर मूवमेंट पर कड़ी नजर रखते हैं। सरल भाषा में इंट्राडे ट्रेडिंग के नियमों (intraday trading rules in hindi) में स्टॉप लॉस लगाना सबसे पहला और महत्वपूर्ण नियम माना जाता है।

तो सही से इसकी जानकारी लें ट्रेड में होने वाले नुकसान को सीमित करें ।

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स्टॉप लॉस क्या है?

स्टॉप लॉस एक ऑर्डर है जो हम अपने ब्रोकर को स्टॉप लॉस के लिए देते हैं

फिलहाल जब हम ट्रेडिंग की दुनिया में प्रवेश करने पर विचार करते हैं, तो कई अवधारणाएं होती हैं जिन्हें हमें अपने पैसे को जोखिम में डालने से पहले जानना चाहिए, जैसे कि स्टॉप लॉस क्या है। यदि ये शब्द आपको परिचित नहीं लगते हैं, तो बेहतर होगा कि आप इस लेख को पढ़ते रहें, क्योंकि ट्रेडिंग में अपनी गतिविधियों को अच्छी तरह से करने में सक्षम होने के लिए यह महत्वपूर्ण है।

हम आपको बताएंगे कि स्टॉप लॉस क्या है और इसका उपयोग कैसे किया जाता है। आप देखेंगे कि इसका महत्व बहुत प्रासंगिक है और यह हमारी ट्रेडिंग रणनीतियों को तैयार करने में हमारी बहुत मदद कर सकता है। इसके अलावा, कुछ नया सीखना हमेशा अच्छा होता है, है ना? यदि हम स्टॉप लॉस का अच्छी तरह से उपयोग करना सीखते हैं, तो हम न केवल यह सुनिश्चित करेंगे कि हम जितना खोने को तैयार हैं उससे अधिक पैसा न खोएं, बल्कि अगर चीजें अच्छी तरह से चलती हैं तो हम न्यूनतम लाभ भी सुनिश्चित कर सकते हैं।

ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है?

स्टॉप लॉस हमें जोखिम को नियंत्रण में रखने में मदद करता है

जैसा कि हमने पहले ही उल्लेख किया है, इसमें कुछ अवधारणाएँ हैं व्यापार जो इसे अच्छी तरह से करने के लिए आवश्यक हैं। इसलिए हम बताने जा रहे हैं कि स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है स्टॉप लॉस क्या होता है। मूल रूप से यह के बारे में है एक ऑर्डर जो हम अपने ब्रोकर को शाब्दिक रूप से "स्टॉप लॉस" देते हैं। यह "स्टॉप लॉस" का स्पेनिश अनुवाद है।

यह कोई रहस्य नहीं है कि एक सुनहरा नियम है जिसका सभी स्टॉक सट्टेबाजों को पालन करना चाहिए: जोखिम को हमेशा नियंत्रण में रखें। इस सुनहरे नियम का पालन करने के लिए, हमें हमेशा पहले से पता होना चाहिए कि हम व्यापार करने से पहले कितना खोने को तैयार हैं। एक बार हमारे पास आंकड़ा स्पष्ट हो जाने पर, हम अपने ब्रोकर को पोजीशन खोलने का आदेश दे सकते हैं।

खरीद या बिक्री का आदेश देने के तुरंत बाद, नुकसान को उस आंकड़े से अधिक होने से रोकने के लिए स्टॉप लॉस छोड़ने का समय है जिसे हम खोना चाहते हैं। यह एक खरीद या बिक्री आदेश है जिसे केवल तभी निष्पादित किया जाएगा जब कीमत हमारे संचालन के खिलाफ जाती है जिससे हमें अधिकतम नुकसान हो सकता है जो हम चाहते हैं। यानी: इससे पहले कि हम बड़ा नुकसान उठा सकें, हमने जो ऑपरेशन किया है, उसे "कट" कर दिया जाएगा।

यह महत्वपूर्ण है कि हम इस बात का ध्यान रखें कि निष्पादित नहीं किए गए आदेश निःशुल्क हैं। इसलिए, हमारे शेयर बाजार के संचालन में जोखिम को नियंत्रित करने से हमें कुछ भी खर्च नहीं होता है, लेकिन दूसरी ओर, हम खुद को कई बुरे क्षणों और निराशाओं से बचा लेंगे।

स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है?

मूल्य बढ़ने पर स्टॉप लॉस को समायोजित करना महत्वपूर्ण है

अब जब हम जानते हैं कि स्टॉप लॉस क्या है, तो हम यह बताने जा रहे हैं कि इसका उपयोग कैसे किया जाता है। हम पहले ही टिप्पणी कर चुके हैं कि यह एक ऐसा आदेश है जो हमें उन नुकसानों से अधिक होने से बचाता है जो हम चाहते हैं और इस तरह, उस जोखिम को नियंत्रित करते हैं जो इसमें शामिल है। हालाँकि, हमें कुछ संदेह होंगे: हमें इसे शुरू में कहाँ रखना चाहिए? और मूल्य बढ़ने पर इसे कैसे स्थानांतरित किया जाए? हमें बाजार में प्रवेश करने से पहले इन दो सवालों के जवाब के बारे में बहुत स्पष्ट होना होगा।

मध्यम अवधि की रणनीति के साथ, हमारे पास प्रवेश करने के लिए दो विकल्प हैं: पुलबैक या ब्रेक। स्टॉप लॉस हमारे द्वारा की गई प्रविष्टि के अनुसार रखा जाएगा। इन स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है दो मामलों में, दृष्टिकोण और आपातकालीन निकास अलग-अलग हैं।

प्रतिरोध के टूटने की स्थिति में, हमें स्टॉप लॉस लगाना चाहिए समर्थन या प्रतिरोध रेखा पर जिसे हम परिभाषित करते हैं, एक छोटा सा मार्जिन छोड़कर। ऐसा करने के लिए हम अगली मोमबत्तियों से संबंधित छायाओं को देखेंगे, हम नीचे ऑर्डर देंगे, एक टिक से अधिक दूर। गोल संख्या से बचने की सलाह दी जाती है। इस तरह हम कीमत को लेकर झिझक नहीं होने देंगे। यदि ऐसा होता है कि ब्रेक प्रामाणिक नहीं है, स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है तो यह हमारे सर्वोत्तम हित में नहीं है कि एक मूल्य है जो निश्चित रूप से ढह जाएगा। इसके विपरीत, अगर यह पता चलता है कि ब्रेकआउट वास्तविक है, तो स्टॉप लॉस को पीछे छोड़ते हुए कीमत हमारे पक्ष में आ जाएगी।

अन्य प्रवेश विकल्प पुलबैक के माध्यम से साप्ताहिक चलती औसत तक है। यह औसत केवल एक संकेतक है जो हमें मूल्य का अनुमान लगाने में मदद करेगा, कीमत का नहीं। इसलिए, यदि हम इस सूचक को समायोजित नहीं करते हैं, तो यह हमारी बिल्कुल भी मदद नहीं करेगा। जब हमने इसे समायोजित किया है, हम जानेंगे कि किस स्तर से कीमत नहीं गिरनी चाहिए। अब सवाल यह है कि स्टॉप लॉस को पहले की तरह बाउंस के अनुरूप लो से नीचे रखने की कोशिश की जाए।

मूल्य बढ़ने पर स्टॉप लॉस को एडजस्ट करें

हमेशा ध्यान रखें कि बाजार लगातार आगे बढ़ रहा है। सभी कीमतों में वृद्धि होगी: जब यह ऊपर होता है तो इसे स्विंग कहा जाता है और जब यह नीचे होता है तो इसे पुलबैक कहा जाता है। वे एक के बाद एक घटित होंगे जब तक कि अंतिम पुलबैक अब एक पुलबैक नहीं है, जिससे साप्ताहिक चलती औसत दिशा बदल जाती है क्योंकि कीमत इसे ऊपर से नीचे तक पार करती है। तो हमें क्या करना है हर बार सुरक्षा पर पलटाव की पुष्टि होने पर स्टॉप लॉस को अंतिम प्रासंगिक निम्न से नीचे रखें।

इस बिंदु पर हमें यह याद रखना चाहिए कि समायोजित चलती औसत, लेकिन सामान्य तीस-सप्ताह का औसत नहीं, हमें इसका सटीक अनुमान देता है कि मूल्य कहां है। इस तरह हम मूल्य पर पुष्टि की गई प्रत्येक उछाल के तहत स्टॉप लॉस को बदल सकते हैं और समायोजित कर सकते हैं। इससे हमारे लिए अपने व्यापार की दिशा का लाभ उठाना बहुत आसान हो जाएगा और हम पिछले स्विंग पर जो हासिल कर सकते थे, उसे हम कम से कम खो देंगे।

ट्रेलिंग स्टॉप नामक इस तकनीक में शामिल हैं कुछ रक्षात्मक बिंदुओं में स्टॉप लॉस को अपडेट करें क्योंकि कीमत हमारे पक्ष में बढ़ती या गिरती है। यह सुनिश्चित करेगा कि हम न्यूनतम लाभ बनाए रखें। इस तकनीक को अच्छी तरह से करने के लिए, हम हमेशा स्टॉप लॉस को कीमत के समान दिशा में आगे बढ़ाएंगे, हम इसे कभी भी इससे दूर नहीं करेंगे।

हमें दलालों के साथ बहुत सावधान रहना चाहिए जो एक उपकरण प्रदान करते हैं जिसे कहा जाता है "डायनेमिक स्टॉप लॉस". यह एक निश्चित नियम लागू करता है जो हमें, सिद्धांत रूप में, कीमत पर नज़र रखने के बारे में भूलने की अनुमति देता है। एक उदाहरण हमेशा 5% की दूरी छोड़कर कीमत का पीछा करना होगा। इस उपकरण का उपयोग करने की अनुशंसा नहीं की जाती है।

जैसा कि हम देख सकते हैं, ट्रेडिंग के लिए स्टॉप लॉस वास्तव में आवश्यक है। यदि हम स्टॉप लॉस का उपयोग किए बिना शेयर बाजार में काम करते हैं, तो यह ऐसा है जैसे हम कार चला रहे थे लेकिन बिना ब्रेक के। इसलिए हमें हमेशा स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करना चाहिए।

लेख की सामग्री हमारे सिद्धांतों का पालन करती है संपादकीय नैतिकता। त्रुटि की रिपोर्ट करने के लिए क्लिक करें यहां.

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इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉप लॉस कैसे सेट करें? | Stop Loss Kaise Lagaye | How स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है to set stop loss?

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉप लॉस कैसे सेट करें? | Stop Loss Kaise Lagaye | How to set stop loss?

How to set stop Loss: स्टॉप लॉस एक ऐसा मेथड है जो किसी भी स्टॉक से होने वाले नुकसान को कम करता है। इसका उपयोग इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए किया जाता है। लेकिन डे ट्रेडिंग के लिए स्टॉप लॉस कैसे सेट करें? (How to set stop loss?) आइये इस लेख में समझें।

How to set stop Loss For Intraday Trading: जब Day Trading होता है, तो किसी के फैसले के खिलाफ रुझान का एक महत्वपूर्ण मौका होता है, जिसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण नुकसान होता है। घाटे के एक विशेष स्तर पर, एक डे ट्रेडर स्टॉप लॉस ऑर्डर का उपयोग कर सकता है। स्टॉप लॉस मेथड में नीचे का ट्रेंड जब लिमिट से टकराता है तो किसी भी अधिक नुकसान को रोकने के लिए स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है ट्रांजैक्शन ऑटोमैटिक रूप से रद्द कर दिया जाता है। stop-Loss ट्रेडिंग की आवश्यकता नहीं है और यह एक व्यक्तिगत विकल्प है, लेकिन यह एक बड़े नुकसान के खतरे को कम करता है।

तो अगर आप भी डे ट्रेडिंग करना चाहते है और इससे होने वाले खतरे को कम करना चाहते है तो इस लेख में जानिए कि इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉप लॉस कैसे सेट करें? (How to set stop loss?)

डे ट्रेडिंग के लिए स्टॉप लॉस ऑर्डर | Stop Loss Kaise Lagaye

Intraday Trading में स्टॉप-लॉस ऑर्डर मेथड का उपयोग करना एक व्यक्तिगत विकल्प है, और स्टॉप-लॉस ऑर्डर के लिए उचित मूल्य निर्धारित करना अधिक आवश्यक है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर ट्रेंड में एक विशिष्ट स्तर से नीचे के नुकसान को रोकते हैं और व्यापार स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है से बाहर निकलते हैं, लेकिन अगर स्टॉप-ऑर्डर सही तरीके से नहीं रखा गया है, तो यह घाटे को बढ़ाने के लिए एक खिड़की खोलता है, और दिन के बाद से अधिक सतर्क और खतरनाक है। व्यापारी बिना किसी लाभ के समाप्त हो सकता है।

इसके अलावा, जब कोई व्यापारी छुट्टी पर या यात्रा पर होता है, तो वह यह जानकर दिन के लिए व्यापार छोड़ सकता है कि स्टॉप-लॉस ऑर्डर के कारण कोई नुकसान नहीं होगा या सीमित नुकसान होगा।

स्टॉप-लॉस ऑर्डर कितने पर लगाया जाना चाहिए

Stop Loss Kaise Lagaye: ट्रेडिंग करते समय, स्टॉप-लॉस ऑर्डर में कितना स्थान देना है, इस मुद्दे का सामना करना सामान्य है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर का मूल्य निर्धारित करने के लिए व्यापारियों द्वारा अक्सर परसेंटेज मेथड का उपयोग किया जाता है। Stop-Loss Order आमतौर पर उस व्यक्ति द्वारा खरीद मूल्य के 10% पर रखा जाता है जो नुकसान के बड़े जोखिम को रोकना चाहता है। उदाहरण के लिए अगर स्टॉक 100 रुपये में खरीदा जाता है और स्टॉप-लॉस ऑर्डर 10% पर रखा गया है, तो जैसे ही जैसे ही स्टॉक की कीमत 90 रुपए होगी तो आर्डर समाप्त हो जाएगा। यह गारंटी देता है कि स्टॉक का आदान-प्रदान या लेनदेन पूरा होने पर कोई महत्वपूर्ण नुकसान नहीं होता है।

समर्थन और प्रतिरोध | Support and Resistance

स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग करने का मुख्य लाभ समर्थन और प्रतिरोध (Support and Resistance) है इंट्राडे ट्रेडर्स बड़े नुकसान से बचने के लिए लाभ उठा सकते हैं, खासकर जब स्टॉप-लॉस पर 10% नियम का उपयोग करके और नुकसान को रोकने के लिए। जब 10% स्टॉप लॉस का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, स्टॉप-लॉस पद्धति दिन के व्यापारियों को नुकसान को रोकने में मदद करती है जब वे एक बुरा निर्णय लेते हैं और बाजार के रुझान उनके खिलाफ होते हैं।

जब स्टॉक का ट्रेंड पसंद के खिलाफ जाता है तो एक निश्चित समय पर ट्रांजैक्शन को ऑटोमैटिक रूप से समाप्त करके अतिरिक्त नुकसान को रोकने के लिए स्टॉप-लॉस मेथड का उपयोग किया जाता है। यह एक शानदार समाधान है और डे ट्रेडर्स के स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है व्यापारियों के लिए व्यक्तिगत प्राथमिकता है जो कीमतों में गिरावट के बाद पैसे खोने से रोकना चाहते हैं। स्टॉप-लॉस ऑर्डर अक्सर स्विंग लो और हाई ऑर्डर के साथ आगे के नुकसान को रोकने के लिए उपयोग किए जाते हैं, क्योंकि वे खतरनाक होते हैं और इसके परिणामस्वरूप सामान्य से अधिक नुकसान हो सकता है।

स्‍टॉप लॉस ऑर्डर क्‍या है, इसका कहां इस्‍तेमाल होता है?

स्‍टॉप लॉस को निवेशक को नुकसान से बचाने के लिए बनाया गया है.

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1. स्‍टॉप लॉस ऑर्डर एक ऑर्डर है जो स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है निवेशक ब्रोकर को देते हैं. यह ऑर्डर तब दिया जाता है जब कोई शेयर किसी खास भाव पर पहुंच जाता है. इस लेवल पर शेयर को खरीदने या बेचने के लिए यह ऑर्डर दिया जाता है.

2. स्‍टॉप लॉस को निवेशक को नुकसान से बचाने के लिए बनाया गया है. वे शेयर के एक खास लेवल पर पहुंच जाने पर इसे बेच सकते हैं. यह कई मायनों में निवेशकों के लिए काफी मददगार साबित होता है.

3. इंट्रा-डे ट्रेडिंग में खरीदार मुनाफे के साथ अपने सौदे को बेचकर दिन का अंत करना चाहता है. लेकिन, शेयर भाव नीचे जाने पर स्‍टॉप लॉस का ट्रिगर दब जाता है और सौदे का निपटान उसी भाव में हो जाता है. इससे नुकसान को सीमित करने में मदद मिलती है.

4. स्‍टॉप लॉस का फायदा यह है कि निवेशकों को अपनी होल्डिंग को लगातार मॉनिटर नहीं करना पड़ता है. इसके अलावा स्‍टॉप लॉस को सेट करने के लिए कोई अतिरिक्‍त कॉस्‍ट भी नहीं वसूली जाती है.

5. इसका नुकसान यह है कि शेयर भाव में छोटी अवधि में उठापटक स्‍टॉप प्राइस को एक्टिवेट कर सकती है. इससे ट्रांजेक्‍शन अपने आप हो जाता है. उदाहरण के लिए अगर कोई ट्रेडर 200 रुपये का शेयर लेता है और 180 रुपये का स्‍टॉप लॉस लगाता है तो शेयर जैसे ही इस लेवल को छुएगा वह अपने आप बिक जाएगा. यहां ध्‍यान देने वाली बात यह है कि स्‍टॉप लॉस ऑर्डर खरीदने और बेचने दोनों के लिए हो सकते हैं.

इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.

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